Is Jal Pralay Mein Class 9 Summary :
Is Jal Pralay Mein Class 9 Summary
इस जल प्रलय में का सारांश
Note –
- “इस जल प्रलय में” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “इस जल प्रलय में” पाठ के MCQ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “इस जल प्रलय में ” पाठ के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें । YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
“इस जल प्रलय में” एक रिपोर्ताज है जिसके लेखक फणीश्वरनाथ रेणु जी हैं। इस रिपोर्ताज में उन्होंने सन 1975 में पटना में आई भयंकर बाढ़ का आंखों देखा हाल बयान किया है।
रिपोर्ताज की शुरुवात लेखक ने कुछ इस तरह से की हैं।
सावन और भादो (जुलाई -अगस्त माह) के महीने में जब पश्चिम दिशा , पूर्व दिशा और दक्षिण दिशा में बहने वाली कोसी , पनार , महानंदा और गंगा नदी में बाढ़ आती है तो वहाँ के लोग व जानवर लेखक के गांव व उसके आसपास के क्षेत्रों में शरण लेने आते है। क्योंकि लेखक का गांव जिस क्षेत्र में पड़ता है। वहाँ की जमीन विशाल और परती है।
परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण लेखक को तैरना भी नहीं आता था क्योंकि इस तरह के क्षेत्रों में पानी की मात्रा कम होती हैं। (परती , वह भूमि होती हैं जो एकदम बंजर नहीं होती है। मगर इस तरह की जमीन को एक साल खेती करने के बाद दो-तीन साल के लिए खाली छोड़ दिया जाता है ताकि मिट्टी की उर्वरकता बनी रही।)
लेखक कहते हैं कि वो 10 वर्ष की उम्र से ही बाढ़ पीड़ितों के लिए स्वयंसेवक या रिलीफवर्कर के रूप में कार्य करते आ रहे हैं और लेखक ने दसवीं क्लास में बाढ़ पर एक लेख लिखकर पहला पुरस्कार भी हासिल किया था। इसके अलावा प्रतिष्ठित “धर्मयुग मैगजीन” के “कथा दशक कालम” के अंतर्गत बाढ़ से संबंधित उनकी एक कहानी भी छपी थी।
उन्होंने बाढ़ पर 1947 में “जय गंगा” , 1948 में “डायन कोसी” , 1948 में “हड्डियों का पुल” रिपोर्ताज लिखे। इसके अलावा उन्होंने अपने कई उपन्यासों में भी बाढ़ की विनाश लीलाओं के बारे में लिखा हैं।
लेखक जब अपने गांव में रहते थे तो उन्होंने बाढ़ के बारे में सुना जरूर था मगर उसे कभी झेला नहीं था। लेकिन सन 1967 में पटना शहर में आयी बाढ़ की विभीषिका को उन्होंने पहली बार खुद अपनी आँखों से देखा और झेला भी। जब 18 घंटे तक लगातार जोरदार बारिश हुई और पुनपुन नदी का पानी राजेंद्रनगर , कंकड़बाग और अन्य निचले हिस्से में घुस आया था।
इसीलिए इस बार (सन 1975) में जब बाढ़ का पानी शहर में आने लगा और पटना का पश्चमी भाग छाती भर पानी में डूबने लगा तो , लेखक अपने घर में ईंधन , आलू , मोमबत्ती , दियासलाई , पीने का पानी , कंपोज की गोलियां जमा कर बाढ़ के आने की प्रतीक्षा करने लगे।
अगली सुबह लेखक को पता चला कि राजभवन और मुख्यमंत्री निवास तक बाढ़ का पानी आ चुका हैं और दोपहर में उन्हें किसी ने बंगला भाषा में बताया कि गोलघर तक बाढ़ आ चुकी हैं और शाम 5:00 बजे तक कॉफी हाउस भी बाढ़ के पानी में डूब चुका था जिसकी खबर लेखक को एक रिक्शेवाले ने दी।
लेखक भी कॉफी हाउस जाने के लिए अपने एक कवि मित्र के साथ घर से निकले। ये कवि मित्र लेखक की उटपटांग बातों से कभी बोर नहीं होते थे। अन्य लोग भी बाढ़ देखने के लिए रिक्शे , तांगे , टमटम , स्कूटर , मोटरसाइकिल आदि वाहनों से जा रहे थे। रास्ते में बाढ़ देखने जाने और आने वाले लोग सिर्फ बाढ़ से संबंधित बातों ही कर रहे थे। तभी लेखक कॉफी हाउस पहुंच गए , जो बंद कर दिया गया था।
लेखक ने सड़क किनारे आये पानी को देखकर अपने कवि मित्र को बताया कि “मृत्यु का तरल दूत” यानी बाढ़ का पानी यहां तक आ पहुंचा है। अब हम आगे नहीं जाएंगे। लेखक डर गए और रिक्शे से गांधी मैदान की ओर चल पड़े। लेखक कहते हैं कि गांधी मैदान में दशहरा के दिन “राम रथ” की प्रतीक्षा में जितने लोग इंतजार में खड़े रहते हैं , उतने ही आज वहां बाढ़ देखने के लिए भी इकट्ठे हुए थे।
शाम को 7:30 बजे पटना के आकाशवाणी केंद्र ने घोषणा की , पानी आकाशवाणी के स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुंच गया है। हालाँकि पान की दुकानों पर खड़े होकर निश्चिंत होकर , हंस बोलकर समाचार सुन रहे थे और कुछ दुकानदार अपना सामान टम्पो , टमटम आदि में लाद रहे थे। परंतु लेखक और उनके मित्र के चेहरे पर डर और उदासी का भाव था।
लेखक अब राजेंद्र नगर चौराहे पहुंचे।जहां एक मैगजीन कॉर्नर पर पहले के जैसे ही पत्र-पत्रिकाएं बिक रही थी। वहां से लेखक ने कुछ पत्रिकाएं खरीदी और अपने कवि मित्र से विदा लेकर अपने घर आ गए।
घर पहुंचने पर उन्हें जनसंपर्क विभाग की गाड़ी के लाउडस्पीकर पर बाढ़ से संबंधित चेतावनी सुनाई दे रही थी जिसमें सबको सावधान रहने के लिए कहा जा रहा था । सारा शहर जाग रहा था। देर रात तक जागने के बाद लेखक सोना चाहते थे परन्तु उन्हें नींद नहीं आ रही थी। तभी उनके दिमाग में कुछ पुरानी यादें / धटनाएँ ताजा हो गई।
सबसे पहले उन्हें सन 1947 में मनिहारी जिले में आयी बाढ़ याद आई। जब वो अपने गुरुजी (स्व. सतीनाथ भादुड़ी जी) के साथ नाव से गंगा नदी में आयी बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पकाही धाव की दवा (पानी में लगातार पैर रहने पर पैरों में घाव बन जाते हैं जो कभी -कभी पकने लगते हैं जिन्हें पकाही धाव कहते हैं) , केरोसिन तेल , दियासलाई आदि लेकर सहायता करने पहुंचे थे।
इसके बाद सन् 1949 में महानंदा नदी में आयी बाढ़ ने भी कहर बरपाया था। लेखक एक डाक्टर साहब के साथ “वापसी थाना” के एक गांव से बीमारों को नाव पर चढ़ाकर कैंप ले जा रहे थे। तभी एक बीमार नौजवान के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ गया।कुत्ते को देख डाक्टर साहब डर गये। बाद में कुत्ता व नौजवान दोनों नाव से उतर गये।
लेखक आगे कहते हैं कि वो परमान नदी की बाढ़ में फंसे मुसहरों की बस्ती (पत्तों से दौने बनाने वाले लोग) में भी राहत बांटने पहुंचे। जो कई दिनों से मछली और चूहे भून कर खा रहे थे। जब वो अपने साथियों के साथ उस बस्ती पर पहुंचे तो देखा कि वहां एक ऊंचे मचान पर “बलवाही” नाच हो रहा था। और एक काला सा आदमी लाल साड़ी में दुल्हन की एक्टिंग कर लोगों को हंसा रहा था। लेखक मुसहरों की बस्ती में राहत सामग्री बाँट कर वापस आ रहे थे , तो उन्हें अपने परम मित्र भोला शास्त्री जी की बहुत याद आई।
लेखक को यहां पर दो और घटनाएं भी याद आ गई।
पहली घटना 1937 की हैं। जब सिमरवनी-शकरपुर में बाढ़ के समय नाव को लेकर लड़ाई हो गई थी। लेखक उस समय स्काउट बॉय थे। गांव में नाव नहीं थी। इसलिए लोग केले के पेड़ से नाव (भेला) बनाकर काम चला रहे थे लेकिन जमींदार के लड़के नाव पर हारमोनियम , तबला लेकर जलविहार करने में मस्त थे। इससे नाराज गांव के नौजवानों ने मिलकर जमीदार के बेटों की नाव छीन ली और उनके साथ थोड़ी मारपीट भी की।
और दूसरी घटना लेखक को तब की याद आ रही है जब सन 1967 में पुनपुन नदी का पानी राजेंद्र नगर में घुस आया और एक नाव पर कुछ नौजवान लड़के-लड़कियां की टोली स्टोव , केतली , बिस्कुट लेकर किसी फिल्मी सीन की तरह , कश्मीर का आनंद लेने के लिए निकल पड़े।
उनके ट्रांजिस्टर में “हवा में उड़ता जाए” गाना बज रहा था। जैसे ही उनकी नाव गोलंबर पर पहुंची तो ब्लॉक की छत पर खड़े लड़कों ने उनका मजाक बनाना शुरू कर दिया और वो शर्मिंदा होकर वहां से भाग गए।
इसके बाद लेखक अपनी पुरानी यादों से बाहर वर्तमान समय में आ चुके हैं और इस समय रात के 2:30 बजे रहे है पर बाढ़ का पानी अभी तक शहर में नहीं पहुंचा है। लेखक को लगा कि शायद इंजीनियरों ने तटबंध ठीक कर दिया हो जिस वजह से पानी शहर तक नहीं पहुंचा हैं।
इसके थोड़ी देर बाद लेखक को नींद आ गई। सुबह 5:30 बजे जब लोगों ने उन्हें जगाया तो लेखक ने देखा कि सभी जागे हुए थे और पानी पूरे मोहल्ले में फैल चुका था। चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी। हर जगह पानी की लहरों नृत्य करते हुई दिखाई दे रही थी।यानि चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। लेखक कहते हैं कि मैं बाढ़ के दृश्य तो बचपन से देखता आ रहा हूं लेकिन इस बार के जैसे बाढ़ मैंने पहले कभी नहीं देखी।लेखक कहते हैं कि इस वक्त ना मेरे पास मूवी कैमरा है , ना टेप रिकॉर्डर और नहीं मेरे पास कलम है लेकिन अच्छा है मेरे पास कुछ नहीं है ।
Is Jal Pralay Mein Class 9 Summary ,
You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
कक्षा 9 (गद्य खंड) हिंदी कृतिका
- Is Jal Pralay Mein Class 9 Summary
- Is Jal Pralay Mein Class 9 Question Answer
- Is Jal Pralay Mein Class 9 MCQ
- Mere Sang Ki Auraten Class 9 Summary
- Mere Sang Ki Auraten Class 9 Question Answer
- Mere Sang Ki Auraten Class 9 MCQ
- Reedh Ki Haddi Class 9 Summary
- Reedh Ki Haddi Class 9 Question Answer
- Reedh Ki Haddi Class 9 MCQ
- Mati Wali Class 9 Summary
- Mati Wali Class 9 Question Answer
- Mati Wali Class 9 MCQ
- Kis tarah Aakhirkar Main Hindi Mein Aaya Summary
- Kis tarah Aakhirkar Main Hindi Mein Aaya Question Answer
- Kis tarah Aakhirkar Main Hindi Mein Aaya MCQ
हिंदी क्षितिज कक्षा 9 (गद्य खंड)
- Do Baion Ki Katha summary
- Do Bailon Ki Katha Question Answer
- Do Bailon Ki Katha MCQ
- Lhasa Ki Aur Class 9 Summary
- Lhasa Ki Aur Class 9 Question Answers
- Lhasa Ki Aur Class 9 MCQ
- Upbhoktavad Ki Sanskriti Class 9 Summary
- Upbhoktavad ki Sanskriti Class 9 Question Answers
- Upbhoktavad ki Sanskriti Class 9 MCQ
- Sanwale Sapno Ki Yaad Class 9 Summary
- Sanwale Sapno Ki Yaad Class 9 Question Answers
- Sanwale Sapno Ki Yaad Class 9 MCQ
- Nana Saheb Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya Class 9 Summary
- Nana Saheb Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya Class 9 Question Answers
- Nana Saheb Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya MCQ
- Premchand Ke Phate Jute Class 9 Summary
- Premchand ke Phate Jute Class 9 Question Answers
- Premchand ke Phate Jute Class 9 MCQ
- Mere Bachpan Ke Din Class 9 Summary
- Mere Bachpan Ke Din Class 9 Question Answer
- Mere Bachpan Ke Din Class 9 MCQ
- Ek Kutta Aur Ek Maina Class 9 Summary
- Ek Kutta Aur Ek Maina Class 9 Question Answer
- Ek Kutta Aur Ek Maina Class 9 MCQ
हिंदी क्षितिज कक्षा 9 (काव्य खंड)
- Sakhiyan Avam Sabad Class 9 Full Explanation
- Sakhiyan Avam Sabad Class 9 Question Answers
- Sakhiyan Avam Sabad Class 9 MCQ
- Vaakh Class 9 Full Explanation
- Vaakh Class 9 Question Answer
- Vaakh Class 9 MCQ
- Raskhan Ke Savaiye Class 9 Explanation
- Raskhan Ke Savaiye Class 9 Question Answers
- Raskhan Ke Savaiye Class 9 MCQ
- Kaidi Aur Kokila Class 9 Full Explanation
- Kaidi Aur Kokila Class 9 Question Answer
- Kaidi Aur Kokila Class 9 MCQ
- Gram Shree Class 9 Explanation
- Gram Shree Class 9 Question Answer
- Gram Shree Class 9 MCQ
- Chandra Gahna Se Lautati Ber Class 9 Explanation And Summary
- Chandra Gahna Se Lautati Ber Class 9 Question Answer
- Chandra Gahna Se Lautati Ber Class 9 MCQ
- Megh Aaye Class 9 Explanation
- Megh Aaye Class 9 Question Answer
- Megh Aaye Class 9 MCQ
- Yamraj Ki Disha Class 9 Explanation
- Yamraj Ki Disha Class 9 Question Answer
- Yamraj Ki Disha Class 9 MCQ
- Bachche Kam Par Ja Rahe Hain Class 9 Summary And Explanations
- Bachche Kam Par Ja Rahe Hain Class 9 Question Answer
- Bachche Kam Par Ja Rahe Hain Class 9 MCQ