Vaakh Class 9 MCQ : वाख कक्षा 9 MCQ

Vaakh Class 9 MCQ ,

Vaakh Class 9 MCQ Hindi Kshitij Bhag 1 Chapter 10 , वाख कक्षा 9 MCQ ,

Vaakh Class 9 MCQ

वाख MCQ

Note –

  1. “ललद्यद के वाख” पाठ का भावार्थ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  2. “वाख” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें –  Next Page
  3. वाख के भावार्थ को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें।YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

Vaakh Class 9 MCQ Questions ,  

  1. ललद्यद किस भाषा की कवियत्री हैं – कश्मीरी
  2. ललद्यद की काव्य शैली को क्या कहते है – वाख
  3. “वाख” का अर्थ क्या हैं – वाणी
  4. कवयित्री ने अपनी जिंदगी की तुलना किससे की हैं  – नाव से
  5. कवयित्री ने अपनी श्वासों (सांस) की तुलना किससे की –  कच्ची डोरी से
  6. “रस्सी कच्चे धागे की , खींच रही मैं नाव”,  में कौन सा अलंकार है – रूपक
  7. कवयित्री “कच्चे धागे की रस्सी” किसे कहती है – मनुष्य की श्वासों को
  8. “भवसागर” , में कौन सा अलंकार है – रूपक
  9. कवयित्री कौन सा सागर पार करना चाहती है – जन्म – मरण रूपी भवसागर
  10. “कच्चे सकोरे” , किसे कहते हैं – कच्ची मिट्टी के घड़े या बर्तन को
  11. कविता में , कवयित्री ने “कच्चे सकोरे” किसे कहा है – मनुष्य के नाशवान शरीर को
  12. “पानी टपके कच्चे सकोरे”, का क्या अर्थ हैं –  हर बीतते दिन के साथ उम्र का कम होना।
  13. किससे मिलने की हूक बार -बार कवयित्री के मन में उठती है – परमात्मा से
  14. कवयित्री किसके घर जाना चाहती है – परमात्मा के
  15. कवयित्री के दुख का कारण क्या है – ईश्वर मिलन में आने वाली बाधाओं से पार न पा पाना
  16. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं – भक्ति का सीधा सरल मार्ग न अपनाकर हठयोग का मार्ग अपनाने के कारण ।
  17. “सम खा तभी होगा समभावी” , में “सम खा” से क्या तात्पर्य है –  भोग व वैराग्य के बीच संतुलन बनाकर चलना
  18. “खुलेगी साँकल बन्द द्वार की”, का भाव क्या है –  मन की दुविधा का दूर होना या सभी लोगों को खुले हृदय से अपने जीवन में अपनाना।
  19. “सम खा तभी होगा समभावी” , इन पंक्तियों में कवयित्री ने किसके महत्व को समझाया हैं – जीवन में संतुलन के
  20. हमें अपने जीवन में किस – किस के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए – भोग और त्याग के बीच में
  21. कवयित्री जीवन में कौन सा मार्ग अपनाने पर जोर देती हैं – मध्यम मार्ग
  22. कवयित्री ने “बंद द्वार” किसे कहा है – चेतना का संकुचित होना
  23. वाख में “सांकल” शब्द का क्या अर्थ हैं –  मोह माया के बंधन
  24. कविता में किन बंधनों से मुक्त होने की बात कही गई है – सांसारिक मोह माया के बंधनों से
  25. “खुलेगी साँकल बन्द द्वार की “, से क्या तात्पर्य है – ज्ञान चक्षुओं का खुल जाना
  26. “खा खा कर कुछ पाएगा नहीं”,  में कौन सा अलंकार है – अनुप्रास
  27. “सम खा तभी होगा समभावी” , में कौन सा अलंकार है – यमक
  28. “समभावी” , का क्या अर्थ है – सभी प्राणियों के साथ समान भाव रखना
  29. भोग और त्याग के बीच के मार्ग को अपनाने वालों को क्या कहते हैं – समभावी
  30. मनुष्य भोगों को भोग कर किसका नाश करता है – शरीर का
  31. अत्यधिक भोग का दुष्परिणाम क्या हैं  – ईश्वर से मन हटना
  32. कवयित्री कैसा जीवन अपनाने को कहती है – त्याग और तपस्या का
  33. सुषमा नाड़ी का प्रयोग लेखिका ने क्या बताने के लिए किया हैं – योग साधना या हठयोग को
  34. “सुषुम – सेतु”, कौन सा सेतु या पुल है – सुषुम्ना नाड़ी रूपी पुल
  35. “सुषुम – सेतु पर खड़ी थी” , में कौन सा अलंकार है – रूपक
  36. कवयित्री के मोक्ष प्राप्ति के रास्ते बंद क्यों हैं – क्योंकि उन्होंने भक्ति का सरल मार्ग छोडकर अनावश्यक चीजों का सहारा लिया
  37. “माझी को दूँ  , क्या उतराई” ,  में “माँझी” कौन है – परमात्मा
  38. कवयित्री ने उतराई किसे माना है – मनुष्य के सदकर्मों को
  39. “ज़ेब टटोली , कौड़ी ना पाई” , में “ज़ेब टटोली” का क्या अर्थ है – आत्म विश्लेषण करना
  40. कवयित्री , परमात्मा को उतराई (मेहनताने) क्यों देना चाहती हैं – जन्म मरण के भवसागर से पार उतारने के लिए
  41. कवयित्री ने परमात्मा के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है – शिव
  42. कवयित्री ने “सर्वत्र या कण -कण” के लिए कौन सा शब्द प्रयोग किया है – थल – थल
  43. कवयित्री हिंदू और मुसलमान , दोनों को किसकी आराधना करने के लिए प्रेरित करती है –  शिव की
  44. किसे पहचानने के लिए आत्मज्ञान का होना आवश्यक है – ईश्वर को
  45. किसे जानने के बाद ही परमात्मा का बोध हो सकता है – अपनी आत्मा को
  46. ईश्वर के लिए कवयित्री ने किन दो शब्दों का प्रयोग किया है – साहिब और शिव
  47. कवयित्री के अनुसार “साहिब” कौन है – परमात्मा
  48. कवयित्री ने ज्ञानी किसे माना हैं – सहज भाव से अपने मन में परमात्मा को खोजने वाला
  49. “साहिब से पहचान” , का क्या अर्थ है –  स्वयं को जानना
  50. कवयित्री के अनुसार , हमारी ईश्वर से कब पहचान होगी – जब हम स्वयं को जान पाएंगे
  51. कविता में कैसी जीवन शैली अपनाते हुए प्रभु को पाने का भाव व्यक्त हुआ है – सहज और सरल
  52. शिव कहाँ बसते हैं – सर्वत्र
  53. तपस्या का जीवन जीने से मनुष्य के मन में क्या पैदा होती है – त्याग की भावना
  54. ललद्यद का जन्म कहां हुआ था – कश्मीर के पाम्पोर के सिमपुरा गांव में
  55. ललद्यद का जन्म कब हुआ था – सन 1320
  56. ललद्यद की मृत्यु कब हुई  – सन 1391
  57. कवयित्री ललद्यद मुख्य रूप से कौन थी – एक प्रसिद्द कश्मीरी संत व कवयित्री
  58. ललद्यद ने अपनी रचनाओं में किस भाषा का प्रयोग किया हैं – कश्मीरी भाषा

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