Question Answers of Lhasa Ki Aur Class 9,
NCERT Solutions Of Lhasa Ki Aur Class 9 Hindi Kshitij 1 Chapter 2 , Question Answers of Lhasa Ki Aur Class 9 Hindi Kshitij 1 Chapter 2 , ल्हासा की ओर कक्षा 9 पाठ के प्रश्न उत्तर हिंदी क्षितिज भाग-1 पाठ 2
Question Answers of Lhasa Ki Aur Class 9
ल्हासा की ओर पाठ के प्रश्न उत्तर
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प्रश्न 1.
थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर-
थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिलने का मुख्य कारण था बौद्ध मिक्षु सुमति का उनके साथ होना। दरअसल सुमति उस इलाके में आते-जाते रहते थे। इसीलिए उस क्षेत्र के लोगों से उनकी अच्छी जान पहचान थी और उसी जान पहचान का उन्हें फायदा मिला।
लेकिन 5 साल बाद जब लेखक उसी रास्ते से वापस लौटे तो , उनके साथ बौद्ध भिक्षु सुमति नहीं थे और 5 साल में लोगों के विचारों में काफी बदलाव भी आ गया था। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि लेखक वहां शाम के समय पहुंचे थे। उस वक्त वहां के अधिकतर लोग नशे में रहते थे जिस वजह से वो अतिथि सत्कार भूल जाते थे। इसीलिए लेखक को भद्र वेश में होने के बाद भी एक झोपड़ी में रात गुजारनी पड़ी।
प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकारे का भय बना रहता था ?
उत्तर-
हथियार संबंधित कानून न होने के कारण लोग अपने साथ हथियारों को आसानी से रख सकते थे। इसीलिए अधिकतर लोगों के पास बंदूक , पिस्तौल आदि हथियार थे। तिब्बत के अधिकतर निर्जन क्षेत्र डाकुओं के रहने के लिए सुरक्षित पनाहगार थे।
इसीलिए उस रास्ते से आने-जाने वालों को डाकू लूट के इरादे से जान से मार देते थे। साथ में पुलिस प्रशासन की कोई व्यवस्था न होने के कारण लोग जरा जरा सी बात पर हथियारों का इस्तेमाल कर देते थे। इसीलिए लोगों को हमेशा अपनी जान का खतरा बना रहता था।
प्रश्न 3.
लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गये ?
उत्तर-
लेखक का घोड़ा बहुत सुस्त था और वह थक कर और भी धीरे धीरे चलने लगा । इसीलिए लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से पिछड़ गये और अपना रास्ता भटक गये थे।
प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका , परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ?
उत्तर-
जब लेखक को न्मेने के मंदिर में बुद्ध वचन अनुवाद की 108 हस्तलिखित पोथियों देखी। तो वो उन्हें पढ़ना चाहते थे। जिसके लिए उन्हें थोड़े समय की आवश्यकता थी। सुमित के अपने यजमानों के पास जाने से उन्हें पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सकता था। इसीलिए उन्होंने सुमित को जाने की अनुमति दे दी।
प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर-
अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक को निम्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- उस समय तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति नहीं मिलती थी। जिस कारण उन्हें वेश बदलकर भिखारी के रूप में अपनी यात्रा करनी पड़ी।
- उस समय लोग भिखारियों को चोरी के डर से अपने घरों में आने नहीं देते थे। इसीलिए उन्हें रहने के लिए स्थान ढूंढने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- थोइला जैसा कठिन डाँडा पार करना पड़ा।
- लड्कोर के मार्ग पर घोड़े की सुस्त रफ्तार के कारण लेखक रास्ता भटक गये और अपने साथियों से भी बिछड़ गए।
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प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर-
इस यात्रा वृतांत से पता चलता है कि उस समय तिब्बती समाज में ऊँच नीच , जाति पाँति , छुआछूत जैसी बुराइयाँ नही थी। महिलाओं में पर्दा प्रथा नही थी। और घर की महिलाएं अजनबियों को चाय बनाकर भी दे देती थी। यानि घर में अजनबियों के आने जाने पर भी कोई रोक-टोक नहीं थी।
प्रश्न 7.
“मैं अब पुस्तकों के भीतर था”। नीचे दिए गए विकलों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है।
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं ?
उत्तर-
सुमति के यजमान और परिचितों के हर गाँव में मिलने से उनकी अनेक विशेषताओं का पता चलता है। जो निम्न हैं।
- सुमति एक बौद्ध मिक्षुक थे। जिनकी बौद्ध धर्म में गहरी आस्था थी।
- सुमति मिलसार और हँसमुख स्वभाव के व्यक्ति थे।
- सुमति उस इलाके में अक्सर आते जाते रहते थे। इसीलिए उस इलाके में उनके कई यजमान और मित्र थे जो उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते थे।
- सुमति अपने यजमानों को बोध गया से लाए कपड़े के गंडे बनाकर देते थे। बदले में यजमान उन्हें दक्षिणा देते थे।
प्रश्न 9.
“हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख़याल करना चाहिए था”।उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर-
आधुनिक समाज की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अब लोगों का उनके पहनावे के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। लोग चरित्र या विद्वत्ता के आधार पर नहीं , बल्कि पहनावे के आधार पर लोगों को अपनाते या उनसे मित्रता करते हैं। और यह भी सच है कि व्यक्ति के पहनावे को देखकर लोग उससे प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए लेखक को यह आशा नहीं थी कि शेकर विहार के लोग उन्हें सम्मानपूर्वक अपनायेंगे।
मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना बिल्कुल अनुचित है।क्योंकि यह जरूरी नहीं कि अच्छी वेशभूषा पहनने वाला व्यक्ति सदा ही चरित्रवान , विद्वान , दयालु , परोपकारी या दूसरों की मदद करने वाला हो। जबकि एक साधारण वेशभूषा धारण करने वाला व्यक्ति भी चरित्रवान , विद्वान , सहनशील , समझदार और परोपकारी हो सकता है। इंसान के अंदर के अच्छे गुणों से ही उसकी पहचान की जानी चाहिए।
इसीलिए हमें अपना आचार-व्यवहार , मनुष्य के गुणों को देखकर तय करना चाहिए , ना कि उसकी वेशभूषा को देखकर।
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प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/ शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
यात्रा वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का यह पता चलता है कि यह एक पहाड़ी क्षेत्र है। जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखलायें काफी करीब है। तिब्बत अधिक ऊंचाई में होने के कारण यहां पर बर्फबारी होती रहती है।यहां ऊंचे-ऊंचे डाँड़े (पहाड़) हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 16-17 हजार फिट है।
यह इलाका बेहद खतरनाक व निर्जन है। जो डाकूओं के लिए एक सुरक्षित जगह है। ऊँचे डांडों से पूर्व से पश्चिम की तरफ देखने में हिमालय की अनगिनत छोटी-बड़ी बर्फ से ढकी श्वेत पर्वत श्रृंखलाएं दिखाई देती हैं। लेकिन उत्तर की तरफ न ही हरियाली और न ही बर्फ दिखाई देती है।
मेरे शहर की भौगोलिक स्थिति इससे बिल्कुल भिन्न है। मेरा शहर मैदानी भाग में आता है जहां पर खतरनाक डांडे या पहाड़ नहीं होते हैं और न ही बर्फ गिरती है। लेकिन चारों तरफ हरे भरे फसल से लहलहाते खेत अवश्य दिखाई देते हैं। मैदानी भाग होने के कारण मेरे शहर में अत्यधिक गर्मी पड़ती है। और बरसात के मौसम में बाढ़ आने की संभावनाएं भी बनी रहती हैं।
प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर–
इस पाठ्य पुस्तक में “ल्हासा की ओर” एक यात्रा वृत्तांत हैं जिसमें लेखक द्वारा तिब्बत की यात्रा का वर्णन किया गया है।यह गद्य साहित्य की एक विधा हैं।
ऐसे ही महादेवी वर्मा द्वारा रचित “मेरे बचपन के दिन” एक संस्मरण हैं। जिसमें उन्होंने अपने बचपन के दिनों के बारे में विस्तार पूर्वक लिखा है। यह भी गद्य साहित्य की प्रमुख विधाएं में से एक हैं।
संस्मरण और यात्रा वृतांत , यह दोनों ही गद्य साहित्य की विधाएं हैं। लेकिन दोनों , एक दूसरे से भिन्न है। संस्मरण में लेखक किसी समय विशेष व स्थान विशेष पर अपने साथ बीती घटनाओं के बारे में अपनी स्मृति के आधार पर लिखते हैं जबकि यात्रा वृतांत में लेखक अपनी यात्राओं के बारे , वहां के जनजीवन , रहन-सहन , भौगोलिक स्थिति के बारे में लिखते हैं।
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भाषा अध्ययन
प्रश्न 13.
किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए।
“जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।”
उत्तर-
- पता ही नही चल रहा था कि घोड़ा चल भी रहा हैं कि नहीं।
- कभी लगता था कि घोड़ा आगे जा रहा है और कभी लगता था कि घोड़ा पीछे जा रहा है।
प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर-
राहदारी , डाँड़ा , थुक्पा , खोटी , कुची-कुची , भीटा आदि।
प्रश्न 15.
पाठ में कागज , अक्षर , मैदान के आगे क्रमशः मोटे , अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर-
कड़ी धूप , बहुत पिछड़ना , खुफिया विभाग ,धीमे धीमे चलना।
Question Answers of Lhasa Ki Aur Class 9 Hindi Kshitij 1 Chapter 2
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