Pahalwan Ki Dholak Class 12 MCQ ,
Pahalwan Ki Dholak Class 12 MCQ
पहलवान की ढोलक MCQ
Note –
- “पहलवान की ढोलक” पाठ का सारांश पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “पहलवान की ढोलक” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “पहलवान की ढोलक” के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
- “पहलवान की ढोलक” पाठ के लेखक कौन हैं – फणीश्वर नाथ रेणु
- पहलवान की ढोलक किस विधा में लिखी गई है – कहानी
- पहलवान की ढोलक कहानी मुख्य रूप से किसका वर्णन करती है – लुट्ट्न पहलवान के संधर्ष और हिम्मत का
- कहानी में महामारी के कारण पहलवान की असमय मृत्यु का मुख्य कारण क्या है – शाशन प्रशाशन की लापरवाही व बदइंतजामी
- कहानी में किस डरावनी काली रात का वर्णन किया गया है – अमावस की काली रात
- लुट्ट्न कब अनाथ हुआ – 9 वर्ष की आयु में
- लुट्ट्न का पालन पोषण किसने किया – लुट्ट्न की सास (पत्नी की माँ) ने
- लुट्ट्न सिंह ने कसरत करना क्यों शुरू किया – सास को ताना (उल्टा सीधा बोलने वाले) देने वाले गाँव वालों से बदला लेने के लिए
- बचपन में लुट्ट्न क्या करता था – गायें चराता था
- लुट्ट्न सिंह ने किससे पहलवानी सीखी – किसी से नहीं
- लुट्ट्न सिंह का गुरु कौन था – कोई नहीं या ढोलक
- लुट्ट्न किसको अपना गुरु मानता था – ढोलक को
- लुट्ट्न सिंह अपने आपको कहां तक प्रसिद्ध बताता था – होल – इंडिया
- लुट्ट्न सिंह का “होल – इंडिया” कहाँ तक फैला था -उसके जिले तक
- राजा का क्या नाम था – श्यामनन्द
- श्यामनन्द कहाँ का राजा था – श्याम नगर
- लुट्ट्न सिंह दंगल देखने कहां गया – श्याम नगर
- राजा ने लुट्ट्न सिंह को कितने रुपए देकर मेला देखकर घर जाने को कहा – 10 रूपये
- चाँद सिंह कहाँ से आया था -पंजाब से
- लुट्ट्न सिंह ने किस पहलवान को हराया – चाँद सिंह को
- राजमत व पंजाबी जमात किस पहलवान के पक्ष में थे – चाँद सिंह
- लुट्ट्न को चांद सिंह से कुश्ती लड़ने की अनुमति किसने दी – राजा साहब
- लुट्ट्न पहलवान ने चाँद सिंह को कहां के दंगल में हराया – श्याम नगर
- कुश्ती में चाँद सिंह किस प्रकार लुट्ट्न सिंह पर टूट पड़ा – बाज की तरह
- विजयी होने पर लुट्ट्न सिंह ने किसे गोद में उठाया – राजा को
- कुश्ती में विजय पाने के बाद लुट्ट्न को किसका आश्रय प्राप्त हुआ – राजा साहब का
- “शेर के बच्चे” का असली नाम क्या था -चाँद सिंह
- किसे हराकर लुट्ट्न सिंह ने “राज पहलवान” की उपाधि प्राप्त की – चाँद सिंह को
- “राजा का बाघ” किसे कहा गया है – लुट्ट्न सिंह को
- लुट्ट्न सिंह किसका सबसे अधिक प्रिय था – श्याम नगर के राजा का
- लुट्ट्न सिंह ने किसकी प्रेरणा से कुश्ती में विजय प्राप्त की – ढोलक की
- लुट्ट्न सिंह ने पहली बार कुश्ती जीतने पर किसे प्रणाम किया – बाजे वालों के ढोलों को
- लुट्ट्न सिंह अपने दांव पेंच की परीक्षा किस आधार पर करता था – ढोलक की आवाज के आधार पर
- कुश्ती के समय ढोल की आवाज में लुट्ट्न सिंह को क्या सुनाई देता था – धाक -धिना , तिरकट तिना – दाँव काटो , चटाक – चटधा – उठापटक दे , धिना – धिना धिक – धिना – चित करो
- चांद पहलवान के गुरु का क्या नाम था – बादल सिंह
- मेले के दुकानदारों ने अपनी दुकानें क्यों बंद कर दी – चाँद सिंह की कुश्ती देखने के लिए
- “तुमने मिट्टी की लाज रख ली” , यह किसने लुट्ट्न सिंह से कहा – राजा ने
- लुट्ट्न ने किस नामी पहलवान को पटक कर हरा दिया था – काला खाँ
- कौन आ- ली कहकर अपने प्रतिद्वंदी पर टूट पड़ता था – काला खाँ
- लुट्ट्न सिंह कितने साल “राज पहलवान” रहा – 15 साल
- 15 वर्ष में लुट्ट्न सिंह कितनी बार हारा – एक बार भी नहीं हारा
- राज पहलवान बनने के बाद लुट्ट्न सिंह ने कितनी कुश्तियां लड़ी – एक भी नहीं
- कुश्ती जीतने के बाद लुट्ट्न सिंह क्या पहनकर घूमा करता था – एक लंबा चौगा और आंखों में रंगीन चश्मा
- लुट्ट्न सिंह कितने रसगुल्ले खा लिया करता था – दो सेर
- राजपुरोहित और मैनेजर , लुट्ट्न का विरोध क्यों कर रहे थे – क्योंकि लुट्ट्न क्षत्रिय नहीं था
- राज पंडितों को क्यों आपत्ति थी – क्योंकि वह निम्न जाति का था
- लुट्ट्न को “लुट्ट्न सिंह” पुकारने पर किसने आपत्ति जताई – राज पंडितों ने
- लुट्ट्न पहलवान अपने दोनों हाथों को दोनों ओर कितनी डिग्री की दूरी पर फैला कर चलने लगा था – 45 डिग्री
- लुट्ट्न सिंह अपने बेटों को दंगल में उतरने से पहले , किसे प्रणाम करने की शिक्षा देता था – ढोलक को
- राजा साहब के बेटे यानि नए राजकुमार के आने के बाद दंगल का स्थान किसने ले लिया – घोड़ों की रेस ने
- नए राजकुमार ने लुट्ट्न सिंह को राजदरबार से क्यों निकाल दिया – उन्हें पहलवानी का शौक नहीं था और पहलवान का खर्चा भी अधिक था।
- पहलवान के खाने – पीने का खर्चा सुनकर राजकुमार ने क्या कहा – टैरिबुल
- राज दरबार से निकाले जाने के बाद लुट्ट्न सिंह कहाँ गया – अपने गांव
- गांव जाकर लुट्ट्न सिंह क्या करने लगा – मजदूरी
- लुट्ट्न के कितने पुत्र थे – दो
- “वाह , बाप से बढ़कर निकलेंगे ये दोनों बेटे”। यह किसने किसके लिए कहा है – लुट्ट्न सिंह के गांव वालों ने लुट्ट्न के बेटों के लिए कहा
- राज पहलवान की पदवी छिन जाने के बाद , गांव वालों ने क्या किया – गांव वालों ने लुट्ट्न सिंह की अपने स्तर से मदद करने की कोशिश की
- गांव वालों ने लुट्ट्न सिंह की किस तरह से मदद की – झोपड़ी बनाकर व खाने पीने का प्रबंध कर
- गांव वालों की मदद के बदले में लुट्ट्न सिंह ने क्या किया – गांव के नौजवानों को कुश्ती सिखाने का काम
- लुट्ट्न सिंह का कुश्ती का स्कूल खाली क्यों हो गया – गांव की गरीब आर्थिक स्थिति के कारण
- गांव में कौन सी महामारी फैली थी – मलेरिया और हैजा
- महामारी किस मौसम में फैली थी – जाडों के मौसम में
- दिन-ब-दिन गांव सूना क्यों होने लगा – महामारी के कारण
- रात्रि की विभीषिका को कौन चुनौती देता था – पहलवान की ढोलक
- लुट्ट्न सिंह की ढोलक की आवाज का ग्रामीणों पर क्या असर पड़ता था – ढोलक की आवाज से उन्हें संजीवनी की सी शक्ति मिलती थी और उनके अंदर नए उत्साह का संचार होता था।
- महामारी के समय केवल एक आवाज सुनाई देती थी , वह क्या थी – पहलवान की ढोलक की आवाज
- महामारी के कारण मरे लोगों की लाशों को बिना कफन बहा देने की सलाह क्यों दी जाने लगी – गरीबी के कारण
- “अंधेरी रात चुपचाप आंसू बहा रही थी”। इस वाक्य की क्या विशेषता है – यहां पर रात का मानवीकरण किया गया है
- गांव की झोपड़ियों से कौन सी आवाजें आती रहती थी – हे राम , हे भगवान
- संध्या या रात को मिलकर कौन रोते थे – कुत्ते
- आमावस की काली अँधेरी रात्रि के वातावरण को किनकी आवाज और भयानक बना देती थी – सियार व पेचक (उल्लू)
- मरने से पूर्व लुट्ट्न सिंह के दोनों बेटों ने कौन सी ताल बजाने को कहा – “उठा – पटक दो” वाली ताल
- लुट्ट्न सिंह के दोनों पुत्र सुबह किस अवस्था में मृत मिले – पेट के बल
- पहलवान ने बेटों का संस्कार कैसे किया – नदी में बहा दिया
- बेटों की मृत्यु के कितने दिन बाद लुट्ट्न सिंह की मृत्यु हुई – 4 से 5 दिन
- किस रात लुट्ट्न सिंह ने ढोलक नहीं बजाई – जिस रात उसकी मृत्यु हुई
- लुट्ट्न सिंह के शिष्यों ने उन्हें किस अवस्था में मृत देखा – चित पड़े हुए
- लुट्ट्न सिंह की अंतिम इच्छा क्या थी – पेट के बल सुलाने और अग्नि देते समय ढोलक बजाने की
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Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद।
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