Bazar Darshan Class 12 MCQ
बाजार दर्शन MCQ
Note-
- “बाजार दर्शन” पाठ का सारांश पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “बाजार दर्शन” के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – NextPage
- “बाजार दर्शन ” के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें।YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
Bazar Darshan Class 12 MCQ
- बाजार दर्शन के लेखक कौन हैं – जैनेंद्र कुमार जी
- यह पाठ गद्य लेखन की किस विधा में लिखा गया है – निबंध
- बाजार दर्शन का प्रतिपादन है – बाजार के उपयोग का विवेचन (या विवेचना करना)
- बाजार का पोषण करने वाले अर्थशास्त्र को लेखक ने क्या नाम दिया है – अनीतिशास्त्र
- लेखक का मित्र किसके साथ बाजार गया था – अपनी पत्नी के साथ
- लेखक के मित्र ने खरीदारी का श्रेय किसे दिया – अपनी पत्नी को
- “और पैसा होता तो और सामान आता” , क्या देखकर लेखक के मन में यह बात आयी – मित्र के द्वारा खरीदे गए सामान और मनी बेग को
- लेखक के अनुसार पैसा क्या है – पावर
- पैसे की पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में क्या है – पावर का रस
- बाजार का काम क्या है – ग्राहकों को आकर्षित करना।
- बाजार के जादू का प्रभाव कब पड़ता है – जब ग्राहक का मन खाली होता है
- न चाहते हुए या जरूरत न होने पर भी लोग , कब बाजार से सामान खरीदते हैं – जब मन खाली हो
- हमें बाजार कब जाना चाहिए – जब मन खाली न हो
- लेखक क्या सलाह देता है – बाजार जाते वक्त , मन को बंद रखने की
- बाजार को “शैतान का जाल” किसने कहा – लेखक के मित्र ने
- बाजार क्या देखता है – क्रय शक्ति
- बाजारवाद को बढ़ावा कौन देता है – मन का खालीपन
- बाजार जाते समय , बाजार के जादू के प्रभाव से बचने का सरल उपाय क्या है – मन का खाली न होना
- बाजार का आमंत्रण कैसा होता है – मूक (मौन) और चाह जगाने वाला
- “बाजारुपन” से क्या अभिप्राय है – बाजार से अनावश्यक वस्तुएं खरीदना
- कौन लोग “बाजारुपन” को बढ़ाते हैं – पर्चेजिंग पावर वाले लोग या ऐसे लोग जो बाजार से अनावश्यक वस्तुएं खरीदते हैं
- बाजार को सार्थकता कौन देता है – वो जो जानते है कि उन्हें क्या खरीदना है या ऐसे लोग जो बाजार से जरूरत की चीजें ही खरीदते हैं।
- लोगों द्वारा बाजार से सामान किस हिसाब से खरीदा जाता है – पर्चेजिंग पावर के
- पर्चेजिंग पावर वाले लोग बाजार को क्या देते है – शैतानी ताकत / शक्ति
- लेखक ने किसे “पावर” कहा है – पैसे को
- लेखक के अनुसार संयमी लोग कैसे होते हैं – जरूरत भर का सामान खरीदकर अपने पैसे को बचाने वाले बुद्धिमान लोग
- “बाजार दर्शन” पाठ में किसके जादू की बात कही गई हैं – बाजार के जादू
- कमजोर इच्छा शक्ति वाले लोग किसके जादू से मुक्त नही हो सकते हैं – बाजार के जादू से
- लेखक ने बाजार के जादू को किस प्रकार का जादू कहा है – रूप का जादू यानि चीजों को ऐसे सजा – धजा कर रखना जो देखने में आकर्षक लगे।
- भरे मन से बाजार जाने पर क्या होगा – बाजार के जादू का प्रभाव नही पड़ेगा
- बाजार में सामान को कैसे रखा जाता है – सजा – धजा कर आकर्षित तरीके से
- व्यक्ति कहां खड़े होकर बाजार को देखता है – चौक बाजार में
- लेखक के अनुसार लोभ की जीत क्या है – हठपूर्वक लोभ को दबाना
- लोभ से बचने का क्या उपाय है – मन को बंद करना चाहिए
- मनुष्य की सबकुछ खरीदने की इच्छा कब जागती है या मनुष्य को सब ओर की चाह कब घेरती है – जब उसे अपनी जरूरत का ज्ञान न हो
- बाजार के जादू की तुलना किससे की है – चुंबक के जादू से
- बाजार के जादू की क्या खासियत हैं – यह खाली मन और जेब , दोनों पर अपना गहरा प्रभाव डालते है।
- शून्य होने का अधिकार किसके पास है – परमात्मा
- मन को किस बात की छूट नहीं मिलनी चाहिए – मनमानी करने की
- बाजार कब फैला का फैला ही रह जाएगा – जब मन में दृढ़ लक्ष्य हो
- लेखक ने चूरन वाले को “अकिंचित्कर” कहा है जिसका अर्थ होता है – अर्थहीन
- लेखक के पड़ोसी कौन थे – भगत जी
- भगतजी किस प्रकार के व्यक्ति थे – संतोषी
- भगतजी कितने वर्षों से लेखक के पड़ोस में रहते थे – 10 वर्ष
- भगतजी क्या बेचते थे – चूरन
- भगतजी चूरन किसमें रख कर बेचने जाते थे – पेटी में
- भगतजी हर दिन कितनी कमाई करते थे – छः आने की
- छः आने की कमाई होते ही , भगत जी बचे चूरन का क्या करते थे – बच्चों में मुफ्त बांट देते थे।
- लेखक भगतजी को श्रेष्ठ क्यों मानते हैं – क्योंकि वो संतोषी व्यक्ति थे।
- लेखक के अनुसार , अगर भगतजी व्यवसाय करने के गुर सीख जाते तो , आज उनकी माली हालत कैसी होती – वो बहुत अमीर होते
- “पैसा किसके भीख मांगता है कि उसे ले लो …..” – भगतजी से
- लेखक ने भगतजी का , क्या बोलकर अभिवादन किया – जयराम कहकर
- बाजार में भगतजी कहां रुके – पंसारी की दुकान में
- पाठ के अनुसार , किस पात्र पर बाजार के जादू का प्रभाव बिलकुल नहीं पड़ता है – भगतजी पर
- पाठ में लेखक के कुल कितने मित्रों का जिक्र हुआ है – दो
- जो लोग बाजारों में बाजारूपन बढ़ाते हैं वो साथ ही साथ अन्य किस दोष को भी बढ़ाते हैं – छल – कपट
- कौन मनुष्य को असंतोष , तृष्णा और ईर्ष्या से घायल करके बेकार बनाता है – बाजार का चौक
- बाजार का जादू किस माध्यम से काम करता है – आंखों के
- बाजार से कब आनंद मिलता है -जब ग्राहक के मन में लक्ष्य निश्चित होता है
- बाजार की असली उपयोगिता किसमें है – जरूरत के समय काम आने में
- बाजार की सार्थकता किसमें हैं – लोगों की आवश्यकता पूरी करने में
- “संचय की तृष्णा” और “वैभव की चाह” , में व्यक्ति की क्या प्रमाणित होती है – निर्बलता
- कौन सा योग , लोभ से बचने का उपयुक्त तरीका नहीं है – हठयोग
- हठयोग का क्या प्रभाव होता है – मन कमजोर , पीला और अशक्त हो जाता है
- लेखक ने पाठ में दिल्ली के किस बाजार का जिक्र किया है – चांदनी चौक
- बाजारवाद का प्रमुख कारण क्या है – मनी बैग
- “स्त्री माया ना जोड़ें तो , क्या मैं जोडूँ” , इस कथन से आशय है कि धन संचय के लिए सिर्फ कौन जिम्मेदार है – स्त्री
- फिजूल सामान को फिजूल समझने वाले लोगों को क्या कहा जाता है – संयमी
- “क्यों न , मैं मोटर वालों के यहां हुआ?” यह किसने और किससे कहा – लेखक ने खुद अपने आप से
- लेखक के अनुसार किस प्रकार का व्यक्ति धन की ओर झुकता है – निर्बल
- व्यक्ति की निर्बलता किस से प्रमाणित होती है – वैभव की चाह रखने से
- पाठ में “आंखें फोड़ डालने का दृष्टांत” क्यों दिया गया है – आत्म संयम के लिए
- लेखक किन शब्दों के सूक्ष्म अंतर में नहीं पड़ना चाहता है – आत्मिक , धार्मिक और नैतिक
- लेखक का दूसरा मित्र बाजार से खाली हाथ क्यों लौट आया – क्योंकि वह कुछ भी नहीं छोड़ना चाहता था यानी सबकुछ खरीद लेना चाहता था।
- मित्र ने लेखक के सामने अपना क्या फैला दिया था – मनी बैग
- ठाठ देख कर मन को बंद करना क्या है – जड़ता
लेखक से संबंधित प्रश्न
- जैनेंद्र कुमार जी का जन्म किस सन में हुआ था – 2 जनवरी 1905
- जैनेंद्र कुमार जी का जन्म कहां हुआ था – कौड़ियागंज , अलीगढ़ (उत्तरप्रदेश)
- जैनेंद्र कुमार जी का निधन कब हुआ था – सन 1990
- जैनेंद्र कुमार जी पर किस वाद का प्रभाव अधिक था – गाँधीवाद
- जैनेंद्र कुमार जी कौन -कौन से पुरस्कारों से सम्मानित थे – साहित्य अकाडेमी पुरस्कार , भारत – भारती सम्मान , पदमभूषण।
- जैनेंद्र कुमार जी के प्रमुख उपन्यास – सुनीता , त्यागपत्र , परख , मुक्तिबोध , कल्याणी।
- जैनेंद्र कुमार जी की प्रमुख कहानी – पाजेब , खेल , नीलम देश की राजकुमारी , अपना – अपना भाग्य , तत्सत।
- जैनेंद्र कुमार जी के प्रमुख निबंध – जड़ की बात , प्रस्तुत प्रश्न , पूर्वोदय , साहित्य का श्रेय और प्रेय , सोच -विचार , समय और हम।
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