Lanka Vijay Class 6 Summary :
Lanka Vijay Class 6 Summary (Bal Ramkatha)
लंका विजय कक्षा 6 सारांश (बाल रामकथा)
लंका पर चढ़ाई की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। सभी लंका पर चढ़ाई करने के लिए बहुत उत्साहित थे। पूरी वानर सेना किष्किंधा से दहाड़ती , गरजती और किलकारियां मारती हुई लंका पर चढ़ाई करने चल पड़ी। राम , लक्ष्मण और सुग्रीव के नाम के जयकारों से पूरा आकाश गूंज उठा। चूंकि सेना में लाखों वानर , भालू आदि थे। इसीलिए चारों ओर कोलाहल था। इस वानर सेना का नेतृत्व सुग्रीव के सेनापति “नल” कर रहे थे। जामवंत और हनुमान सबसे पीछे थे।
दिन – रात चलने के बाद अंत में पूरी सेना ने महेंद्र पर्वत पर आकर डेरा डाला और अपना ध्वज फहरा दिया। यह देखकर लंका में खलबली मच गई। राम और हनुमान की शक्तियों को लेकर राक्षसों के मन में डर बैठ गया राक्षसों को हताश देखकर विभीषण ने रावण को जाकर समझाया कि अभी भी समय है। वह सीता को वापस राम को लौटा दें। रावण इस बात पर बहुत अधिक क्रोधित हुआ और उसने विभीषण को लंका से निकाल दिया।
विभीषण ने उसी रात अपने चार सहायकों के साथ लंका छोड़ दी और समुद्र पार कर राम के शिविर में जा पहुंचा। वानरों ने विभीषण के आने का समाचार सुग्रीव को दिया। विभीषण ने सुग्रीव से मिलकर उसे बताया कि वो लंका के राजा रावण का छोटा भाई हैं। राम से युद्ध न करने की सलाह देने पर रावण ने उसे लंका से निकाल दिया है। इसीलिए वो राम की शरण में आया हैं। सुग्रीव विभीषण को राम के पास ले गए। राम ने सुग्रीव का खुले दिल से स्वागत किया क्योंकि उनका मानना था कि शरण में आए हुए व्यक्ति की रक्षा करनी चाहिए।
जल्दी ही विभीषण राम के विश्वास पात्र बन गए। उन्होंने लंका , रावण और उसके योद्धाओं की सारी जानकारी राम को दी।उन्होंने कहा कि रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए बल और बुद्धि दोनों ही आवश्यक हैं। राम ने उन्हें लंका का राजा बनाने का आश्वासन दिया। अब वानर सेना के सामने समुद्र पार करने की चुनौती थी। राम ने तीन दिन तक समुद्र से विनती की कि वह उन्हें रास्ता दे मगर समुद्र ने उन्हें रास्ता नहीं दिया। राम इससे अत्यधिक क्रोधित हो गये। राम के क्रोध को देखते हुए समुद्र ने प्रकट होकर उनसे कहा कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है जो इस समुंद्र पर पुल बना सकता है।
समुद्र के कहे अनुसार नल ने महज पांच दिन में ही उस विशाल समुद्र पर पुल बना दिया और पूरी वानर सेना समुद्र पार कर लंका पहुंच गई। यह खबर सुनकर रावण ने भी अपने सैनिकों को तैयार रहने का आदेश दिया। राम ने भी अपनी सेना को चार भागों में बाँट कर उन्हें लंका पर चढ़ाई के लिए तैयार रहने को कहा । इस बीच राम ने रावण को समझाने का एक अंतिम प्रयास किया और अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। अंगद राम दूत बनकर लंका गए और उन्होंने रावण को समझाया मगर रावण नहीं माना।
फिर राम और रावण , दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों तरफ से अनेक वीर मारे गए। उसके बाद रावण के बड़े पुत्र मेघनाथ ने मोर्चा संभाला। वह मायावी विद्या जाता था। छिपकर युद्ध करता था। उसके वाणों से राम व लक्ष्मण मूर्छित हो गए। मेघनाथ उन्हें मृत समझकर अपने महल लौट गया। विभीषण ने दोनों का उपचार कर उनकी मूर्छा दूर कर दी । अगले दिन फिर भयंकर युद्ध हुआ। रावण की सेना के अनेक महाबली एक – एक कर मारे गए। यह सुनकर रावण खुद रण भूमि में लड़ने आ गया। मगर राम के बाणों से उसका मुकुट धरती पर गिर गया और वह लज्जित होकर रणभूमि से लौट गया।
अब उसे राम की शक्ति का अनुमान हो गया। उसने अपने छोटे भाई कुंभकरण को नींद से जगाया। कुंभकरण 6 महीने तक सोता और 6 महीने जागता था। महाबली और विशालकाय कुंभकरण को देखकर वानर सेना में खलबली मच गई। उसने हनुमान और अंगद को भी घायल कर दिया। राम और लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा की जिससे कुंभकरण मारा गया। कुंभकरण के मरने से रावण अत्यधिक निराश हो गया। मेघनाथ ने फिर मोर्चा संभाला। मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच फिर से भीषण युद्ध हुआ और अंत में लक्ष्मण के हाथों मेघनाथ मारा गया।
अब युद्ध भूमि में केवल रावण अकेला ही बच गया था। विभीषण को राम की सेना में देखकर रावण अत्यधिक क्रोधित हो गया। उसने विभीषण पर निशाना लगाया मगर विभीषण को बचाने के लिए लक्ष्मण बीच में आये जिससे बाण उनको लगा और वो अचेत हो गए।
विभीषण की सलाह पर सुषेण बैद्य को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए। लक्ष्मण का उपचार हुआ और वो स्वस्थ हो गए। सुग्रीव ने लक्ष्मण के स्वस्थ होने की सूचना राम तक पहुंचाई। राम – रावण में भयंकर युद्ध हुआ। रावण के बाण से राम के रथ की ध्वजा कट कर नीचे गिर गई। राम ने फिर बाण छोड़ा जो रावण के मस्तक पर लगा। रावण के माथे से खून बहने लगा और उसके हाथ से धनुष छूट गया। वह धरती पर गिर कर मर गया। बची हुई राक्षस सेना जान बचाकर भाग गई। रणक्षेत्र में केवल विभीषण दुखी था। राम ने विभीषण को समझाया और उसे लंका का राजा बनाया।
हनुमान ने अशोक वाटिका में जाकर सीता को यह शुभ समाचार दिया जिससे वो अति प्रसन्न हो गई। अशोक वाटिका से सीता सबके सामने आई। उस वक्त वो सभी को अपनी कल्पना से अधिक सुंदर , सौम्य व शांत लगी।
Lanka Vijay Class 6 Summary :
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