Do Vardan Class 6 Summary :
Do Vardan Class 6 Summary (Bal Ramkatha)
दो वरदान कक्षा 6 सारांश (बाल रामकथा)
चारों राजकुमारों के विवाह के बाद , कुछ दिन जनकपुर में बिताने के बाद राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों और पुत्र बधुओं के साथ अयोध्या लौट आए। अब राजा दशरथ के मन में एक ही इच्छा थी कि राम का राज्याभिषेक कर उन्हें युवराज पद पर सुशोभित कर दिया जाए। धीरे-धीरे उन्होंने राम को अयोध्या के राजकाज में शामिल करना शुरू कर दिया।
राम भी यह जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह से निभाते थे। उनकी विनम्रता और पराक्रम का लोहा सभी अयोध्यावासी मानते थे। इसीलिए अयोध्यावासी भी चाहते थे कि राम ही अयोध्या के राजा बने। राम का निरंतर दरबार में सम्मान बढ़ता जा रहा था। धीरे-धीरे राजा दशरथ वृद्ध हो चले थे।
एक दिन राजा दशरथ ने मुनि वशिष्ठ से विचार विमर्श करने के बाद राम को युवराज बनाने और उनके राज्याभिषेक की घोषणा राजदरवार में कर दी। इसके साथ ही अयोध्या में राज्याभिषेक के लिए तैयारियाँ जोर -शोर से शुरू होने लगी। उस समय भरत और शत्रुघ्न अपने नैनिहाल केकयराज के यहां गये हुए थे।
राज्याभिषेक की तैयारियाँ कैकई की दासी मंथरा ने भी देखी। पहले तो मंथरा को कुछ समझ नही आया। लेकिन बाद में जब उसे पता चला कि राजमहल में राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ चल रही हैं तो वह बुरी तरह जल – भुन गई । उसे राम का राज्याभिषेक , कैकई और उसके पुत्र भरत के खिलाफ किसी षड्यंत्र की तरह लगने लगा। वह बचपन से ही कैकई की दासी थी। इसीलिए वह कैकई का हित सर्वोपरि रखती थी।
मंथरा आग बबूला होकर रानिवास (यानि रानियां के रहने का महल) की तरफ भागी और सीधे कैकई के कक्ष में पहुँच गई। वह बहुत बुरी तरह से हाँफ रही थी और उसका चेहरा क्रोध से लाल हो गया था। उसकी सांसे भी उखड रही थी। उसने सोती हुई कैकई को जगा कर राम के राज्याभिषेक की खबर उसे दी और उसे बताया कि जल्दी ही उसके सुखों का अंत होने वाला है।
लेकिन राम के राज्याभिषेक की बात सुनकर कैकई बहुत खुश हुई। उसने प्रसन्न होकर अपने गले का हार उतार कर मंथरा को दे दिया । लेकिन मंथरा कहां मानने वाली थी। उसने कैकई को समझाया कि राजा दशरथ उसके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने राम के राज्याभिषेक के वक्त ही जानबूझ कर भरत को ननिहाल भेज दिया है।
मंथरा की बातें सुनकर कैकई आग बबूला हो गई और उसने मंथरा को डांटते हुए कहा कि राम उससे बहुत प्रेम करते है। वह उसे अपनी मां के बराबर ही मानते है। यह कोई षड्यंत्र नहीं है बल्कि हर राजघराने में हमेशा ही कुल के ज्येष्ठ पुत्र (सबसे बड़े) को ही राजकाज की जिम्मेदारी मिलती है।
लेकिन कैकई की इस फटकार का मंथरा पर कोई असर नहीं हुआ और वह अनेक प्रकार से अपनी बात कैकई को समझाने लगी। उसने कैकई से कहा कि अगर राम को राज्य मिल गया तो वो भरत को देश निकाला (देश से बाहर) भी दे सकते हैं और दंड भी दे सकते हैं ।इसीलिए तुम कोई ऐसा उपाय करो कि राजगद्दी भरत को मिले और राम को जंगल भेज दिया जाए।
धीरे – धीरे मंथरा की बातों का असर कैकई पर पड़ने लगा। ठीक उसी समय मंथरा ने कैकई को उन दो वरदानों की याद दिलाई जो पहले कभी राजा दशरथ ने कैकई को देने का वादा किया था। उसने कैकई से कहा कि यह सही समय हैं , तुम अपने दोनों वरदानों को राजा दशरथ से मांग लो। कैकई अपनी बात मनवाने के लिए कोपभवन में चली गई।
दिन भर राज्याभिषेक की तैयारियों के बाद , जब राजा दशरथ अपनी तीनों रानियां को यह शुभ संदेश देने पहुंचे तो उन्होंने कैकई को उसके कक्ष में नहीं देखा । पूछने पर पता चला कि कैकई कोपभवन में है। राजा दशरथ को थोड़ी चिंता हुई और वो सीधे कैकई के पास कोपभवन में चले गए।
उन्होंने कैकई से उसके कोपभवन में आने का कारण पूछा। कैकई ने पहले बड़ी ही समझदारी से राजा दशरथ से अपने दोनों वरदानों को पूरा करने का आश्वासन ले लिया। राजा दशरथ ने भी कैकई से अपना वचन पूरा करने का वादा किया। कैकई ने मौका देखकर अपने दोनों वरदान (जिसमें एक वरदान से भरत के लिए राजगद्दी और दूसरे वरदान से राम के लिए 14 वर्षों का वनवास) मांग लिये ।
यह सुनकर राजा दशरथ एकदम सन्न रह गए और कुछ देर बाद मूर्च्छित (बेहोश) हो गये। होश में आने के बाद उन्होंने कैकई को समझाने की बहुत कोशिश की। लेकिन वो नही मानी। अपनी जिद पर अड़ी रही। उसने राजा दशरथ से कहा कि अपने दिए वचनों को पूरा न करना यानि अपने वचन से पीछे हटना रघुकुल की रीति नहीं है और अगर आप ऐसा करेंगे तो आप दुनिया को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे और मैं विष (जहर ) पीकर अपनी जान दे दूंगी। यह बात सुनकर राजा दशरथ दोबारा मूर्छित होकर गिर पड़े। राजा दशरथ ने कैकई को बहुत समझाया मगर वह न मानी और इस तरह सारी रात बीत गई।
Do Vardan Class 6 Summary :
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