Van Ke Marg Main Class 6 Explanation

Van Ke Marg Main Class 6 Explanation ,

Van Ke Marg Main Class 6 Explanation

वन के मार्ग में कक्षा 6 भावार्थ 

Van Ke Marg Main Class 6 Explanation

जब भगवान श्रीराम अपने पिता की आज्ञा का पालन कर चौदह वर्ष के वनवास में गये तो माता सीता और लक्ष्मण भी अयोध्या को छोड़कर उनके साथ वन में गये। यह सवैया उसी वक्त के घटनाक्रम के बारे में बताता हैं। 

सवैया 1.

पुर तें निकसी रघुवीर – वधू , धरि धीर दए मग में डग द्वौ।

झलकीं भरि भाल कनी जल की , पुट सूखि गए मधुराधर वै।।

फिरि बूझति हैं , “चलनो अब केतिक , पर्नकुटी करिहों कित हैं ?”। 

तिय की लखि आतुरता पिय की अंखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै।।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि तुलसीदासजी कहते हैं कि वनवास को जाते वक्त , भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता बड़े ही धैर्य के साथ अयोध्या नगरी से वन (जंगल) की ओर अपने पति के पीछे -पीछे निकल पड़ी । जंगल का रास्ता काफी कठिन व काँटों भरा था। माता सीता वन की ओर अभी कुछ ही कदम चली थी कि उनके माथे पर पसीने की बूंदे छलकने लगी और उनके कोमल होंठ सूख गए।

कवि तुलसीदास कहते हैं कि माता सीता ने श्रीराम से पूछा कि “अभी कितनी दूर और चलना है। आप पत्तियों वाली कुटिया कहां बनाएंगे”। माता सीता की इस व्याकुलता को देख भगवान श्रीराम की सुंदर आंखों से आंसू बहने लगे। 

सवैया 2.

“जल को गए लक्खनु ,  हैं लरिका परिखौ , पिय ! छाँह धरिक हैं ठाढ़े। 

पोंछि पसेउ बयारि करौं , अऊ पाँय पखारिहौं भूभुरि -डाढ़े।।”

तुलसी रघुवीर प्रियाश्रम जानि कै बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। 

जानकीं नाह को नेह लख्यौ , पुलको तनु बारि बिलोचन बाढ़े।।

भावार्थ –

कवि तुलसीदास कहते हैं कि माता सीता , भगवान श्रीराम से कहती हैं कि लक्ष्मण पानी लेने को गए हैं। वो अभी बालक ही हैं , उन्हें थोड़ा समय लग जाएगा। उनके आने तक आप किसी पेड़ की छाया में कुछ देर विश्राम (आराम) कर लीजिए और मैं आपके पसीने को पौंछकर हवा कर देती हूं। साथ ही साथ मैं आपके गर्म रेत से तपे हुए चरणों (पैरों) को भी धो देती हूं। 

कवि तुलसीदास जी कहते हैं कि माता सीता के कहने पर  , भगवान श्रीराम पेड़ की छाँव में आराम करने लगे। तभी उनकी नजर माता सीता के पैरों में चुभे काँटों पर गई। इसके बाद भगवान श्रीराम बैठकर बहुत देर तक माता सीता के पांवों में चुभे कांटों को निकालते रहे । प्रभु श्रीराम के इस निश्छल प्रेम को देखकर माता सीता का मन प्रसन्न हो गया और उनकी आंखें आंसुओं से भर गयी। 

Van Ke Marg Main Class 6 Explanation :

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