Sone Ka Hiran Class 6 Summary (Bal Ramkatha)

Sone Ka Hiran Class 6 Summary :

Sone Ka Hiran Class 6 Summary (Bal Ramkatha)

सोने का हिरण कक्षा 6 सारांश (बाल रामकथा) 

Sone Ka Hiran Class 6 Summary (Bal Ramkatha)

राम को कुटिया से निकलते देख सोने के हिरण का रूप धारण करने वाला मारीच उन्हें कुटिया से बहुत दूर ले गया। पहले तो राम उसे जीवित पकड़ना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने उसे जीवित पकड़ने का विचार त्याग दिया और उस पर बाण चला दिया। राम का बाण लगते ही मारीच अपने असली रूप में आ गया। उस वक्त मारीच ने न सिर्फ अपना रूप बदला बल्कि अपनी आवाज भी बदलकर राम के जैसे ही बनाई और फिर जोर से चिल्लाया “हा सीते  !! हा लक्ष्मण!!”। और फिर वह मर गया।

मारीच के इस पूरे षड्यंत्र को राम तुरंत समझ गये और बहुत तेजी से अपनी कुटिया की तरफ चलने लगे। रावण अपने षड्यंत्र की सफलता पर बहुत प्रसन्न था। उसे लग रहा था कि अब वह सीता का हरण आराम से करेगा और सीता के हरण के साथ ही राम निशक्त (शक्तिहीन /असहाय) हो जाएंगे। इधर सीता और लक्ष्मण ने भी मायावी हिरण की पुकार सुनी। लक्ष्मण तो तुरंत समझ गए कि यह किसी मायावी राक्षस की कोई चाल है परंतु सीता बहुत घबरा गई।

उन्होंने लक्ष्मण को तुरंत अपने भाई राम की सहायता के लिए जाने को कहा। लक्ष्मण ने सीता को बहुत समझाने की कोशिश की परंतु सीता लक्ष्मण को ही बुरा भला कहने लगी। सीता की बातों से लक्ष्मण को बहुत बुरा लगा मगर वो फिर भी सीता की  बातों को सिर झुका कर सुनते रहे। लेकिन सीता का क्रोध बढ़ता जा रहा था। वह राम के साथ किसी अनहोनी (बुरा) की बात सोच कर अपने प्राण देने को तैयार हो गई।

तब लक्ष्मण ने राम की आज्ञा का उल्लंघन कर सीता को प्रणाम किया और राम की खोज में निकल पड़े। लक्ष्मण के जाते ही साधु का भेष बनाकर रावण वहां आ पहुंचा। उसने छल- कपट से सीता का हरण कर उन्हें अपने रथ में बैठा लिया। सीता ने रावण के चंगुल से छूटने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह मुक्त ना हो सकी और निराश होकर विलाप करने लगी है। वह लगातार राम और लक्ष्मण को पुकारने लगी। रावण का रथ लंका की ओर उड़ने लगा।

मार्ग में सीता पशु – पक्षियों , पर्वतों को कहती जा रही थी कि कोई राम को बता देना कि रावण ने उनका हरण किया है। जटायु ने जब सीता का विलाप सुना तो उन्होंने बहुत ऊंची उड़ान भर कर रावण के रथ पर हमला कर उसे क्षत – विक्षत (तोड़ दिया)  कर दिया और रावण को भी बुरी तरह से घायल कर दिया। क्रोध में आकर रावण ने जटायु के पंख काट दिए जिससे वो धरती पर गिर पड़े । इसके बाद सीता ने एक -एक कर अपने आभूषण उतार कर फेंकने शुरू कर दिये ताकि राम को उनके मार्ग का पता चल सके। सीता के फेंके आभूषण बंदरों ने उठा लिए।

लंका पहुंचकर रावण सीता को सीधे अपने राजमहल में ले गया। और उनसे कहा कि “मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूं। निर्णय कर लो तुम मेरी रानी बनोगी या सारा जीवन यूं ही रोते हुए बिताओगी”।  उसने राक्षसियों को सीता की निगरानी करने को कहा। सीता राम का गुणगान करती रही। राम की प्रशंसा सुनकर रावण भी चिंता में पड गया। उसने सोचा कि खर-दूषण को मारने वाला अवश्य ही शक्तिशाली होगा। राम व लक्ष्मण की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उसने अपने आठ शक्तिशाली राक्षसों को पंचवटी भेज दिया।

इसके बाद रावण ने सीता को राजमहल से निकाल कर अशोक वाटिका में बंदी बना लिया और उन पर कड़ा पहरा बैठा दिया। रावण ने सीता के मन को बदलने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह सीता के मन को न बदल सका। सीता बार-बार राम का नाम लेती रही। अब वह शेरों के बीच में किसी हिरणी की तरह डरी -सहमी बैठी रहती और अपने दिन-रात रो – रोकर काटती थी। सोने के हिरण ने उन्हें अब सोने की लंका में पहुंचा दिया था।

Sone Ka Hiran Class 6 Summary :

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