Kavitavali Class 12 Explanation ,
Kavitavali Class 12 Explanation
कवितावली (उत्तर कांड से) का भावार्थ कक्षा 12
Note –
- “लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप” कविता का MCQ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “कवितावली” कविता के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें — Next Page
- “लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप” कविता का भावार्थ पढ़ने के लिए Link में Click करें — Next Page
- “कवितावली ” पाठ के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
कवितावली का भावार्थ
कवितावली में सात कांड हैं। जिसमें उत्तर कांड , अंतिम कांड है। पूरी कवितावली ब्रज भाषा में लिखी गई है। “कवितावली” के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं जिन्होंने इस कविता के माध्यम से उस वक्त की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का बहुत ही प्रभावशाली वर्णन किया है।
उस समय लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था । इसीलिए अधिकतर लोग व काम धंधे कृषि पर ही आधारित थे । मगर समय पर बारिश न होने के कारण अकाल पड़ा गया । जिस कारण कृषि से जुड़े सारे काम धंधे खत्म हो गये और लोग बेरोजगार हो गये थे।
पूरा सामाजिक ताना – बाना तहस-नहस हो गया था। समाज के हर वर्ग के लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए अनेक प्रयत्न कर रहे थे। यहां पर कवि ने उन्हीं परिस्थितियों का सटीक वर्णन किया है।
काव्यांश 1 .
किसबी , किसान-कुल , बनिक , भिखारी , भाट ,
चाकर , चपल नट , चोर , चार , चेटकी ।
पेटको पढ़त , गुन गढ़त , चढ़त गिरि ,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी ।।
ऊँचे – नीचे करम , धरम – अधरम करि ,
पेट ही को पचत , बेचत बेटा – बेटकी ।।
“तुलसी” बुझाई एक राम घनस्याम ही तें ,
आग बड़वागि तें बड़ी है आगि पेटकी।।
भावार्थ –
उपरोक्त पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास जी उस समय के समाज के बारे में बताते हुए कह रहे हैं कि मजदूर (किसबी) , किसान वर्ग (किसान-कुल) , व्यापारी (बनिक) , भिखारी (भिखारी) , नाचने गाने वाले लोग (भाट) , नौकर (चाकर) , रस्सी पर चलने वाले (चपला नट) , चोरी करने वाले (चोर) , दूत /संदेशवाहक /गुप्तचर (चार) , जादूगर (चेटकी)
ये सभी लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए विभिन्न तरह के कार्य करते हैं। अनेक तरह के गुर यानि हुनर सीखते हैं और अपना पेट भरने के लिए मुश्किल से मुश्किल कार्य करने से भी नही हिचकते हैं।
दिनभर शिकार करने के लिए घने जंगलों में भटकते -फिरते हैं। हर अच्छा -बुरा और धर्म – अधर्म यानि हर तरह का कार्य करते हैं । यहां तक कि ये लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए अपने बेटे और बेटी तक को बेच देते हैं।
तुलसीदास जी कहते हैं कि केवल श्रीराम रूपी बादल ही , अपनी कृपा रूपी पानी से सभी लोगों के पेट की आग को बुझा सकते हैं यानि राम की कृपा प्राप्त होने से ही लोगों की गरीबी दूर हो सकती है।
तुलसीदास जी आगे कहते हैं कि मनुष्य के पेट की आग , समुद्र की आग (बड़वागित) से भी बड़ी होती है। और भगवान राम ही इस आग को बुझा सकते हैं यानि लोगों के दुःख दूर कर सकते हैं। कहा जाता हैं कि तुलसीदासजी की गरीबी व कष्ट राम भक्ति से ही दूर हुए थे।
काव्य सौंदर्य –
- यह काव्यांश कवित छंद है।
- काव्यांश में ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है।
- पूरे काव्यांश में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। जैसे किसबी – किसान-कुल , पेटको – पढ़त , गुढ़त -चढ़त , गहन – गन -अहन , करम – धरम – अधरम , चाकर- चपला , चोर -चार , बेचत बेटा – बेटकी।
- “राम – घनस्याम” में रूपक अलंकार है।
- ऊँचे – नीचे , धरम – अधरम , बेटा – बेटकी में द्वंद समास है।
- “आग बड़वागितें” में अतिश्योक्ति अलंकार है।
- राम की भक्ति होने से “भक्ति रस” की प्रधानता देखने को मिलती है। साथ ही काव्यांश में “करुण रस” भी है।
काव्यांश 2.
खेती न किसान को , भिखारी न भीख , बलि ,
बनिक को बनिज , न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस ,
कहैं एक एकन सौं “कहाँ जाइ , का करी ?”
बेदहूँ पुरान कही , लोकहूँ बिलोकिअत ,
साँकरे सबैं पै , राम ! रावरें कृपा करी ।
दारिद-दसानन दबाई दुनी , दीनबंधु !
दुरित – दहन देखि तुलसी हहा करी ।।
भावार्थ –
उस समय लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था। और सारे काम धंधे या यूं कहें की सारी अर्थव्यवस्था कृषि पर ही आधारित थी । मगर समय पर बारिश न होने के कारण अकाल पड़ा हुआ था। जिस कारण फसल नही हो पा रही थी। फसल न होने के कारण अधिकतर लोग बेरोजगार हो गये थे।
उपरोक्त पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास जी उस समय की अर्थव्यवस्था की जानकारी देते हुए कह रहे हैं कि किसान खेती नही कर पा रहा है , भिखारी को भीख नहीं मिल रही है , ब्राह्मण को दक्षिणा (बलि) नहीं मिल रही है , व्यापारी अपना व्यापार करने में असमर्थ है और नौकर को नौकरी मिल रही हैं।
समाज में चारों ओर बेरोजगारी ही बेरोजगारी हैं । और सभी बेरोजगार यानि आजीविका विहीन लोग सोच में पड़े एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि अब आप ही बताएं कि हम कहां जाएं और क्या करें।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि हमारे चार वेदों और अठारह पुराणों में कहा गया है और इस संसार में देखा भी गया है कि जब भी सब पर संकट आता हैं तो सिर्फ श्री राम ही उसे दूर करते हैं।
दस सिर वाले दरिद्रता रूपी रावण (दसानन) ने इस दुनिया के लोगों को अपनी पूरी ताकत से दबा रखा है। जिससे यह दुनिया बहुत दुखी हैं और बिना सोचे विचारे बुरे व अधर्म के कार्य कर रही हैं। पाप की ज्वाला में जलती , इस दुनिया को देखकर तुलसी का मन हाहाकार कर उठता हैं और वो अपने प्रभु श्रीराम को पुकार उठते हैं। और कहते हैं कि हे ! प्रभु अब आप ही इस दुखी संसार का उद्धार करें।
काव्य सौंदर्य –
- यह काव्यांश कवित छंद है।
- काव्यांश में ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है।
- पूरे काव्यांश में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
- “दारिद-दसानन” में रूपक अलंकार है।
- राम की भक्ति होने से “भक्ति रस” की प्रधानता देखने को मिलती है। साथ ही काव्यांश में “करुण रस” भी है।
काव्यांश 3.
धूत कहौ , अवधूत कहौ , रजपूतु कहौ , जोलहा कहौ कोऊ ।
काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब , काहूकी जाति बिगार न सोऊ ।।
तुलसी सरनाम गुलामु हैं राम को , जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ ।
माँगि कै खैबो , मसीत को सोइबो , लैबोको एकु न दैबको दोऊ ।।
भावार्थ –
कविता के इस भाग में तुलसीदास जी अपने बारे में बताते हुए कहते हैं कि तुम मुझे बुरा व्यक्ति (धूत) कहो या साधु (अवधूत) कहो , क्षत्रिय (राजपूत) कहो या जुलाहा (सूत काटने वाले मुस्लिम कारीगर) कहो यानि तुम मुझे जो चाहो कहो या समझो , मुझे उससे कुछ फर्क नही पड़ता हैं।
तुलसीदास जी कहते हैं कि मुझे किसी की बेटी से अपने बेटे की शादी नहीं करनी हैं और न ही मुझे किसी से रिश्ता बनाकर उसकी जाति को बिगाड़ना है।
तुलसीदास आगे कहते हैं कि ये तो जग – प्रसिद्ध हैं कि मैं श्रीराम का भक्त व एक संत हूँ और मेरी कोई जाति नही हैं। इसीलिए जिसे जो अच्छा लगे , वो कहे। मैं तो भिक्षा मांग कर खाता हूं और मंदिर में सोता हूं। मुझे किसी से न एक लेना है और ना किसी को दो देना है। यानि मुझे किसी से कुछ लेना-देना या मतलब नहीं हैं।
काव्य सौंदर्य –
- यह काव्यांश सवैया छंद है।
- बेटीसों – बेटा में अनुप्रास अलंकार है। ।
- काव्यांश में ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है।
- “लेना एक न देना दो” मुहावरे का प्रयोग हैं।
- “दारिद-दसानन” में रूपक अलंकार है।
- राम की भक्ति होने से “भक्ति रस” की प्रधानता है। साथ ही “शांत रस” का प्रयोग भी देखने को मिलता हैं।
“कवितावली ” पाठ के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद।
You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
कक्षा 12(हिन्दी वितान भाग 2)
- सिल्वर वेडिंग का सारांश
- सिल्वर वेडिंग के प्रश्न उत्तर
- सिल्वर वेडिंग के MCQ
- जूझ का सारांश
- जूझ के प्रश्न उत्तर
- जूझ के MCQ
- अतीत में दबे पाँव सारांश
- अतीत में दबे पाँव प्रश्न उत्तर
- अतीत में दबे पाँव प्रश्न उत्तर (MCQ)
- डायरी के पन्ने का सारांश
- डायरी के पन्ने के प्रश्न उत्तर
- डायरी के पन्ने MCQ
कक्षा 12 हिन्दी आरोह भाग 2 (काव्य खंड)
- आत्मपरिचय का भावार्थ
- आत्म – परिचय , एक गीत के प्रश्न उत्तर
- आत्म परिचय के MCQ
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं का भावार्थ
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं के MCQ
- बात सीधी थी पर कविता का भावार्थ
- बात सीधी थी पर के MCQ
- कविता के बहाने कविता का भावार्थ
- कविता के बहाने और बात सीधी थी मगर के प्रश्न उत्तर
- कविता के बहाने के MCQ
- पतंग का भावार्थ
- पतंग के प्रश्न उत्तर
- पतंग के MCQS
- कैमरे में बंद अपाहिज का भावार्थ
- कैमरे में बंद अपाहिज के प्रश्न उत्तर
- कैमरे में बंद अपाहिज के MCQ
- सहर्ष स्वीकारा है का भावार्थ
- सहर्ष स्वीकारा है के प्रश्न उत्तर
- सहर्ष स्वीकारा है के MCQ
- उषा कविता का भावार्थ
- उषा कविता के प्रश्न उत्तर
- उषा कविता के MCQ
- कवितावली का भावार्थ
- कवितावली के प्रश्न उत्तर
- लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप का भावार्थ
- लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप के प्रश्न उत्तर
- कवितावली और लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप के MCQ
- रुबाइयों का भावार्थ
- रुबाइयों के प्रश्न उत्तर
- गजल का भावार्थ
- रुबाइयों और गजल के MCQ
कक्षा 12 हिन्दी आरोह भाग 2 (गद्द्य खंड)
- भक्तिन का सारांश
- भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर
- भक्तिन पाठ के MCQ
- बाजार दर्शन का सारांश
- बाजार दर्शन के प्रश्न उत्तर
- बाजार दर्शन के MCQ
- काले मेघा पानी दे का सारांश
- काले मेघा पानी दे के प्रश्न उत्तर
- काले मेघा पानी दे के MCQ
- पहलवान की ढोलक का सारांश
- पहलवान की ढोलक पाठ के प्रश्न उत्तर
- पहलवान की ढोलक पाठ के MCQ
- चार्ली चैप्लिन यानी हम सब का सारांश
- चार्ली चैप्लिन यानि हम सब के प्रश्न उत्तर
- चार्ली चैप्लिन यानि हम सब के MCQS
- नमक पाठ का सारांश
- नमक पाठ के प्रश्न उत्तर
- नमक पाठ के MCQ
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा का सारांश
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा के प्रश्न उत्तर
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा के MCQ