Din Jaldi Jaldi Dhalta Hai Class 12 Explanation :
Din Jaldi Jaldi Dhalta Hai Class 12 Explanation
दिन जल्दी – जल्दी ढलता है कक्षा 12 का भावार्थ
Note –
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“दिन जल्दी – जल्दी ढलता है !” कविता के कवि “हरिवंश राय बच्चन जी ” हैं। इस कविता को “निशा निमंत्रण” से लिया गया हैं जो सन 1938 में प्रकाशित हुई थी।दरअसल कवि की पत्नी की मृत्यु सन 1936 में हो गई थी। जिससे उनका जीवन एकाकीपन व निराशा से भर गया था। उस समय उनके मन में जिन भावनाओं ने जन्म लिया उसे उन्होंने अलग-अलग कविताओं के रूप में पन्नों में उतार दिया। उन्हीं कविताओं का संकलन है “निशा निमंत्रण” ।
इस कविता में कवि ने समय व प्रेम का महत्व समझाया हैं। कवि कहते हैं कि ऊर्जावान व खुशहाल जीवन जीने के लिए इंसान के जीवन में एक लक्ष्य एवं प्रेम होना जरूरी हैं। साथ ही समय का महत्व समझते हुए उसका सदुपयोग करना भी आवश्यक हैं।
काव्यांश 1.
दिन जल्दी – जल्दी ढलता है !
हो जाए न पथ में रात कहीं
मंजिल भी तो है दूर नहीं –
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी – जल्दी चलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
भावार्थ –
उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि दिन भर के थके हुए पथिक (मुसाफिर /रही) को जब यह महसूस होता हैं कि उसकी मंजिल अब बहुत करीब है। लेकिन मंजिल तक पहुंचने से पहले रास्ते में ही कही रात न हो जाय , यह सोच वह अपने कदम तेजी से अपनी मंजिल की ओर बढ़ाने लगता है। क्योंकि दिन बहुत तेजी से बीत जाता है।
अर्थात मेरी मंजिल मेरे बहुत पास है मगर मैं धीरे- धीरे चला तो , मंजिल पर पहुंचने से पहले रास्ते में ही कहीं रात न हो जाय और मैं अपनी मंजिल तक पहुंच ही न पाऊं। यह सोच कर ही थके हुए मुसाफिर के कदमों में भी जान आ जाती है और वह तेजी से चलने लगता है। क्योंकि दिन बहुत जल्दी-जल्दी ढलता है।
काव्य सौंदर्य –
भाषा सरल , प्रवाहमयी हैं। “जल्दी-जल्दी” पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
काव्यांश 2.
बच्चे प्रत्याशा में होंगे ,
नीड़ों से झांक रहे होंगे –
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है !
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !
भावार्थ –
उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि ना केवल मनुष्य बल्कि प्रकृति के अन्य सभी जीव-जंतु भी दिन ढलने के साथ ही अपने घरों को लौटने लगते हैं। और उनके परिजनों व बच्चों को उनके लौटने का इंतजार भी रहता हैं। यहां पर कवि चिड़िया का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि …..
चिड़िया को जब यह ध्यान आता है कि उसके छोटे-छोटे बच्चे भोजन , स्नेह व सुरक्षा पाने की आशा में घोंसलों से बाहर झाँक-झाँक कर उसकी राह देख रहे होंगे। तो उसके दिन भर के थके हुए पंखों में एक नई जान आ जाती है और वह तेजी के साथ अपने घोंसले की तरफ उड़ने लगती है ताकि रात होने से पहले वह अपने बच्चों के पास पहुंच जाय। क्योंकि चिड़िया को भी मालूम हैं कि दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
काव्य सौंदर्य –
उपरोक्त पंक्तियों में वात्सल्य अलंकार हैं।
काव्यांश 3.
मुझसे मिलने को कौन विकल ?
मैं होऊं किसके हित चंचल ?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को , भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी – जल्दी ढलता है !
भावार्थ –
कवि की पत्नी की मृत्यु हो चुकी है। इसीलिए कवि अकेले हैं , उदास है , निराश और दुखी भी हैं। कवि को लगता है कि पथिक को अपनी मंजिल तक पहुंचना था। इसलिए वह तेज कदमों से चलने की कोशिश करता है और चिड़िया को जैसे ही अपने बच्चों का ख्याल आता है तो वह तेजी से उड़ते हुए अपने घोंसले तक पहुंचने की कोशिश करती है। लेकिन कवि कहते हैं कि उन्हें तो कही जाना भी नहीं है और न ही उनका कोई इंतजार कर रहा है।
इसीलिए उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मुझसे मिलने के लिए घर में कौन बेचैन बैठा है। किसके लिए मैं अपने कदमों में तेजी लाऊं। इस विचार से कवि के पांव शिथिल पड़ जाते हैं व उनके कदमों की गति धीमी हो जाती है और उनका हृदय व्याकुलता से भर जाता है।
अर्थात कवि को जब यह महसूस होता है कि उनके घर में कोई भी उनका बेसब्री से इंतजार नही कर रहा है तो फिर वो किसके लिए तेज चलकर जल्दी घर पहुंचें । यही बात उनके पैरों की गति को धीमा कर देती है । वो निराश हो जाते है और अपने दिल में दर्द सा महसूस करते हैं।
दरअसल कवि के जीवन में प्रेम की कमी है जिससे उनके मन में घोर निराशा है। इंसान के जीवन में समय व प्रेम दोनों महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए व्यक्ति को समय का सदुपयोग करना और प्रेम के महत्व को समझना आवश्यक हैं।
काव्य सौंदर्य –
“मुझसे -मिलने” , में अनुप्रास अलंकार है। “मैं होऊं किसके हित चंचल” , में प्रश्न अलंकार है। वियोग श्रृंगार रस की प्रधानता हैं। काव्यांश में आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग किया गया हैं। कविता गीत रूप में लिखी गई हैं।
“मुझसे मिलने को कौन विकल ?
मैं होऊं किसके हित चंचल ? ” , में वियोग श्रृंगार रस हैं।
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