Lakshman Murchha Aur Ram Ka Vilap Class 12 Question Answer

Lakshman Murchha Aur Ram Ka Vilap Class 12 Question Answer   ,

Lakshman Murchha Aur Ram Ka Vilap Class 12 Question Answer

लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप के प्रश्न उत्तर

Lakshman Murchha Aur Ram Ka Vilap Class 12 Question Answer

Note –

  1. “लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप” कविता का MCQ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  2. “लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप” कविता का भावार्थ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  3. “कवितावली” के भावार्थ को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

 

प्रश्न 1.

व्याख्या करें ?

(क)

मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता  ।

जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू  ।। 

उत्तर-

मूर्छित लक्ष्मणजी को अपने हृदय से लगाकर श्रीराम कहते हैं कि हे भाई !! तुमने मेरे हित के लिए अपने माता-पिता को छोड़ दिया और मेरे साथ जंगल में आकर सर्दी , गर्मी , बरसात सब कुछ सहन किया यानि तुमने मेरे लिए जंगल में अनेक कष्ट सहे।

भाई , अगर मैं जानता कि वन में मेरा भाई मुझसे बिछड़ जाएगा तो मैं पिता की बात कभी नहीं मानता।

(ख)

जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।

अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही ।।

उत्तर-

श्रीराम कहते हैं कि जिस प्रकार पंख बिना पक्षी , मणि बिना सांप और सूँड बिना हाथी बहुत ही असहाय होते हैं। ठीक उसी प्रकार हे भाई !! मैं देवताओं की कृपा से जीवित तो रहूंगा मगर तुम्हारे बिना मेरा जीवन बिना आत्मा के शरीर जैसे होगा यानि मेरा जीवन व्यर्थ हो जायेगा।

प्रश्न 2.

भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर-

हाँ , मैं इससे सहमत हूँ कि भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को तुलसीदास जी ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। युद्ध भूमि में लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने के बाद भगवान श्री राम सामान्य मनुष्य की भांति अत्यंत दुखी हो गए। वो लक्ष्मण का सिर अपनी गोद में रखकर तरह – तरह से विलाप करने लगे। 

भगवान श्रीराम कहते हैं कि इस संसार में सब कुछ दुबारा मिल सकता हैं लेकिन लक्ष्मण जैसा सगा भाई दुबारा नहीं मिल सकता हैं । वो इस सोच में भी पड़े दिखाई देते हैं कि वो अयोध्या जाकर लक्ष्मण की माता को क्या जबाब देंगे।  “लोग क्या कहेंगे” उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही थी । ये सब उनके मानवीय गुणों को दर्शाता हैं। 

प्रश्न 3.

शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है ?

उत्तर-

हनुमान जी को संजीवनी बूटी लेकर आने में थोड़ी देर गई । समय को तेजी से गुजरता देख श्रीराम व्याकुल हो उठे और निराशा में उनकी आँखों से आंसू बहने लगे । वो मूर्छित लक्ष्मण जी का सिर अपनी गोद में रखकर विलाप करने लगे । 

प्रभु श्रीराम को व्याकुल व दुखी देखकर वानर व भालू का समूह भी बैचेन व व्याकुल हो गया । उस शोकाग्रस्त माहैाल में अचानक संजीवनी बूटी लेकर हनुमानजी पहुंच गए। हनुमानजी को देखकर सभी वानर व भालू खुशी से उछलने लगे।

उन सबके मन में अचानक हताशा – निराशा की जगह उत्साह व साहस का संचार हो गया। उन्हें देखकर ऐसा लगा मानो जैसे करुण रस में अचानक वीर रस का संचार हो गया है ।

प्रश्न 4.

“जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई । नारि हेतु प्रिय भाइ गॅवाई।

बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं ।।

भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है ?

उत्तर-

भाई के शोक में डूबे राम के इन प्रलाप वचनों में स्त्री के प्रति अच्छा व सम्मानीय सामाजिक दृष्टिकोण नहीं झलकता हैं क्योंकि श्रीराम कहते हैं कि मैने पत्नी के लिए अपना प्रिय भाई खो दिया। इस संसार में स्त्री (पत्नी) दुबारा मिल सकती हैं। मगर सगा भाई दुबारा नहीं मिल सकता हैं । वो स्त्री हानि को कोई विशेष क्षति नहीं मानते हैं। 

अन्य प्रश्न 

प्रश्न 1.

“लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप” में तुलसीदासजी ने किस भाषा का प्रयोग किया हैं ?

उत्तर-

“लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप” में तुलसीदासजी ने अवधी भाषा का प्रयोग किया हैं। पूरे रामचरितमानस को अवधी भाषा में लिखा गया है।

प्रश्न 2.

कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी (इंदुमती) के मृत्यु-शोक पर “अज” तथा निराला की “सरोज-स्मृति” में पुत्री (सरोज) के मृत्यु-शोक पर पिता के करुण उद्गार निकले हैं। उनसे भ्रातृशोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करें।

उत्तर-

कालिदास के “रघुवंश महाकाव्य” में अज अपनी पत्नी इंदुमती के आकस्मिक मृत्यु से दुखी हैं जबकि “सरोज-स्मृति” में कवि निरालाजी ने अपनी पुत्री की आकस्मिक मृत्यु से उनके मन में उपजे अथाह दुःख को प्रकट किया हैं। वो कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन न कर सकने से दुखी थे।

जबकि “लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप” में लक्ष्मण सिर्फ़ मूर्छित (बेहोश) हुए थे। उनके होश में आने की पूरी संभावना थी क्योंकि हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने हिमालय गये थे। इसीलिए भ्रातृशोक में डूबे राम का विलाप अज व निराला की तुलना में कम है। 

प्रश्न 3.

राम कौशल्या के पुत्र थे और लक्ष्मण सुमित्रा के। इस प्रकार वो परस्पर सहोदर ( एक ही माँ के पेट से जन्मे ) नहीं थे। फिर राम ने उन्हें लक्ष्मण कर ऐसा क्यों कहा कि मिलइ न जगत सहोदर भ्राता” ? इस पर विचार करें।

उत्तर-

भले ही श्रीराम व लक्ष्मण जी अलग अलग माता के पुत्र थे मगर दोनों के पिता राजा दशरथ ही थे। और राजा दशरथ की मृत्यु हो चुकी हैं। इसीलिए श्रीराम को अब दूसरा सगा भाई नही मिल सकता हैं। इसीलिए उन्होंने ऐसा कहा। वैसे श्रीराम कैकई व सुमित्रा का भी सगी माता के जैसे ही सम्मान करते थे।  

प्रश्न 4.

काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें ?

तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत ।

अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत ।।

भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार ।

मन महुँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार ।।

उत्तर-

काव्य सौंदर्य –

  1. यह एक दोहा छंद है।
  2. इस दोहे में अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है। 
  3. दोहे में भक्ति रस की प्रधानता हैं। 
  4. “पाइ पद” , “बाहु बल” , “मन महुँ”  , “प्रभु पद प्रीति” में अनुप्रास हैं।
  5. “पुनि – पुनि” में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार हैं।

प्रश्न 5.

“लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप” काव्यांश में लक्ष्मण के प्रति राम के प्रेम के कौन-कौन-से पहलू अभिव्यक्त हुए हैं ?

अथवा

तुलसीदास की संकलित चौपाइयों के आधार पर लक्ष्मण के प्रति राम के स्नेह संबंधों पर प्रकाश डालिए ?

उत्तर-

  1. लक्ष्मण को मूर्च्छित देखकर राम अत्यंत व्याकुल हो उठे।
  2. वो इस सब धटनाक्रम के लिए अपने आप को दोषी मानने लगे।
  3. उन्होंने भ्रातृ प्रेम को पत्नी के स्नेह से ऊपर रखा। 
  4. उन्हें लगता हैं कि इस संसार में पुत्र , धन , स्त्री , घर और परिवार आदि सब कुछ दुबारा मिल सकता हैं। मगर सगा भाई दुबारा नहीं मिल सकता हैं ।

प्रश्न 6.

कुंभकरण के द्वारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी व्याकुलता के बारे में क्या कहा और कुंभकरण से उसे क्या सुनना पड़ा ?

उत्तर-

जब कुंभकरण गहरी नींद से जागा तो रावण ने उसे सीता हरण से लेकर बड़े – बड़े राक्षसों के मारे जाने से संबंधित सारी बात विस्तार से बताई। साथ ही साथ उसने अपने भविष्य की चिंता भी उसके सामने प्रकट की। 

रावण की बातों को सुनकर कुंभकर्ण बहुत दुखी हुआ। और उसने रावण से कहा कि उसने जगतमाता सीता का हरण किया हैं।  इसीलिये अब उसका कल्याण संभव नही है। 

प्रश्न 7.

तुलसीदास की अलंकार योजना व काव्य भाषा पर प्रकाश डालिए ?

उत्तर-

तुलसीदास की रचनाओं में कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है। जैसे अनुप्रास , उपमा , रूपक, अतिश्योक्ति , वीर आदि। मगर अनुप्रास अलंकार का वो अत्यधिक व चमत्कारिक प्रयोग करते थे। उनकी रचनाओं में अनुप्रास अलंकार बहुत अधिक देखने को मिलता हैं।

उन्होंने अपनी रचनाओं में अवधी भाषा का ज्यादा प्रयोग किया हैं जो उस वक्त की सर्वमान्य लोकभाषा थी। 

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