Kavitavali Class 12 Question Answer : प्रश्नोत्तर  

Kavitavali Class 12 Question Answer ,

Kavitavali Class 12 Question Answer

कवितावली कक्षा 12 के प्रश्न उत्तर

Note –

  1. “लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप” कविता का MCQ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  2. “कवितावली” कविता का भावार्थ पढ़ने के लिए Link में Click करें –  Next Page
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प्रश्न 1.

कवितावली में उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसी को अपने युग की आर्थिक विषमताओं की अच्छी समझ थी ?

उत्तर –

तुलसीदास जी को अपने समकालीन समाज की आर्थिक व सामाजिक विषमताओं की गहरी जानकारी थी क्योंकि खुद तुलसीदास जी ने उन्ही विषमताओं के बीच अपना पूरा जीवन बिताया था । इसीलिए उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन परिस्थितियों का सजीव चित्रण किया है।

तत्कालीन अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर आधारित थी। अकाल पड़ने के कारण किसान कृषि कार्य नहीं कर पा रहे थे । अनाज न होने के कारण व्यापारी वर्ग के पास व्यापार करने का कोई साधन नहीं था । इसलिए वो लोगों को नौकरी देने में असमर्थ थे। लोगों के पास खुद खाने को अनाज नहीं था तो वो भिखारी को भीख कैसे देते।

इस तरह पूरा सामाजिक ताना-बाना तहस-नहस हो गया था। लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए धर्म – अधर्म की परवाह किये वैगर तरह-तरह के कार्य करते थे। यहां तक कि अपने बच्चों तक को बेच देते थे।

प्रश्न 2.

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेध ही कर सकता है। तुलसी का यह “काव्य सत्य” क्या इस समय का भी “युग सत्य” है ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए ?

उत्तर –

तुलसीदासजी भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे। वो मानते थे कि दुनिया के सभी दुख व परेशानियों से केवल प्रभु श्रीराम ही मुक्ति दिला सकते हैं। इसीलिए वो कहते थे कि दुनिया में सभी प्राणियों के दुखों का अंत सिर्फ प्रभु श्री राम की भक्ति से ही संभव है।

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए ईश्वरीय कृपा के साथ – साथ जी तोड़ मेहनत की भी आवश्यकता होती है। इन दोनों के संतुलन से ही सफलता प्राप्त की जा सकती हैं। इसीलिए कहा गया है कि ईश्वर भी उसी की मदद करते हैं जो कठिन परिश्रम कर अपनी मदद आप करते हैं और आज के संदर्भ में यही सत्य हैं।

प्रश्न 3 .

तुलसी ने यह कहने की जरूरत क्यों समझी ?

“धूत कहौ ,  अवधूत कहौ , रजपूतु कहौ , जोलहा कहौ कोऊ ।

काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब , काहूकी जाति बिगार न सोऊ ।।”

इस सवैये में “काहू का बेटासों बेटी न ब्याहब” कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता ?

 उत्तर –

प्राचीन काल से ही हमारा भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज रहा है।और हमारे भारतीय समाज में बेटियों को विवाह के पश्चात अपने पिता की जाति को त्याग कर अपने पति की जाति को अपनाना पड़ता है। उस समय लोग अपने बेटे और बेटी की शादी अपनी ही जाति बिरादरी में करते थे जिससे उनकी जाति भ्रष्ट नहीं होती थी।

तुलसीदास जी ने इन पंक्तियों के माध्यम से तत्कालीन समाज में फैली जाति प्रथा का वर्णन किया है। तुलसीदास जी के अनुसार अगर वो अपनी बेटी की शादी किसी और जाति में करते तो उनकी बेटी को विवाह के पश्चात अपने पति की जाति अपनानी पड़ती। इसी तरह अगर वो अपने बेटे की शादी किसी अन्य जाति के व्यक्ति की बेटी से कर देते , तो दोनों की जाति खराब हो जाती जिससे समाज में जातिगत संधर्ष बढ़ जाता।

प्रश्न 4 .

“धूत कहो…”  वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है।  इससे आप कहाँ तक सहमत हैं ? 

उत्तर –

तुलसीदास जी का पूरा जीवन संघर्षों में बीता था जिस कारण उनका मन राम भक्ति की ओर मुड़ गया था । वो प्रभु श्रीराम को ही अपना सर्वस्व और इस दुनिया का तारणहार मानते थे जो उनकी रचनाओं में साफ – साफ दिखाई देता है।

जीवन की विषम परिस्थितियों ने तुलसीदास जी को स्वाभिमान के साथ जीना सिखाया और उनकी राम भक्ति ने उन्हें आत्मविश्वासी व साहसी बना दिया जिस कारण उन्होंने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का खुलकर विरोध किया।

प्रश्न 5 .

व्याख्या करें ?

(क़)

“माँगि कै खैबो , मसीत को सोइबो , लैबोको एकु न दैबको दोऊ  ।।”

उत्तर –

तुलसीदास जी कहते हैं कि मैं भिक्षा मांग कर खाता हूं , मंदिर में सोता हूं और प्रभु श्रीराम की भक्ति में मस्त रहता हूं। मुझे संसार की भौतिक सुख सुविधाओं से कोई मतलब नहीं है और ना ही मैं किसी पर आश्रित हूँ।  इसीलिए मुझे दुनिया की किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

(ख) 

“ऊँचे – नीचे करम , धरम – अधरम करि ,

पेट ही को पचत , बेचत बेटा – बेटकी  ।।”

उत्तर –

उपरोक्त पंक्तियों में तुलसीदास जी उस समय की आर्थिक विषमताओं के बारे में बताते हुए कहते हैं कि समाज के लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए अच्छा -बुरा और धर्म – अधर्म यानि हर तरह का कार्य करने को मजबूर हैं । यहां तक कि अपने बेटे और बेटी को बेचने में भी नही हिचकते हैं।

प्रश्न 6.

यहां कवि तुलसी के दोहा , चौपाई , सोरठा , कवित्त , सवैया , ये पांच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में और छंद तथा काव्य रूप आए हैं। ऐसे छंदों व काव्य रूपों की सूची बनाइए ?

उत्तर-

रामचरितमानस – प्रबंध काव्य

विनय पत्रिका – मुक्तक काव्य

गीतावली , कृष्ण गीतावली – गेय पद शैली

पाठ के आसपास

प्रश्न 1 .

“पेट ही को पचत , बेचत बेटा – बेटकी ।।”

तुलसी के युग का ही नहीं , आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदय विदारक घटनाएं हमारे देश में घटती रही हैं।  वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी की युग की तुलना करें ?

उत्तर –

अकाल पड़ने के कारण तुलसी युग में समाज में भुखमरी व गरीबी का बोलबाला था। उस समय लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था। इसके अलावा अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए लोगों के पास बहुत अधिक साधन नहीं थे। इसीलिए लोग चंद पैसों या अनाज के लिए अपनी संतानों को भी बेच दिया करते थे।

आज के युग में व्यक्ति के पास पैसा कमाने के अनेक साधन है। नित नए-नए कल कारखाने , उद्योग धंधे शुरू होते रहते हैं और आधुनिक टेक्नोलॉजी के आ जाने से लोगों को रोजगार मिलने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ गई है।

लेकिन आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बेहद गरीब हैं जहां भूख की वजह से लोगों की मौतें होती है। खास कर किसान वर्ग अपने परिवार का भरण पोषण व कृषि कार्य के लिए साहूकार या बैंक से कर्ज लेते हैं।

फसल अच्छी न होने पर आमदनी इतनी नहीं हो पाती हैं कि वो समय पर कर्ज वापस कर सकें जिस कारण उन्हें साहूकार या बैंक द्वारा परेशान किया जाता है। तब ये लोग बेटी बेचने या आत्महत्या जैसा आत्मधाती कदम उठा लेते हैं।

प्रश्न 2.

तुलसी के युग में बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं। आज की बेकारी की समस्या के कारणों के साथ उसे मिलाकर कक्षा में चर्चा कीजिए ?

 उत्तर –

संसाधनों की कमी , कल – कारखानों व उद्योग धंधों का ना होना , अकाल की स्थिति , व्यापार में गिरावट व सामाजिक अराजकता तुलसी के युग में बेकारी के मुख्य कारण थे।

आधुनिक युग में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। रोजगार के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध होने के बावजूद आज भी कुछ लोग भुखमरी व गरीबी का शिकार है। अत्यधिक जनसंख्या , भ्रष्टाचार , रोजगार परक शिक्षा की कमी , लोगों का कृषि कार्य के प्रति उदासीनता व मेहनत की कमी आदि आज के समय में बेकारी के मुख्य कारण है।

प्रश्न 3.

स्त्रियों के प्रति तुलसी युग का दृष्टिकोण कैसा था ?

उत्तर –

तुलसी युग में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बहुत ही संकीर्ण थी। नारी को केवल भोग की वस्तु माना जाता था। उनका अनेक तरह से शोषण किया जाता था । यहां तक कि पैसों के खातिर बेटियों को बेच भी दिया जाता था।

प्रश्न 4.

तुलसी के सवैया के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि उन्हें भी जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा था ?

उत्तर –

सवैये की पंक्तियों में तुलसीदास जी कहते हैं कि चाहे उनको कोई धूर्त कहे या संत , राजपूत कहे या जुलाहा। जिसकी जो मर्जी आये सो कहे। उन्हें किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उन्होंने अपने आप को सभी जाति बंधनों से मुक्त कर लिया था।

इन्हीं पंक्तियों से पता चलता है कि उन्हें भी जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा था।

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