Jamun Ka Ped Class 11 Summary ,
Jamun Ka Ped Class 11 Summary
जामुन का पेड़ कक्षा 11 का सारांश
Note –
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“जामुन का पेड़” एक प्रसिद्ध हास्य व्यंग कथा है जिसके लेखक श्री कृश्नचंदर जी हैं। इस कहानी के जरिए कहानीकार ने यह बताने की कोशिश की हैं कि हमारे देश के सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों की अकर्मण्यता , संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदाराना रवैया किस तरह आम आदमी पर भारी पड़ता हैं।
लेखक श्री कृश्नचंदर जी कहानी की शुरुवात करते हुए कहते हैं कि रात में आये तेज आंधी तूफान के कारण एक जामुन का पेड़ टूटकर सचिवालय के लाँन (पार्क) में गिर गया। सुबह जब माली ने आकर देखा तो उस जामुन के पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा था जिसकी खबर माली ने जाकर चपरासी को दे दी।
चपरासी ने क्लर्क तक और क्लर्क ने सुपरिटेंडेंट तक यह खबर पहुंचा दी। सुपरिटेंडेंट दौड़कर बाहर आया तब तक जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के चारों तरफ अच्छी खासी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी। सभी लोग उस जामुन के पेड़ के गिरने पर दुख व्यक्त कर रहे थे क्योंकि किसी को उस पेड़ की जामुन बहुत रसीली लगती थी तो कोई फलों के मौसम में उस पेड़ से झोली भर कर जामुन अपने बच्चों के लिए ले जाता था। मगर उस दबे हुए व्यक्ति की चिंता किसी को नहीं थी।
तभी माली का ध्यान उस पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति की तरफ गया। माली को लग रहा था कि शायद अब तक वह व्यक्ति मर चुका होगा लेकिन पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति ने अपने जिंदा होने की बात लोगों को बतायी। माली ने तुरंत पेड़ हटाकर उस दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने का सुझाव वहाँ खड़े लोगों को दिया जिसे लोगों ने तुरंत मान लिया। लेकिन जैसे ही वो सब मिलकर उस पेड़ को हटाने के लिए आगे बढ़े तो सुपरिंटेंडेंट साहब ने उन्हें यह कहते हुए रोक लिया कि पेड़ हटाने या न हटाने के बारे में वो पहले अंडर सेक्रेटरी से पूछना चाहते हैं।
फिर सुपरिंटेंडेंट साहब से मामला अंडर सेक्रेटरी , डिप्टी सेक्रेटरी , ज्वाइंट सेक्रेटरी , चीफ सेक्रेटरी होते हुए मिनिस्टर तक पहुंच गया और फाइल भी एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक चलती रही जिसमें आधा दिन बीत गया। कुछ मनचले क्लर्क हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बिना पेड़ को हटाने पर विचार कर ही रहे थे कि सुपरिंटेंडेंट साहब ने वापस आकर बताया कि यह पेड़ का मामला हैं , जो कृषि विभाग के अंतर्गत आता है। इसीलिए हम पेड़ को नहीं हटा सकते हैं।
और इस प्रकार यह मामला व्यापार विभाग से कृषि विभाग तक पहुंच गया। दूसरे पूरे दिन फाइल एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक चलती रही। और शाम होते-होते कृषि विभाग ने मामले को हॉर्टिकल्चर विभाग (उद्यान विभाग) को सौंप दिया क्योंकि जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ होता हैं।
पेड़ के नीचे दबे उस व्यक्ति के चारों ओर पुलिस का पहरा लगा दिया गया ताकि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेकर पेड़ को हटाने की कोशिश ना करें। रात को पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति को माली ने दाल भात खिलाया। माली ने जब उस व्यक्ति से उसके परिवार के बारे में पूछा तो व्यक्ति ने खुद को लावारिस बताया।
तीसरे दिन हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के साहित्य प्रेमी सचिव ने जामुन के स्वादिष्ट फलों और “पेड़ लगाओ , पेड़ बचाओ” कार्यक्रम की दुहाई देते हुए जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी। तभी भीड़ में खड़े एक मनचले व्यक्ति ने पेड़ के नीचे दबे आदमी को ही काटकर बाहर निकालने का सुझाव दिया। इस पर दबे हुए व्यक्ति ने आपत्ति जताई कि ऐसे तो वह मर जायेगा।
लेकिन मनचले व्यक्ति ने तर्क दिया कि प्लास्टिक सर्जरी की आधुनिक व उन्नत तकनीक के माध्यम से उस व्यक्ति को वापस ज्यों का त्यों जोड़ा जा सकता हैं। इस सुझाव पर विचार करने के लिए फाइल को मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। मेडिकल डिपार्टमेंट ने अपने एक होनहार सर्जन से इस बारे में बात की। सर्जन ने बताया कि ऑपरेशन तो सफल हो सकता है मगर आदमी का बचना मुश्किल है। इसके बाद इस योजना को भी बंद कर दिया गया।
रात को माली ने पेड़ के नीचे दबे उस आदमी को खिचड़ी खिलाई और उसे उम्मीद बंधाई कि कल तक उसे इस पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी क्योंकि कल सभी सचिवों की मीटिंग होने वाली हैं। तभी दबे हुए आदमी के मुंह से अचानक ही शायरी की कुछ पंक्तियां निकल गई जिसे सुनकर माली अचंभित हो गया और यह बात पूरे सचिवालय व शहर में फैल गई।
खबर के फैलते ही उस दबे हुए व्यक्ति के चारों ओर कवियों की भीड़ जमा हो गयी। वहाँ एक कवि सम्मेलन का सा माहौल बन गया। अनेक कवि व शायर उसे अपनी -अपनी कवितायें व शायरी सुनाने लगे।
दबे व्यक्ति के कवि होने का पता चलते ही सचिवालय की सब-कमेटी ने उसका मामला कल्चरल डिपार्टमेंट (कला एवं सांस्कृतिक विभाग) को भेज दिया। जिसके बाद कल्चरल डिपार्टमेंट के साहित्य अकादमी का सचिव पेड़ के नीचे दबे उस आदमी से मिलने पहुंचा।बातों -बातों में सचिव को पता चला कि वह “ओस के फूल” गद्द्य संग्रह का लेखक हैं तो उसने उसे अपनी सरकारी साहित्य अकैडमी की केंद्रीय शाखा का सदस्य बना दिया लेकिन उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकालने का कोई प्रयास नहीं किया।
पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति अथाह दर्द में था और अपने निकाले जाने की आस लगाए बैठा था। लेकिन कल्चरल विभाग वालों ने यह मामला फॉरेस्ट विभाग (वन विभाग) को सौंप दिया। शाम को माली ने आकर उस दबे हुए व्यक्ति को बताया कि कल वन विभाग के आदमी आकर इस पेड़ को काट देंगे और फिर तुम्हारी जान बच जाएंगी। माली बेहद खुश था। वह उस व्यक्ति की जान बचाना चाहता था लेकिन व्यक्ति की सेहत लगातार गिरती जा रही थी।
अगले दिन जब वन विभाग के आदमी पेड़ काटने के लिए आए तो विदेश विभाग के लोगों ने उन्हें रोक दिया । तभी पता चला कि जामुन का यह पेड़ दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने यहाँ लगाया था। इसे काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ सकते हैं । इसीलिए पेड़ काटने या न काटने का निर्णय प्रधानमंत्री करेंगे।
विदेश विभाग ने यह मामला प्रधानमंत्री के सामने रखा। मामला सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने इस मामले की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी स्वयं ली और पेड़ काटने की अनुमति दे दी।लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । वह आदमी मर चुका था। सरकारी विभागों की अमानवीयता व संबेदनहीनता ने उसके जीवन की फाइल ही बंद कर दी थी ।
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