Chhaya Mat Chhuna Class 10 Explanation

Chhaya Mat Chhuna Class 10 Explanation ,

Chhaya Mat Chhuna Class 10 Explanation Hindi Kshitij 2 Chapter 7 , छाया मत छूना कक्षा 10 का भावार्थ हिन्दी क्षितिज 2 पाठ 7 

Chhaya Mat Chhuna Class 10 Explanation

छाया मत छूना कक्षा 10 का भावार्थ 

Chhaya Mat Chhuna Class 10 ExplanationNote –

  1. छाया मत छूना” कविता के MCQS को पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  2. छाया मत छूना” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
  3. “छाया मत छूना” कविता के भावार्थ को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें।YouTube channel link –  ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

“छाया मत छूना” कविता के कवि “गिरिजा कुमार माथुर” जी हैं। इस कविता में कवि ने अतीत की मधुर स्मृतियों को “छाया” का नाम दिया है। इंसान को कभी न कभी अपने जीवन में अतीत की मधुर स्मृतियों याद आ ही जाती हैं और उनको याद कर व्यक्ति अच्छा महसूस करने लगता है।

हालाँकि वो मधुर स्मृतियों अब आपका वर्तमान नहीं बन सकती हैं क्योंकि बीता वक्त कभी वापस नहीं आ सकता। इसीलिए कवि कहते हैं कि परिस्थितियों चाहे कैसी भी हो वर्तमान में जियो , फिर चाहे आपके जीवन में कठिनाइयों , परेशानियों या निराशा ही क्यों न हो। जो भी हैं उसका सामना करो , तभी तुम खुश रह पाओगे। 

काव्यांश 1. 

छाया मत छूना
मन  ,  होगा दुख दूना ।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी  ;
तन-सुगंध शेंष रही , बीत गई यामिनी ,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
छाया मत छूना
मन , होगा दुख दूना।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि अतीत की बातों को याद करने से मन और अधिक निराश और दुखी हो जाता है। जब हम बीते दिनों की याद करते हैं तो उस समय की अनेक रंग -बिरंगी यादें हमें बहुत मनभावन व सुहानी लगती हैं।

और उस समय की हर धटना एक-एक कर चलचित्र की तरह हमारे आँखों के सामने आने लगती है। उन यादों के सहारे ही मनुष्य अपना पूरा जीवन बिता देना चाहता है। जबकि वह जानता है कि जो बीत गया , वह कभी वापस नहीं आएंगा। 

कवि आगे कहते हैं कि वह यामिनी यानि तारों भरी चांदनी रात अब नहीं हैं जो उन्होंने अपने प्रिय के साथ बिताई थी मगर उनके प्रिय के तन की सुगंध आज भी उनके मन में बसी है। जो उन्हें पल भर का सुख प्रदान करती है।

और कवि जब अपने प्रिय के बालों (कुंतल यानि लंबे बाल) में लगे फूलों को याद करते हैं तो वह उन्हें क्षणिक शीतलता प्रदान करती है। बीते वक्त का हर क्षण जब आँखों के सामने साकार होता है तो मन को और अधिक दुख पहुंचता है। इसीलिए पुरानी सुखद स्मृतियों से दूर रहना ही अच्छा हैं। 

काव्यांश 2. 

यश है या न वैभव है , मान है न सरमाया ;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया ।
प्रभुता का शरण बिंब केवल मृगतृष्णा है ,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है ।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन –
छाया मत छूना
मन , होगा दुख दूना।

भावार्थ –

कवि ने इस काव्यांश में मनुष्य की कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं को ही उसके कष्ट का कारण माना हैं। क्योंकि मनुष्य कितना भी प्राप्त कर ले , वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता हैं। मनुष्य अपना पूरा जीवन प्रसिद्धि , यश , धन , वैभव कमाने में लगा देता हैं। जबकि ये सब धोखे के सिवाय और कुछ नही है। 

यह ठीक ऐसा ही हैं जैसे रेगिस्तान की रेत पर सूर्य की किरणों के पडने से पानी होने का आभास होता हैं लेकिन हिरण उसे पानी समझ कर (मृगतृष्णा) उसके पीछे भागता रहता हैं मगर पास पहुंचने पर उसे सिर्फ धोखा ही मिलता हैं।  

इसीलिए उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि प्रसिद्धि , यश , धन , वैभव और दुनिया की सभी भौतिक सुख सुविधाएं सब छलावा मात्र है जितना तुम इनके पीछे भगोगे , ये उतना ही तुम्हें छलेंगी। तुम जो अपने आप को बहुत महान या बड़ा समझते हो यानि तुम्हारे अंदर बड़प्पन का जो एहसास है यह भी केवल मृगतृष्णा भर ही है। 

जिस तरह हर पूर्णिमा (चांदनी रात) के बाद अमावस्या (काली अंधेरी रात) अवश्य आती आती है। उसी तरह जीवन में सुख के बाद दुख , दुख के बाद सुख अवश्य आता है। यहीे प्रकृति का नियम है। इसीलिए जो आज की सच्चाई हैं उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि बीती बातों को याद करने से दुःख के सिवाय और कुछ नहीं मिलेगा। 

काव्यांश 3. 

दुविधा हत साहस है , दिखता है पंथ नहीं ,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं ।
दुख है न चाँद खिला शरद – रात आने पर ,
क्या हुआ जो खिला फूल रस – बसंत जाने पर ?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण ,
छाया मत छूना
मन , होगा दुख दूना।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जब मनुष्य के मन में दुबिधा या असमंजस की स्थिति पैदा होती हैं तो मनुष्य का साहस टूट जाता हैं। उसका विवेक काम नहीं करता हैं। उसके सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती हैं यानि उसको कोई भी रास्ता नहीं सूझता हैं।

भले ही मनुष्य का तन स्वस्थ हो , तब भी व्यक्ति का मन खुश नहीं होता हैं क्योंकि मनुष्य कभी अपने पास उपलब्ध चीजों से संतुष्ट नहीं होता हैं।   

कवि कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात जब पूरा चाँद अपनी 16 कलाओं के साथ चमकता हैं। अगर उस रात चाँद ही नहीं दिखे , तो दुःख अवश्य ही होगा अर्थात जब हमें हमारी मन चाही वस्तु ठीक समय पर नहीं मिलती हैं तो उसका दुःख हमें जीवन भर रहता हैं।  

वैसे तो बसंत ऋतु में सभी फूल खिल जाते हैं। मगर कवि कहते हैं कि अगर कोई फूल बसंत ऋतु के जाने के बाद खिलता हैं तो क्या फर्क पड गया अर्थात यदि तुम्हें तुम्हारी मन चाही वस्तु तय समय के निकल जाने के बाद मिलती हैं , तो भी तुम संतुष्ट हो जाओ। 

और तुम्हें जो नहीं मिला , उसका दुःख मनाने के बजाय , उसे भूलकर आगे बढ़ने की तैयारी करो। अर्थात जो मिला उसी से संतुष्ट हो कर वर्तमान में जीना सीखो। और अपने सुखद भविष्य की तैयारी में जुट जाओ।

Chhaya Mat Chhuna class 10 Explanation

“छाया मत छूना” कविता के भावार्थ को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें।YouTube channel link –  (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

Note –  Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel  (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)  पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद। 

You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

कक्षा 10 हिन्दी

कृतिका भाग 2 

माता का आँचल का सारांश

 माता का ऑचल पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर

माता का ऑचल पाठ के MCQ

जार्ज पंचम की नाक का सारांश

जार्ज पंचम की नाक के प्रश्न उत्तर

जार्ज पंचम की नाक के MCQ

साना साना हाथ जोड़ि का सारांश 

साना साना हाथ जोड़ि के प्रश्न उत्तर

साना साना हाथ जोड़ि के MCQS

कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज भाग 2 

पद्य खंड 

सूरदास के पद का भावार्थ 

सूरदास के पद के प्रश्न उत्तर

सूरदास के पद के MCQ

सवैया व कवित्त का भावार्थ 

सवैया व कवित्त के प्रश्न उत्तर

सवैया व कवित्त के MCQ

आत्मकथ्य कविता का भावार्थ कक्षा 10

आत्मकथ्य कविता के प्रश्न उत्तर

आत्मकथ्य कविता के MCQS

उत्साह कविता का भावार्थ व प्रश्न उत्तर

अट नही रही हैं कविता का भावार्थ व प्रश्न उत्तर

उत्साह व अट नही रही हैं के MCQS

कन्यादान का भावार्थ

कन्यादान के प्रश्न उत्तर

कन्यादान के MCQ

राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ का भावार्थ

राम लक्ष्मण परशुराम संबाद के प्रश्न उत्तर

राम लक्ष्मण परशुराम संबाद के MCQ

छाया मत छूना कविता का भावार्थ

छाया मत छूना के प्रश्न उत्तर

छाया मत छूना के MCQ 

संगतकार का भावार्थ

संगतकार के प्रश्न उत्तर

संगतकार के MCQ

फसल का भावार्थ व प्रश्न उत्तर

फसल के MCQS 

यह दंतुरित मुस्कान का भावार्थ

यह दंतुरित मुस्कान के प्रश्न उत्तर

यह दंतुरित मुस्कान के MCQ 

कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज भाग 2 

गद्द्य खंड 

लखनवी अंदाज पाठ सार कक्षा 10  हिन्दी क्षितिज

लखनवी अंदाज पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर

लखनवी अंदाज पाठ के प्रश्न MCQ

बालगोबिन भगत पाठ का सार

बालगोबिन भगत पाठ के प्रश्न उत्तर

बालगोबिन भगत पाठ के MCQ 

नेताजी का चश्मा पाठ का सारांश

नेताजी का चश्मा पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर

नेताजी का चश्मा पाठ के MCQ

मानवीय करुणा की दिव्य चमक का सारांश 

मानवीय करुणा की दिव्य चमक के प्रश्न उत्तर

मानवीय करुणा की दिव्य चमक के MCQ

एक कहानी यह भी का सारांश

एक कहानी यह भी  के प्रश्न उत्तर