Baat Sidhi Thi Par Class 12 MCQ ,
Baat Sidhi Thi Par Class 12 MCQ
बात सीधी थी पर MCQ
Note –
- “बात सीधी थी पर” कविता का भावार्थ पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “बात सीधी थी पर” कविता के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “बात सीधी थी पर” कविता के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
- “बात सीधी थी पर” के कवि कौन हैं – कुँवर नारायण जी
- “बात सीधी थी पर” कविता को किस काव्य संग्रह से लिया गया है -“कोई दूसरा नहीं”
- इस कविता में किसी बात को कहने के लिए , किस पर विशेष जोर दिया गया हैं – भाषा की सहजता व सरलता में
- कविता में भाषा की सहजता व सरलता क्यों जरूरी हैं – ताकि कविता के भाव व उद्देश्य , श्रोता की समझ में आसानी से आ सके।
- एक अच्छी कविता बनाने के लिए क्या जरूरी हैं – सही जगह पर सही भाषा या शब्दों का प्रयोग
- “बात सीधी थी पर” कविता में कौन सी भाषा का प्रयोग हुआ है – खड़ी बोली
- कविता में कौन सा छंद प्रयोग हुआ हैं – यह छंद मुक्त कविता है।
- सीधी सी बात किसके चक्कर में फँस गई – भाषा के
- बात को सही करने व भाषा को सरल बनाने के चक्कर में कवि ने कविता में क्या किया – कविता के शब्दों में थोड़ा बदलाव
- शब्दों में थोड़ा बदलाव कर कविता को ठीक करने के चक्कर में भाषा कैसी हो गई – और अधिक जटिल
- कवि किसे पाने की कोशिश करता है – बात को
- भाषा के साथ-साथ बात कैसी हो गई – पेचीदा
- किस कारण बात पहले से और अधिक पेचीदा हो गई – तोड़ने – मरोड़ने , उलटने – पलटने, घुमाने – फिराने से
- उल्टा-पुल्टा , तोड़ा -मरोड़ा , घुमाया-फिराया” , में कौन सा अलंकार हैं – अनुप्रास अलंकार
- “बात की पेंच खोलने” से कवि का क्या तात्पर्य है – बात को स्पष्ट करना।
- दो वस्तुओं को जोड़ने के लिए पेंच में क्या होना आवश्यक हैं ताकि वस्तुओं पर पेंच की पकड़ मजबूत हो सके – चूड़ियों (खाँचे) का
- पेंच को अच्छी तरह से कसने के लिए उसे किस दिशा में धुमाना आवश्यक हैं – सीधी दिशा
- गलत दिशा में धुमाने से पेंच पर क्या प्रभाव पड़ेगा – पेंच कसने के बजाय खुलने लगेगा
- जबरदस्ती पेंच कसने की कोशिश करने पर क्या प्रभाव पड़ेगा – पेंच की चूड़ियों टूट जाएंगी ।
- कविता के भावों को समझे बिना कवि , कविता में क्या करने लगे – चमत्कारिक व बनावटी भाषा का प्रयोग
- कविता में कवि के करतब किसे कहा हैं – बनावटी भाषा के प्रयोग को
- आडंबर पूर्ण शब्दों व बनावटी भाषा के प्रयोग से भाषा कैसी हो जाती है – अस्पष्ट
- कवि के करतबों (कविता में बनावटी भाषा का प्रयोग) को देख कर तमाशबीनों ने क्या किया – उसकी झूठी तारीफ व वाह-वाही की
- अपनी झूठी तारीफ व वाह-वाही को सुनकर कवि कैसा महसूस कर रहे थे – खुशी का अनुभव कर रहे थे।
- कवि करतब दिखाकर क्या करने की कोशिश कर रहा था – अपनी बात समझाने की कोशिश
- “पेंच में चूड़ी मर जाना” से कवि का क्या तात्पर्य है – बात का प्रभावहीन हो जाना
- बनावटी भाषा के प्रयोग से कविता कैसी हो गई – एकदम प्रभावहीन व उद्देश्यहीन
- अंत में कविता क्या बनकर रह गई – शब्दों का एक समूह मात्र
- शरारती बच्चे के समान कवि से कौन खेल रही थी – बात
- बात कवि के साथ किसके समान खेल रही थी – किसी शरारती बच्चे के समान
- कविता में भाषा का सही प्रयोग न कर पाने से परेशान कवि को देखकर बात रूपी नटखट बच्ची ने उनसे क्या पूछा – क्या कवि ने सरल , स्वाभाविक व सुविधाजनक तरीके से भाषा का प्रयोग करना नहीं सीखा।
- “बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह , मुझसे खेल रही थी “, कविता की इस पंक्ति की क्या खासियत हैं – यहाँ “बात” का मानवीकरण किया है।
- “पसीना-पोंछते” , “ठीक-ठाक” , “हार कर” में कौन सा अलंकार हैं – अनुप्रास अलंकार है।
- कविता में “बात के तुलना पेंच की गई है , यह कौन से अलंकार का उदाहरण हैं – उपमा अलंकार
- “क्या तुमने भाषा को सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?” , यहां पर “बात” कवि से प्रश्न पूछ रही है । इसमें कौन सा अलंकार हैं – प्रश्नानुलंकार
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