Netaji Ka Chashma Class 10 MCQ
नेताजी का चश्मा MCQ
Note –
- नेताजी का चश्मा पाठ का सार (Summary ) पढ़ने के लिए Click करें — Next Page
- “नेताजी का चश्मा” पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर पढ़ने के लिए Click करें – Next Page
- “नेताजी का चश्मा” पाठ का सारांश हमारे YouTube channel में देखें । हमारे YouTube channel से जुड़ने के लिए इस Link में Click करें। — Padhai Ki Batein / पढाई की बातें
Netaji Ka Chashma Class 10 MCQ Solutions
- “नेताजी का चश्मा” पाठ के लेखक कौन हैं – स्वयं प्रकाश
- “नेताजी का चश्मा” कहानी का मूल उद्देश्य क्या है – लोगों के मन में देशभक्ति की भावना को बनाये रखना व हमारे अमर वीर शहीदों के प्रति सम्मान जताना।
- “नेताजी का चश्मा” , कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है – हमें अपने दिल में देशभक्ति की भावना मजबूती से बनाए रखनी चाहिए व अपने अमर शहीदों का सम्मान करना चाहिए।
- “नेताजी का चश्मा पाठ” का मूल भाव क्या है – देश प्रेम का वर्णन
- “नेताजी का चश्मा” पाठ के आधार पर बताइये कि कस्बे में क्या – क्या था – एक छोटी सा बाजार , लड़कों और लड़कियों का एक -एक स्कूल , एक सीमेंट का छोटा सा कारखाना , दो ओपन सिनेमा घर और एक नगरपालिका थी।
- कस्बे में कितने स्कूल थे – दो (एक लड़कों और एक लड़कियों का)
- हालदार साहब कंपनी के काम से कस्बे से कब गुजरते थे- हर पंद्रहवें दिन
- हालदार साहब का स्वभाव कैसा था – वो देशभक्त थे।
- नेताजी की मूर्ति किसने बनवाई – कस्बे की नगरपालिका ने
- सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा किस वस्तु से बनी थी – संगमरमर से
- मूर्ति की ऊंचाई कितनी थी – 2 फुट
- नगरपालिका ने नेताजी की मूर्ति किससे बनवाई – कस्बे के हाई स्कूल के ड्राइंग मास्टर से
- ड्राइंग मास्टर का क्या नाम था – मोतीलाल
- ड्राइंग मास्टर मोतीलाल से नगरपालिका ने मूर्ति क्यों बनवाई – नगरपालिका के पास बजट कम होने के कारण
- नेताजी की प्रतिमा किस वर्दी में थी – फौजी वर्दी में
- “मूर्ति बनाकर पटक देने” का क्या अर्थ हैं – समय पर मूर्ति का निर्माण कर देना
- नेताजी की मूर्ति को देखकर क्या याद आता था – “तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” जैसे जोश भरे नारे
- “तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” , नेताजी के ये नारे हमें क्या प्रेरणा देते है – लोगों के अंदर देश के प्रति समर्पण व बलिदान की भावना को जगाते हैं।
- नेताजी की मूर्ति में क्या कमी थी- नेताजी की आँखों में चश्मा नही था
- नेताजी की आँखों में चश्मा क्यों नही था – शायद मूर्तिकार चश्मा बनाना ही भूल गया था।
- हालदार साहब उस कस्बे में क्यों रुकते थे – पान खाने के लिए
- क्या देखकर हालदार साहब के चेहरे पर मुस्कान फैल गई – मूर्ति के चेहरे पर चश्मे को
- पहली बार कस्बे से गुजरने पर हालदार साहब मूर्ति को देखकर क्यों चौके – नेताजी की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर
- हालदार साहब ने पानवाले से क्या पूछा – हर बार नेताजी की आँख में लगा चश्मा कैसे बदल जाता है ?
- हालदार साहब को कौन-सी आदत पड़ गई थी – चैराहे पर रुककर पान खाने व नेताजी की मूर्ति देखने की
- “वाह भाई !! यह आइडिया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की लेकिन चश्मा रियल का”, यह कथन किसका हैं – हालदार साहब का
- नेताजी की आँखों में चश्मा किसने लगाया – कैप्टन चश्मे वाले ने
- कैप्टन क्या कार्य करता है – चश्मा बेचने का
- चश्मे वाले को “कैप्टन” क्यों कहते थे – उसकी देशप्रेम की भावना को देखकर
- नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति किसे बुरी लगती थी – चश्मे वाले को
- चश्मे वाले के मन में देशभक्तों के प्रति कैसी भावना थी – आदर व सम्मान की
- हालदार साहब पानवाले से , कैप्टन चश्मे वाले के बारे में क्या पूछना चाहते थे – क्या वह आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही था ?
- “वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में , पागल है पागल” , ये शब्द किसके थे – पानवाले के
- हवलदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा – पानवाले द्वारा चश्मे वाले कैप्टन का मजाक उड़ाना
- हालदार साहब किसे देखकर अवाक रह गए थे – चश्मे वाले कैप्टन को देखकर
- चश्मे वाले के प्रति पान वाले के मन में कैसी भावना थी – उपेक्षा की भावना
- चश्मे वाले को पानवाला क्या समझता था – पागल
- कैप्टन चश्मे वाला कैसा व्यक्ति था – बेहद बूढा मरियल सा , लंगड़ा आदमी , सिर पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगाये रहता था ।
- कैप्टन चश्मे वाले की क्या विशेषता थी – वह एक सच्चा देशभक्त था और वह अपने अमर शहीदों का हृदय से सम्मान करता था।
- हालदार साहब क्या देखकर दुखी हुए – दुनिया के स्वार्थी स्वभाव और देशभक्तों के प्रति अनादर का भाव रखने वालों के देखकर
- “नेताजी का चश्मा” नामक कहानी में देशभक्तों का अनादर करने वाले पात्र कौन हैं – पानवाला
- पानवाले के चरित्र की प्रमुख विशेषता क्या थी – वह बातों का धनी था
- कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु का समाचार देने के बाद , कौन सिर झुका कर अपनी धोती के सिरे से आंखें पोंछ रहा था- पानवाला
- कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु के बाद , कस्बे से गुजरते वक्त हालदार साहब को मूर्ति पर क्या अंतर दिखाई दिया – मूर्ति पर चश्मा नहीं था।
- कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु के बाद , मूर्ति पर चश्मा न देखकर हालदार साहब को कैसा लगा – वो मायूस हो गए थे।
- अंतिम बार हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कौन सा चश्मा देखा – सरकंडे से बना चश्मा
- नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा किसने लगाया होगा – किसी बच्चे ने
- नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर क्या उम्मीद जगती है – हमारी नई पीढ़ी के मन में भी देशभक्ति की भावना बरकरार है।
- हालदार साहब की आँखें भर आने का क्या कारण रहा होगा – नेताजी की मूर्ति पर हाथ से बने सरकंडे के चश्मे को देखकर हालदार साहब के मन में आयी निराशा , आशा में बदलने के कारण
- “नेताजी का चश्मा” कहानी का कौन सा पात्र आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है – कैप्टन चश्मे वाला
- “कैप्टन चश्मे वाला”, आपको सबसे अधिक प्रभावित क्यों करता है – अपनी देशभक्ति के कारण
- चश्मे वाले की देशभक्ति के सामने कौन नतमस्तक था – हालदार साहब
- चश्मा , लेखक की नजर में किसका प्रतीक है – हमारी नई पीढ़ी के मन में देशभक्ति की भावना का
लेखक स्वयं प्रकाश से संबंधित प्रश्न
- स्वयं प्रकाश का जन्म कब हुआ – 1947 में
- स्वयं प्रकाश का जन्म कहाँ हुआ- इंदौर (मध्य प्रदेश)
- उन्होंने कौन सी पत्रिका का संपादन किया – वसुधा
- स्वयं प्रकाशजी की कहानियां कैसी हैं – मध्यमवर्गीय जीवन के कुशल चितेरे स्वयं प्रकाशजी की कहानियां में वर्ग-शोषण के विरुद्ध चेतना है।
- स्वयं प्रकाशजी के कितने कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं – 13 कहानी संग्रह
- स्वयं प्रकाशजी की प्रसिद्ध कहानी संग्रह कौन -कौन सी हैं – सूरज कब निकलेगा , आएंगे अच्छे दिन भी , आदमी जात का आदमी और संधान
- स्वयं प्रकाशजी के प्रसिद्ध उपन्यास कौन -कौन से हैं – विनय और ईंधन
- स्वयं प्रकाशजी को कौन -कौन से पुरस्कार मिले हैं – पहल सम्मान , बनवाली पुरस्कार , राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार।
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