At Nahi Rahi Hai Class 10 Explanation ,
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अट नहीं रही है का सारांश
At Nahi Rahi Hai Class 10 Summary
Note- “अट नहीं रही है” कविता का अर्थ (Explanation) हमारे YouTube channel में देखने लिए इस Link में Click करें। Padhai Ki Batein / पढाई की बातें
इस कविता में कवि ने फाल्गुन माह की खूबसूरती का वर्णन किया हैं। फाल्गुन माह में आने वाली बसंत ऋतु को “ऋतुराज” यूं ही नहीं कहा जाता हैं। यह वाकई में “ऋतुओं का राजा” होता है। इस समय प्रकृति की जो मनमोहक सुंदरता दिखाई देती है। वह शायद ही किसी और ऋतु के आगमन के वक्त दिखता हो।
हाड़ कपाती ठंड के बाद जब धीरे-धीरे धरती का तापमान बढ़ने लगता है। इसी के साथ ही ऋतुराज वसंत का आगमन होता है। बसंत के आगमन से बाग बगीचों में सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे फूल खिलने लगते हैं। उनकी भीनी भीनी खुशबू घर आंगन , पूरे वातावरण में हर जगह फैलने लगती हैं।
कवि ने प्रकृति का मानवीकरण करते हुए कहा है कि “ऐसा लगता हैं मानो जैसे फाल्गुन के सांस लेने से पूरा वातावरण खुशबू से भर गया हो और सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे खिले फूल कवि को ऐसे लगते हैं जैसे प्रकृति ने अपने गले में कोई सुंदर सी माला पहनी हो”।
इसी के साथ पेड़-पौधों में नए पत्ते लगने लगते हैं। आम , लीची में बौंर आनी शुरू हो जाती है। चारों तरफ हरियाली छाने लगती है। रंग बिरंगी तितलियां व भौरों के मधुर गीत हर तरफ सुनाई देते हैं। इस समय प्रकृति की अद्भुत छटा देखने लायक होती है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने किसी दुल्हन की तरह अपना श्रृंगार किया हो जिस पर से आँख हटानी कवि को मुश्किल लग रही हैं।
कवि ने फाल्गुन माह में प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का वर्णन इस कविता के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती से किया है।
At Nahi Rahi Hai Class 10 Explanation
अट नहीं रही है कविता का भावार्थ
काव्यांश 1 .
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
अर्थ
उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने फागुन माह में आने वाली वसंत ऋतु का वर्णन बहुत ही खूबसूरत ढंग से किया है। कवि कहते हैं कि फागुन की आभा (सुंदरता) इतनी अधिक है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही है यानि वसंत ऋतु में प्रकृति बहुत सुंदर लग रही हैं।
काव्यांश 2 .
कहीं साँस लेते हो ,
घर-घर भर देते हो ,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो ,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है ।
अर्थ
फागुन माह में ऐसा लगता हैं मानो प्रकृति एक बार फिर दुल्हन की तरह सज धज कर तैयार हो गयी हैं क्योंकि वसंत ऋतु के आगमन से सभी पेड़ – पौधे नई-नई कोपलों (नई कोमल पत्तियों ) व रंग-बिरंगे फूलों से लद जाते हैं। और जब भी हवा चलती हैं तो सारा वातावरण उन फूलों की भीनी खुशबू से महक उठता हैं। उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने उसी समय का वर्णन किया हैं।
उस समय कवि को ऐसा लगता हैं मानो जैसे फागुन ख़ुद सांस ले रहा हो और सांस लेकर सारे वातावरण को महका रहा हो। कवि आगे कहते हैं कि कभी – कभी मुझे ऐसा एहसास होता है जैसे तुम (फागुन माह ) आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ा रहे हो।
कवि बसंत ऋतु की सुंदरता पर मोहित हैं। इसीलिए वो कहते हैं कि मैं अपनी आँखें तुमसे हटाना तो चाहता हूँ लेकिन मेरी आँखें तुम पर से हट ही नहीं रही हैं। यहाँ पर फागुन माह का मानवीकरण किया गया हैं।
काव्यांश 3 .
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी , कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद गंध पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
अर्थ
बसंत ऋतु में सभी पेड़-पौधों में नये-नये-कोमल पत्ते निकल आते हैं और डाली – डाली रंग बिरंगी फूलों से लद जाती हैं।
कवि उस समय की कल्पना करते हुए कहते हैं कि ऐसा लग रहा हैं मानो जैसे प्रकृति ने अपने गले में रंग – बिरंगी भीनी खुशबू देने वाली सुंदर सी माला पहन रखी हो। कवि के अनुसार प्रकृति के कण कण में इतनी सुंदरता बिखरी पड़ी है कि अब वह इस धरा (पृथ्वी) में समा नहीं पा रही है । यहाँ भी मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया हैं।
At Nahi Rahi Hai Class 10 Question Answer
अट नहीं रही है प्रश्न व उनके उत्तर
प्रश्न-1 .
छायावाद की एक खास विशेषता है। अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर-
कविता की निम्न पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया हैं।
1 . आभा फागुन की तन , सट नहीं रही है।
2 . उड़ने को नभ में तुम , पर-पर कर देते हो।
3 . आँख हटाता हूँ तो , हट नहीं रही है।
प्रश्न 2 .
कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही हैं ?
उत्तर –
फागुन माह में चारों तरफ एक से एक खूबसूरत फूल खिल जाते हैं। डाली – डाली हरे और लाल रंग के पत्तों से भर जाती हैं। बातावरण सुगंधित फूलों की खुशबू से महक उठता हैं। प्रकृति इतनी सुंदर व मनमोहक हो उठती हैं कि कवि उसकी सुंदरता पर मोहित हो जाते हैं। वो प्रकृति के उस सौंदर्य से अपनी आँखें हटाना तो चाहते हैं पर उनकी आँखें उस पर से हट नहीं पा रही है।
प्रश्न 3 .
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया हैं ?
उत्तर –
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्न रूपों में किया हैं।
1 . कवि को ऐसा लग रहा है मानो प्रकृति ने रंग बिरंगे फूल पत्तों से अपना मनमोहक श्रृंगार किया है।
2 . फूलों ने अपनी भीनी – भीनी खुशबू चारों तरफ बिखराकर वातावरण को और भी सुगंधित कर दिया है।
3 . प्रकृति अपने गले में लाल और हरे पत्तों की खूबसूरत माला पहन कर खुशी से झूम रही हैं।
4 . चारों तरफ हरियाली छाने से प्रकृति का सौंदर्य कई गुना बढ़ गया है।
5 . प्रकृति ने एक बार फिर से इतना मनमोहक रूप धारण किया है कि कवि को अब उसके सौंदर्य से अपनी आंख हटाने में मुश्किल हो रही है।
प्रश्न 4 .
फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?
उत्तर-
फागुन माह में “ऋतुराज” बसंत का आगमन होता हैं। पतझड़ के समय फूल पत्ते विहीन पेड़ पौधों में फिर से नई कोपल फूटने लगती हैं। बाग़ बगीचों में अनेक प्रकार के फूल खिलने लगते हैं। और उन फूलों की खुशबू से सारा वातावरण महक उठता हैं। प्रकृति की सुंदरता उस समय देखने लायक होती हैं।
प्रश्न 5 .
इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य शिल्प की विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर –
- “उत्साह” और “अट नहीं रही हैं ” , दोनों ही कविताओं में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया है। “उत्साह” कविता में उन्होंने बादल का मानवीकरण कर उससे “गरज गरज कर बरसने” को कहते हैं। तो दूसरी कविता “अट नहीं रही हैं” में वह फाल्गुन माह का मानवीकरण कर उसकी सुंदरता का बखान करते हैं।
- कविता में अनुप्रास , रूपक , यमक , उपमा आदि अलंकारों का शानदार तरीके से प्रयोग किया गया है।
- कविता को लयबद्ध कर गीत शैली में लिखा गया है।
- दोनों कविताओं में खड़ी हिंदी का प्रयोग हुआ है।
- कविता में तत्सम शब्दों का प्रयोग भी बहुत खूबसूरती से किया गया है।
- “उत्साह” और “अट नहीं रही हैं ” , दोनों कविताओं में कवि ने प्रकृति का ही चित्रण किया है। और प्रकृति के माध्यम से ही अपने मनोभावों को प्रकट करने की कोशिश की है।
प्रश्न 6 .
होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं उन्हें लिखिए ?
उत्तर –
होली फागुन माह में आती हैं जो अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर फरवरी या मार्च का महीना होता है। और ठीक इसी माह भारत में ऋतुराज बसंत का आगमन भी होता है और ऋतुराज बसंत के आगमन से प्रकृति एक बार फिर से सजने संवरने लगती है।
बाग बगीचे , खेत खलिहानों में चारों तरफ धीरे-धीरे फूल खिलने लगते हैं। आम , लीची जैसे अनेक पेड़ों में बौंर आनी शुरू हो जाती है। गुन-गुन करते भौंरे एक फूल से दूसरे फूल पर मंड़राते लगते हैं। पेड़ हरे , लाल व पीले रंग के पत्तों से लदने शुरू हो जाते हैं। काफी लंबी ठिठुरन भरी ठंड के बाद इस माह धरती का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। और लोगों को ठंड से राहत मिली शुरू हो जाती है।
एक तो हाड़ कांपती ठंड से छुटकारा , ऊपर से चारों तरफ खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य , जिससे लोगों का मन प्रसन्नता व उमंग से भर जाता है और ठीक इसी समय मौज-मस्ती , उमंग व रंगो का त्यौहार होली भी आता है जो लोगों के खुशियों में चार चांद लगा देता है।
At nahi rahi hai class 10 Explanation
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