Savaiya Aur Kavitt Class 10 Explanation,
Savaiya Aur Kavitt Class 10 Explanation Hindi Kshitij Bhag 2 Chapter 3 , देव के सवैया और कवित्त का भावार्थ हिन्दी क्षितिज भाग 2 पाठ 3
Savaiya Aur Kavitt Class 10 Explanation
Note –
- “देव के सवैया और कवित्त” के MCQS पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- “देव के सवैया और कवित्त” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page
- देव के सवैया और कवित्त के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें।YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
Savaiya (सवैया)
यहाँ पर कवि देव ने श्री कृष्ण के मनमोहक रूप-सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि कृष्ण के पैरों में पायल और कमर में करधनी बंधी है जिनसे अत्यधिक मधुर ध्वनि निकल रही है। उनके सांवले शरीर पर पीले वस्त्र और गले में सुंदर पुष्पों की माला सुशोभित हो रही है।
कवि देव आगे कहते हैं कि श्री कृष्ण के सिर पर मोर मुकुट है और उनकी आंखें बड़ी-बड़ी व चंचल है। उनका मुख चंद्रमा के समान है और उस पर उनकी मंद-मंद मुस्कुराहट ऐसी प्रतीत हो रही हैं जैसे चारों ओर चंद्रमा की किरणें फैली हुई हों।
अगली पंक्तियों में कवि देव कहते हैं कि जिस प्रकार एक दीपक पूरे मंदिर को रोशन करता है और अंधेरे को दूर भगाता है। ठीक उसी प्रकार संसार रूपी मंदिर में श्री कृष्ण एक दीपक की भाँति शोभायमान है।जो अपने ज्ञान के प्रकाश से इस पूरे संसार को रोशन कर रहे हैं और सबकी सहायता भी करते हैं । कवि देव कहते हैं कि हे !! ब्रज के दूल्हे कृष्ण , आप अपने भक्त देव की भी सहायता करें।
काव्य सौंदर्य –
“कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई” यहाँ पर “क” वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है। और “साँवरे अंग लसै पट पीत , हिये हुलसै बनमाल सुहाई“ में “प” और “ह” वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है। इसीलिए इन दोनों पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।
“मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई” और “जै जग – मंदिर – दीपक सुंदऱ” में रूपक अलंकार है।
Savaiya Aur Kavitt Class 10
Kavitt (देव के कवित्त)
कवित्त 1.
डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के ,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै ।
उपरोक्त पंक्तियों में कवि देव ने बसंत ऋतु को कामदेव के बच्चे (नवजात शिशु) के रूप में दर्शाया है। जिस प्रकार जब किसी घर में बच्चा जन्म लेता हैं तो उस घर में खुशी का माहौल छा जाता है। घर के सभी लोग उस बच्चे की देखभाल में जुट जाते हैं। और उसे अनेक प्रकार से बहलाने व प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। घर की बुजुर्ग महिलाएं समय समय पर नमक और राई से उसकी नजर उतारती हैं।और सुबह के समय उसे बड़े प्यार से जगाया जाता हैं। ताकि वह रोये नही।
ठीक उसी प्रकार जब कामदेव का नन्हा शिशु बसंत आता है तब प्रकृति अपनी खुशी किस-किस तरह से प्रकट करती है। यहाँ पर कवि उसी का वर्णन कर रहे हैं।
बसंत ऋतु के आगमन से पेड़ों में नये-नये पत्ते निकल आते हैं।और डाली-डाली रंग बिरंगे फूलों से लद जाती हैं। मंद मंद पवन (हवा) बहने लगती हैं।
इसी को देखकर कवि देव कहते हैं कि बसंत एक नन्हे शिशु के रूप में आ चुका हैं। पेड़ों की डालियों उस नन्हे शिशु का पालना (झूला) हैं और उन डालियों पर उग आये नए-नए कोमल पत्ते उस पालने में बिछौने के समान है। रंग बिरंगे फूलों का ढीला ढाला झगुला (वस्त्र) उस नन्हे शिशु के शरीर में अत्यधिक शोभायमान हो रहा है। हवा उसके पालने को झूला रही है और मोर व तोते अपनी-अपनी आवाज में उससे बातें कर रहे है। कोयल भी प्रसन्न होकर तालियां बजाकर-बजाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रही हैं।
भावार्थ –
उपरोक्त पंक्तियों में कवि देव कहते हैं कि कमल की कली रूपी नायिका जिसने अपने सिर तक लता रूपी साड़ी पहनी है , वह अपने पराग कणों रूपी नमक , राई से बसंत रूपी नन्हे शिशु की नजर उतार रही हैं। (बसंत माह में फूलों के पराग कण हवा से दूर-दूर तक फैल जाते हैं। )
कवि देव कहते हैं कि यह बसंत रूपी नन्हा शिशु कामदेव महाराज का पुत्र है जिसे सुबह होते ही गुलाब की कलियाँ चुटकी बजाकर जगाती हैं। दरअसल गुलाब की कली पूरी खिलने से पहले थोड़ी चटकती हैं।
काव्य सौंदर्य –
इस पूरे कवित्त में कवि ने मानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग किया हैं। जैसे “पवन झूलावै , केकी – कीर बतरावै ‘देव’ ” और “प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै” आदि ।
पूर्णमासी की रात को जब पूरा चन्द्रमा अपनी चाँदनी बिखेरता हैं तो आकाश और धरती बहुत खूबसूरत दिखाई देते हैं। और हर जगह झीनी और पारदर्शी चांदनी नजर आती है । कवि ने यहां पर उसी चाँदनी रात का वर्णन किया हैं।
पूर्णमासी की चांदनी रात में धरती और आकाश के सौंदर्य को निहारते हुए कवि कहते हैं कि चांदनी रात में सारा संसार दूधिया रोशनी में नहाया हुआ ऐसा दिखाई दे रहा है जैसे यह संसार स्फटिक की शिला (पत्थर) से बना हुआ एक सुंदर मंदिर हो।
कवि की नजरें जहां तक़ जाती हैं वहां तक उन्हें चांदनी ही चाँदनी नजर आती हैं। उसे देखकर कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा हैं जैसे धरती पर दही का समुद्र हिलोरा ले रहा हो। और चांदनी रूपी दही का समंदर उन्हें समस्त आकाश में भी उमड़ता हुआ नजर आ रहा है। चांदनी इतनी झीनी और पारदर्शी हैं कि कवि की नजरों उसे स्पष्ट देख पा रही हैं।
कवि आगे कहते हैं कि धरती पर फैली हुई चांदनी की रंगत किसी फर्श पर फैले दूध के झांग़ के समान उज्जवल है । और उसकी स्वच्छता और स्पष्टता दूध के बुलबुले के समान झीनी और पारदर्शी हैं।
कवि कहते हैं कि संपूर्ण वातावरण इतना उज्जवल हो गया है कि पूरा आकाश किसी दर्पण की भाँति दिखाई दे रहा है। जिसमें चारों तरफ रोशनी फैली हुई है। और उस दर्पण में पूर्णमासी का पूरा चांद ऐसा लग रहा है जैसे वह चाँद नही , बल्कि राधारानी का प्रतिबिंब हो।
काव्य सौंदर्य –
यहाँ पर कवि ने चाँद की तुलना राधा से न कर , उसके प्रतिबिंब से की हैं। अर्थात कवि ने राधारानी को चाँद से भी श्रेष्ठ बताया हैं। इसीलिए यहाँ व्यतिरेक अलंकर हैं।
Savaiya Aur Kavitt Class 10 Explanation
Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद।
You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
कक्षा 10 हिन्दी
कृतिका भाग 2
माता का ऑचल पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर
जार्ज पंचम की नाक के प्रश्न उत्तर
साना साना हाथ जोड़ि के प्रश्न उत्तर
कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज भाग 2
पद्य खंड
सवैया व कवित्त कक्षा 10 का भावार्थ
सवैया व कवित्त कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
सवैया व कवित्त कक्षा 10 के MCQ
आत्मकथ्य कविता का भावार्थ कक्षा 10
आत्मकथ्य कविता के प्रश्न उत्तर
उत्साह कविता का भावार्थ व प्रश्न उत्तर
अट नही रही हैं कविता का भावार्थ व प्रश्न उत्तर
उत्साह व अट नही रही हैं के MCQS
कन्यादान कक्षा 10 के प्रश्न उत्तर
राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ का भावार्थ
राम लक्ष्मण परशुराम संबाद के प्रश्न उत्तर
राम लक्ष्मण परशुराम संबाद के MCQ
यह दंतुरित मुस्कान के प्रश्न उत्तर
कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज भाग 2
गद्द्य खंड
लखनवी अंदाज पाठ सार कक्षा 10 हिन्दी क्षितिज
लखनवी अंदाज पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर
बालगोबिन भगत पाठ के प्रश्न उत्तर
नेताजी का चश्मा” पाठ का सारांश
नेताजी का चश्मा” पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर
मानवीय करुणा की दिव्य चमक का सारांश
मानवीय करुणा की दिव्य चमक के प्रश्न उत्तर