Essay On Aatm Nirbhar Bharat : आत्मनिर्भर भारत

Essay On Aatm Nirbhar Bharat ,  आत्मनिर्भर भारत पर हिन्दी निबन्ध 

Essay On Aatm Nirbhar Bharat

Essay On Aatm Nirbhar Bharat

आत्मनिर्भर भारत पर हिन्दी निबन्ध 

Content /संकेत बिन्दु /विषय सूची

  1.  प्रस्तावना 
  2. आत्मनिर्भर भारत का सपना 
  3. आत्मनिर्भर भारत अभियान 
  4. भारत के आत्मनिर्भर होने से फायदा
  5. आत्मनिर्भर भारत के पाँच मूलभूत स्तंभ
  6. कैसे बनेगा भारत , आत्मनिर्भर भारत 
  7. उपसंहार 

प्रस्तावना 

आत्मनिर्भर का अर्थ होता है अपने आप पर निर्भर या आश्रित होना। आत्मनिर्भर भारत का अर्थ हैं  भारत को किसी भी क्षेत्र जैसे खाद्य पदार्थ , टक्नोलॉजी , इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या किसी भी तरह के अन्य उपकरणों , मशीनों , दवाइयों , रक्षा से जुड़े सैन्य सामानों आदि के लिए दुनिया के किसी भी देश पर निर्भर न रहना पड़े।

यानि ट्रेन से लेकर प्लेन तक , सुई से लेकर भवन निर्माण तक , मोबाइल से लेकर सुपर कंप्यूटर तक , हर जरूरत की वस्तु का निर्माण पूर्ण गुणवत्ता व विश्वसनीयता के साथ भारत में ही किया जाय। ताकि हमें किसी भी वस्तु का आयात करने की जरूरत न पड़े और दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता बिल्कुल खत्म हो जाय।यही आत्मनिर्भरता हैं।

आत्मनिर्भर भारत का सपना (Essay On Aatm Nirbhar Bharat)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भारत के दिल में आत्मनिर्भरता का सपना पलने लगा था। गांधीजी हमेशा कहते थे पूर्ण रूप से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाओ।अपने देश के प्राकृतिक संसाधनों व कच्चे माल से तैयार होने वाली वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करो। वो खुद भी पूर्ण स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करते थे। यह आत्मनिर्भर भारत की तरफ उठाया गया पहला कदम था।

लेकिन दुख की बात यह रही कि आजादी के 70 साल तक यह पहला कदम दूसरे कदम में नहीं बदल पाया। मगर कोरोना महामारी से उपजे संकट में देश ने खाद्यानों व अन्य जरूरी सामानों की कमी के बाद आत्मनिर्भरता का मतलब समझा। इसके बाद से ही भारत के दिल में आत्मनिर्भरता का सपना पलने लगा।

जब कोरोनावायरस पूरी दुनिया में बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा था। तब कोई भी देश चाह कर भी दूसरे देश की मदद नहीं कर पा रहा था। ऐसे समय में हमारे देश के पास मेडिकल में प्रयोग होने वाले उपकरणों व दवाइयों की भारी किल्लत हो गई। उस वक्त भारत को भी कई सारी मेडिकल से संबंधित समस्याओं से गुजरना पड़ा।

पर कहते हैं ना कि आवश्यकता , आविष्कार की जननी है। बस हमने इस को सिद्ध कर दिखाया। भारत ने हिम्मत नहीं हारी और अपने ही देश में कुछ सामान जैसे पीपीई किट , वेन्टिलेटर , सेनेटाइजर और के.एन.-95 मास्क का तुरंत भारी मात्रा में उत्पादन शुरू कर दिया। हमारी आवश्यकतायों की पूर्ति के लिए हमारे कदम आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ चले।

आत्मनिर्भर भारत अभियान (Essay On Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan )

कोरोना महामारी से बचने के लिए पूरे विश्व में लॉकडाउन किया गया जिस वजह से सभी व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियां बंद हो गई। चाह कर भी एक देश , दूसरे देश से माल आयात व निर्यात नहीं कर पा रहा था । भारत में भी लोगों को अपनी जरूरतों के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

रही सही कसर भारत के साथ चीन के डोकलाम विवाद ने पूरी कर दी। डोकलाम विवाद के बाद भारत ने चीनी वस्तुओं के आयात पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। चीन से आयात की जाने वाली वस्तुएं बहुत ही कम मूल्य में उपलब्ध होती थी। लेकिन पाबंदी लग जाने के बाद भारत में चीन से सामान आना बंद हो गया।

तब भारत को दूसरे देशों से सामान मंगाना पड़ा , जो काफी महंगा था। तब भारत ने आत्मनिर्भर होने की जरूरत को बड़ी शिद्दत से महसूस किया। 

12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम एक सम्बोधन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाने की बात जनता के सामने रखी। और “लोकल फॉर वोकल” स्लोगन के साथ देश की जनता से आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया।

इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुवात के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। जो देश के कुल सकल घरेलु उत्पाद (GDP) का 10% हैं। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत को COVID-19 महामारी संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिये।

वैसे भारत में “मेक इन इंडिया प्रोग्राम /Make In India Programme” पहले से ही चल रहा है। जिसके तहत कई सारी योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। 

भारत के आत्मनिर्भर होने से फायदा (Benefits of Aatm Nirbhar Bharat)

भारत के आत्मनिर्भर होने से पूरे देश व देश के प्रत्येक नागरिक को फायदा पहुंचेगा। सबसे पहला फायदा तो यह होगा कि हमें अपनी जरूरत की वस्तुओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। आयात में कमी होने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। जरूरत से ज्यादा वस्तुओं का निर्यात कर हम अधिक से अधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर सकते हैं।किसी भी आपदा या महामारी के वक्त हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए दूसरों के मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। 

अपने देश में नए-नए उद्योग धंधे को स्थापित किया जायेगा। जिससे हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। हर हाथ के पास काम होगा , तो बेरोजगारी व गरीबी खुद-ब-खुद खत्म होगी। प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होगी , जिससे लोगों के आर्थिक हालत में भी सुधार आएगा।लोगों के आर्थिक हालत में सुधार का मतलब समाज और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार। फिर हमें बेरोजगारी व गरीबी को खत्म करने के लिए कोई अलग से अभियान नहीं चलाना पड़ेगा। देश में बनने वाली सभी वस्तुओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिससे देश दुनिया पर हमारे देश व वस्तुओं के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी। 

आत्मनिर्भर भारत के पाँच मूलभूत स्तंभ

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए पाँच मूलभूत स्तंभों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा । जो निम्न है। 

  1. अर्थव्यवस्था (Economy)अर्थव्यवस्था को वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) की जगह बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित किया जायेगा।
  2. प्रौद्योगिकी (Technology) प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर जोर दिया जायेगा।
  3. अवसंरचना (Infrastructure)ऐसे अवसंरचना का विकास किया जायेगा जो पूरे विश्व में आधुनिक भारत की पहचान बने।
  4. मांग (Demand)भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर उसकी पूरी क्षमता का उपयोग किया जायेगा।
  5. गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography)–  भारत दुनिया की सबसे बड़ी Democracy हैं। और हमारी असली ताकत भी यही है। जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत बनेगी।  

कैसे बनेगा भारत , आत्मनिर्भर भारत (Essay On Aatm Nirbhar Bharat)

हमारा देश भारत , विविधताओं का देश है। यह देश अलग-अलग तरह की संस्कृति , रहन-सहन , खान-पान ,  भाषा का धनी तो हैं ही , साथ ही साथ प्राकृतिक संसाधनों , जैव विविधताओं तथा हरियाली (वनों) से भी संपन्न है। प्रकृति ने जो हमें दिया है या जो भी संसाधन हमारे पास है। हम उन्हीं चीजों का इस्तेमाल कर भी आराम से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।लेकिन भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें कई सारे क्षेत्रों में एक साथ सामूहिक प्रयास करने होंगे। जो निम्न हैं। 

1. भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपने-अपने स्तर से सहयोग करना होगा। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम सब को अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना होगा। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा संविधान भी हमें व हमारे देश को आत्मनिर्भर बनने में पूरा पूरा सहयोग करता है। भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को जीने का , शिक्षा ,  रोजगार ,  विचारों की अभिव्यक्ति व अन्य सभी चीजों के समान अवसर प्रदान करता है। और सारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी देश का प्रत्येक नागरिक समान रूप से ले सकता है।

हमारा संविधान कहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक स्वतंत्रता पूर्वक देश के किसी भी कोने में जाकर अपनी रोजी-रोटी के लिए प्रयास कर सकता है। नए उद्योग धंधों को स्थापित कर सकता है। जो किसी भी राष्ट्र के आत्मनिर्भर बनने की तरफ सबसे पहला और अहम कदम है।

2.  हमारे युवा व हमारे देश के छात्र आत्मनिर्भर भारत बनाने में अहम योगदान दे सकते हैं। ये  विद्यार्थी अपार संभावनाओं और असीमित प्रतिभाओं के धनी होते हैं । वैसे भी भारत के छात्रों व युवाओं की प्रतिभा का लोहा तो पूरी दुनिया मानती है। अधिकतर विकसित देशों में भारत के युवा अपनी सेवाएं बड़ी कुशलता पूर्वक दे रहे हैं।

सरकार ने नए उद्योग धंधों को स्थापित करने व नये आविष्कारों को इजाद करने के लिए स्टार्टअप योजना की शुरुआत की है जिसमें सरकार इन युवाओं को आर्थिक प्रोत्साहन देकर अपने देश में ही अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित कर रही है। जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में दूसरा अहम कदम है। 

3.  हमें समुद्र से लेकर हरियाली (वनों) तक सभी को संरक्षित करना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का भी भरपूर उपयोग करना पड़ेगा। हमें अपने देश में मिलने वाले कच्चे माल का उपयोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करना सीखना होगा।

इसके लिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों व जैव विविधता व वनों , यहां तक कि अपने समुद्र को भी बचाना आवश्यक है। क्योंकि जंगलों से हमें कई तरह के उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल व अमूल्य औषधियों प्राप्त होती है। साथ में इससे इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है जिससे राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों को भारी राजस्व की प्राप्त होती हैं।

4. हमारे समाज में अभी भी जाति , धर्म , लिंग का भेदभाव गहरी पैठ बनाये हुए है। जो हमारी तरक्की में सबसे बड़ा बाधक है। अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें जाति , धर्म व लिंग के भेदभाव से ऊपर उठकर समान रूप से अपनी व देश की आर्थिक तरक्की के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। अगर हर व्यक्ति अपने को आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास करेगा , तो देश खुद-ब-खुद मजबूत बन जाएगा। 

5. भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की लगभग 70% आबादी कृषि कार्यों पर अपना जीवन यापन करती हैं हालाँकि आज भारत में कृषि के पारंपरिक तौर तरीकों को बदलकर किसानों ने वैज्ञानिक तरीकों को अपना लिया है जिससे अच्छी पैदावार हो रही है।

लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है।कृषि ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर होकर अपने देश के लिए खाद्यान्नों की जरूरत को तो पूरा कर ही सकता है साथ में खाद्यान्नों के निर्यात से भी अच्छी खासी विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकता है। हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र की तरफ पढ़े लिखे युवाओं का रुझान भी बढ़ा है। कई अच्छे पढ़े-लिखे प्रतिष्ठित युवा भी कृषि क्षेत्र में अपना करियर बनाने में विशेष रुझान दिखा रहे हैं। 

6. स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। ये भी हमें आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगें। प्रधानमंत्री ने भी “लोकल उत्पादों को वोकल” बनाने की बात की हैं। प्रधानमंत्री ने बच्चों के खिलौने बनाने के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं जताई हैं। 

7.  हमें अपनी सभ्यता , संस्कृति , भाषा , लोककला , रीति रिवाजों , पूर्वजों की धरोहरों व आध्यात्मिक ज्ञान व भारतीय विद्याओं को भी सहेज व समेट कर रखना होगा और अधिक से अधिक युवाओं को इन सब से जोड़कर इसे रोजगार का जरिया बनाना होगा , क्योंकि हमारी यही सासंस्कृतिक धरोहर दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है। 

8. भारत को सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि स्वस्थ भारत बनाना भी आवश्यक है। क्योंकि जब देश का प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ होगा तो , वह किसी न किसी रूप में आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। किसी भी राष्ट्र के विकास में वहाँ के स्वस्थ नागरिक मानव पूंजी का निर्माण करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति प्रत्येक काम चाहे वह उद्योग धंधे हो या कृषि व्यवसाय या किसी भी अन्य तरह के क्षेत्र की तरक्की में अपना योगदान दे सकते हैं। 

9. युवाओं को रोजगार परक शिक्षा देने की अति आवश्यकता है। स्कूल कॉलेजों में छात्रों को अपने मनपसंद की शिक्षा लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए जिससे युवा अपनी रूचि के हिसाब से शिक्षा ग्रहण कर अपनी क्षमता का विकास करें और भविष्य में उनकी वही शिक्षा उनके लिए रोजगार का जरिया बन जाए। अगर हर हाथ के पास काम होगा तो भारत आत्मनिर्भर होगा। 

10. हमारे देश में प्राकृतिक पर्यटन के साथ ही धार्मिक पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं। भारत में होने वाले विशाल धार्मिक आयोजन (जैसे कुम्भ मेला) शेष विश्व के लोगों को आकर्षित करते हैं। 

उपसंहार

हमें अपने भारत को सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ व विश्वसनीय भारत बनाना होगा।इसमें हमारे युवा अपनी ऊर्जा व नए नए विचारों से नए नए तरह के व्यवसायियों , अविष्कारों को जन्म देकर आत्मनिर्भर भारत बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देश के बड़े-बड़े उद्योगपति व सरकार इन लोगों को आर्थिक मदद देकर प्रोत्साहित कर सकते हैं। जब भारत में ही हर तरह की वस्तुओं को पूर्ण गुणवत्ता के साथ बनाया जाएगा। तो भारत को अपनी जरूरत के लिए किसी अन्य देश के मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। 

कोई कंपनी खोलकर लोगों को रोजगार देगा , तो कोई कुटीर उद्योग से अपने लिए स्वरोजगार पैदा करेगा। कोई अपने गांव में मिलने वाले सामान को “लोकल से ग्लोबल” बनाएगा तो , कोई नया आविष्कार कर एक मिसाल कायम करेगा। यानी बड़े अपने अनुभव से और नवयुवा अपनी मेहनत से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करेंगे। 

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