Essay On Energy Security in India Challenges and Opportunities in hindi ,
Essay On Energy Security in India Challenges and Opportunities In Hindi
भारत में ऊर्जा सुरक्षा : चुनौतियों और अवसर
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संकेत बिन्दु
- प्रस्तावना
- भारत में ऊर्जा सुरक्षा
- ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों
- ऊर्जा क्षेत्र में अवसर
- उपसंहार
प्रस्तावना
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए “ऊर्जा तथा पैसा ” , दोनों अति महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि दोनों के बैगर आर्थिक प्रगति संभव नहीं है। विकास के पहिए को तेजी से धुमाना हैं तो ऊर्जा की मांग के हिसाब से आपूर्ति अतिआवश्यक है। भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व शहरीकरण , औद्योगिकीकरण और डिजिटलीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है जिसका सीध-सीधा अर्थ हैं अब हमें न केवल अधिक ऊर्जा चाहिए , बल्कि किफायती ऊर्जा भी चाहिए ।
इसीलिए सरकार ने वर्ष 2022 तक “सभी के लिये विद्युत (Power For All )” का लक्ष्य रखा हैं जिसका तहत देश के प्रत्येक व्यक्ति तक सस्ती , विश्वसनीय और नवीकरणीय ऊर्जा (हरित ऊर्जा ) पहुँचना है।अपने इस लक्ष्य को पाने और विद्युत क्षेत्र में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकार ने “विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020” को भी मंजूरी दी है।
भारत में ऊर्जा सुरक्षा
वर्तमान में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमें पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों जैसे जीवाश्म , कोयला , पेट्रोल , डीज़ल आदि पर निर्भर रहना पड़ता हैं।लेकिन अत्यधिक दोहन के कारण ऊर्जा पाने के ये पारंपरिक स्रोत समय के साथ कम होते जा रहे हैं। और शायद एक समय के बाद समाप्त भी हो जायेंगे। ऊर्जा के इन पारंपरिक स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने में अत्यधिक हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।जो हमारे पर्यावरण , जैव विविधता व जलवायु परिवर्तन पर बहुत बुरा असर डालते हैं। इसीलिए हमें अपने आज व भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छ ऊर्जा या हरित ऊर्जा को एक सुरक्षित व स्वच्छ विकल्प के रूप में अपनाना ही पड़ेगा।
स्वच्छ ऊर्जा या हरित ऊर्जा प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सूर्य , हवा , जल , भूगर्भ से प्राप्त की जाती है। हरित ऊर्जा के सभी स्रोत प्राकृतिक , स्थायी व अक्षय होते है। जो आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं वह भी बिना कोई कीमत चुकाए। सबसे बड़ी बात यह हैं कि ये कभी खत्म भी नहीं होंगें।और न ही ये पर्यावरण , इंसान व अन्य जीवजंतुओं के लिये हानिकारक होते है।ये वातावरण को भी प्रदूषित नहीं करते हैं।जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुसार , एक स्वच्छ ग्रह के प्रति हमारी ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए भारत ने 2030 तक 40% विद्युत उत्पादन , ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों से करने का संकल्प लिया है।
साथ ही भारत ने यह भी तय किया है कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट , पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट , बायोमॉस से 10 गीगावाट और छोटी पनबिजली परियोजनाओं से 5 गीगावाट क्षमता शामिल है। अगर भारत अपने इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल कर लेता हैं तो वह विश्व के सबसे बड़े स्वच्छ ऊर्जा उत्पादक देशों की लिस्ट में शामिल हो जायेगा ।
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा , दोनों को मिलाकर भारत अभी केवल 28000 मेगावॉट बिजली ही पैदा करता है। इसमें पवन ऊर्जा करीब 24,000 मेगावॉट है जबकि सौर ऊर्जा का हिस्सा केवल 4000 मेगावॉट। भारत का लक्ष्य है कि वह 2022 तक सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को मिलाकर 1,75,000 मेगावॉट बिजली पैदा करे।
ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों
- ऊर्जा प्राप्त करने के पारंपरिक स्रोतों पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए हमें ऊर्जा के अन्य अक्षय स्रोतों को ढूढ़ना व उनके उपयोग से ऊर्जा निर्माण की दिशा में जल्द कदम उठाना आवश्यक हैं।
- बिजली उत्पादन व वितरण में काम आने वाले अधिकतर उपकरणों का अपने देश में बहुत कम निर्माण होता हैं। अधिकतर उपकरणों को विदेशों से ही आयात किया जाता हैं। यहां तक कि भारत सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए ज़रूरी उपकरणों का 80 फ़ीसद चीन से आयात करता है। स्वच्छ ऊर्जा को बनाने में काम आने वाले सभी उपकरणों का धरेलू निर्माण भी कठिन चुनौती हैं।
- जनसंख्या में लगातार वृद्धि व हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी के उपयोग के कारण बिजली की मांग लगातार बढ़ रही हैं और मांग के हिसाब से आपूर्ति न होने के कारण असंतुलन पैदा हो जाता हैं जो इस क्षेत्र में सदैव तनाव का कारण बनता है। मांग के हिसाब से ऊर्जा की आपूर्ति करना बहुत बड़ी चुनौती हैं।
- बिजली की कीमतों के निर्धारित न होने के कारण विद्युत वितरण कंपनियों उपभोक्ताओं को जितना अधिक बिजली उपलब्ध करातीे हैं। उनको उतना ही अधिक घाटा होता है।बिजली की दरों को हर क्षेत्र के लिए निर्धारित करना आवश्यक हैं।
- अधिकांश जगहों खास कर ग्रामीण क्षेत्रों और कृषि कार्यों में प्रयोग की जाने वाली बिजली में मीटर या तो लगे ही नहीं होते हैं। अगर लगे भी होते हैं तो खराब रहते हैं। और फिर महीनों तक ठीक नहीं हो पाते हैं जिस कारण बिजली की खपत होने के बाबजूद सही आँकड़े नहीं मिल पाते हैं। जिससे विभाग पर वित्तीय बोझ पड़ता हैं।
- इसी तरह किसानों को कृषि कार्य हेतु राज्य सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी दी जाती हैं। जिससे राज्य सरकारों का आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। जो विद्युत क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा खड़ी करता है।
- वितरक कंपनियों को समय पर भुगतान न मिलने के कारण कंपनियों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है। जिससे वो सुचारु रूप से ऊर्जा की आपूर्ति कर पाने में असमर्थ रहते हैं।
- उच्च व आधुनिक तकनीक का उपयोग न करने व उपकरणों का नवीनीकरण न होने के कारण उत्पादन केंद्रों से उपभोक्ताओं तक बिजली वितरण के दौरान भारी मात्रा में बिजली बर्बाद होती हैं। विभाग के सामने इस समस्या को हल करना भी बहुत बड़ी चुनौती है।
- ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा निर्बाध रूप से पहुंचे , इसके लिए गाँवों में माइक्रो ग्रिड लगाने पर जोर देना होगा।
- हमारे अधिकतर ग्रिड इतने खस्ताहाल हैं कि वो बिजली के अधिक लोड को झेल पाने में असमर्थ हैं। इसीलिए सरकार को इन्हें बदलकर इनकी जगह अब मॉर्डन ग्रिड लगाने होंगे।जो काफी खर्चीले हैं।
- सोलर ऊर्जा के उत्पादन में आधुनिक उपकरणों व उच्च तकनीक का इस्तेमाल होता हैं जिसमें काफ़ी खर्चा आता है। सौर ऊर्जा के उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला में पॉली सिलिकॉन, वेफर , सेल और मॉड्यूल की असेंबली होती है। भारत की अधिकतर कंपनियां अभी केवल मॉड्यूल असेंबली का काम ही करती हैं। भारत के पास अन्य उपकरणों के उत्पादन का ज्यादा तकनीकी अनुभव भी नहीं है।
ऊर्जा क्षेत्र में अवसर
पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का हर रोज जिस तरह दोहन हो रहा हैं वो एक समय बाद समाप्त हो जायेंगे। इसीलिए अपने आज व भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हरित ऊर्जा एक सुरक्षित व स्वच्छ विकल्प हैं।
आज वैश्विक निवेशक उद्योग , भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने का बहुत ज्यादा इच्छुक हैं। जिसका पूरा-पूरा लाभ उठाते हुए भारत को हरित ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से कार्य करने की आवश्यकता हैं ।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रम में अनेक विदेशी कंपनियों भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं। यही सही अवसर हैं जब हम अपने हरित ऊर्जा खास कर सौर ऊर्जा के उपकरणों जैसे सोलर मॉड्यूल व उससे जुड़े अन्य उत्पादों के निर्माण को अपने देश में शुरू कर अपने घरेलू निर्माण उद्योग को बढ़ा सकते हैं। ताकि हमें इनका कम से कम आयात करना पड़े। इससे देश को स्थायी और कम लागत वाले ऊर्जा संसाधन मिल सकेंगें और रोज़गार के नये अवसर भी पैदा होंगें ।
- भारत कृषि व पशुधन के हिसाब से एक समृद्ध देश है। ऐसे में पशुओं से प्राप्त गोबर और फसलों के ठोस अपशिष्ट को कंपोस्ट खाद , बायोगैस और बायो-सीएनजी बनाने के साथ साथ हरित ऊर्जा के उत्पादन में भी प्रयोग किया जा सकता हैं। जिससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही साथ में गाँवों को स्वच्छ व रोशन रखने में भी मदद मिलेगी।
- “नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय” देश में बायोमास से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यक्रम चला रहा है। इसका उद्देश्य देश में उपलब्ध बायोमास संसाधनों जैसे- गन्ने की खोई , चावल की भूसी , पुआल , कपास के डंठल आदि का उपयोग बिजली उत्पादन में करना है। इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की जरूरत हैं।
- बिजली वितरण के दौरान बिजली उत्पादन केंद्रों से उपभोक्ताओं तक बिजली वितरण के दौरान होने वाली ऊर्जा हानि को कम करने के लिए पुरानी तकनीकी को बदल कर आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करना पड़ेगा। ताकि ऊर्जा हानि को कम या खत्म किया जा सके।
- अगर आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रम को सफल बनाना हैं और विदेशी निवेश का पूरा फायदा उठाना हैं तो विद्युत क्षेत्र की सभी समस्याओं को हल करने के लिये केंद्र व राज्य सरकारों को आगे बढ़कर उपाय ढूढ़ने होंगे।
- भारत सरकार द्वारा ‘सूर्य मित्र एप’ के ज़रिये सौर ऊर्जा से संबंधित ट्रेनिंग दी जा रही हैं मगर इसकी पहुंच अधिक से अधिक युवाओं तक हो। इसके लिए इसका प्रचार प्रसार किया जाना जरूरी हैं।
उपसंहार
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हर रोज अपने मजबूत आगे कदम बढ़ा रहा है। इसलिए यहाँ दिनोदिन ऊर्जा की मांग बढ़ती जा रही है। भारत अपने हर नागरिक के घर तक बिजली पहुंचाने के लिये अपनी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है।और अरबों डॉलरों के विदेशी निवेश की वजह से इस वक्त भारत के पास अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिये घरेलू सौर ऊर्जा प्रणालियों , हरित मिनी ग्रिड और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सम्बन्धी उपकरणों का बड़े पैमाने पर स्थापना करने का सुनहरा अवसर है। जिसका फायदा भारत को अवश्य उठाना चाहिए।
ताकि घरेलू ऊर्जा उद्योग का निर्माण हो और अधिक से अधिक हरित ऊर्जा का उत्पादन हो। भारत ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके और महिलाओं व युवाओं के लिये रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा हो सके और बिजली उत्पादन भी अधिक हो।
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