हरित ऊर्जा : जलवायु परिवर्तन का समाधान पर हिन्दी निबंध

Essay On Green Energy A Solution To Climate Change In Hindi  , हरित ऊर्जा : जलवायु परिवर्तन का समाधान पर हिन्दी निबंध

Essay On Green Energy A Solution To Climate Change In Hindi 

हरित ऊर्जा : जलवायु परिवर्तन का समाधान

Essay On Green Energy A Solution To Climate Change In Hindi

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Green Energy : A Solution To Climate Change

संकेत बिन्दु /विषय सूची

  1. प्रस्तावना
  2. हरित ऊर्जा क्या हैं 
  3. जलवायु परिवर्तन क्या हैं 
  4. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव 
  5. हरित ऊर्जा से जलवायु परिवर्तन का समाधान
  6. उपसंहार 

प्रस्तावना

बिजली के बिना आधुनिक जीवन शैली की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। क्योंकि घर को रोशन करने से लेकर घरों , दफ्तरों व कल-कारखानों में काम आने वाले अधिकतर उपकरण बिजली पर ही आधरित हैं। कोई भी आधुनिक तकनीकी ऊर्जा के उपयोग के बिना सम्भव नहीं हैं। लेकिन इस ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए हमें जीवाश्म , कोयला , पेट्रोल , डीज़ल आदि पर निर्भर रहना पड़ता हैं।और अत्यधिक दोहन के कारण ऊर्जा पाने के ये पारंपरिक स्रोत समय के साथ कम होते जा रहे हैं।

ऊर्जा के इन पारंपरिक स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने से हमारे पर्यावरण , जैव विविधता व जलवायु परिवर्तन पर सीधा-सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा हैं। इसके साथ ही इससे हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का भी उत्सर्जन अत्यधिक मात्रा में होता है । इसीलिए पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को “अस्वच्छ ऊर्जा स्रोतों” की श्रेणी में रखा गया है। धरती , इन्सान व जलवायु पर इसके नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए दुनिया के अधिकतर देशों ने “स्वच्छ ऊर्जा यानि हरित ऊर्जा” को अपनाना शुरू कर दिया हैं।

हरित ऊर्जा क्या है ? 

हरित ऊर्जा , ऐसी ऊर्जा जो प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सूर्य , हवा , जल , भूगर्भ से प्राप्त की जाती है। हरित ऊर्जा के सभी स्रोत प्राकृतिक , स्थायी व अक्षय होते है। और ये पर्यावरण , इंसान व  अन्य जीवजंतुओं के लिये बहुत अधिक हानिकारक नहीं होते है। हरित ऊर्जा के मुख्य स्रोतों में सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , जल ऊर्जा , भू-तापीय ऊर्जा आदि हैं।

सौर ऊर्जा – एक ऐसी ऊर्जा जिसे सीधे सूर्य की किरणों से प्राप्त किया जा सकता हैं। सौर ऊर्जा कहलाती हैं। वर्तमान में सौर ऊर्जा ही हरित ऊर्जा बनाने में सबसे अधिक प्रयोग की जा रही है। सौर ऊर्जा से बिजली बनाने के साथ-साथ आजकल इसका उपयोग घरों में सोलर लाइट , सोलरगीजर और सोलर कुकर में भी किया जा रहा है।

जल ऊर्जा- जल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है और जल ऊर्जा बहती नदियों , ज्वार-भाटा , तरंगों , जलताप से उत्पन्न की जाती हैं।

पवन ऊर्जा – खुले व खाली हवादार स्थानों पर पवन चक्कियों द्वारा हवा के माध्यम से उत्पन्न की जाने वाली उर्जा को पवन उर्जा कहते हैं। यह हरित ऊर्जा का दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है।  चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश हैं जहाँ पवन ऊर्जा का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। पवन ऊर्जा के उत्पादन में भारत की कुल वैश्विक भागीदारी 5.8 प्रतिशत है।

भू-तापीय ऊर्जा – भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी से गर्भ से उत्पन्न ऊर्जा है। यानि ऐसी ऊर्जा जो पृथ्वी के गर्भ में उपस्थित खनिजों के रेडियोधर्मी क्षय और भूसतह द्वारा अवशोषित सौर ऊर्जा से बनती है।भू-तापीय ऊर्जा कहलाती हैं।लेकिन इस ऊर्जा का दोहन करना , अन्य हरित ऊर्जा के स्रोतों से ज्यादा महँगा हैं।

जलवायु परिवर्तन क्या है ?

धरती के एक निश्चित भाग में लम्बे समय तक औसत मौसम व ऋतु चक्र लगभग एक समान रहते है।लेकिन किन्हीं कारणों से जब उस क्षेत्र विशेष के औसत मौसम व ऋतु चक्रों में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं। जलवायु परिवर्तन धरती के किसी एक क्षेत्र में भी हो सकता है और पूरे विश्व में भी हो सकता है। लेकिन इस वक्त लगभग पूरी दुनिया में ही जलवायु परिवर्तन देखने को मिल रहा हैं।

जलवायु परिवर्तन के लिए प्राकृतिक व मानवीय गतिविधियाँ , दोनों ही जिम्मेदार हैं ।समय समय पर होने वाले ज्वालामुखी विस्फोट के अलावा पृथ्वी का झुकाव व समुद्री धाराएँ आदि जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं। जबकि हर रोज होते शहरीकरण , बढ़ती जनसंख्या , औद्योगिकीकरण , वनोन्मूलन और खेतों में अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग आदि भी बहुत हद तक इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसके आलावा पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पन्न करना भी जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण हैं

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव 

  1. जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 100 वर्षों में पृथ्वी का तापमान लगभग 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ गया है। जिसका दुष्परिणाम उच्च हिमालयी क्षेत्रों के मौसम में बदलाव , ग्लेशयरों के पिघलने से महासागरों के बढ़ते जल स्तर के रूप में सामने आ रहा हैं । जो भविष्य में कुछ देशों व द्वीपों के डूबने का कारण बन सकता हैं।
  2. समुद्र का जल स्तर बढ़ने से मीठे पानी के स्रोत भी दूषित होंगे जिसके कारण भविष्य में पीने के पानी की समस्या होगी।
  3. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव वर्षा व ऋतु चक्र पर भी पड़ा हैं। जिसके कारण दुनिया के कुछ क्षेत्रों में बहुत अधिक वर्षा होती हैं तो कुछ क्षेत्रों में सूखे के जैसे हालत हो रहे हैं। जिससे कृषि पैदावार पर भी असर पड़ रहा हैं ।
  4. इसका असर जैव विविधता पर भी पड़ा हैं जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा हो गया हैं । जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर के लोग असाध्य रोग की चपेट में आ रहे हैं।
  5. ऐसा माना जा रहा हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर वर्ष 2100 तक भारत समेत अमेरिका , कनाडा , जापान , न्यूजीलैंड , रूस और ब्रिटेन जैसे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर साफ साफ़ दिखने लगेगा और साथ ही साथ मानव के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगेगा।

हरित ऊर्जा से जलवायु परिवर्तन का समाधान

जलवायु परिवर्तन के लिए कुछ प्रकृति तो कुछ इंसान जिम्मेदार हैं । प्राकृतिक धटनाओं पर तो हमारा बस नहीं हैं मगर कुछ ऐसी मानवीय गतिबिधियों जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। इनको अवश्य कम किया जा सकता हैं। जैसे प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग कर हरित ऊर्जा का प्रचुर मात्रा में उत्पादन कर , जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को थोड़ा कम अवश्य किया जा सकता हैं।

जीवाश्म ईंधन की तुलना में हरित ऊर्जा के स्रोतों से बिजली बनाने में पर्यावरण को बहुत कम नुकसान पहुंचता है क्योंकि इनसे ग्रीन हाउस गैसें नहीं निकलती हैं। जैसे कार्बन डाई आक्साइड , नाइट्रस आक्साइड , मीथेन , क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि। ग्रीन हाउस गैसें जलवायु परिवर्तन में मुख्य भूमिका निभाती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन ग्रीनहाउस गैसों के कारण ही हर साल धरती का तापमान बढ़ रहा है।

हरित ऊर्जा के सभी विकल्प हमें प्रकृति से प्रचुरता मात्रा में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।वह भी बिना किसी अतरिक्त मेहनत व कीमत चुकाए। हरित ऊर्जा के स्रोतों से हरित ऊर्जा को बार बार (recycling) बनाया जा सकता हैं।  क्योंकि इनमें पुन:निर्माण की क्षमता होती हैं जैसी सूर्य की किरणें , वायु , पानी आदि। इनसे वायु प्रदूषण होने का खतरा भी नहीं रहता हैं।

जीवाश्म ईंधन को प्राप्त करने के लिये खनन या ड्रिलिंग करने की आवश्यकता होती है जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता हैं। और वायु प्रदूषण में भी वृद्धि करता हैं । इसका असर जलवायु परिवर्तन में भी साफ-साफ देखा जा सकता हैं। घरों में सामान्य बल्ब की जगह सीएफएल या एलईडी बल्ब , खाना पकाने के लिये सोलर कुकर , सोलर हीटर , सोलर लाइट और अच्छी गुणवत्ता वाले बिजली के उपकरणों का उपयोग कर हम ऊर्जा की बचत कर जलवायु परिवर्तन होने से रोकने में अपना छोटा सा योगदान दे सकते हैं।

खेतों में रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग करने के बजाय अगर हम हरित खेती (जैविक खेती ) को बढ़ावा दें तो , यह हमारे पर्यावरण को तो लाभ पहुँचायेगी। साथ में हरित ऊर्जा के स्रोतों को भी तैयार करेगी । वातावरण भी दूषित होने से बचेगा।जो जलवायु परिवर्तन होने से रोकने में छोटी मगर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लोगों के अच्छे स्वास्थ्य ,  संतुलित पर्यावरण , धरती के बढ़ते तापमान व पारम्परिक ईंधनों के बढ़ते खर्च को कम करने  , विश्वव्यापी ऊष्णता व अम्लीय वर्षा और कार्बन – डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम कर , अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का एक मात्र विकल्प अब हरित ऊर्जा ही रह गया हैं। और भारत की भौगोलिक स्थिति , हर रोज बढ़ती जनसंख्या के लिए तो हरित ऊर्जा ही सबसे बेहतर विकल्प हैं।

उपसंहार 

जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए प्राकृतिक संतुलन , पारस्थितिकी संतुलन , स्वच्छ हवा , पानी  , पेड़पौधों का रोपण , समृद्ध वन एवं जैव विविधता यानि सभी चीजों का प्राकृतिक रूप से संतुलित होना जरूरी हैं।

हर रोज पूरे विश्व की बढ़ती जनसंख्या , हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक व ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों के अत्यधिक उपयोग के कारण बढ़ती ऊर्जा की मांग से ऊर्जा की कीमतों में तेज़ी देखी जा रही हैं।ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों से अत्यधिक ऊर्जा दोहन का नतीजा बढ़ता वायु प्रदूषण व हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोत्तरी के रुप में सामने आ रहा हैं।जो सीधे-सीधे जलवायु परिवर्तन पर असर डालता हैं।

इसीलिए अब समय आ गया हैं जब हमें जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।अपनी जीवन शैली में बदलाव के साथ लोगों में हरित ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी। कोयले , डीज़ल , पेट्रोल आदि जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल की जगह हरित ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर “स्वच्छ ऊर्जा” का प्रयोग करना होगा। क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा ही अब हमारे उज्जवल व सुरक्षित भविष्य का एकमात्र विकल्प रह गया है।

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