Thought Pollution: Root cause of all ills

Thought Pollution Root cause of all ills  ,

Thought Pollution Root cause of all ills 

विचारों में प्रदूषण

Thought Pollution Root cause of all ills 

Content /संकेत बिन्दु /विषय सूची 

  1. प्रस्तावना
  2. क्या हैं विचार ?
  3. विचारों में शुद्धता 
  4. विचारों में प्रदूषण
  5. विचारों में प्रदूषण से छुटकारा कैसे मिलेगा
  6. उपसंहार 

प्रस्तावना

“भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना है”। इस एक विचार ने 200 साल के गुलाम भारत को स्वतंत्र कर दिया। “सत्य की खोज” करने के एक विचार ने बालक सिद्धार्थ को भगवान गौतम बुद्ध बना दिया। नरेंद्र के विचारों ने ही उन्हें “स्वामी विवेकानंद” बनाया और एक गरीब मछुआरे के घर में जन्मे अब्दुल कलाम भारत के “राष्ट्रपति व मिसाइल मैन” बन जाते हैं।

यह विचारों की ही शक्ति है कि आदमी असंभव को भी संभव कर देता है। एक सुंदर विचार किसी भी इंसान के पूरे जीवन को सुंदर , सफल और राष्ट्र को गौरवशाली बना सकता है। 

स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं। “हम वो हैं जो हमारी सोच ने हमें बनाया है , इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौंण हैं , विचार दूर तक यात्रा करते हैं।” 

क्या हैं विचार ?

किसी भी व्यक्ति के मन में उठने वाली अनगिनत भावनायें , इच्छाएं व खट्टी मीठी यादें , भविष्य या वर्तमान का चिंतन को हम विचार कह सकते हैं। ये विचार मनुष्य को कभी खुश तो कभी दुखी और कभी राग द्वेष से भर देते हैं।

या हम यूं कह सकते हैं कि विचार ही व्यक्ति के मन का दर्पण होते हैं। विचारों से मनुष्य के व्यक्तित्व का आकलन किया जा सकता है और मनुष्य के भविष्य की रूपरेखा भी उसी के विचारों की नींव पर टिकी रहती हैं। 

विचार किसी शक्तिपुंज की तरह होते हैं। और उनका प्रभाव भी अद्भुत होता है।किसी व्यक्ति के मन में यह विचार आता है उसे जीवन में हर हाल में सफल होना है , तो वह अपने लक्ष्य के बीच में आने वाली हर चुनौतियों , हर विपरीत परिस्थितियों का सामना आसानी से कर लेता हैं। और एक दिन सफल हो जाता है। क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर हमारे ब्रह्मांड के जैसे अनंत संभावनाएं भरी हैं। 

आप किसी भी सफल व्यक्ति की जीवनी उठाकर पढ़ लीजिए। कोई चुनौती , कोई भी विपरीत परिस्थितियां या आर्थिक तंगी कभी भी उनका रास्ता नहीं रोक पाई। क्योंकि उनके मन में बस एक ही विचार था कि उन्हें एक दिन सफल होना है। और अपने विचारों की प्रेरणा से ही वो उस महान लक्ष्य को हासिल कर पाए। 

विचार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के होते हैं। नकारात्मक विचार व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन को तो प्रभावित करते ही हैं , साथ में समाज और देश को भी प्रभावित करते हैं।

सकारात्मक विचारों को अपनाने से ही जीवन सार्थक और सफल हो सकता हैं ।संसार में जितने भी महान व क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं , सकारात्मक और नकारात्मक विचार ही उनके असली कारण थे।

विचारों में शुद्धता 

विचार ही व्यक्ति को व्यक्तिगत , सामाजिक , आर्थिक , भौतिक व आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठाते हैं। कितना भी मन में निराशा हो लेकिन एक सुंदर विचार मन में आशा के हजार दीप जला देता है और जीवन को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ा देता है। 

कर्म का विशाल पेड़ एक छोटे से विचार रूपी बीज से ही पनपता है। इसीलिए अच्छे कर्म करने लिए विचारों का शुद्ध , सात्विक , पवित्र और निर्मल होना आवश्यक हैं।और जिन व्यक्तियों के विचार आदर्श व श्रेष्ठ होंगे , वही एक अच्छे व सशक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

इसीलिए माता-पिता द्वारा बचपन से ही बच्चों के मन में सकारात्मक विचारों के बीज बोने चाहिए। ताकि व्यक्ति बड़ा होकर सिर्फ अपना ही हित न सोचकर , अपने परिजनों , समाज , मानव कल्याण व देश के हित के बारे में भी सोचे। अच्छे विचार शांति , सदभावना व समृद्धि लाते है।

विचारों से ही व्यक्ति को श्रेष्ठ कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। विचारों के अनुरूप ही मनुष्य का स्वभाव एवं व्यवहार हो जाता है।श्रेष्ठ व सकारात्मक विचारों से ही एक आदर्श एवं चरित्रवान व्यक्तित्व का निर्माण होता हैं। सकारात्मक विचार व व्यक्ति सदैव दूसरे में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

विचारों में प्रदूषण (Thought Pollution Root cause of all ills)

विचारों में प्रदूषण (नकारात्मकता ) सभी बुराइयों की जड़ हैं। विचारों में अद्भुत शक्ति होती हैं। विचार ही व्यक्ति को राम या रावण बनाते हैं। 

आज प्रदूषण भले ही पूरे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। लेकिन दिन प्रतिदिन हम इंसानों के अंदर जो विचारों का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। वो तो सबसे ज्यादा भयानक हैं। पर्यावरण में होने वाले इस प्रदूषण को तो सामूहिक प्रयास कर खत्म किया जा सकता है।

लेकिन विचारों के प्रदूषण को पहले खत्म करना बेहद जरूरी है क्योंकि वैचारिक प्रदूषण ही सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। हमारे दिमाग में हर पल , हर क्षण हजारों नए विचार जन्म लेते हैं। और हजारों पुराने विचार पहले से ही उसके अंदर होते हैं। यानी हमारे दिमाग के अंदर विचारों की भीड़ है। और दिमाग के अंदर नकारात्मक विचारों की यही भीड़ आदमी को तनाव , चिंता और डिप्रेशन में डाल देती हैं। जबकि सकारात्मक विचार व्यक्ति को हर पल आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। 

विचार किसी नदी में बहते हुए पानी की तरह होते हैं। यदि आप उसमें गन्दगी मिलायेंगे तो वह बदबूदार नाला बन जायेगा और यदि आप उसमें सुगंध मिला देंगे तो , वह गंगा-जल सा पवित्र बन जायेगा।

इसी तरह अगर इंसान के विचारों में नकारात्मकता आ जाए तो , वह अपना अहित तो करता ही है साथ में समाज , देश व पूरी मानव जाति का अहित भी अनजाने में ही कर बैठता है। 

बुरे विचार ही मनुष्य के पतन का कारण बनते हैं। विचार से परिवार , समाज और राष्ट्र बनते व टूटते हैं। विचार ही आदमी को रिश्वतखोरी , भ्रष्टाचार , हिंसा , अपराध , आतंकवाद के रास्ते की तरफ ले जाते हैं। 

आज हर जगह लोगों में वैचारिक प्रदूषण बढ़ता जा रहा हैं।खास कर धार्मिक व राजनैतिक वैचारिक प्रदूषण। कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस तरह के वैचारिक प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। यह खतरनाक हैं। जो हमारे समाज व राष्ट्र को विभाजित तो करता ही हैं।साथ में राष्ट्र की उन्नति में भी बाधक हैं। 

कुछ लोग अपने फायदे के लिए गलत और सही का फर्क भी भूल जाते हैं। तो कुछ अपनों को ही धोखा देने में भी नहीं हिचकते हैं। 

विचारों में प्रदूषण से छुटकारा कैसे मिलेगा 

हम अपने विचारों में प्रदूषण को खत्म कर सकते हैं। धीरे-धीरे अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक बनाने की तरफ प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि बाल्यावस्था से ही माता-पिता या परिजनों द्वारा बच्चों के मन में अच्छे विचारों व संस्कारों के बीज डालने चाहिए। 

इस वैचारिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए शिक्षा में नैतिक शिक्षा का समावेश भी बहुत जरूरी हो गया है। जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारित करना भी आवश्यक है। लक्ष्य होने पर मनुष्य के भटकने की संभावना कम हो जाती है।

हमें अपने जीवन में  योग , ध्यान व व्यायाम को भी प्रमुखता देनी चाहिए। ध्यान लगाने व योग करने से तन मन स्वस्थ रहते हैं। जिससे नकारात्मक विचारों में कमी आती हैं।

जितना हम अपने विचारों की गुणवत्ता में सुधार लाएंगे , उतना हमारे मन के भीतर शुद्धता और ,पवित्रता , दया , प्रेम व सौहार्द की भावना का निर्माण होगा।

वैचारिक प्रदूषण के कारण ही आज लोगों के दिलो-दिमाग में सिर्फ अपना स्वार्थ छाया रहता है। हम केवल अपने और परिजनों का ही सुख व हित चाहते हैं। लोगों में दया व करुणा का भाव खत्म होता जा रहा है। मानवीय संवेदनाएँ भी खत्म होती जा रही हैं। जो न देशहित में हैं और न समाज के।

इसीलिए अच्छे व चरित्रवान लोगों की संगत में रहकर ही अपने अंदर सकारात्मक विचारों का प्रवाह किया जा सकता है। 

जब तक हम एक-दूसरे के दुख-दर्द को नहीं समझेंगे , एक-दूसरे का सहयोग नहीं करेंगे , तब तक  हमारे जीवन , समाज व राष्ट्र में शांति , सुख व समृद्धि नहीं आएगी। 

उपसंहार 

स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि “मन में अच्छे विचार लायें। उसी विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनायें। हमेशा उसी के बारे में सोचे, सपने देखें। यहाँ तक की उसके लिए हर क्षणं जिएं। आप पायेंगे कि सफलता आपके कदम चूम रही है।”

आज हम सब को फिर से अपने विचारों को जीर्णोद्धार करने की बहुत जरूरत है। नकारात्मक विचार व्यक्ति के आगे बढने में भी बाधक होते हैं। इसीलिए नकारत्मक विचारों से भी बचना चाहिए। सकारात्मक विचारों को अपने मन में स्थान देना चाहिए।

Thought Pollution Root cause of all ills , विचारों में प्रदूषण

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