My Favorite Game Essay :मेरा प्रिय खेल क्रिकेट ,कबड्डी

My Favorite Game Essay : मेरा प्रिय खेल कबड्डी (Kabaddi) और क्रिकेट (Cricket )

My Favorite Game Essay (500 Words) 

मेरा प्रिय खेल कबड्डी (Kabaddi)

Content / संकेत बिंदु / विषय सूची 

  1. प्रस्तावना 
  2. मेरा प्रिय खेल कबड्डी (My Favorite Game , Kabaddi)
  3. उपसंहार 

प्रस्तावना 

कबड्डी हो या क्रिकेट , खेल कोई भी हो , हर खेल अपने आप में अलग और अनोखा होता है। हर खेल के अलग-अलग नियम होते हैं और उनको खेलने का तरीका अलग अलग होता है।

कबड्डी भारत के प्राचीन खेलों में से एक हैं। जिसे शायद अपने बचपन में हर कोई खेलता हैं। किसी भी सामान के बिना खेले जाने वाला यह खेल मुझे बहुत प्रिय हैं।ऐसा माना जाता है कि कबड्डी खेल की शुरुवात हमारे देश से ही हुई है।

मेरा प्रिय खेल कबड्डी

मेरा गांव शहर से करीबन 10 किलोमीटर दूरी पर है। मेरे गांव में बच्चों के खेलने के लिए एक छोटा सा खेल का मैदान है। लेकिन उस खेल के मैदान में क्रिकेट , फुटबॉल , वॉलीबॉल जैसे खेल नहीं खेले जा सकते । इसीलिए हम गांव के बच्चों उसमें कभी खो-खो तो कभी कबड्डी या बैडमिंटन खेलते थे।

क्योंकि हमारे पास खेल खेलने के लिए अधिक सामान नहीं होते थे। और खेल से संबंधित सामानों  की दुकान भी हमारे गांव में नहीं थी। इसीलिए मैं और मेरे दोस्त अक्सर कबड्डी खेला करते थे। कबड्डी खेलने के लिए हमें किसी भी तरह का कोई सामान नहीं चाहिए होता है। इसीलिए शुरू में तो हम इसे अपने मनोरंजन के लिए खेलते थे।

लेकिन धीरे-धीरे इस खेल के नियमों को हम जानने और समझने लगे। और मुझे यह खेल अच्छा लगने लग गया। अब इस खेल के प्रति मेरा जुनून इतना बढ़ गया हैं कि ये मेरा प्रिय खेल बन गया हैं।  

कबड्डी टीम में 12 खिलाड़ी होते है लेकिन एक बार में सिर्फ 7 खिलाड़ी ही खेलते हैं। खेलने वक्त अगर किसी खिलाड़ी को चोट आ जाती है तो उसकी जगह टीम के बचे खिलाड़ियों में से कोई अन्य खिलाड़ी लेता हैं।

इस खेल को खेलने के लिए किसी भी सामान की आवश्यकता नही होती हैं सिवाय एक मैदान के। कबड्डी के मैदान के बीचो बीच सफेद रंग की एक रेखा खींची जाती है ।जिसके इधर और उधर दोनों टीमों रहती है।खेल शुरू करने से पहले टॉस के लिए एक सिक्का उछाला जाता है। जीतने वाली टीम पहले मौका पाती है।

खेल शुरू होने पर एक टीम के खिलाड़ी को दूसरी टीम के पाले में जाकर उस टीम के खिलाड़ियों को छूकर वापस आना होता है।दूसरे पाले में खिलाड़ी को कबड्डी-कबड्डी कह कर जाना होता है।

अगर खिलाड़ी दूसरी टीम के किसी भी खिलाड़ी को छू कर वापस आता है तो उस टीम को एक पॉइंट मिल जाता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो दूसरी टीम को एक पॉइंट मिल जाता है।जो भी टीम सबसे ज्यादा पॉइंट बनाती है। वह विजयी हो जाती है। इस खेल को खेलने के लिए अमूमन 20 मिनट का समय निश्चित किया जाता है।

अब इस खेल को एशियाई खेलों में भी जगह दी गई हैं। और इसके नियमों में भी थोड़ा बदलाव किया गया हैं। जैसे कबड्डी खेलने के लिए 13 मीटर लंबे और 10 मीटर चौड़ा मिट्टी और घास का मैदान का होना आवश्यक है। कबड्डी मैदान से खिलाड़ी के बाहर चले जाने पर खिलाड़ी आउट हो जाता है। कबड्डी खेल का आयोजन उम्र और वजन के आधार पर किया जाता है।

कबड्डी का सबसे पहला विश्वकप वर्ष 2004 में खेला गया था।भारत के अलावा यह नेपाल , बांग्लादेश , पाकिस्तान , श्रीलंका में भी यह बहुत प्रसिद्ध है।कबड्डी बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है।

मैं कबड्डी का एक बेहतरीन खिलाड़ी बनने का लगातार प्रयास कर रहा हूँ ताकि एक दिन एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकूँ।

उपसंहार 

कबड्डी खेलने के लिए शरीर का बलवान , स्फूर्तिवान व ताकतवर होना आवश्यक है। इस खेल को खेलने से हमारे शरीर में रक्त संचार बढ़ जाता है।यह खेल व्यक्ति को जीवन में अनुशासन सीखता है। व्यक्ति समय के महत्व को समझता , पहचानता है। और उसका पूरा उपयोग करता है।

मेरा प्रिय खेल क्रिकेट (Cricket , 600 Words) 

Content / संकेत बिंदु / विषय सूची 

  1. प्रस्तावना 
  2. मेरा प्रिय खेल क्रिकेट (My Favorite Game ,Cricket )
  3. उपसंहार 

प्रस्तावना 

क्रिकेट को सारी दुनिया में “खेलों का राजा” माना जाता है। यह खेल ही कुछ ऐसा है जिसमें खिलाड़ी को दौलत , शोहरत , यश  , कीर्ति सब मिलती है। क्रिकेट की दुनिया के चमकते सितारों को लोग सिर आंखों पर बिठाते हैं। ये किसी हीरो से कम नहीं होते और दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे क्रिकेट का खेल पसंद ना हो।

मेरा प्रिय खेल क्रिकेट 

बचपन में सभी को कोई ना कोई खेल अवश्य पसंद होता है। मैं भी खेलों का बहुत शौकीन हूं।बचपन में मैं अक्सर अपने दोस्तों के साथ अपने घर के पास वाले मैदान में खेलता था। बचपन में हमने लगभग सभी खेल जैसे गुल्ली डंडा , कबड्डी  , बैडमिंटन , टेनिस खेले हैं ।मेरा हाल यह था कि जिस दिन जो मन आया। उस दिन उसी खेल को अपने दोस्तों के साथ खेल लिया।

लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया। क्रिकेट में मेरी रुचि बनती गई। अब मेरा सबसे प्रिय खेल क्रिकेट बन गया है। मैं ही क्यों , सारी दुनिया “खेलों के राजा” क्रिकेट की दीवानी है। मेरे जीवन में भी अब क्रिकेट महत्वपूर्ण हो गया है।

क्रिकेट से मेरा रिश्ता मेरे चाचा की वजह से जुड़ा हैं। दरअसल मेरे चाचा राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनको क्रिकेट खेलने का जुनून है। मैं उनको हर रोज क्रिकेट खेलते हुए देखता था।जैसे जैसे मैं थोड़ा बड़ा हुआ। चाचा मुझे अपने साथ मैदान में लेकर जाते और मेरे साथ क्रिकेट खेलते और मुझे भी खेलने का मौका देते।

इस तरह धीरे-धीरे मेरी भी क्रिकेट में रूचि बढ़ती चली गई। चाचा मुझे क्रिकेट की बारीकियों को सिखाते। क्रिकेट के हर नियम व हर पहलू से मेरा परिचय कराते। वो मुझे अक्सर अपने जाने-माने खिलाड़ी दोस्तों से मिलवाते थे।

क्रिकेट की लोकप्रियता व क्रिकेटर की जीवन शैली व उनकी लोकप्रियता देखकर मैंने भी क्रिकेट को अपने कैरियर के रूप में बनाने का सोच लिया।अब मैं सुबह उठकर चाचा के साथ मैदान में जाकर प्रैक्टिस करता हूं। फिर स्कूल जाता , शाम को घर लौट कर स्कूल का होमवर्क करने के बाद चाचा जी के साथ फिर से प्रैक्टिस करने मैदान में चला जाता हूँ।

क्रिकेट में मेरी गहरी रूचि को देखकर चाचा जी ने मुझे एक अच्छी कंपनी का बहुत अच्छा बल्ला खरीद कर दिया। अब मैंने अपने मोहल्ले में हमउम्र दोस्तों के साथ एक क्रिकेट की टीम बनाई है। स्कूल की छुट्टी होने पर हम आपस में टीमें बनाकर एक दिवसीय मैच खेलते और उसमें भी मेरी टीम ही जीतती है।

मैं अब अपने स्कूल की क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने लगा हूं और मुझे स्कूल में ऑलराउंडर खिलाड़ी के नाम से जाना जाता है।मेरे स्कूल के सारे शिक्षक व बच्चे सब मुझे क्रिकेट की वजह से पहचानने लगे हैं।

अभी हाल ही में मेरे शहर में एक क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग 10 स्कूलों के टीमों ने भाग लिया। उसमें मेरे स्कूल की क्रिकेट टीम ने भी भाग लिया। इस प्रतियोगिता में हमारी टीम ने फाइनल जीतकर 50,000 रूपये का इनाम भी जीता। इस जीत की खुशी में स्कूल की तरफ से भी प्रत्येक बच्चे को टीम के प्रत्येक प्रत्येक सदस्य को पुरस्कार दिया गया

क्रिकेट खेलने से मेरे शरीर की अच्छी कसरत हो जाती है।जिससे शरीर में चुस्ती फुर्ती भी रहती है और शरीर भी स्वस्थ रहता हैं। क्रिकेट के कारण मैंने जीवन में अनुशासन व सहयोग की भावना का महत्व समझा।मैंने समय के महत्व को जाना।

उपसंहार 

मैं बड़ा होकर क्रिकेट की दुनिया का एक चमकता सितारा बनना चाहता हूं। मेरा हमेशा यह प्रयास रहेगा कि क्रिकेट के खेल में हमारे देश का स्थान हमेशा ही प्रथम रहे। क्रिकेट के खिलाड़ियों को नाम और पैसा दोनों को मिलते हैं। जिस खेल में नाम और दाम दोनों कमाने के अवसर हो। वह  खेलना किसे प्रिय नहीं होगा। इसीलिए क्रिकेट मेरा प्रिय खेल हैं।

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