Essay on Organic Farming : जैविक खेती

Essay on Organic Farming in Hindi : जैविक खेती पर हिन्दी में निबंध 

Essay on Organic Farming

जैविक खेती पर निबंध 

Essay on Organic Farming in Hindi

प्रस्तावना

भारत में प्राचीन समय में एक कहावत प्रचलित थी। “उत्तम खेती मध्यम वान। अधम चाकरी भीख निदान” यानी सरल शब्दों में कहें तो “सबसे बेहतर काम है  खेती करना। फिर व्यापार करना। फिर कहीं नौकरी और अंत में कुछ ना मिले तो भीख मांग कर अपना गुजारा करना “।

लेकिन आज के दौर में तो इसका उल्टा ही है। लोग नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं। बजाय खेती करने के और जो किसान खेती कर भी रहे हैं तो उन्हें भी खेती छोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है।कारण अनाज उत्पादन में लागत ज्यादा और अनाज उत्पादन कम। 

लेकिन विगत कुछ वर्षों से भारत में खेती की एक नई तकनीक अपनाई जा रही है जिसे “जैविक खेती” कहा जाता है। इसमें अनाज उत्पादन में लागत कम और अनाज उत्पादन ज्यादा होता है । 

क्या है जैविक खेती 

जैविक खेती फसल उगाने की वह नई तकनीक है जिसमें रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग करने के बजाय , जैविक खाद , हरी खाद , गोबर खाद , गोबर गैस खाद  , केंचुआ खाद का प्रयोग किया जाता है।खेती करने के इस नए तरीके को “जैविक खेती” कहा जाता है।

जैविक खेती रसायनों से होने वाले दुष्प्रभाव से पर्यावरण का बचाव करती है। भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि करती है। फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी करती है।जैविक खेती विधि द्वारा उगाया गया अनाज उच्च गुणवत्ता लिए हुए होता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होता है।

जैविक खेती अपनाने का कारण 

जैविक खेती अपनाने का मुख्य कारण हैं 1966-67 के बाद खेती के क्षेत्र में अपनाई गई वह पश्चिमी तकनीक जिसे “हरित क्रांति” के नाम से जाना जाता हैं।खेती करने के इस तरीके ने खेतों को फसलों से लहलहा तो दिया। लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी की सारी उर्वरा शक्ति हड़प ली। फसल तो अच्छी हुई , लेकिन साथ में इसने कई घातक बीमारियां भी पैदा कर दी। 

भारत में साठ के दशक में हरित क्रांति का नाम खूब गूंजा। तब इसका उद्देश्य था देश को भुखमरी से मुक्ति दिलाना था।ज्यादा फसल उगाने के लिये खेतों में अत्यधिक रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों का प्रयोग किया जाने लगा।जिससे फसल की पैदावार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई जिसे “हरित क्रांति” का नाम दिया गया। 

रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग ने भले ही पैदावार में बहुत बढ़ोतरी की हो। लेकिन जमीन की उर्वरता को खत्म ही कर दिया।  अधिक से अधिक उत्पादन पाने के लिए रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों का उपयोग किया गया। जिससे प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र प्रभावित होता गया। और धीरे धीरे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो गयी।

रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से वातावरण तो प्रदूषित होता ही है। इससे लोगों के स्वास्थ्य में बुरा प्रभाव पड़ता है।प्रकृति प्रदत स्रोत स्वाहा हो गये।जमीन की शक्ति कम हो गई और खेत बंजर हो गए। यही कारण है कि अब आम किसान आत्महत्या कर रहा है। इस पर गंभीरता से सोचने और कदम उठाने की आवश्यकता है। आज दुनिया भर में खेती , पर्यावरण , प्राकृतिक संसाधनों को लेकर फिर से एक नई बहस छिड़ चुकी है। यह बहस संसाधनों में पड रहे तकनीक के असर को लेकर है।

इसीलिए लोग खेती के इस नये तरीके (जैविक खेती ) को अपना रहे है।ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को उपजाऊ भूमि , अच्छा अनाज व साफ़ और स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।  

जैविक खेती का उद्देश्य

  1. जैविक खेती करने का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरक शक्ति बनाए रखने के साथ साथ फसलों का उत्पादन भी बढ़ाना है।
  2. वातावरण को प्रदूषित मुक्त बनाना। 
  3. मिट्टी की गुणवत्ता को कायम रखना और प्राकृतिक संसाधनों को बचाना।
  4. मानव स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को दूर करना।
  5. उत्पादन को अधिक और लागत को कम करना। 

जैविक खेती से फायदे

जैविक खेती से कई फायदे होते हैं।

  1. इससे भूमि की उर्वरक क्षमता बनी रहती है। और जैविक खादों का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता की गुणवत्ता में निरन्तर सुधार होता रहता है। 
  2. इस प्रकार की खेती में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। 
  3.  भूमि की जलधारण क्षमता भी बढ़ती है।
  4. जैविक खादों के प्रयोग से वातावरण प्रदूषण रहित रहता है।
  5. अनेक बीमारियों से इंसान व पशु , पक्षियों का बचाव होता है।
  6. फसल की अच्छी पैदावार होती है।
  7. जैविक खेती के द्वारा उगाया गया अनाज उच्च गुणवत्ता लिए हुए होता है , जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उत्तम होता है।
  8. जैविक खेती के द्वारा उगाए गए अनाज का मूल्य भी अधिक होता है जिससे किसान की आमदनी में बढ़ोतरी होती है।यानी कम लागत में अच्छा मुनाफा।

मिट्टी की दृष्टि से फायदे

  1. मिट्टी की दृष्टि से भी जैविक खाद लाभप्रद है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है।और भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है।
  2. जैविक खाद का प्रयोग करने से मित्र कीट भी नष्ट नहीं होते हैं।तथा मित्र कीटों व जीवाणु की संख्या में बढ़ोतरी होती है। जो भूमि की गुणवत्ता में निरंतर सुधार करते रहते हैं।
  3. भूमि में नाइट्रोजन स्थिरीकरण बढ़ता है। तथा मिट्टी का कटाव भी कम होता है। 

पर्यावरण की दृष्टि से फायदे 

  • जैविक खेती पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी है। इससे भूमि के जल स्तर में भी वृद्धि होती है।
  • मिट्टी , खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।
  • खाद बनाने के लिए कचरे का उपयोग करने से बीमारियों में भी कमी आती है।
  • फसल उत्पादन की लागत में कमी और आय में वृद्धि होती है। 

उपसंहार 

भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है। भारत में कृषि परंपरा का इतिहास बहुत पुराना है।और  इस देश की 70% जनता अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। जैविक खेती रसायनों से होने वाले दुष्प्रभाव से पर्यावरण का बचाव करती है। भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि करती है। फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

अतः हमें खेतों में उपलब्ध जैविक साधनों की मदद से खाद , कीटनाशक दवा , चूहा नियंत्रण के लिए दवा इत्यादि बनाकर उनका उपयोग करना चाहिए। इन तरीकों के उपयोग से फसल भी अधिक मिलेगी और अनाज , फल , सब्जियां भी इस विषमुक्त उत्तम होंगी। 

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