Essay On My Village In Hindi : मेरा गाँव

Essay On My Village In Hindi : मेरा गाँव पर हिन्दी निबन्ध

निबन्ध -1 

Essay On My Village In Hindi

मेरा गाँव पर हिन्दी निबन्ध (500 Words)

Essay On My Village In Hindi

Content / विषय सूची / सांकेतिक बिन्दु 

  1. प्रस्तावना
  2. मेरा गाँव 
  3. गाँव की विशेषता 
  4. उपसंहार 

प्रस्तावना 

महात्मा गांधी कहते थे कि “भारत की आत्मा गांवों में बसती है”। हमारी देश की कल्पना बिना गांवों के की ही नहीं जा सकती हैं। आज भी भारत देश की अधिकतर जनसंख्या गांवों में ही निवास करती हैं। और कृषि संबंधित कामों पर ही अपना गुजर-बसर करती है। शहरों के मुकाबले आज भी गांव का वातावरण , हवा , पानी ज्यादा साफ और शुद्ध है।

मेरा गांव

मेरा गांव शहीदों व वीर सैनिकों का गांव हैं। मेरे गांव का नाम अर्जुन वीरपुर है। गांव का यह नाम गांव के एक वीर सपूत अर्जुन के नाम पर रखा गया है जिसने कारगिल युद्ध में देश के खातिर अपने प्राणों की आहुति दी थी।उस वीर सपूत को सम्मान देने के लिए गांव का नाम उसी वीर सपूत के नाम पर रखा गया हैं ।

इसके अलावा देश की रक्षा करते हुए पांच और सैनिकों ने भी अपने प्राणों की आहूति दी हैं। ये वीर सपूत न सिर्फ देश को बल्कि हमारे गांव को भी गौरवान्वित कर गये ।

गाँव की विशेषता (Essay On My Village In Hindi)

मेरा गांव भी अमूमन भारत के अन्य गांवों जैसा ही है। यहां के अधिकतर लोग या तो खेतीबाड़ी से जुड़े हैं या देश सेवा से। मेरे गांव के लोगों में देश सेवा के लिए गजब का जज्बा है। इसीलिए गांव के अधिकतर नव युवा सेना से जुड़े हैं।यह गांव के लिए बड़े सम्मान की बात हैं।

मेरे गांव की एक और खासियत है कि मेरे गांव में अनाज से ज्यादा फल , फूल और आलू का उत्पादन होता है जिससे गांव के अधिकतर परिवार जुड़े हुए हैं। मेरे गांव में फलों की खेती बहुत अच्छी होती है।फलों की अच्छी से अच्छी किस्म मेरे गांव में मिल जाएगी।इसीलिए बहुत बड़ी मात्रा में फलों का उत्पादन किया जाता हैं।

गांव के लोग बेहतरीन और गुणवत्ता के फलों की पैदावार के लिए वैज्ञानिक व आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। हमारे गांव से फल , फूल और आलू देश के विभिन्न हिस्सों में भेजे जाते हैं। जिससे गांव के लोगों की अच्छी आय हो जाती है।इसीलिए गांव के लगभग सभी परिवारों के आर्थिक हालात बहुत अच्छे हैं।

मेरे गांव में सभी आवश्यक व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। गांव में छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए एक सरकारी और एक प्राइवेट प्राथमिक पाठशाला है जिसमें गांव के छोटे बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दी जाती है। साथ ही प्राथमिक उपचार के लिए एक छोटा सा अस्पताल भी है। 

इसके अलावा मेरे गांव में घर घर में पानी बिजली की अच्छी सुविधा है। मेरे गांव में बिजली उत्पादन का कार्य सोलर पैनलों के जरिए किया जाता है। इसलिए अधिकतर घर सोलर पैनल की बिजली से रोशन होते हैं।

गांव में एक कुआं भी है। इसके अलावा घर-घर पानी के नलों की सुविधा भी दी गई है। गांव को साफ , सुथरा बनाए रखने के लिए गांव के युवाओं ने एक समिति का गठन किया है जो गांव की हर सुख सुविधा व मूलभूत जरूरतों का ध्यान रखती है जिससे गांव के लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती। गांव का वातावरण साफ-सुथरा व स्वस्थ रहें। इसका प्रयत्न किया जाता हैं।  

गांव में एक पंचायत घर , एक लाइब्रेरी भी है। और साथ में एक बड़ा खेल का मैदान भी है जहां पर शाम को गांव के सभी बच्चे आकर अनेक तरह के खेल खेलते हैं। 

गांव के सभी लोग एकता भाईचारे के साथ रहते हैं। गांव के लोगों द्वारा हर धर्म , हर रीति रिवाज का सम्मान किया जाता है। गांव में हर धर्म के तीज त्यौहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

समय-समय पर गांव में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। ताकि गांव हरा-भरा व सुंदर रहे। लोगों को शुद्ध , ताजी हवा व साफ पानी उपलब्ध हो सके। 

उपसंहार (Essay On My Village In Hindi)

मेरा गांव एक आदर्श गांव है। मेरा गांव साफ , सुथरा व प्रदूषण मुक्त गांव है। मुझे अपने गांव में रहना और अपने गांव के विकास के लिए निरंतर प्रयास करते रहना बहुत अच्छा लगता है।और मैं हमेशा यही चाहूंगा कि मेरा गांव एक आदर्श गांव बना रहे। सबसे बड़ी बात मेरा गांव सैनिकों का गांव है और मुझे अपने उन भाइयों पर नाज है।

निबन्ध -2 

Essay On My Village In Hindi

मेरा गाँव पर हिन्दी निबन्ध (600 Words)

प्रस्तावना

मेरे गांव का नाम शिवपुरम है। मेरा गांव उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है जो जिला मुख्यालय से करीबन 10 किलोमीटर दूर है। मेरा गांव प्राकृतिक रूप से अत्यधिक सुंदर है। यहाँ की ताजा हवा , शुद्ध पानी , ताजी सब्जियों व फल और सुबह शाम पक्षियों का मधुर कलरव लोगों को वरबस अपनी तरफ आकर्षित करता हैं।

मेरा गाँव  (My Village)

मेरा गाँव छोटा जरूर हैं मगर मेरे गांव को प्रकृति ने एक से बढ़कर एक अनमोल उपहारों से नवाजा है। गाँव को तीन तरफ से रमणीक पहाड़ियों ने घेरा हैं।और चौथी तरफ से सुदूर सामने खड़े बर्फराज हिमालय साफ-साफ दिखाई देते हैं। खेतों की हरियाली इसकी शोभा में चार चाँद लगाती हैं। आजादी के बाद मेरे गांव ने बहुत तरक्की की है।मेरे गांव की आबादी लगभग 1000 लोगों की है।

मेरे गाँव की विशेषता 

गांव के उत्तरी हिस्से में पंचायत घर है। जहाँ गांव के छोटे-मोटे झगड़ों का निपटारा किया जाता है।पंचायत घर के पास ही गांव का एक छोटा सा मगर समृद्ध पुस्तकालय है जहां गाँव के छोटे-छोटे बच्चे जाकर कहानियां , कॉमिक्स या स्कूल से संबंधित किताबों को पढ़ते हैं।

इसी के साथ लगा एक छोटा कमरा वाचनालय का भी है जहां पत्र पत्रिकाएं व अखबार रखे जाते हैं।  जिनको पढ़ने गांव के सयाने व बुजुर्ग लोग आते हैं। मेरे गांव के पास ही एक बहुत पुराना लेकिन प्रसिद्ध शिव मंदिर है। इसीलिए मेरे गांव का नाम शिवपुरम रखा गया है।

यहां पर सुबह शाम भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर में बजने वाले पवित्र घंटे की आवाज सुबह-सुबह पूरे गाँव में सुनाई देती है।शिवरात्रि के दिन दूर-दूर से लोग इस शिव मंदिर में आते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं।

मेरे गाँव में अधिकतर लोग किसान है जो अलग-अलग तरह की खेती करते हैं।कुछ लोग सब्जियां उगाते हैं तो कुछ लोग फलों का उत्पादन करते हैं। और कुछ अनाज का उत्पादन करते हैं।इसके अलावा गांव में कुछ लोग लोहार , कुम्हार , बढ़ई , दर्जी , धोबी आदि का काम भी करते हैं।

मेरे गांव के लोग बहुत ही सीधे साधे व मेहनती हैं। वो आज भी अपने पुराने रीति-रिवाजों को मानते हैं लेकिन साथ में ही आधुनिक टेक्नोलॉजी से भी जुड़े हैं।

गांव में हर घर में टीवी , फ़ोन व इंटरनेट की सुविधा है जिससे गांव के बच्चों को पढ़ाई में फायदा होता है। मेरे गांव के किसानों ने खेती के आधुनिक तरीकों को अपना लिया हैं। गांव में वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाती है और बिजली आ जाने से कई लघु उद्योग भी शुरू हो गए हैं।

शिवपुरम एक आदर्श गांव है। गांव में एक प्राथमिक पाठशाला भी है , जहां गांव के सभी छोटे छोटे बच्चे जाकर पढ़ाई करते हैं।

इसके अलावा गांव में एक प्रशिक्षण केंद्र भी है जहां पर बागवानी , सिलाई बुनाई और लघु उद्योगों पर आधारित शिक्षा दी जाती है। गांव से जुड़ा हुआ एक छोटा सा अस्पताल भी है जहां पर शहर से रोज एक डॉक्टर आते हैं और गांव के लोगों का इलाज करते हैं।

मेरे गांव में कुछ छोटी-मोटी दुकानें भी है जिस वजह से लोगों को रोजमर्रा का सामान आसानी से गांव में ही उपलब्ध हो जाता है। गांव में पैदा होने वाले अनाज , फल फूलों की बिक्री के लिए हफ्ते में एक दिन रवि बाजार लगाया है जिसमें नजदीकी शहरों से लोग आकर ऑर्गेनिक तरीके से उगाई हुई साग-सब्जी ,फल-फूल आदि खरीद कर ले जाते हैं।

गांव के अधिकतर लोग खेतीबाड़ी से जुड़े हैं। इसीलिए हर घर में पशुओं की संख्या काफी हैं। हर रोज दूध सहकारी समिति से एक गाड़ी आकर हमारे गांव के किसानों से दूध ले कर जाती है।

उपसंहार (Essay On My Village)

मुझे मेरा गांव अति प्रिय है। शहर के दूषित पानी , हवा से लोग हर रोज बीमार होते हैं और अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। लेकिन मैं अपने गांव की शुद्ध हवा , पानी व ताजी सब्जियों का खूब आनंद उठाता हूं। अपने गांव के विकास के लिए लगातार प्रयास करता हूं ताकि मेरा गांव किसी शहर से कम ना हो। और इसमें शहर की सारी सुविधाएं उपलब्ध हो। ताकि गांव के युवा गांव छोड़कर शहर जाने की बात ना सोचें।  

Essay On My Village : मेरा गाँव पर हिन्दी निबन्ध

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