Essay On Environment In Hindi : पर्यावरण

Essay On Environment In Hindi : पर्यावरण पर निबन्ध

Essay On Environment In Hindi 

पर्यावरण पर हिन्दी निबन्ध

Essay On Environment In Hindi

प्रस्तावना

सिर्फ इंसान ही नहीं , प्रकृति में रहने वाले प्रत्येक प्राणी का पर्यावरण से गहरा संबंध है। और यह संबंध अनादिकाल से चलता आ रहा है। हरी भरी धरती , पेड़ पौधे , पहाड़ , चट्टान , पर्वत , नदी आदि हमको अनेक चीजें निरन्तर , बिना स्वार्थ के ही प्रदान करते हैं।जिससे हमारा जीवन चक्र अविरल चलता रहता है। 

बदले में हमने अपने क्रियाकलापों से अपने पर्यावरण को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है।जिससे पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया हैं। और आज हम यह सोचने को मजबूर हुए हैं कि जब हमारी यह धरती हरी भरी नहीं रह जाएगी तब हालात कैसे होंगे। वैसे इसका अनुमान हम आज के अपने आसपास के पर्यावरण की स्थिति को देखकर आसानी से लगा सकते हैं।

पर्यावरण का अर्थ

परि + आवरण = पर्यावरण , यानि हमारे चारों ओर के वो सभी जैविक और अजैविक संघटक जिनसे मिलकर यह धरती गतिमान है।जैविक संघटक यानि जो जीवित अवस्था में है।सभी सजीव चीजें जैसे जीव-जंतु , पेड़-पौधे ,कीड़े पतंग , परिंदे , पशु आदि जैविक संघटकों में शामिल है।जबकि सभी निर्जीव जैसे पर्वत ,पहाड़ , नदी , झरने , हवा आदि  अजैविक संघटकों में शामिल है। लेकिन ये सब हमारे पर्यावरण में अपनी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

यानि दूसरे सरल शब्दों में हम कहें तो हमारी धरती में उपस्थित सभी जैविक व अजैविक तत्वों से मिलकर हमारा पर्यावरण बना है। जो एक दूसरे को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है। और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं।

इसके साथ ही पर्यावरण में वो चीजें भी सम्मिलित हैं जो इंसान ने अपनी सुविधा व सहूलियत के लिए बनाई हैं जिन्हें हम “मानव निर्मित पर्यावरण” या “क्रत्रिम पर्यावरण” भी कह सकते है। 

पर्यावरण की आवश्यकता

क्या पेड़ ,पौधों , नदी , हवा , पानी के बगैर जीवन की कल्पना कर सकते हैं। क्या बेजान सी दिखने वाली चट्टाने या पहाड़ हमें कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ नहीं देते देते हैं।ये सब हमारे लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना इन्सान के लिए इन्सान।

प्रकृति द्वारा दिए गए ये सभी अनमोल उपहार इंसान को सीधा सीधा फायदा पहुंचाते हैं। वह भी बिना किसी स्वार्थ के। जिसके दम पर हम अपना जीवन यापन बड़ी सरलता से करते हैं। या यूं कहें कि इनके बगैर हमारी जिंदगी नहीं चल सकती है।और सच्चाई तो यह है कि पर्यावरण की सुरक्षा हमारी अपनी ही सुरक्षा हैं। 

पर्यावरण को खतरा

पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा इंसान से ही है।क्योंकि विकास की अंधी दौड़ , रोज रोज बनते कंक्रीट के जंगल (मकान , नवनिर्मित शहर) , अंधाधुंध पेड़ों की कटाई , कम होते खेत खलियान , बढ़ता प्रदूषण , उद्योग धंधे , कल कारखानों व फैक्ट्रियों से निकलता हुआ जहरीला धुआं ,प्लास्टिक व उससे बने हुए सामान आदि पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं ।

इसके साथ हमने अपनी सुख सुविधाओं के लिए बनाए हुए एसी , फ्रिज , ओवन आदि से निकली हुई जहरीली गैस ने हमारे पर्यावरण को दूषित कर दिया है।बेहिसाब बढ़ती जनसंख्या ने भी पर्यावरण पर असर डाला है। 

पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से आज  हमें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऋतु चक्र में आए परिवर्तन तथा अनेक असाध्य रोगों का जन्म और न जाने कितनी ही समस्याओं पर्यावरणीय असंतुलन का ही नतीजा है। 

पर्यावरण पर असर

पर्यावरणीय असंतुलन का असर निम्न रूप से अब हमारे सामने है। 

  1. पर्यावरणीय असंतुलन का असर अब साफ-साफ हमारे पर्यावरण पर नजर आने लगा है।दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की कमी और वातावरण में विषैली गैसों की अधिकता का सीधा सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
  2. हर रोज विश्व भर में जंगलों का क्षेत्र कम हो रहा है।जनसंख्या बढ़ने के कारण हर साल पृथ्वी से औसतन  0.22% वन क्षेत्र घट रहे हैं। हरे-भरे क्षेत्रों के निरंतर सिकुड़ते चले जाने से , जंगलों की कटाई के कारण भारत का तापमान प्रति 100 वर्ष में 0.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ रहा है।
  3. वैज्ञानिकों के अनुसार वर्ष 2050 तक दुनिया भर में सर्दी के मौसम का तापमान लगभग 3.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।
  4. और 2050 तक बारिश की मात्रा में भी कमी होने लगेगी। और वर्ष 2045 तक भारत विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश हो जाएगा। और उस वक्त बढ़ा हुआ तापमान हमारी प्रगति पर सबसे बड़ी बाधा बनेगा।
  5. फसलों में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि की उर्वरकता खत्म हो रही हैं। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते इस्तेमाल से समुद्री क्षेत्रों में शैवाल और कवक में बढ़ोतरी हो सकती है। जिसके कारण जलीय जीवन को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। यानि जलीय जीवन भी खतरे में है। 
  6. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जंगलों ने अपने आगोश में लगभग 638 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को समेट रखा है।इसके बदले में जंगल लगातार ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। ताकि धरती में जीव जंतुओं के जीने लिए अनुकूल परिस्थितियां बनी रहे। 
  7. हम हर साल पर्यावरण में लगभग 1.7 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड का जहर धोल देते है। जो प्रकृति की अनमोल धरोहर जंगलों की अंधाधुंध कटाई का घातक परिणाम है। 
  8.  जंगल एक तरह से कार्बन कार्बन डाइऑक्साइड के भंडारण के रूप में काम करते है।जो इस जहरीली गैस से पर्यावरण को एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।हम उन्हें ही नष्ट करने में तुले हैं।  

5 जून को मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस

हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य अपने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण को स्वस्थ व सुरक्षित रखा जा सके। 

पर्यावरण की सुरक्षा के उपाय 

आज भी हम चाहे तो अपने पर्यावरण को फिर से पहले जैसा बना सकते हैं। बस हमें अपनी आदतों पर थोड़ा सा बदलाव लाने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी नहीं कि हम अपने विकास के पहिए को रोक दें। या कल कारखानों को बंद कर दें या नई वैज्ञानिक खोजों या आविष्कारों को बंद कर दे। नहीं , इसका यह कतई मतलब नहीं है।

इसका सीधा मतलब यह है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के मापदंडों के अनुसार अपने विकास को प्राथमिकता दें।इससे पर्यावरण भी सुरक्षित व स्वस्थ रहेगा और हमारे विकास में भी कोई बाधा नहीं पड़ेगी।

  1. अंधाधुंध पेड़ों की कटाई करने से बचना जरूरी है। अगर पेड़ों की कटाई होती भी है तो बदले में नए पौधों को रोपित करना तथा उनकी देखभाल करना जरूरी है।
  2. कल कारखानों से निकलने वाले विषैले रासायनिक पदार्थों को नदी नालों में बहाने के बजाय उनका सुरक्षित निस्तारीकरण करना आवश्यक है। तथा उनकी चिमनी द्वारा निकलने वाली जहरीली गैसों को भी खुले वातावरण में छोड़ने के बजाय उन्हें फिर से शुद्ध करने के तरीके हमें ढूंढने ही होंगे।
  3. प्लास्टिक से बनी चीजें का उपयोग कम से कम किया जाए। तो पर्यावरण को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
  4. ऐसी वस्तुओं जो दोबारा उपयोग में लाई जा सकती हैं  , उनकी रीसाइक्लिंग जरूरी है।
  5. बिजली और पानी को बचाना अति आवश्यक है। बारिश के पानी को संचय करने के तरीके भी हमें ढूंढने ही होंगे। 
  6. भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखना तथा उसको बढ़ाना अति आवश्यक है। जिसके लिए रासायनिक खादों के बजाय जैविक खादों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है।जैविक तरीके से खेती करना , अब आज की जरूरत बन गई है। 
  7. विलुप्त होते पेड़-पौधे , जीव-जंतु , कीट पतंगों व परिंदों की प्रजातियों को संरक्षित करना तथा उनकी संख्या में इजाफा करना जरूरी है। क्योंकि प्रत्येक जीवधारी की इस पर्यावरण में अपनी-अपनी भूमिका निश्चित है। 

उपसंहार 

साफ , सुथरा ,स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण ही मानव जीवन को स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकता है। हालांकि आज दुनिया भर के लोग पर्यावरणीय संतुलन के लिए जागरूक हुए हैं। और इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास भी किए जा रहे हैं।

लेकिन पर्यावरण को संतुलित रखने की जिम्मेदारी हम सब की है। और हमें अपनी यह जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी ही होगी। अगर हमने अपने पर्यावरण को स्वस्थ व सुंदर रखने के लिए कोशिश नहीं की।तो भविष्य में इसके परिणाम और भी घातक हो सकते हैं। अगर हमें इस धरती पर जीवन को बचाना है तो , हमें पर्यावरण को स्वस्थ व सुरक्षित रखना ही होगा। 

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