Essay On Plastic Bags: प्लास्टिक की थैलियां पर निबंध

Essay On Plastic Bags : प्लास्टिक की थैलियां पर निबंध

Essay On Plastic Bags 

प्लास्टिक की थैलियां पर निबंध

प्रस्तावना 

प्लास्टिक की थैलियां भले ही वजन में बहुत हल्की हों या जिनको उठाने में हमें बिल्कुल भी भार महसूस ना होता हो। लेकिन सच्चाई तो यह हैं कि ये इतनी भारी हैं कि हम ही नहीं , हमारी आने वाली पीढ़ियां ना तो इसका वजन सह पाएंगी और न ही इनकी वजह से हमारे पर्यावरण की खूबसूरती को देख पाएंगी। 

इसीलिए हम सबकी भलाई इसी में है कि समय रहते हम इन प्लास्टिक की थैलियों को अपने से दूर कर लें। इसके निर्माण और इसके प्रयोग में पूर्णत: पावंदी लगा दें । ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस हल्की सी प्लास्टिक की थैलियों के नीचे दबकर ना रह जाए। 

प्लास्टिक की थैलियों का असर

हल्की व सुन्दर दिखने वाली प्लास्टिक की थैलियां का असर इतना बदसूरत व भारी हैं कि एक बारी तो यकीन करना मुश्किल होता हैं। मगर यह सच हैं इसका हमारे पर्यावरण ,स्वास्थ्य आदि पर गहरा हानिकारक असर पड़ता हैं। जो निम्न हैं।  

  • प्लास्टिक की थैलियों का पर्यावरण पर असर

प्लास्टिक से पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता हैं। प्लास्टिक की थैलियां अगर भूमि के अंदर चली जाती हैं। या मिट्टी के नीचे दब जाती हैं , तो नए पौधे पनप नहीं पाते।और इसके जहरीले रसायनों से धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती हैं।प्लास्टिक बहुत अधिक विषैले कणों में टूटती हैं। जो मिट्टी को भी प्रदूषित करती है।

धरती के अंदर के पानी में इसके रसायनों के घुलने से पानी भी जहरीला होता जाता है।प्लास्टिक की थैलियां अगर किसी नदी या नाले में बह कर चली जाती हैं। तो नदी नाले को ही चौक कर देती हैं यानी ड्रेनेज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। और जब इन प्लास्टिक की थैलियां में पानी इककट्ठा हो जाता है। तो मच्छर पनपने का अंदेशा रहता है। और मच्छर कई सारी बीमारियों के कारण बनते हैं। 

  • प्लास्टिक की थैलियों का जलीय जीवन पर असर

प्लास्टिक की थैलियों का जलीय जीवन पर भी असर पड़ने लगा हैं। अब उनका जीवन भी इनकी वजह से संकट में आ गया हैं। समुद्री जीव इन प्लास्टिक की थैलियों को निकल जाते हैं। या कई बार इनमें फंस जाते हैं। और फिर बाहर नहीं निकल पाते हैं। जिससे कभी कभी उनके जान पर भी बन आती है। 

  • प्लास्टिक की थैलियों और मानव 

अगर प्लास्टिक को जलाया जाए तो इस से जहरीली गैस निकलती है जो स्वास्थ्य खासकर स्वसन तंत्र में हानिकारक प्रभाव डालती है।प्लास्टिक के कण खाद्य पदार्थों के द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। जिनका मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

आजकल खाने पीने की अधिकतर चीजें प्लास्टिक की थैलियों में ही बंद कर बेची जाती है। यहां तक कि गर्म खाना भी प्लास्टिक की थैलियों में बेचा जाता हैं।प्लास्टिक गर्म वस्तु के सम्पर्क में आने से तुरंत रिएक्शन करता हैं। और खाने को जहरीला करता हैं।  यह मनुष्यों को असाध्य रोगों के मुंह में धकेलने के लिए पर्याप्त हैं। रंगीन प्लास्टिक तो और भी ज्यादा मानव शरीर के लिए हानिकारक है। 

  • प्लास्टिक की थैलियों और जानवर  

आज कल प्लास्टिक की थैलियों में भोजन डाल कर रोड़ या रास्ते में फेंक दिया जाता है। जिसे बेजुबान आवारा पशु खासकर गाय , बैल आदि जानवर खा जाते हैं। जिससे उनका पाचन तंत्र ख़राब हो जाता हैं। और इसी वजह से हर साल हजारों की संख्या में जानवरों की मौत हो जाती है। 

  • रोजमर्रा का जीवन और प्लास्टिक की थैलियों

हम अपने रोजमर्रा के जीवन में प्लास्टिक की थैलियों का खूब इस्तेमाल करते हैं।क्योंकि खाने पीने का अधिकतर सामान प्लास्टिक की थैलियों में ही आता हैं। हर दुकान में प्लास्टिक की थैलियों में कोई न कोई सामान अवश्य मिल जाएगा। 

इसके अलावा हम इन प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल सामान ढोने या सामान रखने के लिए करते हैं। इसके बाद इन प्लास्टिक की थैलियों को हम या तो कूड़े में फेंक देते है। या सार्वजनिक स्थानों में छोड़ देते है।जो प्रदूषण का कारण बनते हैं।  

प्लास्टिक आसानी से नष्ट नहीं होता है  

आज पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 9 अरब से भी अधिक प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है। और भारत प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करने वाला विश्व में तीसरे नंबर का देश है। 

ऐसा माना जाता है कि प्लास्टिक को पूरी तरह नष्ट होने में 500 साल लगते हैं। यानि दुनिया में जो पहली प्लास्टिक की थैली बनी थी। वो भी अब तक नष्ट नही हुई हैं। और सबसे बड़ी बात प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग करने में भी बहुत अधिक खर्च आता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाया है प्रतिबंध 

सुप्रीम कोर्ट ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाया हैं। और सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2010 को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था । जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध हटाने से मना कर दिया था। और माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार ही पर्यावरण मंत्रालय ने एक मार्च 2011 से तंबाकू आदि को प्लास्टिक की थैलियों में न बेचने का निर्णय लिया था।

हिमांचल प्रदेश में है प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध

अपने देश में हिमांचल प्रदेश वह राज्य है जहां पर प्लास्टिक की थैलियों में पूर्ण रूप से प्रतिबंध है।  बल्कि वहां पर प्लास्टिक से बनी हुई कई वस्तुओं पर भी प्रतिबंध है। प्लास्टिक का प्रयोग वहां पर सड़क बनाने के काम में किया जा रहा है।

राज्य में लगभग 40 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए 40 टन प्लास्टिक का उपयोग किया गया है। हालाँकि दिल्ली , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश सहित देश के कई अन्य राज्यों में भी प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग में प्रतिबंध है। लेकिन इसके बावजूद भी प्लास्टिक की थैलियां धड़ल्ले से बिक रही है। 

हर जगह हैं प्लास्टिक की थैलियों की पहुँच 

सबसे मजेदार बात यह हैं कि इन प्लास्टिक की थैलियों की पहुंच हर जगह हैं। नदी नालों  ,सागरों महासागरों , एवरेस्ट की चोटियों , जंगलों , भूमि के अंदर , भूमि के बाहर ,यानि  सब जगह प्लास्टिक की थैलियों ही दिखाई देती हैं।

शायद ही दुनिया में अब कोई ऐसी जगह बची हो , जहां ये प्लास्टिक की थैलियां ना पहुंची हो। और शायद ही कोई ऐसा मनुष्य हो जो इन प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से अछूता रहा हो।

उपसंहार 

अगर हमें वाकई में अपनी भावी पीढ़ी को सुरक्षित रखना है। और उन्हें एक स्वस्थ व सुंदर पर्यावरण देना है। तो हमें इन प्लास्टिक की थैलियां से दूरी बनानी ही होगी। प्लास्टिक की थैलियों की जगह कागज या कपड़े की थैलियों को इस्तेमाल करने की आदत डालनी ही होगी। वरना वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया प्लास्टिक की थैलियों से ही भरी पड़ी मिलेंगी। 

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