साक्षरता का महत्व पर हिन्दी निबन्ध : Essay on Saksharata ka mahatw
Essay on Saksharata ka mahatw
साक्षरता का महत्व पर हिन्दी निबन्ध
Content (Essay on Saksharata ka mahatw)
- प्रस्तावना (Introduction)
- साक्षरता का अर्थ (Meaning of Saksharata )
- साक्षरता का महत्व (Importance of Saksharata )
- भारत में साक्षरता (Saksharata in India)
- साक्षरता के लिए सरकारी योजनाएं (Government Scheme for Saksharata)
- उपसंहार (Conclusion)
प्रस्तावना
एक बड़ी पुरानी कहावत है कि कभी-कभी जो बाजी या लड़ाई तलवार से नहीं जीती जा सकती। वह लड़ाई कलम से आराम से जीती जा सकती है। और यह कहावत आज के परिपेक्ष में बिल्कुल सच है।लेकिन इसके लिए कलम पकड़ना आवश्यक है। क्योंकि कलम पकड़ने की इच्छा से ही अक्षर ज्ञान संभव है।
और किसी व्यक्ति को अगर अक्षर ज्ञान हो जाए तो उसका मतलब हैं कि वह व्यक्ति साक्षर है।क्योंकि साक्षरता का मतलब है व्यक्ति को अक्षरों का ज्ञान होना यानी अक्षरों को पढ़ना लिखना जानना व समझना।
साक्षरता का अर्थ (Meaning of Saksharata )
साक्षरता का अर्थ है देश के अनपढ़ लोगों को पढ़ने लिखने योग्य बनाना।दूसरे शब्दों में कहें तो साक्षरता का अर्थ है साक्षर होना यानी पढ़ने लिखने की योग्यता हासिल करना। भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने , पढ़ने योग्य हो जाए तो उसे साक्षर माना जाएगा।
अनपढ़ या अशिक्षित व्यक्ति भी हमारे समाज के ही अंग हैं। समाज का पूरा विकास तब तक संभव नहीं होता , जब तक देश का हर नागरिक शिक्षित नहीं हो जाता। लोकतंत्र में प्रजा ही असली शासक होती हैं।यदि ऐसे में प्रजा ही अनपढ़ होगी तो वह देश की बागडोर कैसे संभालेगी।
साक्षरता का महत्व (Importance of Saksharata )
भारत को गांव का देश कहा जाता है।हमारे देश में अधिकतर लोग गांव में रहते हैं। इनमें किसान और मजदूरों की संख्या बहुत अधिक है।निरक्षर लोगों में सबसे अधिक संख्या इन्हीं की है।और सबसे ज्यादा शोषण का शिकार भी निरक्षर व्यक्ति ही होता है।
चालक व्यापारी , चतुर व कुटिल नेता व सरकारी अधिकारी सभी इनका लाभ उठाते हैं।यदि देश के सभी नागरिक पढ़ लिख कर साक्षर हो जाय तो , वो इन बुरे लोगों के बनाये जाल में फंसने से बच जाएंगे।
साक्षर लोग ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लिए गए हर फैसले को अच्छे से समझ पाएंगे। और सरकार द्वारा उनके लिए चलाई गई योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे।
सरकार द्वारा किये गए हर अच्छे काम में सरकार का सहयोग करेगें। और साथ ही सरकार की गलत नीतियों का विरोध भी कर सकेंगे।
लोकतंत्र में चुनाव बहुत अहम होते हैं। और एक अच्छा प्रत्याशी चुनना भी कठिन कार्य है। लेकिन एक साक्षर व्यक्ति अपने वोट की कीमत समझते हुए चुनाव के वक्त सही प्रत्याशी को ही चुनेगा। ताकि वह प्रत्याशी उसके और उसके समाज की तरक्की में सहायक हो सके।सरकार द्वारा चलाई गई हर योजना का लाभ उन तक पहुंचा सके।
शिक्षित व्यक्ति अगर खेती भी करेगा तो वह खेती को भी वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर करेगा।आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग कर अधिक अनाज की पैदावार कर सकेगा।और साथ ही साथ अपने गांव के विकास में भी अपना सक्रिय योगदान दे सकेगा।
एक शिक्षित महिला अपने बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षित कर सकती हैं।साथ ही साथ रोजगार या नौकरी कर अपने परिवार को आर्थिक लाभ भी पहुंचा सकती हैं। जिससे परिवार के साथ समाज का भी भला होगा।
साक्षरता के अभाव में हमारे देश के किसान तथा मजदूर सदियों से अज्ञानता और अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। उन्हें ना तो अपने अधिकारों और ना ही सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता के बारे में ज्ञान होता है। और न ही वो अपने देश के गौरव के बारे में जानते है।
भारत में साक्षरता (Saksharata in India)
आजादी के वक्त यानी 1947 में भारत में साक्षरता दर सिर्फ 12 % थी। आजादी के बाद भारत की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार हुआ। सरकार ने कई योजनाएं चलाकर लोगों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया। लेकिन आज भी हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है।
किसी देश अथवा राज्य की साक्षरता दर वहां के कुल लोगों की जनसंख्या तथा उस जनसंख्या में पढ़े लिखे लोगों की संख्या के अनुपात को कहा जाता है। 2011 के सर्वेक्षण के हिसाब से भारत में साक्षरता की दर 74.04% थी।लेकिन अभी भी भारत में संसार की सबसे अधिक अनपढ़ जनसंख्या निवास करती है।
भारत में पुरुषों की साक्षरता दर 82% और महिला की साक्षरता दर महज 65% है। भारत में केरल ऐसा राज्य है जहां साक्षरता दर सर्वाधिक 94% है।वहीं बिहार सबसे कम साक्षरता दर 64% वाला राज्य है। केंद्र शासित प्रदेशों में लक्ष्यद्वीप सर्वाधिक 92% साक्षरता दर प्रदेश है।
साक्षरता के लिए सरकारी योजनाएं (Government Scheme for Saksharata)
भारत में शिक्षा का अधिकार कानून लागू है जिसमें 14 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूल जाना अनिवार्य किया गया है। इन बच्चों के लिए स्कूल में शिक्षा के साथ मिड डे मील में पौष्टिक आहार की भी व्यवस्था की गई है। तथा सरकार की तरफ से इनको कॉपी और किताबें मुफ्त में दी जाती हैं।ताकि गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी पढ़ाई लिखाई से वंचित न रहे।
आजादी मिलने के बाद हमारी सरकार ने साक्षरता के प्रसार प्रचार के लिए अनेक योजनाएं शुरू की। अनेक शिक्षा कार्यक्रम ( जैसे प्रौढ़ शिक्षा ) चलाकर गांव के बड़े बुजुर्गों को पढ़ाने का भरसक प्रयास किया।
नौकरी पेशा लोग जो दिन में स्कूल नहीं जा सकते उनके लिए जगह-जगह पर रात्रि के समय स्कूल चलाए गए।गांवों में साक्षरता अभियान अभी भी चलाए जा रहे हैं। पंचायत घरों में पुस्तकालय खोले जा रहे हैं।
उपसंहार
देश की उन्नति के लिए देश के हर व्यक्ति को साक्षर होना जरूरी है। अन्यथा देश का सर्वांगीण विकास एक सपना ही बनकर रह जाएगा।इसीलिए साक्षरता आंदोलन आज के युग की मांग है।
हर व्यक्ति को इस अभियान में अपना सक्रिय सहयोग देना चाहिए। इस सेवा से श्रेष्ठ सेवा शायद ही कोई और हो सकती है। यदि एक शिक्षित व्यक्ति एक अनपढ़ आदमी को पढ़ाना सिखा दे तो देश से निरक्षरता का नामोनिशान मिटा सकता है।
साक्षरता का महत्व : Essay on Saksharata ka mahatw
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