Essay On Ideal Friend : आदर्श मित्र पर हिन्दी निबन्ध

Essay On Ideal Friend : आदर्श मित्र पर हिन्दी निबन्ध

Essay On Ideal Friend 

आदर्श मित्र पर हिन्दी निबन्ध

Content 

  1. प्रस्तावना
  2. आदर्श मित्र के गुण
  3. आदर्श मित्र की पहचान
  4. आदर्श मित्रों के कुछ उदाहरण 
  5. उपसंहार

प्रस्तावना

किसी भी इन्सान के जीवन में मित्र का स्थान सबसे अनोखा व महत्वपूर्ण होता है।क्योंकि एक सच्चा मित्र कई बार आपकी बड़ी से बड़ी समस्या को भी चुटकियों में हल कर देता है।और आपको गहन हताशा , निराशा से निकाल कर सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

सच में एक सच्चा मित्र आपके जीवन को खुशगवार व सफल बना सकता है।उत्तम गुणों वाला व्यक्ति व सच्चा मित्र ही आदर्श मित्र बन सकता है।

आदर्श मित्र के गुण 

आदर्श मित्र वो होता हैं जो सदैव अपने मित्र के हित की ही कामना करता है , चाहे वक्त अच्छा हो या फिर बुरा।वह विपरीत परिस्थितियों में भी कभी अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ता है।और आपत्ति काल में हमेशा अपने मित्र की रक्षा करता है। ऐसे सच्चे मित्र अपने मित्र के सुख-दुख को अपना सुख-दुख और लाभ-हानि को अपना लाभ-हानि समझते हैं।

लगातार असफलताओं का सामना करते हुए यदि कभी हम निराश या हताश हो जाते हैं और अपना लक्ष्य छोड़ने की सोचने लगते हैं तब यही सच्चा मित्र हमारे अंदर आशा का संचार करता है। और हमारे आंसू पोछ कर हमें अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर होने को प्रेरित करता है।

एक आदर्श मित्र की पहचान ही है कि वह बुद्धिमान , दृढ़ मनोबल वाला और निस्वार्थ भाव से स्नेह करने वाला होता है। आदर्श मित्र में सहिष्णुता और उदारता की भावना होती है। वह हमें सिर्फ हमारे सद्गुणों के बारे में ही नहीं बताता बल्कि हमारे अंदर की कमियों को भी हमें बता कर उनको दूर करने में हमारी मदद करता है।

वह कभी भी अपने मित्र के कमियों या उसकी नकारात्मक बातों से नाराज होकर उससे मुंह नहीं मोड़ता बल्कि वह अपने मित्र की कमियों को भी बड़े स्नेह से दूर करने की कोशिश करता है। 

अगर हम कभी गलत रास्ते पर जा रहे हों तो एक सच्चा मित्र हमें गलत रास्ते पर जाने से रोक लेता है। एक आदर्श मित्र कभी भी अपने स्वार्थ बस अपने मित्र को किसी प्रकार की हानि कभी नहीं पहुंचाता है या उसके साथ किसी प्रकार की धोखाबाजी या चालबाजी नहीं करता। यहां तक कि मित्र की धन दौलत भी उसको लालची बनाकर अपने कर्तव्य पथ से नहीं डिगा सकती हैं। 

आदर्श मित्र की पहचान 

एक सच्चे व आदर्श मित्र की पहचान यही है कि वह अपने मित्र से कभी झूठ नहीं बोलता , उसे कभी धोखा नहीं देता है , बुरे से बुरे समय में भी उसका साथ कभी नहीं छोड़ता है। कभी भी अपने मित्र की निंदा दूसरों से न करता है और न ही उसकी निंदा सुनना पसंद करता है।

ऐसे मित्र की मित्रता बादल में चमकने वाली बिजली की तरह अस्थाई नहीं होती बल्कि कृष्ण सुदामा के जैसी चिर स्थाई होती हैं जो जीवन भर बनी रहती हैं।

एक आदर्श मित्र अपने मित्र के लिए तन , मन , धन सब कुछ न्योछावर कर सकता है।सच्चा मित्र हमेशा अपने मित्र की प्रगति और उसकी सफलता को देखकर प्रसन्न रहता है बजाय उससे ईर्ष्या करने के। क्योंकि ईर्ष्या की आग में जलने वाला व्यक्ति कभी भी आपका परम मित्र नहीं हो सकता है।

आदर्श मित्रों के कुछ उदाहरण 

इस दुनिया में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व अपने मित्रों पर न्यौछावर कर अपनी आदर्श मित्रता की अमिट छाप इस दुनिया के लोगों पर छोड़ी।इसीलिए आज भी जहां कही भी लोग आदर्श मित्रता के बारे में बात करते है तो इनका नाम जरूर लिया जाता है। 

इन सब में सबसे पहले कृष्ण सुदामा का नाम आता है। कृष्ण सुदामा की दोस्ती से भला कौन परिचित नहीं है। कहां तो कृष्ण द्वारिका के राजा और कहां सुदामा एक गरीब ब्राह्मण। लेकिन जब अपनी गरीबी के कारण एक बार सुदामा कृष्ण से मदद मांगने द्वारिका पहुंचे तो भगवान श्रीकृष्ण नंगे पैर दौड़े-दौड़े अपने परम मित्र के पास पहुंचे और उन्हें गले से लगाकर उनका भव्य स्वागत किया।और द्वारिका से जाते समय सुदामा को अनमोल उपहारों के साथ विदा किया। 

दूसरा उदाहरण श्री राम और सुग्रीव व श्री राम और विभीषण की मित्रता का मिलता है।जो अपने आप में एक आदर्श मित्र की अनूठी मिसाल पेश करते हैं।भगवान श्रीराम ने सुग्रीव व विभीषण से अपनी मित्रता पूरी शिद्दत से निभाई।उन्होंने बाली को पराजित कर सुग्रीव को किष्कंधा का राजा बनाया तो वहीं दूसरी ओर लंकापति रावण को मारकर विभीषण को लंका के राजा के पद पर सुशोभित कर अपना मित्र धर्म निभाया। 

ऐसे अनेक उदाहरण हमारे महाकाव्यों में भी मिलते हैं। जैसे संस्कृत के एक नाटक “मुद्राराक्षस” में श्रेष्ठी सेठ चंदन दास और मंत्री राक्षस की ही मित्रता को देख लीजिए।मित्र धर्म निभाने के लिए सेठ चंदन दास ने अपनी धन दौलत तो छोड़िए , अपनी पत्नी व पुत्र को भी छोड़कर मरने के लिए तैयार हो जाते हैं। वो आदर्श मित्रता की अनूठी मिसाल की पराकाष्ठा को पेश करते हैं। 

उपसंहार

एक सच्चा आदर्श मित्र जीवन में ना होने से कभी-कभी जीवन भी नीरस व उत्साह विहीन सा लगता है। क्योंकि एक आदर्श मित्र आपके दुख में संजीवनी बूटी औषधि के जैसे होता हैं , तो सुख में उसके रहने से खुशियां दुगनी हो जाती हैं। किसी भी व्यक्ति के जीवन को मधुर , सफल और सुखद बनाने में आदर्श मित्र का बहुत बड़ा योगदान होता है।

सच तो यह है कि आदर्श मित्र जीवन गंगा में गंगोत्री की तरह ही होता है।और ईश्वर का अनमोल उपहार होता है। लेकिन आज के इस भौतिकवादी युग में जहां लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही जीते हैं। ऐसे सच्चे मित्र का मिलना नामुमकिन तो नहीं , लेकिन मुश्किल सा लगता है। 

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