Essay on Dussehra Festival : दशहरा निबंध

Essay on Dussehra Festival : दशहरा या विजयादशमी पर निबंध

Essay on Dussehra Festival

दशहरा या विजयादशमी पर निबंध

Essay on Dussehra Festival

प्रस्तावना 

भारत विविधताओं का देश है।जहां पर अनेक त्योहारों को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है।

यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।दशहरा हमारा एक गौरवपूर्ण त्यौहार है।शरद ऋतु के स्वच्छ व मनमोहक वातावरण में दशहरा जीवन में आनंद और उत्साह की लहर लेकर आता है। 

दशहरा (विजयादशमी ) मनाने का कारण

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन श्री राम ने लंका के राजा रावण का वध कर उसमें विजय प्राप्त की थी और उसके अत्याचारों से ऋषि-मुनियों व प्रजाजनों को आजाद किया था।जिस कारण सभी प्रजाजनों में खुशी फैल गई।इस दिन की याद में विजयदशमी या दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। 

यह भी मान्यता है कि पांडवों का अज्ञातवास इसी दिन पूरा हुआ।और इसी दिन अर्जुन ने शमी वृक्ष पर रखे अपने गांडीव धनुष को पुन: उठाकर दुर्योधन के सैनिकों पर हराया था। और राजा विराट की गायों वापस लौटाई थी।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन राजा रघु ने देवराज इंद्र पर विजय प्राप्त की। और उससे बहुत स्वर्ण प्राप्त किया था। जो बाद में उन्होंने दान कर दिया। 

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दशहरा की तैयारियों (Essay on Dussehra Festival)

दशहरा शरद ऋतु का पौराणिक पर्व है।इसीलिए दशहरे के त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है। दशहरे के पहले 9 दिन तक नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। माना जाता है कि शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा ने लगातार नौ रात और 10 दिन तक युद्ध कर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।इसीलिए इन दिनों शक्ति पूजा की जाती हैं।

अश्विन मास की एकादशी यानि प्रतिपदा के दिन से मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना शुरू हो जाती है।माता दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना जाता है।जो लोगों के हर कष्ट को मिटा कर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

और दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती हैं।यह त्यौहार अश्विन मास की शुक्ल दशमी के दिन सारे देश में मनाया जाता है।इसी अवसर पर बंगाल में दशहरे के दिन माता दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई के प्रतीक का पर्व है।

हिंदू धर्म में इन पवित्र दिनों में मांस , मदिरा , यहां तक कि लहसुन ,प्याज का प्रयोग भी नहीं किया जाता है।

देश भर में दशहरे की धूम

पूरे देश में दशहरे की धूम रहती है।मां दुर्गा की पूजा पूरे भारतवर्ष में की जाती है।लेकिन बंगाल की दुर्गा पूजा तो विश्व विख्यात है।बंगाली लोग इन दिनों मां दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं।उनके लिए यह त्यौहार विशेष होता है।

इसी तरह गुजरात में इन दिनों गरबा की धूम रहती है।गरबा के रंग में रंगे हुए लोगों का उत्साह तो सातवें आसमान पर होता है।वहीं राजस्थान में मारवाड़ी व राजपूत लोगों के बीच में डांडिया का नृत्य रात भर चलता रहता है। मां की आराधना के साथ-साथ डांडिया के नृत्य में लोग पूरी तरह से रंगे हुए नजर आते हैं।पूरे 9 दिनों तक राजस्थान में डांडिया किया जाता है।

यह हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है।और पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।इसीलिए इस दिन लगभग सभी स्कूल-कॉलेज , सरकारी कार्यालय व प्राइवेट ऑफिस बंद रहते हैं।इस दिन सरकारी अवकाश घोषित किया जाता है।

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कुल्लू और मैसूर का दशहरा है बहुत प्रसिद्ध

विजयादशमी सम्पूर्ण भारत में बहुत ही उत्साह व खुशी के साथ मनाया जाता है।भारत में कुल्लू का दशहरा , मैसूर का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है।जिसे देखने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं।दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक विजयादशमी का पर्व हर जगह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

रामलीला का आयोजन (Essay on Dussehra )

नवरात्रि के दिनों में जगह-जगह पर मेलों व रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है।बच्चे , बूढ़े ,  नौजवान व महिलाएं हर कोई रामलीला देखने को बड़ा उत्साहित रहता है।रामलीला देखने लोग दूर-दूर से जाते हैं।

पूरे 9 दिन तक भगवान राम के जीवन का हर पहलू रामलीला में दिखाया जाता है।दसवें दिन रावण , मेघनाथ कुम्भकर्ण के बड़े-बड़े पुतले बनाए जाते हैं।और दशहरे के दिन रावण वध के साथ ही रावण , कुंभकरण , मेघनाथ आदि के बड़े-बड़े पुतलों को जलाया जाता है। और आतिशबाजी की जाती है।

विदेशों में भी मनाया जाता है दशहरा 

विश्व के अनेक देशों में भी दशहरा पर्व मनाया जाता है।जैसे बांग्लादेश , नेपाल , श्रीलंका आदि जगहों में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इन दिनों दुर्गा पूजा का आयोजन करते है।और मां दुर्गा की भक्ति कर दशहरा पर्व मनाते है।

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दशहरा पर्व का महत्व 

  • दशहरे का दिन मंगल कार्यों की शुरुवात करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।इस दिन लोग बिना पूछे शादी ब्याह आदि कार्यक्रमों को करते हैं। 
  • वैसे तो चातुर्मास के 4 महीनों में शादी विवाह या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।लेकिन दशहरे के दिन (विजयादशमी) को बहुत शुभ दिन माना जाता है।इसीलिए इस दिन सारे पवित्र कार्य शादी विवाह इत्यादि किए जाते हैं।
  • इस दिन घरों , दुकानों एवं कार्यालयों के दरवाजों में तोरण बांधे जाते हैं। इस दिन नए कार्य की शुरुआत करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
  • व्यवसाई लोग दशहरे के दिन अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं। और शस्त्रों की पूजा करते हैं।
  • लोग अपने रोजगार के उपकरणों व कल कारखानों की पूजा करते हैं।
  • किसानों के जीवन में दशहरा नया रंग भर देता है।  इसके बाद ही वे रवि की फसल की तैयारी करते हैं।
  • दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत ही शुभ माना जाता है। 
  • कुछ लोग नया कार्य जैसे उद्योग , व्यापार आदि प्रारंभ करते हैं।ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है।वह अवश्य सफल होता है।
  • कई लोग इस दिन विवाह के पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।किसान भाई इस दिन मिट्टी में कुछ बीच रोप देते हैं।
  • पुराने समय में जब लोग युद्ध भूमि में जाते थे।अपने अस्त्रों के बल पर ही विजय पाते थे।इसीलिए इस दिन वो अपने औजारों व हथियारों की पूजा करते थे।इस दिन मशीनों की भी पूजा की जाती है। व्यापारी वर्ग अपनी दुकानों व व्यापार से संबंधित चीजों की पूजा करते हैं।कई नए कार्यों का शुभारंभ नवरात्र से किया जाता है।
  • दशहरा पर्व हर व्यक्ति को संदेश देता है अपने अंदर की सभी बुराइयां जैसे काम , क्रोध , लोभ, मोह , झूठ , बोलना , हिंसा , आलस्य , नशा , चोरी , घूसखोरी , बैर भावना , आलस्य आदि पर पूर्ण रूप से विजय पाने का।
  • किसानों की इस वक्त नई फसल पैदा होती है। और अच्छी फसल से घर के भंडार भरे होने से किसानों का मन वैसे भी प्रसन्न चित्त रहता है।

दशहरा का सन्देश (Essay on Dussehra Festival)

दशहरा जो सिर्फ हम भारतीयों को ही नहीं , बल्कि पूरे विश्व को एक संदेश देता है कि बुराई कितनी भी बड़ी और कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो।अच्छाई और सत्यता के सामने वह कभी नहीं टिक सकती और एक दिन उसका अंत होना निश्चित है।

उपसंहार 

यह दिन है आपसी भेदभाव को भूलकर सामाजिक एकता का , राग द्वेष को भूलकर गले मिलने का , आपस में भाईचारा बढ़ाने का और अपने रिश्तों को मजबूत करने का।यह पर्व हम सब लोगों को एकता के अटूट बंधन में भी बांधता है।

दशहरे का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।सचमुच दशहरा पर्व विजय का पर्व है। इस पर्व से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम अपने जीवन के उतार-चढ़ाव पर , कठिन परिस्थितियों में धैर्य व साहस के साथ आगे बढ़कर ही जीत सकते हैं। तथा धर्म व न्याय से ही मानवता की रक्षा कर सकते हैं। 

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