Essay On New Education Policy 2020

Essay On New Education Policy 2020 :

Essay On New Education Policy 2020

नई शिक्षा नीति 2020 पर हिंदी निबंध

Essay On New Education Policy 2020

Content /संकेत बिन्दु /विषय सूची

  1. प्रस्तावना
  2. शिक्षा क्या है ?
  3. भारत केंद्रित शिक्षा
  4. समग्र शिक्षा
  5. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 
  6. ज्ञान आधारित समाज
  7. उपसंहार 

प्रस्तावना

शिक्षा’ शब्द का अर्थ होता हैं सीखने-सिखाने की सतत प्रक्रिया। किसी भी मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। शिक्षा ना सिर्फ मनुष्य को ज्ञान की राह दिखाती है बल्कि शिक्षा मनुष्य का व्यक्तिगत , भौतिक , आध्यात्मिक , सामाजिक विकास भी करती है।

यानि हम यह कह सकते हैं कि शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है। और अगर यही शिक्षा अपने देश की संस्कृति , ज्ञान , विद्या और मातृभाषा से जुड़ जाय तो , उस शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। हमारे देश की नई शिक्षा नीति अब हम सभी को यह अवसर प्रदान करने जा रही हैं। और शायद नई शिक्षा नीति , शिक्षा के क्षेत्र में समय की मांग तथा देश की जरूरत भी थी। 

शिक्षा क्या है ?

शिक्षा शब्द उत्पत्ति संस्कृत के ‘शिक्ष’ शब्द से हुए है जिसका अर्थ होता है सिखना या सिखाना। अर्थात वह प्रक्रिया जिसमें शिक्षक द्वारा शिक्षा देना (अध्यापन कार्य ) और छात्रों द्वारा उसे ग्रहण करना (अध्ययन कार्य) किया जाता हैं। शिक्षा कहलाती है। लेकिन आज तक हमारे देश में जो शिक्षा व्यवस्था चली आ रही थी। उसे सही शिक्षा नहीं कहा जा सकता हैं। रवींद्र नाथ टैगोरजी ने अपने विचार इस शिक्षा व्यवस्था में कुछ  इस तरह दिए थे।

 “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित , परीक्षा पास करने के संकीर्ण मक़सद से प्रेरित , यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों , परिभाषाओं , तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है  और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”

और महात्मा गांधी कहते थे कि  “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक , बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और लोगों को कुछ करने के लिए प्रेरित करती है”। यानी जो शिक्षा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करें , वही सार्थक शिक्षा हैं। नई शिक्षा नीति 2020 , महात्मा गांधी के इसी सपने को पूर्ण करती हैं। 

भारत केंद्रित शिक्षा

यह हम सब के लिए बड़ी खुशी की बात यह हैं कि पहली बार हमारे देश की शिक्षा नीति “भारत केंद्रित” बनी है। भारत सरकार ने पुरानी शिक्षा नीति को बदल कर “नई शिक्षा नीति 2020”  को लागू करने का फैसला किया है जो सही अर्थों में सच्ची शिक्षा होगी। इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता हैं जब नई शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से “भारत केंद्रित शिक्षा” बनाया जा रहा हैं।

इसमें मातृ भाषा , स्थानीय भाषा पर जोर दिया जायेगा। और विषयों का चयन विद्यार्थियों पर छोड़ दिया जायेगा। अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी। भारतीय विद्याओं को शिक्षा के केंद्र में लाया जायेगा और संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति संबंधित ज्ञान को बढ़ावा दिया जाएगा। लचीलापन इस शिक्षा नीति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

भारत केंद्रित शिक्षा से ही हम भारतीय मूल्यों को पुन: स्थापित कर सकते हैं। और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी पूरा कर सकते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें अपनी जड़ों से दुबारा जुड़ने और फलने फूलने के ढेर सारे अवसर प्रदान करेगी ।  भारत की शिक्षा भारत केन्द्रित ही होनी चाहिए। 

नई शिक्षा नीति 2020 में “मानव संसाधन विकास मंत्रालय” का नाम बदल कर “शिक्षा मंत्रालय” कर दिया गया है।और वर्तमान में रमेश पोखरियाल निशंक शिक्षा मंत्री हैं। 34 साल पहले यानि सन 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी। तीन दशक से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।इस नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% भाग खर्च किया जायेगा। 

समग्र शिक्षा

नई शिक्षा नीति में समग्र शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। समग्र यानी संपूर्ण या समस्त। सभी शिक्षक अपने विषयों और उनके पाठ्यक्रमों के बारे में छात्रों के हित ध्यान में रखकर खुद निर्णय ले सकेंगे। भाषा की बाध्यताओं भी दूर होगी। आज तक की शिक्षा व्यवस्था में इंटरमीडिएट पास करने के बाद ही टेक्निकल शिक्षा या व्यवसायिक शिक्षा में प्रवेश लिया जा सकता था। लेकिन अब स्कूल से ही छात्र अपनी रुचि के विषयों में प्रवेश लेकर उनकी पढ़ाई कर सकेंगे। अब इसे पाठ्यक्रम का अंग बना दिया गया है।

छटी (6) कक्षा के बाद छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं। और 8वीं से 11वीं तक के छात्र अपनी पसंद के विषय भी चुन सकते हैं। अब किसी भी स्ट्रीम का छात्र कोई भी विषय ले सकता है यानी विज्ञान के छात्र संगीत या कोई अन्य विषय भी ले सकते हैं। 

त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा और उच्च शिक्षा तक संस्कृत को विकल्प के रूप में दिया जाएगा। सभी राज्य बिना किसी दबाव के अपनी पसंद की भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। कॉलेज या उच्च शिक्षा में प्रवेश और निकासी ,  दोनों में ही लचीलापन होगा। भारत में यह सुविधा बिलकुल नई है।अगर कोई विद्यार्थी किसी कारण वश अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देता हैं। तो वह  कुछ समय बाद अपनी पढ़ाई दुबारा शुरू कर सकता है। उसका पुराना क्रेडिट कायम रहेगा। 

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 

नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। न सिर्फ शिक्षा बल्कि विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता और उनको बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। क्योंकि अगर शिक्षा में गुणवत्ता होगी तो , वह रोजगार के द्वार भी खोलेगी और व्यक्ति व राष्ट्र के विकास में भी सहायक होगी। 

यानि एक ऐसी शिक्षा है जो हर बच्चे के सम्पूर्ण जीवन के हर पहलू का विकास करें और उसके साथ ही बच्चे की क्षमताओं का भी संपूर्ण विकास करे। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के द्वारा शिक्षा का स्तर सुधारने और शिक्षा में तकनीकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा ।  इसमें विद्यार्थी और शिक्षकों को अधिक सशक्त बनाया जायेगा। पहली कक्षा से कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थीयो पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अब छठी कक्षा से ही बच्चे को व्यवसायिक व कौशलपूर्ण शिक्षा दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। सिर्फ डिग्री लेने वाली शिक्षा के बजाय रचनात्मकता , तार्किकता , तकनीकी और रोजगार परक शिक्षा पर बल दिया जाएगा। ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक “राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF)” बनाया जायेगा , जहाँ वर्चुअल लैब विकसित की जाएंगी। 

शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति को बनाने से पहले देश की लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतें , 6600 ब्लॉक और 650 जिलों के शिक्षाविदों , अध्यापकों , अभिभावकों , जनप्रतिनिधियों एवं व्यापक स्तर पर छात्रों से भी सुझाव लिए गए थे ।उसके बाद नई शिक्षा नीति सामने आयी। 

अब सभी विश्वविद्यालयों पर एक समान नियम लागू होंगे। यानि अब डीम्ड यूनिवर्सिटी , सेंट्रल यूनिवर्सिटी आदि का अस्तित्व खत्म हो जायेगा। अब सभी विश्वविद्यालय ही कहलाएंगे। सभी महाविद्यालयों को निश्चित समय-सीमा में स्वायत्त बनना पड़ेगा। महाविद्यालय या तो स्वायत्त होंगे या फिर किसी विश्वविद्यालय का हिस्सा होंगे। 

महाविद्यालय तीन प्रकार के होंगे। पहले प्रकार के वो विश्वविद्यालय होंगे जो शोध पर जोर देंगे। दूसरे शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे और तीसरे महाविद्यालय बिना किसी के दबाव के स्वायत्त ढंग से अपने फैसले ले सकेंगे। एफफिल और पीएचडी के कोर्स लगभग एक जैसे ही थे। इसलिए अब एमफिल को खत्म कर दिया गया है।

ज्ञान आधारित समाज

किसी भी समाज , राष्ट्र और उसके नागरिकों के सर्वागीण विकास के लिए सिर्फ कालेज या विश्वविद्यालय की डिग्री आधारित समाज की नहीं , बल्कि ज्ञान आधारित समाज की अत्यंत आवश्यकता होती है।
 
वर्तमान समय में एक ऐसे समाज की बहुत आवश्यकता है।जिसमें सभी कामों को ज्ञान के आधार पर किया जाय। ज्ञान आधारित समाज की नींव दूरसंचार तंकनीक के विस्तार से पड़ी हैं । ज्ञान आधारित समाज के निर्माण में ज्ञान के केन्द्र मानी जाने वाली शिक्षण संस्थायें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। 
 
उपसंहार 

शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे किसी भी व्यक्ति , समाज व राष्ट्र को ताकतवर बनाया जा सकता है और जब वह शिक्षा अपनी जड़ों से जुड़ी हुई हो या अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हो तो , वह चहँमुखी विकास करती है। रोजगार के नए अवसरों को पैदा करती है।

शिक्षा व्यक्ति व समाज को विनम्र , सहनशील , सभ्य और शिष्ट बनाती हैं। नई शिक्षा नीति इन सभी मापदंडों में खरी उतरती हैं जो भविष्य में छात्रों को एक नई दिशा प्रदान करेगी। यह शिक्षा नीति भारत की प्रतिभाओं को और निखारने व तराशने का काम करेगी। भारत की यह नई शिक्षा व्यवस्था भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी।

 

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