Biggest Tulip Garden in India ,मिनी कश्मीर (पिथौरागढ़) अब महक उठेगा टयूलिप के फूलों से।
Biggest Tulip Garden At Pithoragarh In India
पिथौरागढ़ को “मिनी कश्मीर” यूँ ही नही कहते है।यह वाकई में प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत जगह है।इसकी खूबसूरती को और निखारने तथा उसमें चार चांद लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने यहाँ पर देश का सबसे बड़ा टयूलिप गार्डन बनाने का फैसला किया है।
जी हां!! बहुत जल्दी पिथौरागढ़ से लगभग 8 किलोमीटर दूर चंडाक क्षेत्र में देश का सबसे बढ़ा टयूलिप गार्डन (Biggest Tulip Garden At Pithoragarh) बनने जा रहा है।50 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाले इस टयूलिप गार्डन को तैयार करने का खर्चा लगभग 50 करोड़ रूपये होगा।
लेकिन यह टयूलिप गार्डन भारत के पहले टयूलिप गार्डन (जो कश्मीर में स्थित है) से कई गुना बड़ा होगा।
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कश्मीर में भी है ट्यूलिप गार्डन
अपने देश में एक ट्यूलिप गार्डन पहले से ही है जो कश्मीर में स्थित है।कश्मीर स्थिति यह ट्यूलिप गार्डन सिर्फ एक हेक्टेयर की जमीन पर बनाया गया है।लेकिन इस गार्डन को देखने यहां पर देश दुनिया के लोग आते हैं।
पिथौरागढ़ में टयूलिप गार्डन बनाने का मुख्य उद्देश्य (Aim to Make Biggest Tulip Garden At Pithoragarh)
उत्तराखंड का भूभाग पलायन की मार झेल रहा है।हर रोज विरान होते गांव,खंडहर होते मकान और बंजर होती जमीनों को फिर से आबाद करना सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है।
इसी चुनौती का सामना करने, पलायन को रोकने, नौजवानों को फिर से अपने गांव-घर वापस लाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर एक साथ काम कर रही है।
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पिथौरागढ़ में टयूलिप गार्डन बनाने का सबसे बड़ा और मुख्य उद्देश्य घर-परिवार छोड़ दूसरी जगह पर मजबूरी से बसे लोगों को घर वापस लाने, उन्हें घर में ही रोजगार देने का है।पिथौरागढ़ में टयूलिप गार्डन बनने से देश दुनिया के पर्यटकों का ध्यान इस तरफ आकर्षित होगा।
टयूलिप के सुंदर व मनमोहक फूलों को देखने ,प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए पर्यटक पिथौरागढ़ का रुख करेंगे।पर्यटकों की आवाजाही से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, पर्यटन में वृद्धि होगी ।तो अपने आप ही स्थानीय स्तर पर आजीविका के स्रोत विकसित होगें और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
टयूलिप गार्डन 13 जिले 13 डेस्टिनेशन का हिस्सा (Biggest Tulip Garden At Pithoragarh)
उत्तराखंड सरकार एक ड्रीम प्रोजेक्ट “13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन” के तहत राज्य को “पर्यटन हब” के रूप में विकसित करना चाहती है।13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन के तहत उत्तराखंड सरकार ने हर जिले की कुछ विशेष जगहों को चुनकर वहां पर पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
इन जगहों को सरकार पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करेगी तथा वहाँ आने वाले पर्यटकों को सभी प्रकार की सुख सुविधाएं मुहैया कराएगी ताकि पर्यटक बार बार उन जगहों पर आए।
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इसी प्रोजेक्ट के तहत पिथौरागढ़ की चंडाक जगह को पहले से ही पर्यटन स्थल के रूप में चुना गया था और यहां पर टयूलिप गार्डन बनाने का फैसला किया गया था।ताकि बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर आकर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ टयूलिप के मनमोहक फूलों का आनंद भी ले सकें।
सरकार ने चंडाक को पहले ही 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन में शामिल किया था।योजना में शामिल होने के कारण यहां पर्यटन विकास के लिए 5 करोड़ की धनराशि दे दी गई है।
देश का ही नहीं बल्कि यह एशिया का भी सबसे बड़ा टयूलिप गार्डन है। (Biggest Tulip Garden At Pithoragarh in India/Asia)
हमारे देश में ही नहीं फिलहाल पूरे एशिया में 50 हेक्टेयर भूमि में फैला टयूलिप गार्डन कहीं भी नहीं है।इसीलिए इसे “एशिया का पहला सबसे बड़ा टयूलिप गार्डन” माना जा रहा है।
टयूलिप गार्डन में होगी कई सुबिधाएँ
देश के सबसे बड़े टयूलिप गार्डन में पर्यटकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।उन्हें बुनियादी सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी ताकि उन्हें किसी तरह की कोई समस्या का सामना ना करना पड़े और वो बार-बार इस जगह पर लौट कर आए।
इसीलिए सरकार ने टयूलिप गार्डन के भीतर ही गेस्ट हाउस ,कैफिटेरिया और वाटर पार्क आदि भी बनाने का फैसला लिया है जो धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से बनते जाएंगे।पर्यटकों के लिए झूले, वर्ड वाचिंग सेंटर ,हिमालय को देखने के लिए विशेष दूरबीन लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
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वन विभाग की रहेगी अहम भूमिका
उत्तराखंड सरकार का वन विभाग इस टयूलिप गार्डन को बनाने तथा इसका संरक्षण करने का काम करेगा।इस गार्डन के अधिकतर कामों की देखरेख का जिम्मा भी वन विभाग के पास ही है।
वन विभाग के मुताबिक यहां पर ट्यूलिप की सभी प्रजातियों के पौधे लगाये जायेगे हैं।तथा साथ ही साथ यहां पर स्थानीय फूलों को भी लगाया जाएगा।इस गार्डन में कश्मीर के टयूलिप गार्डन में खिलने वाले पौधों को भी लगाया जाएगा।
पिथौरागढ़ के चंडाक में ही क्यों उगाया जा रहा है ?(Biggest Tulip Garden At Pithoragarh)
पिथौरागढ़ शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर 1950 मीटर की ऊंचाई में स्थित चंडाक टयूलिप की खेती के लिए उपयुक्त जगह पाई गई है।विशेषज्ञों के अनुसार यहां पर वर्ष भर धूप रहने के साथ-साथ ठंडक भी बनी रहती है।जो कि टयूलिप की खेती के लिए जरूरी है।क्योंकि टयूलिप अत्यधिक गर्म जगह पर नहीं उगाया जा सकता।
ओएनजीसी करेगा सहयोग
देश के सबसे बड़े टयूलिप गार्डन (Biggest Tulip Garden At Pithoragarh) को बनाने के लिए देश की सबसे बड़ी कंपनी “आयल एंड नेचुरल गैस कंपनी” यानी (ONGC) करीब 50 करोड़ रूपये की आर्थिक मदद देगी। इस गार्डन को बनाने के लिए ओएनजीसी ही धन उपलब्ध कराएगी।
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ओएनजीसी के उच्चाधिकारियों ने पिथौरागढ़ जाकर अच्छे से प्रस्तावित स्थल की जांच परख की।तथा इस जगह को टयूलिप की खेती के लिए उपयुक्त पाया।ओएनजीसी “कारपोरेट सामाजिक दायित्व” के तहत इस स्थान को विकसित करने हेतु धन उपलब्ध कराएगी।
वर्ष में 8 माह खिले रहेंगे टयूलिप के फूल
जम्मू कश्मीर में कश्मीर स्थित टयूलिप गार्डन सिर्फ एक हेक्टेयर भूमि पर ही बना है।और यहां पर पूरे साल में सिर्फ दो माह ही टयूलिप के फूल खिलते हैं।लेकिन पिथौरागढ़ में बनने वाले गार्डन में साल में 8 माह तक फूल खिलेंगे।
टयूलिपा स्टेल्लैटा हुक (Tulipa Stellata Hook)
टयूलिप की इस प्रजाति को विशेष रूप से भारत के उत्तर पश्चिमी हिमालय के क्षेत्रों ,कश्मीर व कुमाऊं में उगाया जा सकता है।सामान्य तया यह 1,500 से 2,500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है।
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टयूलिप की विशेषता
- टयूलिप को पर्वतीय क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी उगाया जा सकता है।हालांकि मैदानी इलाकों में इस फूल के बल्ब नहीं बन पाते,जो नए पौधे उगाने के लिए जरूरी होते हैं।
- हॉलैंड का यह फूल है जो मार्च से मई के बीच में खिलता है।
- टयूलिप को गर्म स्थानों पर नहीं उगाया जा सकता।यह सिर्फ ठंडे मौसम में ही उगता है।इसीलिए टयूलिप की खेती ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों या ठंडे इलाकों में ही की जाती है।
- टयूलिप की पंखुड़ियां खाने योग्य होती हैं और इसका उपयोग प्याज के स्थान पर किया जा सकता है।
- टयूलिप की नई पौध तैयार करने की लिए बरसात के बाद व सर्दी शुरू होने से पहले इसके बल्बों को जमीन पर रोप देना चाहिए।ताकि ठंड बढ़ने से पहले इसकी पौध तैयार हो जाय।
- नीदरलैंड में टयूलिप की खेती सबसे ज्यादा की जाती है।यहाँ से हर साल लगभग 3 बिलियन फूलों का निर्यात किया जाता है।
- सामान्य तया टयूलिप के एक तने में एक ही फूल खिलता है।
- ट्यूलिप के फूल हमेशा प्रकाश की दिशा में ही झुकते हैं।और यह बसंत ऋतु में केवल 3 से 8 दिन के लिए ही खिलते है।
- टयूलिप की दुनिया भर में 150 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं
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टयूलिप नाम की उत्पत्ति
टयूलिप नाम की उत्पत्ति ईरानी शब्द “टोलिबन” से मानी जाती है जिसका अर्थ है “पगड़ी”। इस फूल का आकार भी पगड़ी जैसा ही होता है।इसके फूलों को उलट देने पर यह पगड़ी जैसा दिखाई देता है।वैसे यह फूल लिली प्रजाति का ही एक हिस्सा माना जाता है।
टयूलिप का हिंदी में नाम कंद पुष्प है।वसंत ऋतु में खिलने वाला यह पौधा मुख्य रूप से एशिया माइनर ,अफगानिस्तान ,कश्मीर, कुमाऊं के हिमालई क्षेत्र, उत्तरी ईरान, टर्की, चीन, जापान ,साइबेरिया और भूमध्य सागर के निकटवर्ती क्षेत्र में पाया जाता है।
मूल रूप से टर्की का यह पौधा सबसे पहले 1554 में ऑस्ट्रिया, फिर 1571 में हॉलैंड और 1557 में इंग्लैंड पहुंचा।अपने मनमोहक, सुंदर रूप व रंग के कारण यह जल्दी ही पूरे यूरोप में लोकप्रिय हो गया।
हर रंग में उगता है यह फूल
ट्यूलिप के फूल लगभग हर रंग(लाल,हरा,पीला बैंगनी,सफेद आदि) में पाये जाते है।लेकिन नीले रंग में नहीं पाये जाते है।ट्यूलिप फूलों की कलियां पूरी तरह सुडौल होती है।हालैंड का यह खूबसूरत फूल मार्च से मई के बीच में खिलता है।
राष्ट्रीय फूल
ट्यूलिप तुर्की व अफगानिस्तान का राष्ट्रीय फूल है।
सबसे ज्यादा महंगा फूल
ट्यूलिप का फूल हमेशा से ही महंगा बिकने वाले फूलों में से एक है लेकिन 1634 से 1638 के बीच इसकी कीमत बहुत ज्यादा थी।इसीलिए इस समय को “Tulip Mania ” भी कहा जाता है।उस समय इस फूल को खरीदना आम आदमी के बस की बात नहीं थी।
सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फूल
इसके फूलों में कोई गंध नहीं होती है।यह लगभग सभी रंगों में पाया जाता है।लाल,सुनहरा,बैगनी पीला,सफेद आदि।गुलाब के फूल के बाद यह दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फूलों में से एक है।
लोग ट्यूलिप के फूलों को शादी ब्याह, जन्मदिन, या ख़ास दिवसों जैसे Father’s Day , Mother’s Day या Valentine Day के मौकेों में एक दूसरे को उपहार स्वरूप देना पसंद करते है।
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