Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Explanation ,Question

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Explanation ,

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भगवान के डाकिए का सारांश 

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Summary 

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Explanation

इस कविता के कवि रामधारी सिंह दिनकर हैं। स कविता में कवि कहते हैं कि भगवान ने एक ही विश्व (संसार) बनाया हैं और उसे किसी भी देश की सीमा रेखा में नहीं बाँधा है। यह तो हम इंसान ही है जिसने इस सुंदर से विश्व को अलग-अलग देशों की सीमाओं में बांध दिया है।

लेकिन आज भी पेड़ , पौधे , पहाड़ , पक्षी और बादल ये सब स्वतंत्र व निष्पक्ष रहते हैं। बादल दुनिया में बिना किसी से पूछे , कही भी , कभी भी , बिना किसी भेदभाव के वर्षा करते हैं। पक्षी किसी भी देश की सीमाओं के बंधनों को नहीं मानते हैं और एक जगह से दूसरे जगह पूरी आजादी के साथ आ और जा सकते हैं। 

पहाड़ , पेड़ , पौधों , नदियों , समुद्र यानि सम्पूर्ण प्रकृति मनुष्य की जातिपाँति , अपना पराया देखे बिना अपना सबकुछ बिना किसी स्वार्थ के न्यौछावर कर देती  हैं। यानि प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती हैं और ये सब मौन रहकर भी हमें भाईचारे , आपसी सौहार्द व परोपकार की भावना का संदेश देते हैं।

इसीलिए कवि इन्हें “भगवान का डाकिया” कह कर बुलाते हैं। कवि के अनुसार पक्षी और बादल एक देश से दूसरे देश में बेरोक-टोक आराम से जाते और आते हैं और ये जो संदेश लेकर आते हैं , उन्हें पेड़ , पौधे , पहाड़ आराम से समझ जाते हैं लेकिन हम इंसान ही उसे समझ नहीं पाते हैं। इसी तरह फूलों की सुगंध उड़ते समय व बादल बरसते वक्त , किसी भी देश की सरहदों को नहीं देखते हैं।

कविता का संदेश 

कवि यहां पर स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि हमें भी जाति पाँति , मेरा-तेरा , अपना-परया , देश की सीमाओं के बंधन से ऊपर उठ कर पक्षियों व बादलों की तरह प्रेम , आपसी भाईचारा और सौहार्द का माहौल बनाकर रहना चाहिए। एक दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए और पूरी दुनिया में निष्पक्ष होकर प्यार बांटना चाहिए। 

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Explanation 

भगवान के डाकिए का भावार्थ

काव्यांश 1 .

पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचते हैं।

भावार्थ

उपरोक्त पंक्तियों में कवि पक्षी और बादलों को भगवान का दूत (डाकिया /संदेशवाहक) कहते है । ये दोनों ही दुनिया की किसी भी सरहद (सीमा रेखा) को नहीं मानते हैं और स्वतंत्रतापूर्वक एक देश की सीमा को लांध कर दूसरे देश में चले जाते हैं। 

कवि आगे कहते हैं कि इन दोनों (पक्षी और बादल) के द्वारा लाये गये संदेशों को पढ़ना या समझाना हम इंसानों के वश की बात नहीं है। यानि ये जो चिट्टियां लेकर आते हैं। उनमें क्या लिखा होता है। हम उसको ना पढ़ पाते हैं और ना ही समझ पाते हैं। 

लेकिन जिन पत्रों को हम नहीं समझ पाते हैं । उन्हें ये पेड़-पौधे , पानी और पहाड़ आराम से समझ जाते हैं। इसीलिए बादलों को देखकर पेड़-पौधे व पक्षी खुशी से झूमने लगते हैं। 

काव्यांश 2.

हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

भावार्थ

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमने इस पूरी दुनिया को अलग-अलग देशों की सीमाओं में बांट रखा है। इसीलिए हम यह समझते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को मीठी सुगंध भेज रही है और वह खुशबू (सुगंध) हवा में तैरते हुए चिड़ियों के पंखों पर सवार होकर एक देश से दूसरे देश जा रही है । यानि माटी या फूलों की खुशबू उड़ते समय देश की सरहदों को नहीं देखती हैं।

कवि आगे कहते हैं कि एक देश की नदी , तालाब या समुद्र के पानी से उठी भाप , काले धने बादल बनकर दूसरे देश में पहुंचती हैं और फिर वहाँ झूमकर बरसती हैं।

इन पंक्तियों में कवि ने बहुत स्पष्ट संदेश दिया है कि जब बादल बरसते वक्त और खुशबू फ़ैलते वक्त किसी देश की सरहद को नहीं देखती हैं। दोनों एक समान और निस्वार्थ भाव से अपना कार्य करते हैं। तो हम इंसानों ने आपस में ये भेदभाव क्यों पैदा कर लिये हैं। हमें भी आपस में बिना किसी भेदभाव व वैमनस्य के प्रेम के साथ रहना चाहिए। 

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Question Answer

भगवान के डाकिए के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न 1.

कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

डाकिए का मुख्य काम होता है संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना। भगवान भी हमें यह संदेश बादलों व पक्षियों के माध्यम से देते हैं कि इंसान को भी निस्वार्थ भाव से बिना किसी भेदभाव , रागद्वेष के इस संसार में अपना जीवन प्रेम पूर्वक जीना चाहिए।

क्योंकि बादल बरसते समय जगह विशेष तथा पक्षी उड़ते समय देश की सीमाओं को देखे बिना अपना कार्य निस्वार्थ भाव से करते हैं। यानि ये हमें आपसी प्रेम , सद्भावना और एकता का संदेश देते हैं। इसीलिए कवि इन्हें “भगवान के डाकिए” कहते हैं। 

प्रश्न 2.

पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं ? सोचकर लिखिए।

उत्तर-

पक्षियों और बादलों द्वारा लाई गई चिट्ठियों में लिखे संदेशों को पेड़-पौधे , पानी और पहाड़ आसानी से समझ लेते हैं। जबकि हम इंसान उन्हेँ न ही समझ पाते हैं और न ही पढ़ पाते हैं।

प्रश्न 3.

किन पंक्तियों का भाव है ?

(क)

पक्षी और बादल प्रेम , सद्भावना और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।

उत्तर-

क्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं।  
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।

(ख)

प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

उत्तर-

और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

प्रश्न 4.

पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेडे़-पौधे , पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं ?

उत्तर-

पेडे़-पौधे , पानी और पहाड़ , पक्षी और बादल की चिट्ठियों में छुपा प्रेम , सद्भावना और एकता का संदेश आसानी से पढ़ जाते हैं और फिर भगवान के उस संदेश को अमल में भी लाते हैं।

इसीलिए बादल बरसने वक्त , फूलों की सुगंध उड़ते वक्त , पेड़ पौधे अपने फूलों व फलों को देते वक्त जाती पाँति , ऊंच-नीच , अपना पराया नहीं देखते हैं। सबको एक समान व निस्वार्थ भाव से अपनी चीजों को अर्पित करते हैं। 

प्रश्न 5.

“एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”। कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

“एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” से कवि का तात्पर्य यह हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को फूलों की खुशबू के रूप में प्रेम , सद्भावना और एकता का संदेश भेजती हैं। 

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Explanation ,

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