Surdas Ke Pad Class 8 Explanation
सूरदास के पद कक्षा 8 सारांश
सूरदास जी कृष्ण के अनन्य उपासक थे और भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि भी माने जाते हैं। उनकी अधिकतर कविताएं कृष्ण जी की अजब – गजब बाल लीलाओं पर आधारित हैं। सूरदास जी ने कृष्ण का अपनी वात्सल्यमयी माता यशोदा से रठने-मनाने व बाल सखाओं संग खेलने तथा गोपियों के साथ उनकी मस्ती भरी शरारतें और फिर गोपियों का माता यशोदा से शिकायतें लेकर आने के बारे में बड़ा ही खूबसूरत वर्णन किया हैं। सूरदास जी के पदों में वात्सल्य रस की प्रधानता देखने को मिलती हैं।
“सूरदास के पद” पाठ के पहले पद में कृष्ण शिकायत भरे लिहाज में अपनी माता से कहते हैं कि वो उनको रोज दूध पिलाती हैं। उनके बालों की खूब देखभाल करती हैं। रोज धोकर उनको सवाँरती भी हैं फिर भी उनकी चोटी (सिर के बाल ) उनके बड़े भाई बलराम की तरह लंबी क्यों नहीं हो रही है।
और दूसरे पद में एक गोपी माँ यशोदा से कृष्ण की शिकायत करते हुए कहती हैं कि वह प्रतिदिन उसके घर में चुपचाप आकर सारा मक्खन चोरी करके खा जाता हैं। बाकी बचा माखन जमीन में गिरा कर उसे बर्बाद कर देता है। इतना सब नुकसान करने के बाद भी तुम उसे कभी डाँटती क्यों नहीं हो। क्या तुमने किसी अनोखे बच्चे को जन्म दे रखा है।
सूरदास के पद का भावार्थ
पद 1 .
मैया , कबहिं बढ़ैगी चोटी ?
किती बार मोहिं दूध पियत भई , यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं , ह्नै है लाँबी-मोटी।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै , नागिन सी भुइँ लोटी।
काचौ दूध पियावत पचि-पचि , देति न माखन-रोटी।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया , हरि-हलधर की जोटी।
भावार्थ –
दरअसल भगवान कृष्ण दूध पीने में आनाकानी करते हैं। “दूध पीने से उनके बाल उनके बड़े भाई बलराम के जैसे लंबे और घने हो जाएंगे” , यह कहकर माता यशोदा जबरदस्ती कान्हा को दूध पिलाती है और लंबे और मोटे बालों के लोभ में कान्हा भी दूध पी जाते हैं लेकिन दूध पीते-पीते काफी समय बीत जाने के बाद जब उनके बाल बड़े नहीं होते हैं तो , एक दिन कान्हा अपनी मैया से इस बारे में पूछते हैं।
उपरोक्त पदों में कवि सूरदास ने कृष्ण की बाललीला का बहुत खूबसूरत वर्णन किया हैं। जिसमें वो अपनी माता यशोदा से शिकायत भरे लिहाज में पूछते हैं। हे माता !! उनकी चोटी कब बढ़ेगी , दूध पीते-पीते मुझे कितना समय हो गया हैं। फिर भी मेरी चोटी छोटी की छोटी ही हैं। मैया तू तो कहती थी कि दूध पीने से तुम्हारी चोटी भी बड़े भैया बलराम के जैसी लंबी व मोटी हो जायेगी।
और मैया तू तो यह भी कहती थी कि “बाल सवाँरते वक्त , चोटी बनाते वक्त और नहाने जाते वक्त मेरी चोटी किसी नागिन (सांप) के जैसे भूमि पर लोटपोट करने लगेगी” यानि उनके सिर के बाल इतने बड़े हो जायेंगे कि वो जमीन को भी छूने लगेंगे।
मैया यह सब बातें कह कर तू मुझे बार-बार कच्चा दूध पिलाती है और मुझे कभी भी मक्खन व रोटी खाने को नहीं देती हैं । सूरदास जी अपने ऐसे बाल गोपाल पर न्यौछावर होते हुए कहते हैं कि ऐसी सुन्दर बाल लीलायें करने वाले कृष्ण और उनके बड़े भाई हलधर (बलराम) की जोड़ी सदा बनी रहे।
पद 2.
तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं , दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि , सींके कौ लीन्हौ , अनभावत भुइँ मैं ढ़रकायौ।।
दिन प्रति हानि होति गोरस की , यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।
भावार्थ –
उपरोक्त पदों में कवि सूरदास ने कृष्ण द्वारा किसी गोपी के घर माखन चोरी करने के बाद उस गोपी का माता यशोदा से शिकायत करने का बड़ा मनोहारी वर्णन किया।
सूरदास जी कहते हैं कि एक गोपी , माता यशोदा से कृष्ण की शिकायत करने आती है और कहती है कि हे यशोदा !! तेरा लल्ला (कृष्ण) रोज मेरा सारा मक्खन खा जाता है। दोपहर के समय जब मेरे घर में कोई नहीं होता है।
यानि दोपहर में जब पूरा घर खाली होता है तो उस समय पूरी छानबीन कर कृष्ण पहले तो खुद मेरे घर के अंदर दाखिल होता है और फिर घर के दरवाजे खोल कर अपने सारे दोस्तों को भी मेरे घर के अंदर बुला लेता है और फिर उनको सारा दूध – दही खिला देता है।
हे यशोदा !! तेरा लल्ला कृष्ण ओखली पर चढ़कर छींके (मक्खन रखने की जगह) तक पहुँच जाता है। फिर मक्खन के बर्तन से थोड़ा मक्खन खुद खा लेता है और बाकी जमीन में गिरा देता है जिससे हर रोज़ गोरस (दूध , दही , मक्खन) का बड़ा नुकसान होता है। भला तेरे लड़के का खाने का यह कौन सा ढंग है।
सूरदास जी कहते हैं कि
वह गोपी शिकायत भरे लहजे में यशोदा से कहती है कि हे यशोदा !! इतनी सब शरारत या नुकसान करने के बाद भी तुम अपने कान्हा को कभी डाँटती या टोकती क्यों नहीं हो ? यानि कृष्ण हमारे दूध और मक्खन का इतना नुकसान करता है। फिर भी तुम उसे कभी यह सब करने से रोकती क्यों नहीं हो ? क्या तुमने किसी अनोखे बच्चे को जन्म दिया है।
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