Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Class 8:Explanation

Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Class 8 ,

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यह सबसे कठिन समय नहीं कक्षा 8 

Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Class 8 Summary

“यह सबसे कठिन समय नहीं” कविता की कवयित्री जया जादवानी जी हैं। इस कविता में कवियित्री जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखती हैं। वो कहती हैं कि चाहे गर्मियों की तपती दोपहर हो या बरसात या फिर कड़कड़ाती ठंड ही क्यों न हो , जब तक एक नन्ही सी चिड़िया को यह भरोसा है कि वह तिनका-तिनका जोड़ कर अपना घोंसला बना लेगी।

जब तक असहाय , बेबस और बुजुर्गों की मदद करने वाले लोग इस दुनिया में मौजूद हैं जो हमेशा उनकी मदद करने को तैयार रहते हैं और जब तक रेलवे स्टेशनों में लोगों की भीड़ जमा होती रहेगी और हमारे मन में यह मजबूत आशा रहेगी कि रेलगाड़ी हमें एक गंतव्य (स्थान) से दूसरे गंतव्य तक सही सलामत पहुंचा देगी और अगले गंतव्य में भी हमारा कोई अपना सगा-संबंधी हमारी अवश्य प्रतीक्षा कर रहा होगा , तब तक हमारे जीवन में कठिन समय नहीं आ सकता।

जब तक ऐसा कोई हमारी जिंदगी में हो , जो हमारी परवाह करता हो और घर से बाहर जाने वक्त हमसे कहता हो कि शाम सूरज ढलने से पहले घर आ जाना और दादी – नानी हमें जब तक परियों और अंतरिक्ष के पार की दुनिया की सतरंगी कहानियां सुनाती रहेंगी , तब तक हमारे जीवन में कठिन समय नहीं आ सकता।

कवयित्री कहती हैं कि समय थोड़ा विपरीत जरूर हो सकता है। लेकिन इतना कठिन नहीं हो सकता कि हम अपनी उम्मीद , अपनी आशाएं छोड़ दें।  संघर्ष करना छोड़ दें। हमें जीवन में सदा उम्मीद का दामन थामे , अपने मजबूत हिम्मत हौसले के साथ लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए। 

यह सबसे कठिन समय नहीं कविता का भावार्थ 

Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Class 8 Explanation

काव्यांश 1.

नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
अभी भी दबा है चिड़िया की
चोंच में तिनका
और वह उड़ने की तैयारी में है!
अभी भी झरती हुई पत्ती
थामने को बैठा है हाथ एक

भावार्थ 

उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं।अभी भी इतना कठिन समय नहीं आया है क्योंकि अभी भी चिड़िया अपनी चोंच में घास का तिनका दबा कर उड़ने की तैयारी कर रही है। यानी चिड़िया को विश्वास है कि वह एक-एक तिनका जमा कर एक दिन अवश्य अपना घोंसला बना लेगी। इसीलिए दिन – रात चाहे परिस्थितियां कैसी भी क्यों न हो , अथक मेहनत कर अंततः वह अपना घोंसला बना ही लेती है।

अगली पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि पतझड़ में गिरते हुए सूखे पत्तों को उठाने के लिए लोग अभी भी अपना हाथ बढ़ाते ही है। कवयित्री यहां पर यह कहना चाहती है कि जब तक इस दुनिया में बेबस , बेसहारा और बुजुर्ग लोगों को सहारा देने के लिए लोग अपना हाथ आगे बढ़ाते रहेंगे।

यानि इस दुनिया में अभी भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। तब तक दुनिया में कठिन समय नहीं आ सकता है

काव्यांश 2.

अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
गंतव्य तक
जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया

भावार्थ 

उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री कहती है कि अभी भी रेलवे स्टेशनों में भीड़-भाड़ है और रेलगाड़ी लोगों को एक गंतव्य से दूसरे गंतव्य तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं और लोगों को यह भी उम्मीद है कि दूसरे गंतव्य पर कोई न कोई उनकी प्रतीक्षा अवश्य कर रहा होगा।

यानि जब तक हमें यह उम्मीद है कि हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित पहुंच जाएंगे और दूसरे स्थान पर कोई ना कोई हमारा अपना परिजन या सगा संबंधी अवश्य हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा। तब तक कठिन समय नहीं आ सकता।

जब तक हमारे घर में हमारी प्रतीक्षा करने वाला कोई हमारा अपना हमारा करीबी मौजूद है और जो घर से बाहर निकलते समय हमसे कहे कि शाम को सूरज ढलने से पहले घर अवश्य आ जाना। यानि जब तक हमारे अपने लोग हमारे साथ मौजूद हैं। और हमारी परवाह करते हैं। कठिन परिस्थितियों में हमारा साथ देते हैं और हमारी समस्याओं को कम करने का प्रयास करते हैं। तब तक हमारे जीवन में कठिन समय नहीं आ सकता। 

काव्यांश 3.

अभी कहा जाता है
उस कथा का आखिरी हिस्सा
जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की खबर!
नहीं , यह सबसे कठिन समय नहीं।

भावार्थ 

उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री यह कहती हैं कि जब तक हमारे समाज में दादी-नानी कहानियों सुनती रहेगी , जो वो हमें सदियों से सुनाती आ रही हैं और आगे आने वाली पीढ़ियों को भी सुनाती रहेंगी।

जब तक वो बच्चों को यह बताती रहेंगी कि अंतरिक्ष के पार भी एक दुनिया है जहां पर लोग बसते हैं और वो कभी न कभी हमसे मिलने जरूर आएंगे या उनकी खबर हमें जरूर मिलेगी और बच्चे भी उन कहानियों पर विश्वास करते रहेंगे। तब तक हमारे जीवन में कठिन समय नहीं आ सकता।

यानि हमारे समाज में जब तक हमारे बड़े -बुजुर्ग अपना अनुभव हमसे बांटते रहेंगे। हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे , तब तक हमारे जीवन में कठिन समय नहीं आ सकता।

Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Question Answer

यह कठिन समय नहीं है कविता के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1.

“’यह कठिन समय नहीं है?” यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

  1. अभी भी चिड़िया अपनी चोंच में तिनका दबा उडने की तैयारी में है।
  2. अभी भी कोई हाथ पेड़ से गिरती सूखी पत्तियों को थामने के लिए तैयार है।
  3. अभी भी रेलगाड़ी यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है।
  4. कोई अपना जब किसी को सूरज डूबने से पहले घर आने को कहता है।
  5. अभी भी दादी-नानी परियों व अंतरिक्ष के पार बसने वाली दुनिया की कहानी बच्चों को सुनाती है।

प्रश्न 2.

चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है ? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।

उत्तर-

चिड़िया घास के तिनकों को एक-एक कर अपनी चोंच में दबा कर लाती हैं। और उस एक-एक तिनके को बड़े करीने से लगा कर बड़ी मेहनत से अपना घोंसला बनाती है। ताकि वो उसमें अंडे दे सके और भविष्य में जब उन अण्डों से बच्चे निकलें , तो वो सुरक्षित रह सकें।

इसलिए वह एक और तिनके को अपनी चोंच में दबाकर उड़ने की तैयारी कर रही है। ताकि वह अपने अधूरे घोंसले को जल्दी पूरा कर सके।

प्रश्न 3.

कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर , बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?

उत्तर-
1. तुम अभी भी अपनी दादी से कहानियाँ सुनते हो ?
2. आप अभी भी स्टेडियम खेलने जाते हैं ?
3. आप अभी भी ट्यूशन पढ़ाते हैं ?

उपरोक्त तीनों वाक्यों में निरंतरता का भाव छुपा हैं।

प्रश्न 4.

“नहीं” और “अभी भी” को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए “नहीं” “अभी भी” के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं ?

उत्तर-
1. मोहन अभी भी पढाई नहीं कर रहा है।
2. वह अभी भी अपना गृहकार्य नहीं कर रहा है।
3. आप अभी भी आफिस  नहीं जा रहे हैं।
उपरोक्त तीनों वाक्यों में निरंतरता का भाव छुपा हैं। लेकिन कार्य पूर्ण न होने का।

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