बुरांश के फूलों से सजा उत्तराखंड के पहाड़ों का आँचल।

जानिए क्या है बुरांश के फूलों के औषधीय गुण ?गुलाबी रंग व लाल रंग के बुरांश के फूलों (Rhododendron Arboreum) का जूस पीने का क्या है फायदा

Rhododendron Arboreum (बुरांश)

ऋतुराज बसंतऋतु के आगमन के साथ ही धरती फिर अपने आप को सजाने संवारने में लग जाती है।प्रकृति अनेक तरीकों से अपने श्रृंगार में जुटी रहती है।उत्तराखंड की धरती भी अपने श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती।वह भी अपनी बसंती चुनर को बुरांश के सुर्ख चटक लाल तथा गुलाबी रंग के फूलों से साथ साथ खुमानी, आडू ,पूलम ,नाशपाती, फ्योली के रंग बिरंगे फूलों से सजा कर अपने श्रृंगार में चार चांद लगाती हैं।

Rhododendron Arboreum

 

बांटैनिकल नाम – 

गुलाबी रंग के बुरांश के फूलों  को ( Rhododendron Campanulatum) ,

लाल रंग के बुरांश के फूलों (Rhododendron Arboreum) नाम से जाना जाता है।

रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (लाल बुरांश) एरीकेसी कुल के अंतर्गत आता है

चिपको आंदोलन की क्या है खासियत ?

उत्तराखंड राज्य वृक्ष (Rhododendron Arboreum , State Tree)

उत्तराखंड राज्य में अत्यधिक मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश के इस वृक्ष को उत्तराखंड में “राज्य वृक्ष” की उपाधि से नवाजा है।यानी रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (लाल बुरांश) का यह वृक्ष उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है।

Rhododendron Arboreum (Uttarakhand State Tree)

नेपाल का राष्ट्रीय फूल (Rhododendron Arboreum, National Flower of Nepal)

लाल बुरांश को 2006 में पड़ोसी देश नेपाल ने अपने “राष्ट्रीय फूल” के रूप में अपनाया इसे नेपाल में “लालगुरांस” कहते है

क्षेत्र (बुरांश के फूल उगने वाले क्षेत्र)  

उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र मुनस्यारी में गुलाबी रंग का बुरांश 2700 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है।वही मुक्तेश्वर नैनीताल के निकटस्थ क्षेत्रों तथा पिथौरागढ़ के जंगलों में 2000 मीटर की ऊंचाई में भी गुलाबी और लाल रंग के बुरांश के फूलों वाले पेड़ मिश्रित रूप से पाए जाते हैं ।बुरांश के फूल पहाड़ी इलाकों में ज्यादातर पाए जाते हैं।

यह फूल अधिकतर चीन ,भूटान, नेपाल , उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र ,हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है।

दूर ऊंचे पहाड़ों में सुर्ख चटक लाल रंग में खिलने वाले ये फूल एकाएक ही लोगों को आकर्षित कर उनका मन मोह लेते हैं।उत्तराखंड में मनाए जाने वाले “फूलदेई त्यौहार” के दिन बच्चे इन बुरांश के फूलों को इकट्ठा कर घर की देहरी (दरवाजा) सजाते हैं।

उत्तराखंड राज्य आंदोलन की पूरी जानकारी क्या है ?

Pink Rhododendron Arboreum

बुरांश प्रजातियां

बुरांश की कुल 1024 प्रजातियां पूरी दुनिया में पाई जाती हैं।विभिन्न प्रकार के रंगीन लाल ,गुलाबी ,सफेद तथा नीले फूलों वाला बुरांश बसंत ऋतु के आरंभ से लेकर ग्रीष्म ऋतु शुरू होने के मध्य में खिलता है।मध्य हिमालयी क्षेत्रों में इसकी 87 प्रजातियां पाई जाती हैं।जिनमें से अकेले अरुणाचल प्रदेश में 75 प्रजातियां पाई जाती हैं।

उत्तराखंड में बुरांश की 6 प्रजातियां तथा एक उपप्रजाति पाई जाती है।लाल बुरांश लगभग 1800 से 3600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाया जाता है।हिमाचल में इसकी लगभग 15 प्रजातियां पाई जाती हैं।यहां लाल ,सफेद तथा नीले रंग के फूल पाये जाते है।

gulabee buransh

बुरांश के औषधीय गुण (Rhododendron Arboreum Medicinal Uses)

बसंत ऋतु में मार्च से जुलाई तक उत्तराखंड की पहाड़ियां लाल व गुलाबी रंग के बुरांश के फूलों से सज जाती हैं।यह फूल न सिर्फ लोगों का मन मोह लेते हैं।साथ ही साथ यह सुन्दर फूल लोगों को स्वस्थ रखने का काम भी करते हैं।बुरांश के फूलों के जूस से (शीतल पेय) अनेक प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं।हमारे पूर्वजों ने बुरांश के इन फूलों (Rhododendron Arboreum) का आयुर्वेद में उल्लेख किया है।

उत्तराखंड में बनने वाले जमरानी बांध की क्या है खासियत ?

बुरांश का फूल न सिर्फ मनमोहक होता है।बल्कि आयुर्वेद में भी इसका बड़ा महत्व हैं।बुरांश के फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते है।लेकिन सभी प्रकार के बुरांशों के फूलों में लाल बुरांश में सबसे ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं।इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायरिल और एंटी डाइबिटिक गुण  पाये जाते हैं।

लाल बुरांश के फूल का जूस (रोडो जूस) हृदय रोग, किडनी, लीवर, रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने, हड्डियों को सामान्य दर्द, शाररिक विकास व हाई ब्लड प्रेशर के लिए बहुत लाभदायक होता है।भूख बढ़ाने तथा आयरन की कमी को दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है।खाँसी तथा बुखार में भी यह लाभदायक है।इसके पेड़ की छाल का उपयोग पीलिया, बाबासीर, यकृत विकार, पेट के कीड़ों को मारने के काम आता है।

यह शरीर में लौह तत्व की कमी को पूरा करता है।तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के दर्द की समस्या होती है।हड्डियों में होने वाले दर्द में यह बहुत ही लाभदायक होता है।रक्त की कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है।किडनी/लीवर की समस्या  बुरांश का जूस बेहद लाभकारी माना जाता है।इसका सेवन कर्क रोग, चर्म रोग, सूजन व किडनी के रोग में लाभदायक माना जाता है।

अमीरों को क्यों पसंद है बिच्छू घास से बनी चाय ?

Rhododendron Arboreum juice

हृदय रोग में कारगर (Rhododendron Arboreum For Heart Diseases)

बुरांश के फूल का जूस हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है क्योंकि इसमें प्यूफा ,क्वेरसेटिन और रूटीन नामक रसायन पाये जाते है।जो हृदय से संबंधित विकारों को दूर भगाता है।

ऐसा माना जाता हैं कि हृदय रोग से पीड़ित कोई भी व्यक्ति रोज लाल बुरांश के फूल के जूस का सेवन करे तो उसे हृदय रोग में काफी आराम पहुँचता है।साथ ही इसमें पोली फैटी एसिड पाया जाता हैं जो शरीर में कोलोस्ट्रोल नहीं बनने देता है।

इसके फूलों के रस में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इसके सूखे फूल दस्त, पेचिश रोग की रोकथाम में काम आते हैं।तथा ताजी पत्तियों को पीस कर उसका लेप माथे पर लगाने से सिर दर्द व बुखार ठीक हो जाता है। 

गाँव घरों में लाल बुरांश के फूल से चटपटी चटनी भी बनाई जाती हैं जो बेहद स्वादिष्ट होती है।

क्या है दीनदयाल सहकारिता किसान कल्याण योजना उत्तराखंड ?

धार्मिक महत्व

बुरांश (Rhododendron Arboreum) के इन फूलों को बेहद पवित्र माना जाता है।इनको मंदिरों में पूजा-अर्चना के दौरान भगवान को अर्पित किया जाता है।

बुरांश का सफेद फूल होता हैं विषैला

लाल बुरांश (Rhododendron Arboreum) के फूल जितने औषधीय गुणों से भरपूर हैं।वही सफेद बुरांश का फूल उतना ही जहरीला होता है।सफेद बुरांश के फूलों के जूस को पीने योग्य नहीं माना जाता है।

व्यवसायिक उपयोग (Rhododendron Arboreum for Business)

उत्तराखंड के पहाड़ में अत्यधिक मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश वृक्ष और इसके फूल दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।जहां इसके फूल औषधि रूप में काम आते हैं।वहीं इसकी पत्तियां जैविक खाद बनाने के लिए तथा लकड़ी ईधन,फर्नीचर व कृषि उपकरण बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस क्यों मनाया जाता है ?

स्थानीय लोगों द्वारा इसके फूलों से शीतल पेय बनाया जाता है।जो गर्मियों में बहुत ही लाभदायक होता है।यह शरीर को ताजगी से भर देता है।साथ ही इसके फूलों से जैम, स्क्वास, जेली तथा काढ़ा बनाया जाता है। 

उपेक्षा का शिकार बुरांश 

लेकिन बड़े अफ़सोस की बात है कि इतनी बड़ी मात्रा में खिलने वाले इन फूलों पर अभी तक ना तो कोई वैज्ञानिक अनुसंधान हुआ है।और ना ही तो इनके चिकित्सीय उपयोग पर रिसर्च और ना ही इसका ढंग से कोई व्यावसायिक उपयोग।इसका व्यावसायिक उपयोग ना होने के कारण या लोगों को इसके बारे में अत्यधिक जानकारी ना होने के कारण पहाड़ों का यह सुंदर सा फूल हर साल बस यूँ ही बेकार हो जाता है।

यह फूल व वृक्ष दोनों ही सरकार की उपेक्षा झेल रहे है।प्रदेश सरकार अगर इस तरफ ध्यान दें और कोई ठोस योजना बनाकर इसे लघु उद्योग के रूप में बढ़ावा दे।तो न सिर्फ लोगों को रोजगार मिलेगा,बल्कि प्रदेश का राजस्व भी बढ़ेगा।साथ ही साथ लोगों को पहाड़ों पर उगने वाले इस खूबसूरत फूल के औषधि गुण भी मिलेंगे।जो लोगों को स्वस्थ रहने में मदद देंगे। 

You are welcome to share your comments.If you like this post Then please share it.Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

क्या है मिशन शक्ति ?

धारा 370 क्या है ?

क्यों लगाई जाती है चुनाव में आचार संहिता ?

क्या है जेनेवा समझौता ?

लोकपाल व लोकायुक्त कानून की क्या है खासियत ?