आत्मनिर्भर भारत के लिए भारतीय संविधान और लोकतंत्र सबसे बड़े हिमायती हैं

For Atma Nirbhar Bharat the Indian Constitution and Democracy are the biggest enablers.

आत्मनिर्भर भारत के लिए भारतीय संविधान और लोकतंत्र सबसे बड़े हिमायती हैं। 

आत्मनिर्भर भारत के लिए भारतीय संविधान और लोकतंत्र सबसे बड़े हिमायती हैं

For Atma Nirbhar Bharat the Indian Constitution and Democracy are the biggest enablers

Content /संकेत बिन्दु /विषय सूची 

  1. प्रस्तावना
  2. भारतीय संविधान और लोकतंत्र की विशेषता
  3. आत्मनिर्भर भारत और भारतीय संविधान
  4. आत्मनिर्भर भारत में बाधक तत्व
  5. उपसंहार 

प्रस्तावना

किसी भी देश की तरक्की उस देश के नागरिकों की उन्नति पर निर्भर करती है और नागरिकों की तरक्की तभी होगी , जब देश में सभी नागरिकों को एक समान अधिकार मिले और सब के लिए एक सा कानून हो। यानि संविधान और कानून की नजर में सब नागरिक एक समान हों। 

For Atma Nirbhar Bharat the Indian Constitution and Democracy are the biggest enablers.

भारत के संविधान और लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी विशेषता है कि यह भारत के हर नागरिक को जीने का , शिक्षा ,  रोजगार ,  विचारों की अभिव्यक्ति व अन्य सभी चीजों के समान अवसर देता है। जो किसी भी राष्ट्र के सर्वश्रेष्ठ बनने की तरफ सबसे पहला और अहम कदम है। 

भारतीय संविधान और लोकतंत्र की विशेषता

किसी भी देश का संविधान उस “देश की आत्मा” होती है। क्योंकि संविधान ही देश के नागरिकों के  सभी अधिकारों की रक्षा करता है।और उनके जीवन की रुपरेखा तय करता हैं। 

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। जिसके अनुसार भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व−संपन्न , समाजवादी , पंथ−निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य हैं। इसमें  465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है।

भारत का संविधान व लोकतंत्र भारत के समस्त नागरिकों को सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक , न्याय , विचारों की अभिव्यक्ति , विश्वास , धर्म और उपासना की स्वतंत्रता , शिक्षा और रोजगार के समान अवसर देता हैं।

आत्मनिर्भर भारत और भारतीय संविधान

आज भारत ने अपने कदम मजबूती के साथ आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं।और कुछ क्षेत्रों में तो भारत लगभग आत्मनिर्भर होने के अंतिम चरण में है। 

भारत के आत्मनिर्भर होने में सबसे बड़ी भूमिका भारत के संविधान और भारत की लोकतंत्रात्मक प्रणाली ने निभाया है जिसमें भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक समान अधिकार दिए हैं। 

भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि अपनी इच्छा से किसी भी क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर सकते  हैं , अपनी इच्छानुसार ही रोजगार या व्यवसाय के क्षेत्र भी चुन सकता हैं। 

यानि जाति , धर्म , वर्ग , सम्प्रदाय किसी भी आदमी की उन्नति में बाधक नहीं है। क्योंकि हमारा संविधान सबको बराबर और एक समान अवसर प्रदान करता है।

भारत सरकार द्वारा बनाई जाने वाली सभी जनकल्याणकारी योजनाओं सभी देशवासियों के लिए एक समान रूप से लागू हो जाती है। जिसका फायदा हर वर्ग ,  हर जाति , धर्म का व्यक्ति उठा सकता है।

इसीलिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत चलने वाली सारी योजनाओं का लाभ देश के हर नागरिक को समान रूप से मिल रहा है और जिसका फायदा लोग उठा भी रहे हैं। 

इसके तहत प्रशिक्षण लेने वाले सभी युवाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। और कुछ युवा प्रशिक्षण लेने के बाद स्वरोजगार से भी जुड़ गए हैं।

आज तक हमारे देश के प्रतिभाशाली युवा विदेशों में जाकर उन देशों को अपनी सेवाएं देते थे। लेकिन अब सरकार उन प्रतिभाशाली युवाओं के पलायन को रोकने के लिए और उनकी प्रतिभा का उपयोग अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने में लगाने के लिए कई सारी योजनाओं पर काम कर रही हैं। 

सरकार अपने देश के प्रतिभाशाली युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का हर संभव प्रयास कर रही है। खासकर युवाओं को स्टार्टअप प्रोग्राम के जरिये नए व्यव्साय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।  

ताकि देश की प्रतिभा का उपयोग देश की उन्नति में हो। और साथ ही साथ अधिक से अधिक वस्तुओं का निर्माण भारत में हो। भारत की विदेशों पर निर्भरता खत्म हो और भारत का पैसा भारत नहीं रहे । जो भारत के विकास कार्यों में लगाया जा सके। 

इसी तरह देश का प्रत्येक नागरिक इस देश में कहीं भी स्वतंत्रता पूर्वक आ और जा सकता है। किसी भी धर्म को अपना सकता है। अपने विचारों को स्वतंत्रता पूर्वक प्रकट कर सकता हैं। 

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। जिसमें जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही जनता के लिए कल्याणकरी योजनाएं बनाते हैं , संविधान की रक्षा , देश की सीमाओं व देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा का वचन लेते हैं।

और इन प्रतिनिधियों को चुनने की बहुत बड़ी शक्ति संविधान ने देशवासियों के हाथ में दी है। देश का प्रत्येक नागरिक अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। अगर आपके द्वारा चुना हुआ कोई प्रतिनिधि अपने कर्तव्यों को पूर्ण रूप से नहीं निभा रहा है , तो उसे हटाने का अधिकार भी जनता ही रखती हैं।

यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति है। हम ऐसे प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं जो आम नागरिकों की भलाई व उनके हित में कार्य करें और अपने क्षेत्र का विकास करें।अगर प्रत्येक प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के लोगों का उन्नति और क्षेत्र के विकास कार्य में ध्यान देगा। सरकारीे योजनाओं को अच्छे से लागू करेगा तो , देश का हर नागरिक तरक्की करेगा , तब देश की तरक्की तो स्वाभाविक है। 

यानि दूसरे और सरल शब्दों में कहें तो , देश का प्रत्येक नागरिक अपनी लगन , मेहनत व ईमानदारी से किसी भी क्षेत्र में काम कर खुद को आर्थिक , सामाजिक रूप से सशक्त कर सकता है।साथ में वह देश की तरक्की में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इसके लिए भारतीय संविधान और भारत का लोकतंत्र दोनों ही उसे मजबूती प्रदान करते हैं। 

आत्मनिर्भर भारत में बाधक तत्व 

भारत को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर भारत बनने में भूख , गरीबी , भ्रष्टाचार , बेरोजगारी , सांप्रदायिक वैमनस्य , लचर कानून−व्यवस्था , बदहाल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं आदि सबसे बड़ी बाधक हैं।

आज भी हमारे समाज में आये दिन जाति , धर्म के नाम पर दंगे होते रहते हैं। जिसमें सरकारी संपत्ति व जानमाल दोनों को ही नुकसान पहुंचता है। जो आत्मनिर्भर भारत को दो कदम पीछे खींच लेता है और राष्ट्रीय गरिमा को भी नुकसान पहुंचाता है। 

और कुछ स्वार्थी लोग इसमें अपना हित साधने से भी नहीं चूकते हैं। राजनेताओं के लिए तो जाति , धर्म का खेल सबसे अच्छा व सरल तरीका हैं चुनाव जीतने के लिए।

ये सब अब इनके लिए ‘वोट−बैंक’ बन गये हैं। दलित , महादलित , पिछड़ों , अति पिछड़ों , अगड़े−पिछड़ों की लड़ाई अब सामाजिक न्याय का मुद्दा न होकर राजनीतिक लड़ाइयां बन चुकी हैं। 

 भ्रष्टाचार एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा बन चुका हैं। आए दिन कोई न कोई घोटाला देश के सामने आ ही जाता है। जिसमें कोई न कोई बड़ा राजनेता या बड़े पद में बैठा आदमी शामिल अवश्य रहता है। 

 भारत में आज भी महिलाओं को दोयम दर्जा दिया जाता है। उनके साथ आए दिन भेदभाव , अन्याय , शोषण , अत्याचार होता रहता है। जो आत्म निर्भर भारत में सबसे बड़ा बाधक है। महिला सुरक्षा व शिक्षा भी अहम मुद्दा हैं। क्योंकि देश की आधी आबादी के बिना , देश की पूर्ण तरक्की कहां संभव है। 

उपसंहार 

आज हमें अपने उद्देश्यों व आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पाने के लिए किसी और के सहारे की बैसाखी नहीं चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं , अपने देश के युवा प्रतिभाओं व अपने बुद्धि विवेक पर भरोसा करके ही आगे बढ़ना होगा।
सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा संविधान , हमारा लोकतंत्र इसमें हमारा सबसे बड़ा मददगार है जो हमें हर दिन आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। 

हम अपने भाग्य के विधाता खुद हैं। इसीलिए सभी देशवासियों को मिलकर , दृढ़ संकल्पित होकर अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ प्रयास करना होगा। तभी हमारी आने वाली पीढ़ी को एक सुनहरा भविष्य , आत्मनिर्भर भारत में जीने का सौभाग्य मिल सकेगा। 

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