Essay On Sanch Barabar Tap Nahi ,साँच बराबर तप नहीं

Essay On Sanch Barabar Tap Nahi , साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप। 

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर “साँच बराबर तप नहीं” पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On Sanch Barabar Tap Nahi 

साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप। 

प्रस्तावना

“सत्यमेव जयते ” यानि सत्य की सदा ही विजय होती है। यह हमारे देश का आदर्श वाक्य है। और हमारे पौराणिक महाकाव्यों में “सत्यम शिवम सुंदरम” वर्णित है। यानी जो सत्य है , वही शिव है , और शिव ही सबसे सुंदर हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि एकमात्र सत्य ही वह मार्ग है जिसकी राह पर चलकर इंसान उस परमात्मा तक पहुंच सकता है। और इस दुनिया में जीने का सबसे खूबसूरत व बेहतरीन रास्ता भी यही है। 

हमारा देश पुण्यात्माओं का देश हैं।जहां सत्य के खातिर अनेक महापुरुषों ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया। यहाँ तक कि अपने प्राणों का भी त्याग कर दिया। लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। और अपना नाम सत्यवादियों की किताब में स्वर्ण अक्षरों से लिख दिया। सत्य ही मानव जीवन को जीने के मूल्यों में सबसे श्रेष्ठ नैतिक मूल्य है जिसमें चलकर मानव जीवन को श्रेष्ठ व सुंदर बनाया जा सकता है। 

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 सत्य क्यों जरूरी है ?

दुनिया में सत्य ही एक ऐसी शक्ति हैं जिसके आगे दुनिया का कोई भी झूठ व फरेव या प्रपंच चल नहीं सकता। पल भर के लिये ठहर भी जाए , लेकिन एक न एक दिन उसका नामोनिशान अवश्य मिट जाता है। अगर दुनिया का हर व्यक्ति सत्य का मार्ग अपना ले तो , इस दुनिया से सारी बुराइयां , रागद्वेष , फरेब , दुश्मनी , भ्रष्टाचार का नामो निशान मिट जाएगा।

सत्य सदा ही मूल्यवान होता है। इसीलिए हर कोई व्यक्ति उसका मूल्य नहीं चुका पाता है। सत्य की राह पर चलने के लिए व्यक्ति को दृढ़ संकल्पित , विवेकवान , धैर्यवान , ईमानदार और साहसी होना अति जरूरी है। क्योंकि सत्य की राह कोई आसान राह नहीं है। इस राह पर चलने वाले व्यक्ति को कई कठिनाइयों व विरोधियों का सामना करना पड़ता है।

कई बार सत्यमार्गी को अपने जीवन के निर्धारित लक्ष्यों को पाने में भी कठिनाइयों और देरी का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह निश्चित है कि सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति को अंततः सफलता और सम्मान जरूर मिलता है।

महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेशों में कहा था “सत्य , ईश्वर और ज्ञान ” ,ये तीनों को कभी छुपाया नहीं जा सकता। 

सत्य से लाभ

  • सत्य का अर्थ है जो शाश्वत है , जो वास्तविक है , जो कभी भी , किसी भी परिस्थिति में नही बदलता है , जो यथार्थ में है। दुनिया में सत्य ही है जिसे एक बार बोलो या सौ बार। हमेशा एक समान ही रहता है । झूठ बोलने के लिए भले ही सौ बार सोचना पड़े।जितनी बार भी व्यक्ति झूठ बोलेगा। उसे उतनी बार एक नया बहाना सोचना पड़ेगा।
  • सत्य की यही खासियत है कि वह छुपाए नहीं छुपता। सामने आकर ही रहता हैं। भले थोड़ी देर ही क्यों न हो जाय। 
  • सत्य की राह पर चलने वाले इंसान महान आत्मा होते हैं। असत्य और फरेब की राह पर चलने वाले इंसान और जानवरों में कोई फर्क नहीं होता। 
  • सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति ईमानदार धीर , वीर , साहसी होते हैं। ईश्वर पर अटूट विश्वास रखते हैं तथा मानव के जीवन मूल्यों के रक्षक होते हैं। वो अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को उतारते हैं। और दूसरों को सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
  • सत्यमार्गी व्यक्ति पर हर इंसान खुद ब खुद विश्वास करने लगता है। उनका सम्मान करने लगता है। सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति स्वाभिमानी , आत्मविश्वासी व आत्मसम्मानी होते हैं।असत्य के आगे झुकना उन्हें स्वीकार नहीं होता। 
  • सत्य कडवा जरूर होता हैं। लेकिन उसका फल हमेशा मीठा होता हैं।

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सत्यमार्गी न होने से हानि (Essay On Sanch Barabar Tap Nahi)

  • आज के इस भौतिकवादी युग में व्यक्ति ऐन केन प्रकारेण अपने स्वार्थ को सिद्ध करने में लगा रहता है। हर समय दूसरे से आगे निकलने की होड़ , दिखावा और भोग विलासिता की वस्तुओं को इकट्ठा करने के लिए अधर्म , अनीति , झूठ व फरेब का सहारा लेने और असत्य का मार्ग भी अपनाने से नहीं हिचकिचाता है।
  • ऐसे लोग अपने तात्कालिक सुख के लिए समाज के नैतिक और सामाजिक मूल्यों को हानि भी पहुंचाते हैं।और सत्य के मार्ग पर चलने वालों को हमेशा पीछे धकेलने व उनकी आलोचनाएं करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में सत्य के मार्ग पर चलने वालों के लिए यह “फूलों भरी नहीं काँटों भरी डगर” बन जाती है। 
  • असत्य या झूठ , फरेब की राह पर चलकर तात्कालिक सफलता पाई जा सकती हैं।कई लोग इस रास्ते पर चलते भी हैं। और अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए झूठ व फरेब का सहारा लेते हैं।और झूठ बोलकर वो अक्सर दूसरों का अहित करते है। लेकिन यह सफलता दीर्घकालिक नहीं होती है।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि झूठ बोलने वाले व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं करता। मुंह के आगे भले ही सम्मान करने का दिखावा करते हो लेकिन दिल से उसका कोई सम्मान नहीं करता है।ऐसे व्यक्ति हमेशा आशंकित रहते हैं और उनमें आत्म सम्मान की भी कमी होती है। 
  • झूठ बोलने वाले इंसान पर कोई भरोसा नहीं करता है। यहां तक कि उनके अपने लोग भी उस पर भरोसा नहीं करते हैं।यह भी सनातन सत्य है कि असत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति खुद भी सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्तियों को ही पसंद करता है। उनका सम्मान भी करता है और उन पर विश्वास रखता है।
  • क्योंकि झूठ बोलने वाला व्यक्ति सत्य की महत्वता और शक्ति को जानता है। यह और बात है कि वह अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए झूठ और असत्य का सहारा लेता है। 
  • हम हर रोज अपने दैनिक जीवन में दिन भर में कई बार झूठ बोलते हैं। सच्चाई तो यह है कि सच बोलना या सत्यता की राह पर चलना।अब यह सब सिर्फ उपदेश भर ही रह गए। 

 सत्यमार्ग पर चलने वाले महपुरुष (Essay On Sanch Barabar Tap Nahi)

सत्य की राह पर चलने वालों की सदा ही जय होती है। क्योंकि प्रकृति का सदा से यही नियम रहा  है असत्य पर सत्य की जीत। हमारे पौराणिक महान ग्रंथों में भी सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है।भगवान राम ने रावण पर विजय सत्य के दम पर ही पाई थी।वही महाभारत के युद्ध में भी पांडवों ने सत्य के दम पर ही कौरवों पर जीत हासिल की थी।

पांडव पुत्र युधिष्ठिर को सदा सच बोलने तथा सत्य के मार्ग पर चलने के कारण ही “धर्मराज” की उपाधि मिली थी।पांडवों ने अनेक दुख सहे , लेकिन उन्होंने सत्य का मार्ग कभी नहीं छोड़ा। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में उनका साथ दिया।अर्थात सत्य की राह पर चलने वाले का भगवान भी सदा साथ देते हैं। 

एक अन्य कथा के अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने सत्य का मार्ग चुना। इसीलिए उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।यहां तक कि अपना राजपाट ,पुत्र और पत्नी भी खो बैठे हैं। लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। अंततः विजय उन्हीं की हुई और इतिहास में सदा के लिए अमर हो गए।

आज भी लोग जब राजा हरिश्चंद्र का नाम लेते हैं तो सत्यवादी शब्द को उनके नाम से पहले जोड़ते हैं यानि कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र। 

सत्य और अहिंसा के बल पर ही “साबरमती के संत” यानि महात्मा गाँधी ने इस देश से मजबूत ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें उखाड़ दी और उनको घुटनों के बल बैठने को मजबूर कर दिया। यह सत्य की ही ताकत थी जिसके बल पर बाबू ने भारत को आजादी दिला दी। 

महात्मा बुद्ध ने अपना समस्त राजपाट त्याग कर सत्य की खोज की। तो महावीर जैन ने दुनिया के सारे सुखों का त्याग कर कठोर तपस्या कर ही सत्य को पाया था। 

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बच्चों को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें 

बच्चों को सत्यता के मार्ग पर चलना और सच बोलने की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए।उन्हें कहानियों व अपने कार्यों द्वारा सत्य का महत्व और सत्य की शक्ति से अवश्य परिचित करना चाहिए।

मां-बाप , गुरु जन , घर के बड़े बुजुर्गों को अपने घर के बच्चों को सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।ताकि बड़े होकर वो सामाजिक व नैतिक मूल्यों को समाज में स्थापित कर सकें। 

हमें अपने जीवन में अपने नैतिक , सामाजिक मूल्यों को बचाए रखना है। तो सत्य का मार्ग अपनाना ही होगा।यह एकमात्र ऐसा सद्गुण है जैसे हमें खुद भी अपनाना होगा और अपने आने वाली पीढ़ी को भी यह मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा। 

उपसंहार (Essay On Sanch Barabar Tap Nahi)

कोहिनूर हीरा दुनिया का सबसे अनमोल हीरा है। इसलिए नहीं कि वह एक हीरा है। बल्कि इसलिए कि इतने बड़े आकार ,चमक और उतनी ज्यादा शुद्धता वाला दूसरा कोई हीरा इस दुनिया में मौजूद नहीं है। इसीलिए वह अनमोल है।

इसी तरह सत्यवादी इस दुनिया में अनमोल है। इसलिए नहीं कि इस मार्ग को अपनाया नहीं जा सकता। बल्कि इसलिए कि आज के परिवेश में लोग उस मार्ग पर चलना नहीं चाहते , सिर्फ अपने स्वार्थों के कारण। इसलिए सत्य भी आज दुर्लभ हो गया है। 

लेकिन अगर संकल्प कर लें , तो दुनिया का हर व्यक्ति सत्य के मार्ग पर आसानी से चल सकता है।और इस दुनिया में खूबसूरती से जी सकता है। और अपने जीवन को आनंदमय और सुखमय बना सकता है। इसीलिए कहा गया है “सत्य ही ईश्वर है”। 

दोहे का अर्थ

साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप। 

जाके हिरदय सांच है , ताके हिरदय आप। ।

सच बोलने या सच्चाई की राह पर चलने को एक तपस्या के समान माना गया है। क्योंकि तपस्या व्यक्ति करने वाले व्यक्ति को सारे सांसारिक सुखों , माया मोह , भोग विलासिता को छोड़ना पड़ता हैं। जो मनुष्य के लिए आसान नहीं हैं।

सत्य को जानने के लिए या ईश्वर की राह पर चलने के लिए व्यक्ति को सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर एकांतवास में रह कर साधना में लीन रहना होता है।तभी उसे सत्य का ज्ञान होता है। यह कठोर मार्ग है जिस पर चलना हर किसी के बस की बात नहीं है।

इसीलिए सच बोलने या सत्यमार्ग पर चलने को तपस्या के बराबर माना गया है। इसके विपरीत असत्य का मार्ग या झूठ का मार्ग बहुत ही सरल है। लेकिन यह गलत मार्ग है। इसीलिए इसको पाप माना गया है। 

कबीर दास जी कहते हैं कि सच की राह पर चलना जितना कठिन है। झूठ की राह पर चलना उतना ही आसान।लेकिन व्यक्ति सच्चाई की राह पर चल कर ही उस परमात्मा तक पहुंच जाता है।और जिसके दिल में सच्चाई है। प्रभु सदा उसके दिल में ही निवास करते हैं। 

असली सुख दुनिया के माया मोह में नहीं , उस परमात्मा को प्राप्त करने में ही है। और यही इंसान का आखिरी लक्ष्य माना गया है 

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