Essay on Forest Conservation , वन संरक्षण व वनों का महत्व पर हिन्दी निबन्ध
Essay on Forest Conservation
वन संरक्षण व वनों का महत्व पर हिन्दी निबन्ध
Content
- प्रस्तावना
- वन शब्द की उत्पत्ति व अर्थ (Origin of Van / Forest )
- वन संरक्षण का अर्थ (Meaning of Forest Conservation )
- वन संरक्षण की आवश्यकता (Why Forest Conservation is necessary)
- भारतीय संस्कृति व वन (Indian Culture and Forest)
- वनों के संरक्षण से लाभ (Benefits Of Forest Conservation)
- वनों का महत्व (Importance of Forest )
- वनों के नष्ट होने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव
- वन संरक्षण के लिए आवश्यक कदम
- उपसंहार
प्रस्तावना
वन हमारी प्रकृति का सबसे सुंदर अंग है।मानव जाति के लिए प्रकृति का सबसे सुंदर उपहार भी वन और वृक्ष ही हैं।दुनिया के हर देश का उसके वनों से गहरा संबंध होता है। क्योंकि वहाँ की जलवायु , पर्यावरण और जनजीवन वनों पर ही निर्भर करते है।
आदिकाल से ही वन व वृक्ष , दोनों ही मनुष्य के अच्छे मित्र रहे हैं। वन प्रकृति की उपकार भावना को प्रदर्शित करते हैं। मानव को बिना मांगे ही उनसे बहुत कुछ मिलता है।वन हमारे देश की बहुमूल्य संपत्ति व आगे आने वाली पीढ़ी की धरोहर है। इसीलिए वनों का संरक्षण करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।
वन शब्द की उत्पत्ति व अर्थ (Origin of Van / Forest )
वन शब्द की उत्पत्ति फ़्रांसिसी भाषा से मानी जाती है। जिसका अर्थ होता है पृथ्वी का वह भूभाग जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ , पौधे , झाड़ियां व लताएं सघन मात्रा में पाई जाती हैं। और यह जगह विभिन्न तरह के जंगली जानवरों , पशु-पक्षियों , कीड़े-मकोड़ों का प्राकृतिक आवास स्थान होता है।
वन संरक्षण का अर्थ (Meaning of Forest Conservation )
वन संरक्षण का अर्थ वनों की रक्षा करना या उन्हें मूल या प्राकृतिक अवस्था में रहने देना।वास्तव में आज वनों के संरक्षण की आवश्यकता है। क्योंकि हम अपने स्वार्थ के कारण इनको नष्ट करने में तुले हैं।
दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की मिट्टी व जलवायु के हिसाब से अलग-अलग प्रकार के वन , पेड़ , पौधे , जानवर व पशु-पक्षियों आदि पाए जाते हैं। जो प्रत्यक्ष रूप या अप्रत्यक्ष रूप से पूरी मानव जाति व हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुंचाते हैं।तथा हमारी धरती को खूबसूरत भी बनाते हैं।
वन संरक्षण की आवश्यकता (Why Forest Conservation is necessary)
हम इंसान अपने थोड़े से स्वार्थ के कारण इन वनों को लगातार नष्ट करते जा रहे हैं। जिस कारण पूरी पृथ्वी से वन क्षेत्र लगातार घटते जा रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव अब हमारे सामने आने लगा है। धरती का बढ़ता तापमान , कम होती बरसात , मौसम चक्र में बदलाव , जहरीली गैसों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन स्तर का लगातार सिकुड़ते जाना इसके कुछ उदाहरण है।
इसीलिए अब हमें इन वनों को संरक्षित करने की आवश्यकता हैं।क्योंकि वनों को संरक्षित किए बिना पूरी मानव जाति या यूं कहें कि प्राणी मात्र का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। तो गलत नहीं होगा।
भारतीय संस्कृति व वन (Essay on Forest Conservation)
हमारे पूर्वजों व ऋषि मुनियों ने सभ्यता व संस्कृति का पाठ इन्हीं जंगलों में रह कर सीखा था।प्राचीन समय में हमारे महान ऋषि मुनि इन्हीं जंगलों के शांत और सुरम्य वातावरण में अपना आश्रम व गुरुकुल बनाकर रहते थे।और हजारों छात्रों को इन्हीं गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती थी।
इन गुरुकुलों में दूर-दूर से हजारों छात्र आकर विद्या अध्ययन करते थे।भगवान श्रीराम हो या श्री कृष्ण या कोई भी अन्य महापुरुष , सबने इन्हीं वनों में स्थित गुरुकुलों में जाकर अपना ज्ञान अर्जित किया था।
ऋषि मुनि एवं तपस्वी इन्हीं जंगलों में रहकर अपनी तपस्या व साधना करते थे। और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए इन्हीं जंगलों से भोजन , पानी तथा खाने-पीने की अन्य वस्तुओं को इकठ्ठा करते थे। यहां तक कि असाध्य से असाध्य रोगों के निदान के लिए इन्हीं जंगलों से औषधियां भी लाते थे।
प्राचीन काल में हमारे देश में वानप्रस्थ आश्रम का भी बड़ा महत्व होता था। यानी जीवन के चौथे चरण (वृद्धावस्था ) में लोग इन्हीं जंगलों में जाकर अपना जीवन यापन करते थे। ताकि वो अपना शेष जीवन शांति से भगवान को स्मरण करते हुए बिता सकें।
आयुर्वेद जैसी महान चिकित्सा पद्धति भारत की ही देन है।जिसमें पौधों व जड़ी बूटियों का उपयोग कर असाध्य रोगों को दूर किया जाता है।
भारत के ऋषि मुनियों के अनुसार दुनिया में उगने वाला कोई भी पौधा व्यर्थ नहीं हैं। हर पेड़ व पौधा अपने आप में एक औषधीय पौधा है। कुछ पौधे मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। तो कुछ उसके रोगों को दूर करने में सहायक होते हैं , और कुछ उनकी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के काम आते हैं।
यानि हर पौधा कुछ ना कुछ विशेष औषधीय गुण लिए हुए होता है। बस आपको उसके औषधिय गुणों का पता होना चाहिए।
वनों के संरक्षण से लाभ (Essay on Forest Conservation)
वनों के संरक्षण से लाभ ही लाभ हैं।क्योंकि आदिकाल से ही प्रकृति व मानव एक दूसरे के सहचरी रहे है। वन ना सिर्फ हम इंसानों को बल्कि दुनिया में रहने वाले प्रत्येक प्राणी मात्र को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाते हैं।जो निम्न हैं
- वन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र व पर्यावरण को मजबूत व संतुलित करते हैं।
- वन लगातार बादलों को आकर्षित करते हैं जिससे धरती पर वर्षा होती है। अच्छी वर्षा से खेतों में पैदावार अच्छी होती है।
- वनों के कारण जमीन का कटाव रुक जाता है।यानि ये मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।
- उत्तम और शुद्ध जलवायु के लिए वनों की बहुत आवश्यकता है।क्योंकि यही वन जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर , हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।
- वनों से हमें अमूल्य औषधियों के लिए जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं।
- वनों से हमें कई कुटीर व लघु उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल भी प्राप्त होता है। और कुछ कुटीर उद्योग धंधे तो वनों से प्राप्त होने वाले कच्चे माल पर ही निर्भर रहते हैं। जैसे रबड़ , गोंद , लाख , बीड़ी , सुगंध , रंग , टोकरी , तेल , अगरबत्ती आदि।
- इमारती लकड़ियों और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए आज भी हम जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं। कई उद्योग धंधे तो जंगलों पर ही आधारित हैं।
- मनुष्य व जानवरों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी वन ही करते हैं। पशुओं के लिए चारा व बिछौना जंगलों से ही प्राप्त होता हैं।
- कई लोग इन्हीं जंगलों पर आश्रित होकर अपना जीवन निर्वहन करते हैं।
- पर्यटन उद्योग के विकास के लिए वनों की बहुत आवश्यकता है।
वनों का महत्व
विकास , शहरीकरण व लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण पूरी दुनिया से लगातार हरे-भरे वन क्षेत्र निरंतर सिकुड़ते जा रहे हैं।एक आकलन के हिसाब से वर्ष 2045 तक भारत विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश हो जाएगा।ऐसे में वनों का महत्व बढ़ जाता हैं।
- प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इन जंगलों ने अपने अन्दर लगभग 638 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को समेट रखा है। इसके बदले में ये वन लगातार ऑक्सीजन का उत्सर्जन कर रहे हैं। ताकि इस धरती पर जीव जंतुओं के जीवन जीने की अनुकूल परिस्थितियां बनी रहे।यानि हमसे कुछ इच्छा किये वैगर हम पर उपकार करते हैं , वह भी हमें बिना बताये ।
- ये वन धरती पर कार्बन सिंक यानी कार्बन डाइऑक्साइड के भंडार के रूप में काम करते हैं जो इन जहरीली गैसों से पर्यावरण को एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
- दुनिया की लगभग एक अरब आबादी अपनी आजीविका के लिए इन्हीं वनों पर निर्भर रहती है। ऐसे में घटते वन क्षेत्र लोगों की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों को गहराई से प्रभावित करते हैं।
- मौसम में आए बदलाव , कई प्रकार के रोग फैलाने वाले जीवाणु और विषाणु की उत्पत्ति के पीछे भी वनों की कटाई ही मुख्य कारण है।
- दुनिया के कुछ देशों के पास विशाल वन संपदा है जिसमें रूस सबसे अग्रणीय है।उसके बाद ब्राजील , कनाडा और अमेरिका के पास भी अथाह वन संपदा है।जो उस देश की आर्थिक व सामाजिक स्थितियों को प्रभावित करती हैं।
- भारत के कुछ राज्य जैसे मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र , अरुणाचल प्रदेश , ओडिशा में वनों की स्थिति बहुत अच्छी है।इन राज्यों में आज भी आदिवासी जाति व जनजाति के लोग मुख्यतः जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं।
- वर्षा वनों में दुनिया के जीव जंतुओं की लगभग आधी प्रजातियां निवास करती है।लातिन अमेरिका की “अमेज़न नदी घाटी” के जंगल दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता वाले क्षेत्र हैं। इसीलिए इसे दुनिया का “श्वास तंत्र” भी कहा जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार अगर धरती पर जीवन को बचाना है तो जंगलों को संरक्षित करना अनिवार्य है।
- वन हमारे प्रकृति व पर्यावरण को संतुलित करते हैं।वनों में ही हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को फलने फूलने का पर्याप्त अवसर मिलता है।
- किसी भी क्षेत्र के सघन वन उस क्षेत्र की मिट्टी व पहाड़ों को खत्म होने से बचाते हैं।
- जंगल में उगने वाले पेड़ पौधे हमारे धरती के पानी को बचाए रखने में भी सहायक होते हैं। अत्यधिक गर्मी में भी इनकी छाया से नदी , झीलों , झरनों का पानी बहुत अधिक मात्रा में वाष्प बन नहीं पाता है। जिससे पानी बचा रहता हैं।
- इसी तरह इनकी जड़ों पानी को अवशोषित कर मिट्टी में स्थिर किये रखती हैं। जिससे भूमि में नमी रहती हैं।
वनों के नष्ट होने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव
वन हमें हमेशा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अमूल्य उपहार देते ही आए हैं।बावजूद इसके हम इंसानों ने ही इन जंगलों को खत्म करने का जैसे बेड़ा ही उठाया है। लेकिन धीरे धीरे ही सही इसका दुष्प्रभाव अब हमारी समझ में आने लगा है। जो निम्न हैं।
- जंगलों की कटाई के कारण दुनिया के तापमान में लगातार बृद्धि होती जा रही हैं। भारत का तापमान पिछले 100 वर्षों में लगभग 0.4 डिग्री सेल्सियस बड़ा है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में वर्ष 2050 तक ठंड के मौसम का तापमान लगभग 3.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। जिस कारण 2050 तक बारिश की मात्रा में भारी कमी आएगी। और यही बढ़ा हुआ तापमान हमारे जीवन जीने व प्रगति में बाधा बनेगा।
- विश्व भर में जंगलों का क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है मनुष्यों की संख्या बढ़ने के कारण हर साल पृथ्वी में औसतन .24% की रफ्तार से वन घट रहे हैं। और पृथ्वी के पर्यावरण में हर साल लगभग 1.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड का जहर घुल रहा है। जो प्रकृति की अनमोल धरोहर जंगलों की अंधाधुंध कटाई का सबसे घातक परिणाम है।
- वनों व वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से वर्षा की मात्रा घट जाती है। इससे अकाल पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। और धरती को सूखे की मार झेलनी पड़ती है।फसल की पैदावार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।
- लगातार वनों के कम होने से जंगली जानवरों ने गांवों की तरफ रुख कर दिया है।और ये जंगली जानवर लगातार इंसानों को तथा उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। और यह खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
- सूखा , बाढ़ , भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है।
- पर्यावरणीय असंतुलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है है। प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही हैं।
वन संरक्षण के लिए आवश्यक कदम
अब समय आ गया हैं जब वन संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाना जरूरी हैं।
- वनों के संरक्षण में वनों के आसपास रहने वाले लोग विशेष भूमिका निभा सकते है। वनों के संरक्षण के लिए इन्हीं लोगों को प्रशिक्षित करना व जागरूक करना आवश्यक है। इन लोगों को यह बताना भी आवश्यक है कि वनों को सुरक्षित रखने से उन्हें क्या-क्या लाभ मिल सकता हैं।
- वनों के संरक्षण के लिए वनों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए ईंधन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि वो ईंधन के लिए इन जंगलों को ना काटे।
- कुछ स्वार्थी लोग अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई कर देते हैं। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
- वनों में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं पर आधारित लघु एवं कुटीर उद्योगों से रोजगार के विकल्पों को तलाशने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। ताकि रोजगार मिलने की वजह से जंगलों के आसपास रहने वाले लोग इन जंगलों के रखरखाव व इनके संरक्षण में ज्यादा ध्यान दे सकें।
- विकास के नाम पर अंधाधुंध वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए। जिस जगह पर पेड़ों की कटाई अनिवार्य है।सरकार को चाहिए कि पहले किसी दूसरे स्थान पर उतने ही या उससे दुगुने पौधों का रोपण करवाएं। तब उन पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान करें। जिससे यह धरती हरी भरी रहे और प्राकृतिक संतुलन भी बना रहे।
- वन महोत्सव व हरेला जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर नए पौधों का रोपण यानी वृक्षारोपण करना अति आवश्यक है।
- सरकार को कठोर नियमों के साथ वन संरक्षण की नीति बनाने की आवश्यकता है।
उपसंहार (Essay on Forest Conservation)
दुनिया भर के लोग व सरकारों अब वनों के संरक्षण के लिए जागरूक हुई हैं।पर्यावरण सुरक्षा या वन सुरक्षा से संबंधित अनेक नियमों को बनाया गया है।वनों की आवश्यकता व उसके महत्वता को लोगों को समझाने व उसके प्रति जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों को भी चलाया जा रहा है।कई वन्यजीव अभयारण्य , राष्ट्रीय उद्यानों आदि को संरक्षित किया जा रहा है।
वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर नए पौधों का रोपण यानी वृक्षारोपण किया जा रहा है।क्योंकि वनों व पेड़ पौधों के बिना एक दिन यह धरती व इसमें रहने वाले प्राणी मात्र का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसीलिए हमें अपने अस्तित्व को बचाए रखना है तो वनों का संरक्षण करना अति आवश्यक है।
Essay on Forest Conservation
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