Essay on Diseases caused by pollution
प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों पर हिंदी निबंध , Diseases caused by pollution Hindi Essay .
Essay on Diseases caused by Pollution in Hindi
प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों
पर हिंदी निबंध
- प्रस्तावना
- प्रदूषण किसे कहते हैं ?
- प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- मृदा प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
- उपसंहार
प्रस्तावना
पृथ्वी में रहने वाले प्रत्येक प्राणी को धन-संपत्ति , जमीन या हीरे जवाहरात जड़ित गहनों के बजाए शुद्ध हवा , साफ पानी व स्वच्छ पर्यावरण की ज्यादा आवश्यकता है। जो प्रकृति द्वारा हमें निशुल्क प्रदान किया जाता हैं। पर यह जानते हुए भी कि शुद्ध हवा , साफ़ पानी , स्वस्थ पर्यावरण व साफ मिट्टी के बिना हमारा इस धरती पर अस्तित्व संभव नहीं है। फिर भी हम हर रोज अपने पर्यावरण , हवा , पानी व मिट्टी को प्रदूषित करते ही जा रहे हैं।
जिस कारण से हम भयंकर रोगों की चपेट में आकर असमय ही काल के मुंह में समा रहे हैं। प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से मरने वालों का आंकड़ा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन फिर भी हम इसके प्रति जागरूक नहीं है।
प्रदूषण किसे कहते हैं ?
पर्यावरण में कुछ अवांछित पदार्थों के मिल जाने के कारण जो प्राकृतिक असंतुलन पैदा हो जाता हैं। उसे प्रदूषण कहते हैं । यानि सरल भाषा में कहें तो हवा , पानी , मिट्टी आदि में अवांछित तत्वों के मिल जाने से उनका दूषित हो जाना या उनका अपनी मूल अवस्था में न रह पाना ही , प्रदूषण कहलाता हैं। जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
प्रदूषण से होने वाली बीमारियां (Essay on Diseases caused by pollution )
प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं जैसे जल प्रदूषण , वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण , मृदा प्रदूषण आदि।
(i) जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
पानी में कुछ अवांछित तत्वों के मिल जाने से पानी पीने योग्य नहीं रहता है। इसे जल प्रदूषण कहा जाता है। जल प्रदूषण से अनेक तरह की बीमारियों के पनपने का खतरा रहता है।
उल्टी- दस्त या पेचिश जैसे गंभीर बीमारी दूषित पानी पीने से होती है। यह वर्षाकाल में अधिक फैलती है। टाइफाइड , यह बीमारी बैक्टीरिया से दूषित जल पीने से और दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होती है।
इसी तरह इंसेफेलाइसिस या जापानी बुखार या मस्तिष्क ज्वर , के नाम से भी जाना जाता है। यह भी दूषित पानी में जन्मे मच्छरों के कारण होती है। भारत में यह बीमारी बड़ी तेजी से अपने पैर फैल रही हैं।
मलेरिया यह रोग मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है । ज्यादा कैल्शियम युक्त पानी पीने से गुर्दा में पथरी जमा हो जाती है। पीलिया यह रोग दूषित पानी पीने से फैलता है।
(ii) वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
जब हवा में खतरनाक पदार्थ या हानिकारक गैस और जैविक अणुओं की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है , तो वातावरण की वायु प्रदूषित हो जाती हैं। उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।
वायु प्रदूषण से कई सारी बीमारियों जैसे दिल की बीमारी , फेफड़ों की बीमारी , फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) , मानसिक समस्या , किडनी की बीमारी आदि होती हैं। वायु प्रदूषण से बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा तनाव , डिप्रेशन , डायबीटीज , हार्ट अटैक , आंखों में जलन और त्वचा संबंधी रोग , अस्थमा के अलावा सांस संबंधी कई सारी बीमारियां होने लगती है।
गर्भवती महिला व होने वाले बच्चे पर भी वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ता हैं। कभी कभी उनकी जान को भी खतरा हो जाता है। वायु प्रदूषण का प्रभाव उम्र में भी पड़ा है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों के जीने की औसतन उम्र में कमी आई है। वायु प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बढ़ गया हैं।
(iii) ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
ध्वनि प्रदूषण भी कई सारी बीमारियों को जन्म देती हैं। बहुत तेज ध्वनि / आवाज से कान के पर्दों को हानि पहुँचाती है। कभी कभी कान से सुनाई देना पूरी तरह से बन्द हो सकता है। ध्वनि प्रदूषण से दिल की धड़कन कम हो जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। जो दिल संबंधी कई बीमारियों को आमंत्रण देता हैं। और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
लगातार और तेज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की नींद व कार्य क्षमता भी प्रभावित होती हैं। व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में भी असर पड़ता है जिससे वह तनाव या डिप्रेशन जैसी स्थिति में भी आ जाता है।
खासकर ध्वनि प्रदूषण छात्रों की पढ़ाई में बहुत व्यवधान डालते हैं। क्योंकि तेज शोरगुल के कारण छात्रों का ध्यान पढ़ाई से बार-बार भटक जाता है जिस कारण उनकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो जाती हैं।
इससे न सिर्फ हम इंसानों को , बल्कि जानवरों को भी खतरा होता है। ध्वनि प्रदूषण से जानवरों में भी कई सारी बीमारियां पैदा हो रही हैं। अधिक और लगातार ध्वनि प्रदूषण के कारण जानवरों के प्राकृतिक रहन-सहन खान-पान और उनकी प्रजनन क्षमता में भी बदलाव आने लगता है।
(iv) मृदा प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
मृदा प्रदूषण के कारण भी कई तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं। मृदा की गुणवत्ता व उर्वरकता का ह्रास हो जाता है जिसके कारण कृषि उत्पादन में कमी आ जाती है ।और कई बार उपजाऊ मिट्टी बंजर भूमि में बदल जाती है। अधिक रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग से लगातार मिट्टी तो दूषित हो ही रही है साथ में पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बहुत बड़ा खतरा पैदा हो रहा है।
(v) प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
प्लास्टिक की थैलियां व प्लास्टिक से बना सामान , दोनों ही जल और जमीन को प्रदूषित करते हैं। प्लास्टिक को जलाने से यह विषैली गैसों व रसायनों को उत्पन्न करता है। जिससे सांस संबंधी बीमारियां व कैंसर आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ में इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।
और कुछ लोग खाने पीने की गर्म वस्तु को प्लास्टिक की थैलियों में रखकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। गर्मी अधिक होने के कारण खाने में प्लास्टिक के कुछ कण भी खाने में घुल जाते हैं जो खतरनाक होते हैं। ये अनजाने में ही कैंसर जैसी घातक बीमारी को दावत दे देते हैं।
प्लास्टिक से इंसानों के साथ साथ वन्यजीवों , समुद्री जीवों तथा पक्षियों को भी खतरा हैं। कई बार लोग प्लास्टिक की थैलियों में खाना रखकर जानवरों को देते हैं। जानवर खाने के साथ-साथ प्लास्टिक की थैली भी खा जाते हैं। जिसके कारण उन्हें पेट की समस्या हो जाती है। जो कई बार बार उनकी मृत्यु का कारण भी बन जाती है।
इसी तरह समुद्र में उपस्थित माइक्रोप्लास्टिक भोजन और पानी के साथ जलीय जीवों के पेट में पहुंच रहा है। जो जलीय जीवों की मौत का कारण बनता हैं।
प्लास्टिक की थैलियों से शहर और गांव के ड्रेनेज सिस्टम यानि नदी , नाले बंद हो जाते हैं जिससे शहर या गांव मेंजलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है , जो कई बीमारियों को इकट्ठे दावत दे देता है।
उपसंहार
चाहे जल प्रदूषण हो या वायु प्रदूषण या किसी भी तरह का प्रदूषण , हर रोज बढ़ता जा रहा है। और यह इस समय पूरे विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। यह पूरी मानव जाति पर , धरती में रहने वाले प्राणी मात्र के लिए व हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है।
धरती पर जितना भी प्रदूषण है सब मानव जनित ही है। जब प्रदूषण मानव जनित है तो इसका उपाय भी हम इंसानों के ही हाथ में हैं। ऐसा नहीं है कि इस प्रदूषण को खत्म नहीं किया जा सकता है। किसी भी तरह के प्रदूषण को खत्म किया जा सकता है।
बस आवश्यकता है दृढ संकल्प लेने की। इस धरती को फिर से प्रदूषण मुक्त व हरा भरा बनाने की। अब समय आ गया है अपनी धरती और उसमें रहने वाले प्राणी मात्र व हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूक होने का । अभी नहीं तो , फिर कभी नहीं। इसीलिए हमें धरती को प्रदूषण मुक्त बनाना ही होगा।
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