Essay On Agriculture In India :कृषि क्षेत्र पर निबन्ध

Essay On Agriculture In India : कृषि क्षेत्र पर हिन्दी निबन्ध

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

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 Essay On Agriculture In India

कृषि क्षेत्र पर हिन्दी निबन्ध

प्रस्तावना

प्राचीन काल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है।किसान और कृषि भारत की संस्कृति में रचा बसा है।और यह भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा हैं। इस देश में कृषि संबंधी कई त्योहार मनाए जाते हैं। जो या तो फसलों के पक जाने के बाद या फसलों की बुवाई के वक्त मनाए जाते हैं।

भारत की एक बड़ी आबादी की आजीविका कृषि संबंधी कार्यों पर ही निर्भर रहती है।किसान की असली जमा पूँजी उसकी जमीन ,फसल व पशुधन ही होता है। किसान कृषि क्षेत्र की असली रीढ़ होते हैं। जो मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं अर्थात भोजन का उत्पादन करते हैं।

क्या है कृषि क्षेत्र

एक ऐसा क्षेत्र जहां पर मनुष्य के जीवन की मूलभूत व पहली आवश्यकता यानि खाद्य पदार्थों जैसे अनाज , फल , सब्जियों आदि का उत्पादन किया जाता है। अनाज , फल ,सब्जी ही मनुष्य के जीवन की प्रथम आवश्यकता हैं । इनके बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। खेती के माध्यम से खाद्यानों के उत्पादन को कृषि कार्य और इस क्षेत्र को कृषि क्षेत्र कहा जाता है। 

पहले के समय में कृषि क्षेत्र का मतलब सिर्फ कृषि और पशुपालन तक ही सीमित था। लेकिन अब बदलते समय में कृषि क्षेत्र पहले से कहीं बड़ा हो गया है। पशुपालन , फसल उत्पादन के अलावा फल सब्जी , दुग्ध उत्पादन , मौन पालन , मत्स्य पालन और कई ऐसे छोटे बड़े क्षेत्रों को भी अब कृषि क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। 

भारत में वैदिक काल से ही कृषि क्षेत्र को महत्व दिया जाने लगा। जिसमे छोटे छोटे औजारों का प्रयोग कर फसलों का उत्पादन किया जाता था। लेकिन ब्रिटिश काल में खेती का पारंपरिक स्वरूप में बदलाव आया। उस समय आर्थिक फायदे के लिए कपास व नील की खेती को महत्व दिया जाने लगा। जिन्हें ब्रिटिश लोग भारत से बाहर भेजकर भारी मुनाफा कमाते थे। 

भारतीय कृषि क्षेत्र पर हरित क्रांति का प्रभाव (Essay On Agriculture In India)

हमारे देश में विशाल जनसंख्या निवास करती हैं। इसीलिए आजादी के कुछ वर्षों तक हमारे देश को अनाज की कमी से जूझना पड़ा।इस विशाल जनसंख्या का पेट भरने के लिए अनाज का आयात किया जाने लगा। साठ के दशक में खाद्यान्नों का अधिक उत्पादन करने के लिए कृषि क्षेत्र में एक अनोखा प्रयोग किया गया जिसे “हरित क्रांति” का नाम दिया गया। 

कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति एक क्रांतिकारी परिवर्तन था। जिसमें फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए रासायनिक खादो व विषैले कीटनाशकों का प्रयोग किया गया। जिसकी वजह से खेतों में फसल लहलहाने लगी और किसानों के भंडार अनाज से भर गये।

भारत की विशाल जनसंख्या का पेट भरने के लिए अब खेतों में पर्याप्त अनाज उगने लगा।कुछ खाद्यान्नों के मामले में विदेशों पर निर्भरता भी खत्म हो गई। 

वहीं दूसरी ओर इसका परिणाम भी जल्दी सामने आने लगा। रासायनिक खादों व विषैले कीटनाशकों ने हमारी भूमि , हवा , पर्यावरण यहां तक कि मिट्टी को भी दूषित कर दिया। मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई और अब एक दौर ऐसा भी आया है।जब जमीनें बंजर हो गई हैं और खाद्यान्न भी कम उगने लगे हैं क्योंकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई है। 

भारतीय कृषि क्षेत्र पर जैविक खेती का प्रभाव  

लेकिन हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में फिर परिवर्तन आने लगा है। लोग जैविक खेती की तरफ बढ़ने लगे हैं। जैविक खेती फसल उगाने की वह नई व आधुनिक तकनीक है जिसमें विषैले व धातक रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।

इसके बदले जैविक खाद , हरी खाद , गोबर खाद , गोबर गैस खाद , केंचुआ खाद , बायोफर्टिलाइजर्स का प्रयोग किया जाता है।जैविक खाद उस खाद को कहते हैं जो मुख्य रूप से पशुओं के गोबर ,मल मूत्र , हरी घास , फसलों  के अवशेषों व घर में निकलने वाले जैविक कूड़े को सड़ा कर तैयार की जाती हैं।

इस खाद में वो सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक होते हैं।खेती करने के इस नए तरीके को “जैविक खेती /Organic Farming ” कहते है।

जैविक खेती भूमि की उपजाऊ क्षमता व उर्वकता में लगातार वृद्धि करती है। रसायनों व कीटनाशकों से होने वाले दुष्प्रभावों से पर्यावरण की रक्षा करती है।फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी करती है।जैविक खेती से उगाया गया अनाज उच्च गुणवत्ता लिए हुए होता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम होता है।

कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों व आधुनिक उपकरणों का प्रयोग 

हालांकि कृषि क्षेत्र में आजादी के बाद कई क्रांतिकारी परिवर्तन आए। अब ज्यादातर किसान शिक्षित हो गये है। कृषि क्षेत्र में फसलों को उगाने लिए अब वैज्ञानिक तरीकों व नए नए उपकरणों का प्रयोग किया जाने लगा है।कुछ किसानों ने वैज्ञानिक तरीकों से खेती करनी प्रारंभ कर दी है।कृषि संबंधी कार्यों के लिए कृषि वैज्ञानिकों से समय-समय पर सलाह मशवरा लेते रहते हैं।ताकि उनके खेतों में अच्छी फसल सके। 

 खेत में अनाज बोने से पहले मिट्टी की जांच कर ली जाती है। मिट्टी के गुणों का पता होने के बाद ही मिट्टी के गुणों के अनुसार ही उस जमीन पर फसल बोई जाती है जिससे किसान को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

इसी के साथ साथ ही उन्नत किस्म के बीजों , जैविक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे और किसानों की मेहनत का उन्हें पूरा फायदा मिले। वैसे भी मार्केट में जैविक उत्पाद बहुत अच्छी कीमत पर बिकते हैं जिससे किसान की अच्छी आमदनी होती है। 

अब हाथ से अथाह मेहनत करने के बजाय आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर खेती की जाती हैं।ताकि सारे काम कम मेहनत के आसानी से हो सके। कटाई , बुवाई , सिंचाई और यहां तक कि अनाज निकालने के लिए भी आज आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। 

कृषि क्षेत्र के लिए सरकारी योजनाएं (Essay On Agriculture In India)

भारत में खेती व किसानों के लिए भी कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रहे है। केंद्र सरकार का 2022 तक सभी किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य है। किसानों को बीज , मिट्टी की उर्वरा शक्ति , खाद की जानकारी दी जा रही है। वही नई तकनीकों का प्रयोग करने संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

कुछ तरह की खेती करने पर किसानों को सरकारी लोन तथा सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है। खेती के लिए सिंचाई हेतु ट्यूबवेल व सोलर पंप लगाने की भी व्यवस्था की गई है। इन सब के लिए किसान को सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जा रही है।

सरकार अपनी तरफ से किसानों की मदद करने का हर संभव प्रयत्न कर रही है।बड़ी-बड़ी नदियों पर बांध बनाकर सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण किया जा रहा हैं।ताकि किसान सिंचाई के लिए अपने खेत में नहरों का पानी पहुंचा सके। 

कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था (Essay On Agriculture In India)

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक उस देश की कृषि पर निर्भर करती है।आज भी दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिन की मजबूत अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है।

भारत की अर्थव्यवस्था में भी यही कृषि क्षेत्र अहम भूमिका निभाता है।और सरकार के खजाने को विदेशी मुद्रा से भरता है।हमारे देश की राष्ट्रीय आय का लगभग एक तिहाई भाग कृषि क्षेत्र से ही आता है। इसीलिए हम यह कह सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था बहुत हद तक कृषि पर आधारित है 

कृषि क्षेत्र से ही कई सामानों के लिए कच्चा माल उपलब्ध होता है। और कई उद्योग धंधे कृषि क्षेत्रों पर ही निर्भर करते हैं। 

आज भारत से कई खाद्य पदार्थों का निर्यात विदेश में किया जाता है। जूट , चाय , तंबाकू , कॉफी , मसाले , चीनी को निर्यात किया जाता है जिससे भारत को अच्छी खासी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती हैं। भारत वैसे भी कृषि निर्यात के मामले में सातवें स्थान पर है। भारत में लगभग सभी तरह के खाद्य पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। जैसे अनाज , दालें , बाजरा , तिलहन तेल ,फल ,सब्जी आदि।

भारत चावल , गेहूं , दालें , चाय , कॉफी ,फल , सूखे मेवे , मसाले , मिल्क उत्पाद , कपास और कई प्रकार के तेलों का उत्पादन प्रचुर मात्रा में करता है। भारत के कुछ प्रांत जैसे पंजाब में गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है। इसी तरह गन्ना और चावल का उत्पादन भी बड़े पैमाने में किया जाता है। भारत से कई देशों का चावल और गेहूं का निर्यात किया जाता है। 

घटता कृषि क्षेत्र

यह बड़े दुख की बात है कि हमारे देश में खेती योग्य भूमि साल दर साल कम होती जा रही है।शहरीकरण व विकास के नाम पर अनेक इमारतों , सड़कों आदि के निर्माण के लिए कृषि योग्य भूमि को या तो बेचा जाता हैं या उसका अधिग्रहण कर लिया जाता हैं।  जिसकी वजह से खेती योग्य भूमि कम होती जा रही है।

कृषि क्षेत्र पर बदलते मौसम चक्र का प्रभाव (Essay On Agriculture In India)

हर रोज बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या का पेट भरना अब किसानों के बस के लिए मुश्किल हो रहा हैं। उसके ऊपर से गड़बड़ाया हुआ मौसम चक्र। बेमौसम बारिश बरसात , बाढ़ , ओले , अत्यधिक गर्मी की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचता है। जो किसान के लिए हर तरफ से नुकसान देय है।

इसका परिणाम अनाज उत्पादन में लागत ज्यादा और अनाज उत्पादन कम।जिस कारण किसान लगातार कर्ज में डूब रहा है। और कुछ किसान तो कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या जैसे रास्ता भी अपना रहे है।

उपसंहार 

कृषि क्षेत्र किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है।और कच्चा माल उपलब्ध करा कर वहां के कई उद्योग धंधों को गति प्रदान करती हैं। 

हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी बहुत हद तक कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर रहती है।कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र है। जिससे अपना कर कोई भी व्यक्ति स्वरोजगार की तरफ अग्रसर हो सकता है। इसी क्षेत्र से देश में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। 

Essay On Agriculture In India : कृषि क्षेत्र पर हिन्दी निबन्ध

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