Chitthiyon Ki Anoothi Duniya Class 8 Question Answer :
Chitthiyon Ki Anoothi Duniya Class 8 Question Answer
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया कक्षा 8 प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
“चिट्ठियों की अनूठी दुनिया” के लेखक कौन है ?
उत्तर–
अरविंद कुमार सिंह।
प्रश्न 2.
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर–
पत्र एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को व्यक्त करता है। अपने दुख–सुख या अच्छे बुरे को अपनों से बांटता है। पत्र एक दूसरे को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं। इसीलिए पत्र पढ़ने में जो सुख और आनंद की अनुभूति होती है। वह फोन या एसएमएस के संदेश से नहीं मिलती है।
पत्रों को सहेज कर रखा जा सकता है। उन्हें बार–बार पढ़ा जा सकता है जबकि ज्यादातर लोग एसएमएस पढ़कर मिटा या हटा देते है। हालाँकि कई बार ये पत्र नयी घटनाओं को भी जन्म देते है और कही पर विवाद की जड़ भी यही पत्र होते है। अनुसंधान का विषय भी पत्र हो सकते है लेकिन जो भी हो दुनिया का अधिकतर साहित्य पत्रों पर केंद्रित है। पत्रों से देश , काल , समाज , सभ्यता , संस्कृति की जानकारी भी मिलती है।
प्रश्न 3.
पत्र को खत , कागद , उत्तरम् , जाबू , लेख , कडिद , पाती , चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।
उत्तर–
पत्र को उर्दू में खत और चिट्ठी , संस्कृत में पत्र , कन्नड़ में कागद , तेलुगु में उत्तरम् , जाबू और लेख , हिंदी में पाती तथा तमिल में कडिद कहा जाता है।
प्रश्न 4.
पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या–क्या प्रयास हुए ? लिखिए।
उत्तर–
पत्र लेखन की कला के विकास के लिए निम्न प्रयास हुए।
पत्र लेखन को एक कला माना गया।
डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए हर स्तर पर विशेष प्रयास किए गए।
स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय शामिल किया गया।
“विश्व डाक संघ“ की ओर से सन् 1972 में 16 वर्ष से कम आयवुर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ शुरू की गयी।
प्रश्न 5.
पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर–
पत्र एक लिखित दस्तावेज होता है। इसीलिए इन्हें लम्बे समय तक सहेज कर रखा जा सकता है। उन्हें फ्रेम कर सहेजा जा सकता है और उन्हें बार–बार पढ़ा जा भी सकता है। आज भी अपने देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिन्होंने अपने पूर्वजों , महान नेताओं , संतों आदि की चिट्ठियों को बहुत ही सहेज और सँजोकर विरासत के रूप में रखा है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , जवाहर लाल नेहरू , रवींद्रनाथ टैगोर आदि महान हस्तियों की चिट्टियां तो आज भी हमारे संग्रहालयों में आकर्षण का केंद्र है और ये सभी पत्र हमारे लिए तो हमारी धरोहर व पूर्वजों की विरासत है लेकिन एसएमएस के साथ ऐसा नहीं होता है। एसएमएस को हम अक्सर पढ़ कर जल्दी से मिटा देते है या पढ़कर एसएमएस संदेश ही भूल जाते है। दुनिया में हर रोज करोड़ों एसएमएस एक दूसरे को भेजे जाते है। लेकिन आज तक कोई भी एसएमएस पत्रों जैसा धरोहर या विरासत नहीं बन पाया।
प्रश्न 6.
क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स , ई–मेल , टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते है ?
उत्तर–
चिट्ठियों की जगह शायद ही कभी फैक्सए , ई–मेल , टेलीफ़ोन या मोबाइल ले पायें क्योंकि जो प्यार और अपनापन पत्र में लिखे हर शब्द से झलकता है। वह आधुनिक दूरसंचार के माध्यमों से कहां संभव है।
हां यह जरूर है कि , ये आधुनिक दूरसंचार के माध्यम आपके बीच की दूरियों को मिटाते है। आवश्यक संदेशों को तुरंत एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते है। हमारी रोजमर्रा की कई समस्याओं को हल कर देते है लेकिन दिल की सुंदर भावनाओं को कागज में व्यक्त करने का सबसे बेहतरीन माध्यम सदैव पत्र ही रहेंगे। इनकी जगह कोई नहीं ले सकता है ।
प्रश्न 7.
डाक विभाग की ख़ास बात क्या है ?
उत्तर–
डाक विभाग की ख़ास बात यह है कि इसकी पहुंच हर घर , हर शहर और हर गांव तक है और सब जगह लोग डाकियों का बेसब्री से इंतजार करते है। खासकर गांव के गरीबों को अपने मनीआर्डर का खूब इंतजार रहता है। ये डाकिये उनके लिए किसी देवदूत से कम नहीं होते है। डाक विभाग ही एक ऐसा विभाग था जो करोड़ों लोगों को जोड़ने का काम करता है।
प्रश्न 8.
लेखक ने पत्रों को किन -किन घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना है ?
उत्तर–
लेखक कहते है कि राजनीति , साहित्य , कला या कोई अन्य क्षेत्र , सभी क्षेत्रों में विवाद की जड़ पत्र ही है या नई घटनाओं का जन्म भी पत्रों के द्वारा ही होता है। दुनिया भर का अधिकतर साहित्य भी पत्रों पर ही आधारित है। पत्रों से ही हमेशा एक नया सिलसिला शुरू होता है।
प्रश्न 9.
पुराने समय में पत्रों की क्या उपयोगिता थी ?
उत्तर–
पुराने समय में लोग पत्रों के जरिये ही अपना सुख दुख , अच्छा बुरा , सभी कुछ एक दूसरे से बांटते है। दुनिया भर में रोज करोड़ों पत्र एक दूसरे को भेजे जाते है। भारत में ही रोज करीबन साढ़े चार करोड़ चिट्टियां डाकघरों में डाली जाती थी। इसी बात से चिट्ठियों का महत्व पता चलता है। उस समय पत्र लिखना भी अपने आप में एक कला माना जाता था।
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