New Education Policy 2020 ,
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New Education Policy 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
गुणवत्ता पूर्वक व रोजगार परक शिक्षा से ही हम विश्व पटल पर अपनी अमित छाप छोड़ सकते हैं। गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा से ही हम हमारी सभ्यता व संस्कृति व प्राचीन भारतीय विद्यायों को संरक्षित कर सकते हैं। विश्व मानकों पर खरी उतरने वाली शिक्षा हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की प्रतिभा को और निखरेगी। हमारे देश को विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बनाकर , हमारे देश से गरीबी व बेरोजगारी को मिटायेगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य बिंदु
(Main Point Of National Education Policy 2020)
नई शिक्षा नीति और विभाग से संबंधित
- 29 जुलाई 2020 को भारत में नई शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) को कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है। यह नई शिक्षा नीति भारत की 34 साल पुरानी “राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 1986 (National Policy on Education (NPE-1986) का स्थान लेगी ।
- इस नई शिक्षा नीति का मसौदा पूर्व इसरो (ISRO) प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने मई 2019 में प्रस्तुत किया था। इस समिति का गठन जून 2017 किया गया था।
- नई शिक्षा नीति के तहत “मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) का नाम बदल कर “शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry)” किया गया है। विभाग का नाम बदलने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा और सीखने पर ध्यान आकर्षित करना है। इस मंत्रालय के मुखिया (शिक्षा मंत्री) अभी रमेश पोखरियाल निशंक हैं।
- नयी शिक्षा नीति 2020 में केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च किया जायेगा। वर्तमान में यह 4.43% है।
- नई शिक्षा नीति 2020 , स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी। इससे पहले पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने वर्ष 1968 में पहली शिक्षा नीति और राजीव गाँधी ने वर्ष 1986 में दूसरी शिक्षा नीति लागू की थी। दूसरी शिक्षा नीति में नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में थोड़े बहुत बदलाव किये थे ।
- भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक “भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान” स्थापित किया जाएगा।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में क्वालिटी एजुकेशन , इनोवेशन और रिसर्च पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।
- शिक्षा में कौशल विकास , रचनात्मकता और तार्किकता पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
- सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सीखने के एक मानक होंगे और शुल्क भी एक समान लिया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति के आने के बाद यह माना जा रहा है कि अब बच्चों को रटने वाली शिक्षा व्यवस्था से छुटकारा मिलेगा। यानि बच्चे को विषय रटाने के बजाय उसके समग्र विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
- स्कूल में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यानि नई शिक्षा नीति बेरोजगारों की फ़ौज खड़ी नहीं करेगी।
- भारत सरकार सभी लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक ‘ लिंग-समावेश निधि’ का गठन करेगी । राज्य इस फंड का उपयोग महिला और ट्रांसजेंडर छात्रों की सहायता के लिए करेंगे। जैसे शौचालय और स्वच्छता पर , सशर्त नकद हस्तांतरण और साइकिल के लिए प्रावधान।
कक्षा 1 से 12 वीं तक नई शिक्षा नीति में क्या हैं खास
- छोटे बच्चों के लिए (3 वर्ष से 8 वर्ष की उम्र) शैक्षिक पाठ्यक्रम को दो भागों में बांटा गया हैं।
- Early Childhood Care and Education(ECCE)। यानि 3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये बालवाटिका या आँगनवाड़ी के माध्यम से मुफ्त शिक्षा के साथ साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल भी सुनिश्चित की जाएगी। ECCE को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय , महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से चलाया जाएगा।
- 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 और कक्षा 2 की शिक्षा दी जाएगी। प्रारंभिक शिक्षा को ज्यादातर खेल और गतिविधियों पर ही आधारित किया जायेगा ।
- नई शिक्षा नीति में शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित किया जायेगा। वर्तमान में शैक्षिक पाठ्यक्रम 10+2 के आधार चल रहा हैं। 5+3+3+4 प्रणाली निम्न हैं।
- 5 (5 Years) = पहले तीन साल आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग + कक्षा एक + कक्षा दो
- 3 (3 Years) = कक्षा तीन + कक्षा चार + कक्षा पांच
- 3 (3 Years) = कक्षा छः + कक्षा सात + कक्षा आठ
- 4 (4 Years) = कक्षा नौ + कक्षा दस + कक्षा ग्यारह + कक्षा बारह
- नई शिक्षा नीति के तहत पहली कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्र छात्राओं के स्कूल बस्ते का भार उनके शारीरिक वजन के 10% से अधिक नहीं होगा।
- एक और अच्छी बात यह है कि बच्चों को ज्यादा होमवर्क नहीं दिया जाएगा।
- इसके अलावा प्रत्येक स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच के लिए प्रबंधकों को डिजिटल मशीनों रखने और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने को कहा गया है।
- ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। इसके लिए एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जायेगा। जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जायेगी।
- नई शिक्षा नीति में शिक्षा के अधिकार (Right To Education) को 3 से 18 साल कर दिया गया हैं ।अब तक यह 6 से 14 वर्ष तक था।
- नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा या स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को पढाई में माध्यम के रूप में अपनाने पर खासा जोर दिया गया है। यानि छात्र अपनी कक्षा-5 तक की शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में ले सकते हैं।
- त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा और उच्च शिक्षा तक संस्कृत को विकल्प के रूप में दिया जाएगा। राज्य अपनी पसंद की भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं होगा।
- छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। और साथ में इच्छुक छात्रों को 6वीं कक्षा के बाद से ही इंटर्नशिप भी करायी जाएगी।
- म्यूज़िक और आर्ट्स को पाठयक्रम में शामिल कर इनको बढ़ावा दिया जायेगा।
- पढ़ाई में तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर खासा जोर दिया जायेगा । सभी स्कूलों को डिजिटल किया जाएगा। सभी प्रकार की पठन सामाग्री का क्षेत्रीय भाषा में अनुबाद भी किया जाएगा ।
- पढ़ाई को सरल , रोचक और छात्रों को जल्दी समझ में आ जाए। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर (Artifical Intelligence Software) का भी प्रयोग किया जाएगा।
- PARAKH नाम का एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र स्थापित होगा।
- इसके साथ ही दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सहज व सरल बनाने पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा।
उच्च शिक्षा नीति के लिए नई शिक्षा नीति में क्या हैं खास
- नयी शिक्षा नीति 2020 की सबसे अच्छी व महत्वपूर्ण बात है। मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम का लागू होना। यानि अभी तक यदि कोई छात्र चार या पांच सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारण वश अपनी आगे की पढाई जारी (Continue) नहीं कर पाता था तो उसे यूनिवर्सिटी द्वारा कोई भी सर्टिफिकेट या प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता था।
- लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम के लागू होने के बाद यदि किसी छात्र की पढाई बीच में छूट भी जाती हैं तो प्रमाणपत्र अवश्य मिलेगा।
- एक साल के बाद पढाई छोड़ने पर सर्टिफ़िकेट , दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद पढाई छोड़ने के बाद डिग्री मिल जाएगी। यह निश्चित रूप से “ड्राप आउट रेश्यो” को कम करेगा।
- अगर कोई छात्र किसी कोर्स को बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना चाहें , तो अब उसे पहले वाला कोर्स छोड़ना नहीं पड़ेगा। वह अपने पहले वाले कोर्स से एक निश्चित समय तक ब्रेक लेकर दूसरा कोर्स ज्वाइन कर , उसे पूरा कर सकता है। और फिर पहले वाले कोर्स को दुबारा ज्वाइन कर उसे पूरा कर सकता है।
- अब तक तीन निश्चित (साइंस , आर्ट्स तथा कॉमर्स) स्ट्रीम होते थे। और उसी के तहत छात्रों को एक निश्चित विषय की पढ़ाई करनी होती थी। लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है ।
- नयी शिक्षा नीति 2020 में सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक समान नियम होंगे। चाहे वो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज , डीम्ड यूनविर्सिटी या कोई अन्य। अभी तक सबके लिए अलग-अलग नियम थे।
- उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा। यानि समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल निकाय के रूप में “भारत उच्च शिक्षा आयोग (HECI)” का गठन किया जाएगा। हालाँकि इसमें लॉ और मेडिकल एजुकेशन शामिल नहीं होगी।यह यूजीसी की जगह लेगा।
- वर्ष 2030 तक उच्च शिक्षा में 50% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio (GER) पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2018 में यह 26.3% था। और उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
- शोध और अनुसन्धान को बढ़ावा देने के लिए देश में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी। जो अमेरिका के NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर बनेगा।
- अब किसी भी छात्र को भाषा का चुनाव करने में कोई बाध्यता या परेशानी नहीं होगी। यानि स्कूल और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं को चुनने का विकल्प मौजूद रहेगा।
- वैश्विक मानकों को ध्यान में रखकर देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष एक “बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय” (Multidisciplinary Education and Research Universities- MERU) की स्थापना की जाएगी।
- उच्च शिक्षा में एमफिल डिग्री को खत्म किया जायेगा ।
- उच्च शिक्षा के लिए कालेजों में प्रवेश लेने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) एक आम परीक्षा आयोजित करेगा।
बधिर छात्रों के लिए
बधिर छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। उनके लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम से संबंधित सामग्री बनाई जाएगी। इसके साथ ही भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Language(ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।
National Education Policy 2020 : राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020
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