Beti Bachao Beti Padhao Yojana ,What is Beti Bachao Beti Padhao Yojana ,Aim And Benefits of Beti Bachao Beti Padhao Yojana, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है ?जानिए इसका उद्देश्य व लाभ।
Beti Bachao Beti Padhao Yojana
Beti Bachao Beti Padhao Yojana : हमारे वेदों का एक वाक्य “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” ।अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है।वही देवता साक्षात निवास करते हैं। यह वाक्य भले ही सुनने और बोलने में बहुत प्रिय लगता हो।लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर हैं।
कलयुग का सच यह हैं कि आज भी नारी को समाज में दूसरा दर्जा ही दिया जाता है।आज के आधुनिक समाज में जब हम अपने आप को शिक्षित और आधुनिक कहते हैं। तब भी महिलाओं के साथ घोर अन्याय , अत्याचार और यौन , मानसिक व शाररिक शोषण जारी है।उनकी स्थिति में आज भी कोई खास अंतर नहीं आया है।
हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है।जहां बेटों को वंश का वारिस माना जाता है। और बेटियों को पराया धन माना जाता है।इसीलिए बेटियों को एक जिम्मेदारी मानकर उसका पालन पोषण किया जाता है। और समय आने पर मां बाप उसकी शादी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते हैं।हमारे समाज में हमेशा से ही बेटियों को बेटों के मुकाबले कमतर ही माना जाता है।
आज भी महिलाओं और बेटियों के प्रति हमारी सोच ज्यों की त्यों ही है। इसीलिए महिलाओं और बेटियों की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है।आये दिन महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार ,दहेज हत्या ,शोषण ,कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जिससे अब महिलाओं को घर से बाहर निकलने में भी डर लगने लगा है।
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क्या है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (What is Beti Bachao Beti Padhao Yojana)
बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ योजना सिर्फ बेटियों के लिए हैं।Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana का मुख्य उद्देश्य कन्या शिशु को बचाना और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना है। इसके अलावा देश में असंतुलित होते लिंगानुपात को फिर से संतुलित करना ,बेटियों को सुरक्षित व शिक्षित कर समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाना।
इस योजना को भारत सरकार के द्वारा शुरू किया गया है।Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana को लोगों में कन्या शिशु के प्रति जागरूकता पैदा करना और महिलाओं की स्थिति में सुधार करने हेतु शुरू किया गया हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का बजट (Budget Of Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का अनुमानित बजट सरकार द्वारा 100 करोड रुपया निर्धारित किया गया।
कई मंत्रालयों की हैं अहम भूमिका
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana) को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय , स्वास्थ्य मंत्रालय , परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुवात
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुवात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले से की थी ।
हरियाणा राज्य से ही क्यों ?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana ) की शुरुआत हरियाणा राज्य से की गई। जिसका मुख्य कारण हरियाणा में सबसे ज्यादा लिंगानुपात में अंतर था।यहां पर बेटों के मुकाबले बेटियां बहुत कम थी।
हरियाणा में उस समय प्रति 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। इसीलिए इस योजना की शुरुआत हरियाणा से की गई।सबसे ज्यादा असंतुलित लिंगानुपात होने की वजह से हरियाणा के 12 जिलों ( अंबाला ,कुरुक्षेत्र, रिवारी ,भिवानी , महेंद्रगढ़, सोनीपत, रोहतक ,करनाल ,यमुना नगर , पानीपत , झज्जर और कैथाल ) को इस योजना की शुरुवात के लिए चुना गया था ।
लड़कियों की दशा को सुधारने और उनका महत्व लोगों को समझाने के लिए हरियाणा सरकार 14 जनवरी को “बेटी की लोहड़ी” नाम से एक कार्यक्रम करती है।
और इसी के साथ साथ 100 उन जिलों में भी इस योजना की शुरुआत की गई। जहां पर लिंगानुपात में भारी अंतर था।जबकि अगले कुछ वर्षों में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया।
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बेटियों से संबंधित कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं
Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana अभियान के तहत सरकार बालिकाओं के प्रति समाज के लोगों के मन में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। बेटे और बेटी में भेदभाव कम हो इसका प्रयास किया जा रहा है। सरकारी स्तर पर भी इस योजना का काफी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
केंद्र व राज्य दोनों सरकारों ने बेटियों से संबंधित कई योजनाओं की शुरुआत की है। जिसमें कुछ योजनायें केंद्र सरकार द्वारा सीधे ही चलाई जा रही हैं।तो कुछ राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही हैं। जो बालिकाओं के शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रक्षा ,पोषण और विवाह से संबंधित हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना भी उन्हीं में से एक है।जो बेटियों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रख कर बनाई गयी हैं। इसमें 10 साल से कम उम्र की बच्चियों का बैंक में खाता खुलवाया जाता है। और उसमें हर साल कुछ नियमित रकम जमा करनी होती हैं।शादी या उच्च शिक्षा के वक्त बेटियों को ब्याज सहित पूरी रकम दी जाती है ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तीन मुख्य लक्ष्य (Target of Beti Bachao Beti Padhao Yojana)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तीन मुख्य लक्ष्य हैं।
- कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम।
- कन्या की सुरक्षा व समृद्धि।
- बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी को सुनिश्चित करना।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता क्यों है ? (Why Beti Bachao Beti Padhao Movement)
कन्या शिशु को गर्भ में ही मार देने के इस खेल में कई लोग शामिल रहते हैं।इनमें परिवार जन, माता पिता और उच्च शिक्षित कहे जाने वाले डॉक्टर की भूमिका अहम रहती हैं ।जहां परिवार जन बेटे की चाहत में एक के बाद एक कन्या भ्रूण हत्या करने से भी नहीं डरते।वही डॉक्टर जो चंद्र रुपयों के लिए कन्या शिशु को गर्भ में ही मार देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
और इस सब का भयंकर परिणाम लिंगानुपात असंतुलन के रूप पर सामने आया हैं।बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले काफी कम हो गई है।और कई राज्यों में तो यह स्थिति बहुत खराब है। बेटियों की संख्या को फिर से बेटों के मुकाबले संतुलित करने के लिए ,लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए इस योजना की आवश्यकता पड़ी।
पिछले कुछ दशकों से 6 वर्ष से नीचे की लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है।वर्ष 2001 में प्रति 1000 में 927 थी।जबकि 2011 में प्रति 1000 में 916 थी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का फायदा (Benefits of Beti Bachao Beti Padhao Yojana )
- Beti Bachao ,Beti Padhao Yojana का लाभ बेटियों को मिलेगा।
- इस योजना से कन्या भ्रूण हत्या रोकने में मदद मिलेगी।
- लिंगानुपात असंतुलन को कम किया जा सकेगा।
- लोगों के मन से बेटियों के प्रति भेदभाव को खत्म करने में मदद मिलेगी।
- बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया जायेगा।
- बेटियों को भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए उनके पोषण पर ध्यान देने में मदद मिलेगी।
- कन्या जन्म पर भी लोग थोड़ी खुशी मना सकेंगे।
- कन्या को एक जिम्मेदारी या बोझ समझने के बजाय ,लोग अपना नजरिया बदल कर उसे भी एक इंसान समझेंगे।
- बाल विवाह में भी कमी आएगी।
- बेटियों को भी समाज में समान अधिकार मिलेंगे।
- सबसे बड़ी बात बेटियां भी अपने स्वास्थ्य व अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी। और अपनी आने वाली कन्या संतानों की भ्रूण हत्या होने से रोक सकेंगी ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तीन स्तर
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को तीन स्तरों में लागू किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर पर (नेशनल टास्क फोर्स सेक्रेटरी )
- राज्य स्तर पर (स्टेट टास्क फोर्स सेक्रेटरी)
- जिला स्तर पर (जिला मजिस्ट्रेट )
कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप
महिलाओं के साथ आए दिन होने वाले शारीरिक ,मानसिक और यौन अत्याचारों की वजह से लोगों के मन में डर बैठ गया है। इसीलिए लोग अपने घर में कन्या के जन्म से ही चिंतित हो जाते हैं। और स्थिति तो इससे भी ज्यादा खराब हो जाती है। जब लोग इस सब वजहों से कन्याओं को जन्म होने से पहले ही गर्भ में मार देते हैं।
आये दिन होने वाली कन्या भ्रूण हत्याओं की वजह से अब यह हमारे समाज में एक अभिशाप बन गया है। कन्या भ्रूण हत्याओं की वजह से हर साल लिंगानुपात में भारी अंतर आता जा रहा है। हमारे देश में कुछ राज्य ऐसे भी हैं। जहां पर बेटों की तुलना में बेटियां बहुत कम है।
कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध करने में भी अब आदमी को कोई हिचक नहीं हो रही है। यह सभी लोग जानते हैं कि बिना महिलाओं के इस पृथ्वी में समाज या परिवार संस्था का कोई अस्तित्व नहीं है। बिना महिलाओं की भागीदारी के कोई राष्ट्र की उन्नति नहीं कर सकता है। न ही किसी पुरुष का वंश आगे बढ़ सकता है।और न ही किसी बेटे को पत्नी या सास को बहू मिल सकती है।
अगर इस दुनिया में इंसान का अस्तित्व बनाए रखना है तो ,महिलाओं का अस्तित्व भी बनाए रखना ही होगा। अन्यथा इस संसार से एक दिन इंसान का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
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घर से ही करना होगा बेटियों के साथ भेदभाव खत्म
दरअसल बेटी के जन्म के समय से ही बेटी के साथ भेदभाव शुरू हो जाता है।और इस भेदभाव की शुरुआत होती है बेटी के परिवार ,माता-पिता से। बेटी के पैदा होते ही बेटी के परिवार वालों को हजार चिंताएं सताने लगती हैं। जिसकी वजह से वो बेटी को एक जिम्मेदारी या बोझ मानते हैं।और उस बोझ को वो जल्दी से जल्दी अपने सिर से उतारना चाहते हैं।
कई लोग तो कन्यादान के बजाय बेटी का पिंडदान ही कर देते हैं।कई लोग तो बेटी की शादी के बाद उसके ससुराल में उसके साथ होने वाले अत्याचारों के प्रति भी आंख मूंद लेते हैं। जैसे कि उन्होंने बेटी का विवाह करने के बजाय उसका पिंडदान ही कर दिया हो।
सबसे पहले तो इसी मानसिकता से हमें मुक्ति पानी होगी। बेटी कोई वस्तु या जिम्मेदारी नहीं है। बल्कि वह भी बेटों की तरह ही मां-बाप की संतान है। और सबसे बड़ी बात कि वह भी एक इंसान है। उसकी भी अपनी भावनाएं व सपने हैं। उसे भी उन सपनों को पूरा करने का पूरा हक मिलना चाहिए। जैसे कि हमारे समाज में एक बेटे को दिया जाता है
हमारे समाज में जन्म के बाद से ही लड़कियों को कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। जैसे शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रक्षा ,खान-पान आदि।
राष्ट्र की उन्नति के लिए महिलाओं की उन्नति जरूरी
अगर हमें अपने परिवार ,समाज ,राष्ट्र की उन्नति चाहिए तो , महिलाओं की उन्नति करना आवश्यक है। और महिलाओं की उन्नति के लिए सबसे पहले कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर पाबंदी लगनी अति आवश्यक है।
इसके साथ ही महिलाओं को शिक्षित करना ,उन्हें सुरक्षा प्रदान करना तथा उनके साथ होने वाले अत्याचारों में तुरन्त व कठोर कदम उठाना अति आवश्यक है।हर कन्या और महिला का स्वस्थ रहना जरूरी है इसीलिए उन्हें सही पोषण दिया जाना भी आवश्यक है।
Beti Bachao Beti Padhao Yojana
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