Kumaoni Traditional Dress Rangwali Pichhoda ,रंग्वाली या रंगोली पिछौडा कुमांऊनी महिलाओं की पहचान in hindi
Kumaoni Traditional Dress (Rangwali Pichhoda)
आजकल शादियों का मौसम है।इसलिए शादियों में जाने के मौके मिलते रहते हैं।हर शादी में लोग अपने समाज व संस्कृति के हिसाब से अपने-अपने रीति रिवाजों को बड़ी शिद्दत से निभाते हुए नजर आते हैं।लेकिन आज मैं बात करूंगी अपने कुमाऊंनी समाज में महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली एक ओढ़नी की जिसे आम कुमांऊनी भाषा में रंगोली या रंग्वाली का पिछौडा कहते हैं।
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अगर आप लोगों ने कभी भी किसी कुमाऊनी परिवार की शादी में हिस्सा लिया हो तो आप जरुर इस पिछौड़े से वाकिफ होंगे।शादी वाले घर में या जिस घर में कोई भी शुभ कार्य हो रहा हो।उस घर की सभी सौभाग्यवती महिलाएं चाहे साड़ी या लहंगा अलग अलग रंग व डिजाइन के पहनती हो।लेकिन यह पिछौड़ा सभी महिलाओं का एक ही रंग व एक ही डिजाइन का होता है।
शुभ कार्यों में सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा पहना जाता हैं
यह पिछौडा दिखने में बहुत ही सुंदर व आकर्षक होता है।रंगोली का पिछौडा हमारी कुमाऊंनी संस्कृति की पहचान व परंपरा से जुड़ा है।सारे शुभ कार्यों में (जैसे गणेश पूजा, विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार , नामकरण संस्कार, तीज त्यौहार या कोई भी पूजा-अर्चना हो) और कोई भी शुभ अवसर हो। खासकर सभी सुहागिन महिलाओं के द्वारा यह पहना जाता है।
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कुमाऊंनी संस्कृति में इस पिछौड़े को पहनना बहुत ही शुभ व मंगलमय माना जाता है।कुंवारी लड़कियां यह पिछौडा नहीं पहनती हैं।लेकिन शादी के पवित्र बंधन में बंधने वक़्त फेरों से पहले वर पक्ष द्वारा अखंड सुख-सौभाग्य व सुखी जीवन के आशीर्वाद के साथ उसको यह भेंट किया जाता है। जिसको पहनकर वह अपने सात फेरे पूरे करती हैं।और शादी के पवित्र बंधन में बंध जाती है।
शादी के सातों वचन इसी पिछौड़े को पहनकर लिए जाते हैं। इसीलिए यह हर महिला के सुख-सौभाग्य से जुड़ा है।लड़की शादी के वक्त चाहे जितना भी महंगा लहंगा या साड़ी पहन ले। लेकिन कुमाऊंनी संस्कृति में जब तक इस पिछौड़े को नहीं पहना जाता है। कहा जाता है कि तब तक उसका श्रृंगार पूरा नहीं होता।
पिछौडे में बना होता है मनमोहक डिजाइन
यह पिछौडा वास्तव में बहुत ही सुंदर होता है।साथ ही साथ आकर्षक भी होता है।इस में प्रयोग होने वाले हर रंग का व उन रंगों से बनने वाले हर डिजाइन का भी अपना विशेष महत्व है। लगभग 3 मीटर लंबा व सवा मीटर तक चौड़े इस ओढ़नी को सफेद चिकन के कपड़े को हल्दी के पीले रंग में रंग कर बनाया जाता है।सफेद रंग तो वैसे ही शांति ,शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है जबकि पीला रंग आपके मन की खुशी व प्रसन्नता को जाहिर करता है ।
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हल्दी तो वैसे भी हमारे समाज में शादी ब्याह में या हर पवित्र कार्य में बहुत प्रयोग में लाई जाती है। जबकि लाल रंग सुख-सौभाग्य से जुड़ा है। हमारे समाज में महिलाएं लाल रंग का प्रयोग (जैसे लाल साड़ी व लहंगा, सिंदूर, बिंदी) हर शुभ कार्य में करती हैं । यह पिछौडा पीले रंग का होता है जिसमें लाल रंग से विभिन्न प्रकार के डिजाइन व बूटियां बनाए जाते हैं।और डिजाइन बहुत सोच समझकर बनाए जाते हैं जैसे सूर्य, घंटी, फूल, शंख, शुभ का चिन्ह (स्वास्तिक)।
Kumaoni Traditional Dress Rangwali Pichhoda ,
यह हमारे पूर्वजों की धरोहर है जो हमें विरासत के रूप में मिली है ।और सदियों से कुमाऊनी महिलाओं ने इस परंपरा को पूरी शिद्दत के साथ समेटा और सहेजा है ।
पिछौड़े में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग
समय के साथ-साथ इस पिछौड़े में बदलाव आया है ।पहले यह पिछौड़े चिकन के कपड़े में बनाया जाता था। लेकिन आजकल बाजार में अनेक तरह के अन्य कपड़ों में भी उपलब्ध हैं। जो पहनने में बिल्कुल हल्के व आकर्षक डिज़ाइनों में उपलब्ध हैं।लेकिन इन नए प्रिंटेड पिछौड़ों का भी मूल स्वरूप वही पारंपरिक है ।कुछ समय पहले तक ये हाथ से ही बनाए जाते थे। जिनमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता था।लेकिन धीरे-धीरे इनमें सिंथेटिक रंगों का भी प्रयोग किया जाने लगा है।लेकिन हाथ से बने हुए पिछौड़ों का तो अपना अलग ही मजा है ।
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आज भी जो लोग कुमाऊंनी संस्कृति से जुड़े हैं ।वे हाथ से बने हुए व प्राकृतिक रंगों से बने हुए पिछौड़ों को ही पसंद करते हैं ।अल्मोड़ा में बनने वाला पिछौडा अपने आप में एक विशेष पहचान व अपनी खासियत लिए हुए होता है।जो देश-विदेश में बहुत अधिक पसंद किया जाता है।बनारसी पिछौड़े भी बाजार में उपलब्ध रहते हैं। लेकिन इनका मूल्य अधिक होने के कारण यह कम ही प्रयोग में लाए जाते हैं । कुछ उच्चवर्गीय महिलाओं द्वारा ही यह प्रयोग में लाए जाते हैं ।
संपूर्णता का प्रतीक और कुमाऊंनी संस्कृति की पहचान यह ओढ़नी को महिलाओं द्वारा हर सामाजिक व धार्मिक अवसर में पहना जाता है ।महिलाएं खूब शौक से इसे पहनकर ही अपने सारे शुभ कार्यों व सारे रस्मों रिवाजों को पूरा करती हैं ।सुहागिन महिलाएं इसे ताउम्र तो पहनती ही हैं।यहां तक कि संसार से विदा होते वक्त भी सुहागिन महिलाओं को यह अनिवार्य रूप से पहनाकर ही विदा किया जाता है।
सफेद कपड़े को हल्दी में डुबोकर उसे पीला रंग दिया जाता है।और फिर उसे धूप में सुखाकर उसमें लाल रंग से बूटे व विभिन्न प्रकार के डिजाइन बनाए जाते हैं।कच्ची हल्दी में नींबू तथा सुहागा मिलाकर लाल रंग बनाया जाता है।
व्यक्तिगत रूप से मुझे पिछौडा यह बहुत पसंद है। मैं भी इसको अपने हर शुभ कार्य में पहनना पसंद करती हूं ।यहां तक कि इसको पहन कर ही कुछ विशेष तीज-त्यौहारों में पूजा अर्चना करती हूं। सच में यह कुमाऊनी महिलाओं की पहचान है।वह शान है।यह हमारी एक विशिष्ट धरोहर है । जिसे हमें सहेजकर रखना है और आगे आने वाली पीढ़ी को उसे विरासत में देना है।
Kumaoni Traditional Dress Rangwali Pichhoda
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