Wife Appreciation Day क्यों है महिलाओं के लिए खास जानिए ? Wife Appreciation Day , पत्नी दिवस , Third Sunday of September In Every Year ,
Wife Appreciation Day
पत्नी दिवस
भगवान भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर स्वरूप जिसमें पति पत्नी को एक दूसरे का पूरक बताया गया है। इस अर्धनारीश्वर स्वरूप से यह बात तो आसानी से समझी जा सकती है कि बिना पति के पत्नी और बिना पत्नी के पति पूर्ण नहीं हैं और एक दूसरे के बिना गृहस्थी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । गृहस्थी ही वह सबसे छोटी इकाई है जिससे इस संसार का निर्माण होता है। नई पीढ़ी इस सुंदर धरती पर हंसती खिलखिलाती है और जीवन चक्र अविरल रूप से चलता रहता है।
Wife Appreciation Day मनाने का उद्देश्य
Wife appreciation day का दिन दुनिया भर की सभी पत्नियों या घर की महिलाओं को समर्पित है जो बिना रुके , बिना थके चौबीसों घंटे बस अपने पति , बच्चों व परिवार के लिए जीती है , वह भी निस्वार्थ। चाहे कोई भी देश हो , कोई भी धर्म हो , समाज हो , या जगह हो , घर की धुरी पत्नी ही होती है । वह घर की जान होती हैं। घर की आत्मा होती है।
पति का पूरा भविष्य उसकी पत्नी के हाथों में ही टिका रहता है।उसके आने वाली पीढ़ियों की जननी बस वही होती है।और बिन पत्नी या महिला के तो घर वैसे भी भूत का डेरा माना जाता है।परिवार की रीड की हड्डी माने जाने वाली पत्नी के सम्मान में Wife appreciation day मनाया जाता है।
Wife appreciation day कैसे मनाया जाता है
आज दुनिया के कई देशों में Wife appreciation day को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है । Wife appreciation day के दिन लोग अपनी पत्नी को उसकी पसंद का उपहार देकर , उसके सामने,उसके प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करते है। पत्नी को उसके मनपसंद का खाना बनाकर उनकी खुशी दुगुनी करते हैं। साथ में कहीं बाहर घूमने या खाना खाने भी जाते है यानि Wife appreciation day के दिन अपनी पत्नी को हर एक उस चीज के लिए शुक्रिया कहते हैं जो वह हर रोज बिना कहे उनके लिए करती हैं।
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शादी के बाद बदल जाती है महिलाओं की जिंदगी
शादी से पहले लड़की की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है । वह एक आजाद पंछी की तरह होती है जिसकी कोई जिम्मेदारी नही होती है । उसकी हर चीज़ उसकी अपनी पसंद व नापसंद से ही होती है क्योंकि वह मां बाप की परी होती है । दुनिया की हर चिंता से बेफिक्र अपनी हसीन दुनिया में खोई रहती हैं जिस में न कोई समझौता , न कोई जिम्मेदारी लेने की गुंजाइश होती है।
मगर शादी होते ही एक पल में बदल जाती है उसकी जिंदगी। शादी के अगले दिन से ही वह कई सारी भूमिकाओं में आ जाती है जैसे पत्नी , बहू , भाभी या अन्य और वह बड़ी सहजता से हर भूमिका को निभाने लगती हैं लेकिन पत्नी की भूमिका में वह एक ऐसे व्यक्ति के साथ तन व मन से जुड़ जाती है जिसे शायद कल तक वह जानती भी नहीं थी।
भारत में आज भी होती है अरेंज मैरिज
हमारे देश में (भारत में) आज भी अधिकतर शादियां मां बाप के द्वारा (अरेंज मैरिज) तय की जाती हैं जिसमें लड़का लड़की शादी के वक्त एक दूसरे की भावनाओं को , एक दूसरे की पसंद नापसंद को इतनी अच्छी तरह से जानते व समझते नहीं हैं। ऐसे में लड़की के लिए पत्नी की भूमिका निभाना शुरुआत में कठिन रहता है।
लेकिन अपने देश में अधिकतर लड़कियां इसी तरह से अपने जीवन की शुरुआत करती हैं । पति पत्नी शादी के बाद ही धीरे-धीरे एक दूसरे को समझने लगते हैं । एक दूसरे की पसंद नापसंद जानने लगते हैं फिर धीरे-धीरे एक दूसरे के करीब आते हैं ।तब उनके बीच में प्यार मोहब्बत जैसी बात आती है।
लेकिन पश्चिमी देशों में लोग शादी से पहले ही एक दूसरे को जानते समझते हैं फिर उसके बाद शादी करते हैं । इसीलिए वहां पर शुरुआती दिनों में इतनी परेशानियां नहीं आती है। हालांकि अपने देश में भी धीरे धीरे हाल के वर्षों में लव मैरिज का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है लेकिन आज भी लोग यहां पर अरेंज मैरिज को ही ज्यादा पसंद करते हैं ।
पत्नी पति की हमसफर , हमराज
पत्नी एक पति के लिए सब कुछ होती हैं उसके जीवन की हमसफर , उसके हर राज की राजदार होती है। कोई भी व्यक्ति हर बात हर किसी को नहीं बता सकता क्योंकि हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है लेकिन वह अपनी पत्नी से हर बात खुलकर कर सकता है। पत्नी दुख में.. सुख में साथ निभाने वाली जीवनसंगिनी होती है। पत्नी उसके परिवार , उसके भविष्य व आने वाली पीढ़ियों की जड़ होती है।
एक पुरुष अपने काम में भी वेफिक्र होकर सुकून से इसलिए जा पाता है क्योंकि उसको विश्वास होता है कि उसके पीछे उसकी पत्नी घर की सारी जिम्मेदारियां, उसके बच्चों की जिम्मेदारियां , घर के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारियां व सामाजिक कर्तव्य को बहुत अच्छे से निभा रही हैं।
कामकाजी पत्नियों परिवार को देती है आर्थिक मजबूती
बदलते परिवेश में पत्नी घर की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ घर से बाहर निकल कर भी काम भी कर रही है।ताकि वह अपने पति के हाथों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर सके लेकिन उसके बावजूद भी वह अपने घर की प्रत्येक जिम्मेदारी को बेहतरीन ढंग से निभा रही हैं।
पति पत्नी के रिश्ते पर चाहे जितने भी चुटकुले बने हो ।या पत्नी के मायके जाने में पति के खुश होने के या पति पत्नी की नोक झोंक पर चाहे जितनी भी कहानियां बनी हो लेकिन यह भी सच है कि एक बार शादी हो जाने के बाद पुरुष अपनी पत्नी के बगैर बहुत दिनों तक नहीं रह सकते क्योंकि पत्नी के रहने से उसका जीवन सुचारु रुप से चलता है।
खाना-पीना वक्त पर मिलता है। घर में सब कुछ व्यवस्थित रहता है। सबसे बड़ी बात शाम को जब थका-हारा घर पहुंचता है तो पत्नी की मुस्कुराहट के साथ साथ एक प्याली चाय की उसे फिर से तरोताजा कर देती हैं।
पति पत्नी होते हैं एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त
पति पत्नी का रिश्ता कई बार शादी के वक्त इतना मजबूत नहीं होता है लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता जाता है ।एक दूसरे को समझने लगते हैं ।एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ता है ।एक दूसरे की पसंद नापसंद की परवाह करने लगते हैं। तथा धीरे-धीरे दोनों के बीच में प्यार बढ़ता है।
घर में बच्चों की मुस्कुराहट बढ़ने के साथ-साथ पत्नी पति के और भी करीब होती है। उम्र के साथ-साथ पत्नी पति के लिए पत्नी से एक दोस्त बन जाती हैं ।जो जीवन में कई समस्याओं को सुलझाने में पति की मदद करती हैं ।और उसकी जीवन की गाड़ी को बड़े आराम से चलाने की कोशिश करती हैं। अपने जीवन में कई समझौते कर पति के जीवन की नैया को पार करने में उसकी मदद करती हैं ।
बुढ़ापे में एक दूसरे का सहारा
एक समय ऐसा भी आता है जीवन में ….दोनों एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते हैं ।खासकर बुढ़ापे में ।महिलाएं तो फिर भी जी लेती हैं क्योंकि उनको काम करने की आदत होती है।लेकिन पुरुषों के लिए यह समय बहुत कठिन हो जाता है बिना पत्नी के… क्योंकि घर का हर सदस्य अपने अपने काम में व्यस्त रहता है ।
एक पत्नी ही तो होती है जो आपके बिना कहे ही आपका ध्यान हर वक्त रखती है , उसकी हर गलत, सही बात को ध्यान से सुनती है। आपकी समस्याओं को समझती व सुलझा देती है। पत्नी हर दिन अपने पति व उसके परिवार के लिए बिना कहे अनेक काम करती है। यहां तक की जीवन में कई बार समझौते भी करती है और अपनी इच्छाओं , अपनी भावनाओं , अपने शौक का त्याग भी करती हैं।
भारतीय संस्कृति भी सिखाती है पत्नी का सम्मान करना
अपने देश में पत्नी का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि शादी के फेरे लेते वक्त पति अपनी पत्नी को अनेक वचन देता है ।कोई भी शुभ कार्य में पुरुष बिना पत्नी के पूजा में नहीं बैठ सकता। पूजा में पति-पत्नी दोनों का बैठना अनिवार्य माना गया है ।यहां तक कि भगवान राम को भी यज्ञ के वक्त माता जानकी की अनुपस्थिति में उनकी सोने की मूर्ति बनानी पड़ी थी।ताकि वह पूजा को निर्विघ्नं पूरा कर सकें और यहां तक कि भगवानों की भी सपत्नी पूजा को अच्छा माना जाता है।
पत्नी हर दिन सम्मान पाने की हकदार
सिर्फ Wife appreciation day के दिन ही क्यों ? हर पत्नी , हर दिन अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों से सम्मान पाने की हकदार है।लेकिन इस एक दिन को तो खास व यादगार बनाया जा सकता है क्योंकि उसने आपके जीवन को अनगिनत खुशियों से महकाया है। इसलिए इस दिन उसे शुक्रिया कह सकते हैं थोडा सा समय अपनी पत्नी के लिए निकाल कर।
पत्नी पति का रिश्ता जुड़ा है आत्मा से
पत्नी का अपने पति से रिश्ता सिर्फ तन से नहीं होता है। मन से भी होता है और आत्मा से भी । यह रिश्ता और भी मधुर व प्यारा बनता है आपसी विश्वास से। जीवन के इस रिश्ते को मजबूती मिलती है… जीवन में पल प्रतिपल आने वाली कठिनाइयों से ,समझौते से , एक दूसरे की परवाह से , एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण से , एक दूसरे से दोस्ती से , अनेक अनकही बातों से , एक दूसरे के दर्द को महसूस करने से , नोकझोंक से , रूठने मनाने से , तन्हाइयों में एक-दूसरे को याद करने से , पास हो तो खुशी से और दूर हो तो अकेलेपन के एहसास से , उसके बनाए खाने से , जेब में रखे उसके रुमाल से।
Wife appreciation day कब मनाया जाता है
पत्नी दिवस ( Wife appreciation day ) प्रतिवर्ष सितंबर के तीसरे रविवार को मनाया जाता है लेकिन हर विवाहित पुरुष अपने जीवन में पत्नी की भूमिका को अच्छी तरह से समझता है। हालांकि हमारे देश में पत्नी दिवस अभी बहुत ज्यादा प्रचलन में नहीं है।लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ते सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण निश्चित रूप से यह भी कुछ दिनों बाद बड़े जोर शोर से मनाया जाएगा।
तभी तो कहा गया है ।
एक विवाहित पुरुष के सुखी या दुखी होने पर , सफल या असफल होने पर , संतुष्ट या असंतुष्ट होने पर उसकी पत्नी का बहुत बड़ा योगदान होता है।
हमारे धर्मग्रंथों में पत्नी का कुछ इस तरह से वर्णन किया गया है।
कार्येषु मन्त्री करणेषु दासी
भोज्येषु माता शयनेषु रम्भा ।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री
भार्या च षाड्गुण्यवतीह दुर्लभा ॥
कार्य प्रसंग में मंत्री (यानि विपरीत परिस्थितियों में एक योग्य मंत्री के समान सलाह देकर मार्गदर्शन करती हैं),
गृहकार्य में दासी ( घर की प्रत्येक जिम्मेदारी को बेहतरीन ढंग से निभाती हैं) , माता के समान भोजन कराने वाली ,
रति प्रसंग में रंभा , धर्म के अनुसार चलने वाली और क्षमा करने में धरती माता के समान ।
इन छ: गुणों से युक्त पत्नी मिलना दुर्लभ है । इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए।
इसीलिए इस Wife appreciation day पर आप भी अपनी पत्नी के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार खुल कर कीजिए और जम कर मनाइये Wife appreciation day.
Happy Wife appreciation day………….
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