Jamrani dam :जमरानी बांध परियोजना,उत्तराखंड

Jamrani dam Project ,Where is Jamrani dam , Jamrani Dam Pariyojna ,Uttarakhand क्या होंगे बांध बनने से फायदे व नुकसान।

Jamrani dam

तराई खास कर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए जीवनरेखा मानी जा रही बहुउद्देश्यीय जमरानी बांध परियोजना के निर्माण का कार्य अब शुरू होने जा रहा हैं।सन 1975 में सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति मिलने के बाद भी जमरानी बांध परियोजना ने अपने इस स

फर में अनेक उतार-चड़ाव देखे।कभी इसने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की कई आपत्तियों का सामना किया।तो कभी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच जल बंटवारे में उलझ गयी।लेकिन तमाम बधाओं को पार करते हुए लगभग 43 साल बाद अब यह परियोजना अपने मंजिल तक पहुँच ह़ी गई हैं।क्योंकि 11 फरवरी 2019 को इसके निर्माण कार्य के लिये 2584.10 करोड रुपए की फाइनल डीपीआर को केंद्रीय जलआयोग (जलायोग) ने अपनी मंजूरी दे दी है।

इस बीच राज्य में कितनी सरकारें आयी और चली गई और इस बांध को बनाने की आस लिए ना जाने आफिसर व इंजीनियर आये और चले गये। 43 साल के लम्बे इंतजार के बाद अंतत:अब बांध निर्माण का कार्य शुरू हो जायेगा।

61.25 करोड़ रुपए से शुरू और 2584.10 करोड रुपए की पहुँची डीपीआर

सन 1975 से 11 फरवरी 2019(43 साल) तक बांध निर्माण के बजट में लगभग 42 गुना की बृद्धि हुई हैं।सन 1975 में जब जमरानी बांध परियोजना की शुरुवात हुई थी तो बांध के लिए सिर्फ 6 1.25 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी।लेकिन 11 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में तकनीकी सलाहाकार समिति (टीएसी)की बैठक हुई।

जिसमें बाँध निर्माण के सभी बिन्दुओं तथा तकनीकी पहलुओं की गहन जानकारी व अध्ययन के बाद तकनीकी मंजूरी दे दी।और इसी के साथ इस योजना में बांध निर्माण के लिए 2584.10 करोड रुपए की धनराशि को केंद्रीय जलआयोग(जलायोग) ने भी मंजूरी दे दी। जिसके बाद बांध निर्माण की सभी बाधाएँ दूर हो गयी। बांध निर्माण के लिए धनराशि मिलते ह़ी काम शुरू कर दिया जायेगा।

जानें ..क्या हैं प्रधानमन्त्री श्रमयोगी मानधन पेंशन योजना ? 

बाँध की खासियत (Special Feature of Jamrani dam)

जमरानी बांध परियोजना में बनने वाला बाँध 9 किलोमीटर लंबा, 130 मीटर चौड़ा और 485 मीटर ऊंचा होगा।और यह 368 हेक्टेयर वन क्षेत्र में फैला है।इससे 42.7 एमसीएम(MCM) पानी शुद्ध मिलेगा जो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लोगों की प्यास बुझाएगा।और साथ ह़ी 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा।

इस बाँध से कुल 142.3 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सिंचाई के लिए मिलेगा। जिसमें से 38.6 एमसीएम पानी उत्तराखंड(43%) को और 61(57%)एमसीएम पानी उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए मिलेगा।जमरानी बांध में  208.60  मिलियन क्यूबिक मीटर की जल संग्रहण क्षमता होगी।

जमरानी बांध परियोजना में लगी प्रमुख आपत्तियों

  • जमरानी बांध परियोजना में लगभग 14 आपत्तियें प्रमुख रूप से थी।लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच जल बंटवारे की आपत्तियों प्रमुख थी।
  • 2011 में हाइड्रोलॉजी, 2013 में बाँध के डिजाइन, विद्युत परियोजना डिजाइन, बांध के गेट के डिजाइन, 14 मेगावाट बिजली उत्पादन के प्रस्ताव पर भी आपत्तियों थी।
  • उसके बाद  2012 में सिंचाई क्षेत्रफल,2015 में बाँध की मिट्टी की गुणवत्ता, 2018 में फॉरेस्ट क्लीयरेंस और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच जल बंटवारे पर एमओयू आदि आपत्तियें का समाधान निकला गया।
  • 21 जनवरी 2019 को फिर बांध परियोजना की लागत 2954 .45 करोड की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग को सौंपी गई।
  • केंद्रीय जल आयोग ने 4 फरवरी को 201 9 को 2584.10 करोड़ की डीपीआर पर अपनी सहमति दे दी और अन्त में 11 फरवरी 2019 को केंद्रीय जल आयोग की ” तकनीकी सलाहकार समिति” ने भी बाँध निर्माण की मंजूरी दे दी ।

जानें .. क्या हैं वैष्णवी सुरक्षा योजना ? 

बांध न बनने के अन्य कारण

  1. गौला नदी में बह कर आने वाले रेता बजरी का बांध में भर जाने की संभावना थी।
  2. बांध के निर्माण की लागत बहुत ज्यादा हैं उस हिसाब से केवल 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।जो काफी महंगा सौदा हैं।
  3. शिवालिक की पहाडियों बांध के हिसाब से काफी कमजोर हैं जो पानी का भार नही सहन का पायेगी।
  4. प्रस्तावित बांध स्थल के पास की अमिया की पहाडी लगातार दरक रही हैं जिस कारण उसमें समय के साथ दरारों गहरी व बड़ी होती जा रही हैं।
  5. गौला नदी में होने वाले खनन( रेता ,बजरी व अन्य उपखानिज)पर गहरा असर पड़ सकता हैं।
  6. खनन के कारोबार में लगे लाखों लोगों का रोजगार छिन सकता हैं।
  7. खनन से सरकार को भी हर साल लगभग 5 करोड़ से भी अधिक के राजस्व की प्राप्ति होती हैं।जो प्रभावित हो सकती हैं।

कुल कितनी कृषि भूमि में होगी सिंचाई

जमरानी बांध जहाँ एक ओर तराई के लोगों की प्यास बुझायेगा वही दूसरी ओर इससे खेतों में फसल भी लहलहा उठेगी।क्योंकि जमरानी बांध के बनने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कुल 150302 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई हेतु पानी इसी बांध से मिलेगा।जिसमें उत्तराखंड की 34720 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश की 115582 हेक्टेयर भूमि शामिल है।

विस्थापित करना होगा गांवो को 

जमरानी बांध को बनाने के लिए कई गांवों के लोगों को विस्थापित किया जायेगा ताकि उनकी भूमि का उपयोग बाँध बनाने के लिए किया जा सके।वर्तमान में इन गांवों में लगभग 129 परिवार रहते हैं और जिनकी आबादी 688 हैं।इन विस्थापित परिवारों को सिंचाई विभाग भूमि उपलब्ध कराएगा।अगर सिंचाई विभाग विस्थापितों को भूमि उपलब्ध नहीं  करा पाते हैं।तो हर परिवार को मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से मुआवजा दिया जायेगा।

जानें .. क्या हैं तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना ?

विस्थापित गांवों के नाम

तिलवाडी में विस्थापित कुल परिवार  33 (कुल 9890 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

मुरकुदिया में विस्थापित कुल परिवार  56 (कुल 20800 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

गंदराद में विस्थापित कुल परिवार  08 (कुल 9100 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

पनियाबोर  में विस्थापित कुल परिवार  08 (कुल 4000 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

उदवा में विस्थापित कुल परिवार 08 (कुल 2800 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

पस्तोला  में विस्थापित कुल परिवार  16 (कुल 6800 हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत)

कुल विस्थापित गांव – 129 और 47390 हेक्टेयर कृषि भूमि 

जानें .. क्या हैं दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना 

एक नजर जमरानी बांध के सफर पर

  • जमरानी बांध परियोजना को सन 1975 में सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद 61.25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे।
  • सिंचाई विभाग ने 1981 में गोला बैराज का निर्माण किया।
  • बैराज ,440 किलोमीटर नहरों, जमरानी कॉलोनी आदि के निर्माण में 25.24 करोड़ रुपए खर्च हुए।
  • 20 जुलाई 2018 को 2850 करोड़ रुपए की डीपीआर संशोधित कर 2573.10 करोड़ की डीपीआर केंद्रीय जलायोग को भेजी गई।
  • 1989 में 144.84 करोड रुपए की डीपीआर भेजी गई।
  • फिर 2800 करोड रुपए की नई डीपीआर केंद्रीय जल आयोग को भेजी गई।
  • 21 जनवरी 2019 में 2954.45 करोड रुपए की डीपीआर भेजी गई ।
  • 4 फरवरी 2019 को 2584.50 करोड रुपए की अंतिम डीपीआर पर मंजूरी हुई।
  • और 11 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में तकनीकी सलाहाकार समिति  (टीएसी) की मंजूरी के बाद बाँध निर्माण में अब कोई रुकावट नही हैं
  • इस बीच बांध परियोजना की में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्तियां भी लगी।

क्या हैं लखवाड बहुउद्देश्यीय परियोजना ?

जमरानी बांध के फायदे (Advantages of Jamrani dam)

  1. हल्द्वानी और उसके आस-पास के इलाकों में शुद्ध पेय जल की कमी हमेशा ह़ी रहती हैं। इस बांध के बन जाने से कुछ हद तक इस समस्या का निदान हो जायेगा।
  2. उत्तर प्रदेश(मुरादाबाद,बरेली ,बहेड़ी) और उत्तराखंड के मैदानी भाग के किसानों को सिंचाई हेतु पानी मिलेगा।
  3. बिजली (14 मेगावाट) का उत्पादन होगा।
  4. पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  5. मत्स्य पालन में रोजगार के अवसर बढगें।
  6. नौकायन की सुबिधा से लोगों को फायदा होगा।

जमरानी बांध के नुकसान (Disadvantages of Jamrani dam)

  • बांध निर्माण से गौला नदी में होने वाले खनन पर गहरा असर पड़ सकता हैं।गौला से करीब 54.25 लाख धन मीटर का खनन प्रतिवर्ष किया जाता हैं।हल्द्वानी ,बरेली व उसके आस-पास के इलाकों में गौला से ह़ी निकाले गई रेता व बजरी को भेजा जाता हैं।
  • लगभग पूरे कुमाऊं में यही से उपखनिज भेजा जाता हैं।
  • गौला में किये जाने वाले खनन से सरकार को भी हर साल लगभग 5 करोड़ से भी अधिक के राजस्व की प्राप्ति होती हैं।
  • खनन के कारोबार में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिला हैं
  • लाखों लोगों का रोजगार छिन जाने से लोगों के आगे रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा।

जमरानी बांध को केंद्रीय परियोजना घोषित कराने की योजना 

जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद केंद्र और राज्य सरकारें इसे “केंद्रीय परियोजना घोषित” कराने की योजना बना रही हैं। इस दिशा पर प्रयास भी शुरू कर दिये गये हैं।मुख्यमंत्री कार्यालय से जमरानी बांध को केंद्रीय योजना घोषित कराए जाने के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजे गया है।

यह भी जानें..

क्या हैं प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना ?

क्या हैं प्रधानमन्त्री सौभाग्य योजना ? 

क्या हैं नंदा गौरा कन्या धन योजना ?

अल्मोड़ा क्यों हैं सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ?