Metoo Movement,What is MeToo Movement ,क्या हैं #MeToo अभियान ?,#MeToo अभियान किसने और क्यों शुरू किया ?What is #MeToo campaign ?
What is Metoo Movement
Metoo Movement ,एक ऐसा अभियान है जिसमें महिलाएं अपने साथ हुए शोषण (यौन शोषण ,शारीरिक शोषण, मानसिक शोषण) की घटना को सोशल मीडिया के जरिए बिना डरे,बिना रूके पूरी दुनिया से साझा कर रही हैं।और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रही है।# Metoo Movement में लगभग दुनिया के हर कोने से महिलाएं एक एक कर जुड़ रही हैं।
और अपने साथ हुई शोषण की घटना को साझा कर एक दूसरे के साथ मजबूती से खड़ी होकर इस Metoo Movement को सफल बना रही हैं ।यह एक लड़ाई है दुनिया की उस आधी आबादी की,जो अपने ऊपर हुए अत्याचारों के खिलाफ लड़ रही है।इस लड़ाई में सोशल मीडिया महिलाओं सबसे बड़ा हथियार बना।
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#MeToo शब्द की जन्मदात्री
इस शब्द की शुरुआत 2006 में एक अमेरिकी सिविल राइट्स एक्टिविस्ट ( सामाजिक कार्यकर्ता) तराना बर्क ने की थी।उनका मुख्य उद्देश्य था कि महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों को छुपाए नहीं,बल्कि अत्याचार करने वाले को दुनिया के सामने लाएं और बेझिझक होकर उसके खिलाफ लड़े।
तराना बर्क ने सिर्फ MeToo शब्द का प्रयोग किसी कहानी के टाइटल की तरह किया था जिसके तहत यौन शोषण पीड़ित महिलाएं अपने साथ हुई घटनाओं को साझा कर सकें। MeToo के साथ(#) यानि #MeToo का प्रयोग बाद में किया गया।
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#MeToo शब्द की पहली बार प्रयोग
यह उस वक्त आंदोलन का रूप नहीं ले सका। लेकिन लगभग 11 साल बाद 15 अक्टूबर 2017 को जब लोकप्रिय हॉलीवुड अभिनेत्री एलिसा मिलाने ने फिल्म प्रोड्यूसर हार्वी वाइंस्टीन के ऊपर अपने शोषण को लेकर ट्वीट के जरिये खुलासे करने शुरू किए तो पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित हो गया।
महज कुछ ही घंटों के अंदर उनके इस ट्वीट को दुनिया भर के लोगों ने देखा ,सराहा और अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की।इसके साथ ही उन्होंने दुनिया भर की महिलाओं से अपील की कि वे अपने साथ हुए अत्याचारों व यौन शोषण की घटनाओं को साझा कर Metoo Movement को मजबूती प्रदान करें।
कई और महिलाओं ने भी हार्वी वाइंस्टीन पर आरोप लगाए जिसकी वजह से उन्हें अपनी कंपनी बन्द करनी पड़ी और करियर भी बर्बाद हो गया।
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इसके बाद Metoo Movement ने सोशल मीडिया पर रफ्तार पकड़ी और आज सोशल मीडिया पर यह अभियान अपने चरम चरम सीमा पर है। जहां पर एक से एक प्रसिद्ध व ताकतवर महिलाएं एक-एक कर # Metoo Movement से जुड़ने लगी।और अपने साथ हुए अत्याचारों को लोगों के साथ (इस #MeToo के साथ) सोशल मीडिया में साझा कर रही हैं।
हैशटैग(#) के साथ MeToo का प्रयोग सबसे पहले एलिस मिलाने ने ही शुरू किया यानी #MeToo।और #MeToo के साथ शोषण की पहली कहानी शेयर करने वाली एलिस मिलाने ही पहली महिला हैं।
एलिस मिलाने के इस हिम्मत भरे बड़े खुलासे ने और भी महिलाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया और फिर पता चला कि शोषण सिर्फ मध्यम व निचले तबके की महिलाएं का ही नहीं होता वरन शोषण से वो महिलाएं भी नहीं बच पाती हैं जिन्हें दुनिया ताकतवर समझती है और जो प्रसिद्ध के शिखर पर हैं।
शोषण करने वालों में क्या राजनेता, क्या अभिनेता, क्या खिलाड़ी, क्या गुरु, क्या ऑफिसर सभी शामिल हैं। धीरे-धीरे इनके चेहरे से नकाब हटाते जा रहे हैं। और इस समय इस अभियान ने एक अंतरराष्ट्रीय अभियान का रूप ले लिया है।
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भारत में # Metoo Movement की शुरुवात ( Metoo India )
सबसे ज्यादा सुखद आश्चर्य तो तब हुआ। जब भारत की महिलाओं भी इस मंच के जरिए अपने साथ हुए यौन शोषण, मानसिक व शारीरिक शोषण की सच्ची कहानियां को साझा करने लगी ।अपने देश में तो यह परंपरा है कि कितना भी अत्याचार सहन कर लो लेकिन मुंह से कुछ ना बोलो। इज्जत व परंपरा के नाम पर।
Metoo Stories India
बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के खिलाफ अपने कड़वे अनुभवों को # Metoo Movement के साथ साझा कर इस आंदोलन की शुरुआत भारत में भी कर दी।तनुश्री दत्ता ने बताया कि 2008 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर ने उन्हें जबरदस्ती गलत तरीके से छूने की कोशिश की तथा उनके ऊपर इंटीमेट सीन करने के लिए दबाव डा़ला।
उस बक्त तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी लेकिन उनकी शिकायत अधिकारिक रूप से दर्ज नहीं की गई। फिर उन्होंने “टीवी और फिल्म आर्टिस्ट एसोसिएशन” से भी उनकी शिकायत की।लेकिन उस वक्त किसी ने भी उनकी शिकायत नहीं सुनी।
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फिलहाल तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के खिलाफ “महाराष्ट्र महिला आयोग” में शिकायत दर्ज करा दी है।और इस पर आगे की करवाई चल रही हैं।उसके बाद लेखिका व फिल्मकार विंटा नंदा खुलकर सामने आई।
और उन्होंने 90 के दशक में अपने साथ हुए यौन शोषण के अनुभव को सोशल मीडिया के जरिए साझा कर दिया।उन्होंने टीवी की दुनिया के एक लोकप्रिय अभिनेता व संस्कारी पिता की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति आलोक नाथ पर आरोप लगाकर बॉलीवुड में तहलका मचा दिया।
विंटा नंदा ने बताया कि यह घटना 20 साल पुरानी है। 90 के दशक में धारावाहिक “तारा” सीरियल अपने लोकप्रियता के चरम सीमा पर था और उसमें आलोक नाथ मुख्य भूमिका निभा रहे थे। उसी बक्त आलोक नाथ ने उनका यौन शोषण किया।धीरे-धीरे इस अभियान में बॉलीवुड के एक से एक दिग्गजों के नाम सामने आने लगे।
विकास (क्वीन के डायरेक्टर ), तन्मय भट्ट (एआईबी के निर्माता), रजत कपूर ,चेतन भगत, कैलाश खेर , लेखक वरूण ग्रोवर ,राजनेता एमजे अकबर आदि ऐसे अनेक नामों की लंबी लिस्ट बहुत लम्बी होने लगी ।
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# Metoo Movement से जुडी एक नई उम्मीद
# Metoo Movement के जरिये उम्मीद है कई और नई कहानियां सामने आएंगी।और कई बड़े शक्तिशाली चेहरे बेनकाब होंगे।कुछ भोली भाली सीधी सादी शक्ल के पीछे छिपे हुए भयानक चेहरे तथा उनके कारनामे दुनिया के सामने आएंगे।
यह तो साफ है इस आंदोलन में दुनिया के हर क्षेत्र से कुछ न कुछ आवाजें तो जरूर उठेंगी और कुछ लोगों की नींदें तो जरूर हराम होंगी।# Metoo Movement की यही सबसे अच्छी बात यह है कि महिलायें समाज ,प्रतिष्ठा ,भावनाओं तथा रिश्तों को दरकिनार कर अपने अंदर छुपे हुए दर्द को सारी दुनिया के सामने बयां कर रही हैं।तथा अपनी घुटन व अपनी सिसकन को कुछ काम करने की कोशिश कर रही हैं। जो एक सकारात्मक बदलाव है उनके मन के ऊपर।
यह जरूर है कि यह # Metoo Movement एक नई शुरुआत है शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की।हमारे आसपास हर रोज कोई न कोई महिला या बच्ची शोषण का शिकार होती है। जिसे हम देख कर भी अनदेखा ,अनसुना कर देते हैं।समाज व जाति बिरादरी के डर से लोग पुलिस में शिकायत करने से भी डरते हैं।
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अगर कोई पुलिस में शिकायत करने चला भी जाता है तो पुलिस उसकी शिकायत पर कोई खास ध्यान नहीं देती।ऊपर से उसी महिला को दोषी ठहरा दिया जाता है।उसके मान सम्मान को ठेस पहुंचा कर उसका समाज में निकलना बंद कर कर दिया जाता है।ऐसे में कौन महिला यह स्वीकार करने की हिम्मत करेगी कि उसके साथ शोषण हुआ है।
अधिकतर मामलों में ये शोषण घर से ही शुरू होते हैं।कई बार तो यह देखा गया है कि जाति ,बिरादरी व रिश्तेदार आदि ही इन शोषणों में लिप्त रहते हैं।
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अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करना जरूरी
आज सच में जरूरत है अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों को बिना रुके , बिना डरे तुरंत विरोध करने की।और अपनी आवाज को इतना बुलंद करने की कि समाज के हर व्यक्ति तक आपकी आवाज पहुंच जाए।अत्याचारी के खिलाफ बिना समय गंवाए पूरी ताकत से अपनी आवाज को बुलंद करना जरूरी है। क्योंकि अत्याचार करने वाले से ज्यादा बड़ा दोषी अत्याचार सहन करने वाला माना जाता है।
पीड़ित महिला अपने साथ हुए अत्याचार की शिकायत 90 दिन के भीतर दर्ज करा सकती हैं।अगर किसी कारणवश इस अवधि के भीतर शिकायत दर्ज नहीं करा पाए तो।उचित कारण देकर और 90 दिन के लिए यह अवधि बढ़ सकती है।
एक तरफ तो बड़े-बड़े मंचों, सेमिनारों से राजनेता, अभिनेता, समाज के सम्मानीय व्यक्ति महिला सशक्तिकरण की बात पर लंबा चौड़ा भाषण देकर तालियां बजावा कर वाह-वाही लूट लेते हैं। और दूसरी तरफ हर रोज महिलाओं के प्रति होने वाले शोषण की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही हैं।क्या ऐसे ही हमारा समाज उन्नति करेगा ?
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क्या ऐसे ही महिलाएं सशक्त बनेंगी ?
महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।कई क्षेत्रों में तो महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे हैं।लेकिन हर जगह चाहे क्षेत्र कोई भी हो महिला असुरक्षित ह़ी हैं।
आज समाज व सरकार की पहली प्राथमिकता महिलाओं का सम्मान व उनकी सुरक्षा ही होना चाहिए।बिना महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा के कोई भी समाज उन्नति के रास्ते में आगे नहीं बढ़ सकता।तभी तो कहा गया है।यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता:।
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