Women’s Day Poem in Hindi
Women’s Day पर पाँच प्यारी सी कविताएँ।
Women’s Day Poem in Hindi :अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को पूरे विश्व में मनाया बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दुनिया भर की महिलाओं को समर्पित यह दिन महिलाओं के लिए तो खास होता ही है।लेकिन यह दिन अन्य लोगों के लिए भी विशेष होता है।यह दिन होता है महिलाओं को उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद कहने का।
चाहे घर हो ,या समाज हो या राष्ट्र ही क्यों न हो ,बिना महिलाओं के योगदान के उन्नति नहीं कर सकता।इसलिये हर दिन हर पल महिलाओं का सम्मान करना जरूरी हैं।महिलाओं के सम्मान में हम भी यहां कुछ कविताएं प्रस्तुत कर रहे हैं।
Women’s Day Poem in Hindi
Poem 1.
हाड़ मांस का एक पुतला नहीं ,
जीती जागती एक इंसान हूं मैं।
ममता करुणा से भरा है दिल मेरा ,
त्याग समर्पण की पहचान हूं मैं।
न जाने कितने सपने हैं मन में मेरे ,
क्योंकि जीती जागती एक इंसान हूं मैं।
बेटी, बहन, पत्नी बन मकान को घर बनाती हूं ,
संघर्ष का दूजा नाम हूं मैं।
इरादे हैं मजबूत मेरे मगर देह है कोमल ,
क्योंकि जीती जागती एक इंसान हूं मैं।
कभी सती कभी सीता बनकर अग्निपरीक्षा देती ,
कभी दहेज की बलि चढ़ जाती हूँ मैं।
तुलसी सा पवित्र मन हैं मेरा , गंगा सी पावन हूं ,
क्योंकि जीती जागती एक इंसान हूं मैं।
Happy Women’s Day
Women’s Day Poem in Hindi
Poem 2.
ले फिर आज एक संकल्प नया ,
शक्ति स्वयं की पहचान कर तू आगे बढ़।
पूरा करने दिल के सपने हजार ,
हौसला बांधकर अपना तू निकल पड़।
न रहे अब मन में तेरे कोई ख्वाहिश बाकी ,
भर जुनून अपने अंदर तू आगे बढ़ ।
मान मर्दन और अत्याचार सहन न कर अब ,
मन में भर हुंकार तू आगे बढ़।
नई मंजिलें नई राहें ताके हैं रास्ता तेरा ,
मुश्किलों को मार ठोकर तू आगे बढ़ ।
Happy Women’s Day
Women’s Day Poem in Hindi
Poem 3.
है मुझमें पृथ्वी सी सहनशक्ति ,
चंद्रमा की शीतलता भी।
सूर्य सा चमकता तेज है मुझमें ,
समुद्र सी गंभीरता भी।
मन में बहती ममता की गंगा मेरे ,
समर्पण सेवा का प्रतिरूप भी ।
मैं नारी हूं सम्मान करो तुम मेरा ,
क्योंकि मैं ही हूँ जीवन का आधार भी ।
Happy Women’s Day
Women’s Day Poem in Hindi
Poem 4.
सहकर दर्द अपार नवजीवन दे माँ कहलाती ,
भूखे की भूख मिटा अन्नपूर्णा तू ही बन जाती।
पत्थरों के मकान को बना घर , गृहलक्ष्मी का रूप पाती ,
सारे रिश्तो को एक सूत्र में बांधकर सहेली सी दिखलाई देती ।
पति का थाम हाथ जीवन नैया पार कराती जीवनसंगिनी तू बन जाती।
हे !!! नारी तू मिट्टी कुम्हार की , हर रूप में तो तू यूं ही ढल जाती।
नमन करूँ मैं तुझे बार-बार , हर युग में सृष्टि का आधार तू ही बन जाती।
Happy Women’s Day
Women’s Day Poem in Hindi
Poem 5.
माथे पर सजी है बिंदी मेरे , हाथों में सजी हैं चूड़ियां।
यह तो बस मेरा श्रृंगार हैं , ये नहीं हैं मेरी मजबूरियां।
कभी सीता बन कभी सावित्री ,कभी बनकर मीरा।
सतयुग से कलयुग तक मैं निभाती आई हूं अपनी जिम्मेदारियां।
आन बान शान के खातिर पद्मावती बनकर किया जौहर मैंने।
झांसी की रानी बनकर चल पड़ी मैं रण मैदान में।
हिम्मत साहस से अपनी मैं लिखती आई हूं वीर कहानियां।
हर धर्म अपना निभाया है मैंने , हर कर्म किया जी जान से।
कर दिया जीवन अपना न्योछावर ,फिर भी मिली हैं मुझे रुसवाईयां।
कल्पना बनकर पहुंच गई अंतरिक्ष में , उड़न परी बनकर छा गई खेल के मैदान में।
देख कर हमें चकित है ये दुनिया , अब नहीं हैं हम बेचारियाँ ।
हमसे ही है जीवन , हमसे ही है अस्तित्व इस संसार का।
सृष्टि की सर्वोत्तम रचना , ईश्वर का अनमोल उपहार हैं हम नारियां।
Women’s Day Poem in Hindi
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